antarvasna, hindi sex stories
मेरा नाम रोशन है, मैं एक बैंक में जॉब करता हूं। मुझे दो वर्ष हो चुके हैं बैंक में जॉब करते हुए। मेरी जॉब जालंधर में है और मैं लुधियाना का रहने वाला हूं इसी वजह से मैं हमेशा ही अप डाउन करता हूं। सुबह मैं ट्रेन से ऑफिस के लिए निकलता हूं और शाम को मैं ट्रेन से ही वापस अपने घर आ जाता हूं। मुझे अब आदत सी हो गई है और मैं सुबह 5 बजे ही उठ जाता हूं। मैं 5 बजे उठने के बाद सुबह मॉर्निंग वॉक पर जाता हूं, उसके बाद मैं जल्दी से तैयार होकर अपनी ट्रेन के लिए निकल जाता हूं। मैं जब ट्रेन में बैठता हूं तो मुझे हमेशा ही नए-नए लोग मिलते हैं। कुछ लोग तो ऑफिस के सिलसिले में जाते हैं और कुछ लोग घूमने के लिए जा रहे होते है। मुझे हमेशा ही नए लोगों से मिलने की आदत हो चुकी है और कई बार उनमें से मेरे कुछ दोस्त भी बन जाते हैं। उन्हें मै फ्रेंड रिक्वेस्ट भी भेज दिया करता हूं।
मेरा हमेशा ही यही रूटीन बना हुआ है। एक बार मेरे बगल वाली सीट में लड़की बैठी हुई थी लेकिन वह बिल्कुल भी किसी से बात नहीं कर रही थी और ना ही सुंदर दिख रही थी, मुझे उसे देखकर बहुत ही अजीब लग रहा था और मैं सोचने लगा कि क्या मुझे उससे बात करनी चाहिए, या नहीं लेकिन मैंने उससे बात नहीं की और मैं भी बैठा रहा। जब मेरा सफर काफी कट चुका था तो मैंने उसे हिम्मत करते हुए पूछ लिया कि आप को कहां जाना है, पहले उसने मेरी बात का कुछ भी जवाब नहीं दिया लेकिन बाद में उसने मेरी बात का जवाब दिया और कहने लगी कि मुझे जालंधर जाना है। मैंने उसे कहा कि मैं भी वही जा रहा हूं। अब वह जालंधर स्टेशन पर उतर गई और जब स्टेशन पर उतरी तो वह स्टेशन पर लगी हुई सीट पर ही बैठ गई। मैं उसे काफी देर तक देखता रहा क्योंकि मुझे उसे देखकर कुछ अजीब ही लग रहा था। वह काफी देर तक सीट पर बैठी हुई थी, मुझे अपने ऑफिस के लिए लेट भी हो रही थी इसलिए मैं तुरंत ही वहां से अपने बैंक के लिए निकल गया। मेरा बैंक, स्टेशन से कुछ दूरी पर ही है। अब मैं अपने बैंक में काम करने लगा।
उस दिन मैं अपना काम कर के दोबारा स्टेशन की तरफ लौट आया। जब मैं ट्रेन का इंतजार कर रहा था तो मुझे वह लड़की दोबारा से स्टेशन पर दिखी और मुझे उसे देखकर बहुत ही ताजूब हो रहा था। मैंने सोचा कि यह सुबह से यहां पर बैठी हुई है और कहीं जा भी नहीं रही है। मैंने जब उससे पूछा कि तुम सुबह से यही बैठी हुई हो, तुम्हे कहाँ जाना है तो वह मुझे कहने लगी कि मेरे मां-बाप की मृत्यु हो चुकी है और मैं मेरठ की रहने वाली हूं, मेरे चाचा चाची मुझे जबरदस्ती किसी और से शादी करवाना चाहते थे इसलिए मैं घर से भाग आई। मैंने उसे कहा कि तुम कहां रुकने वाली हो, वो कहने लगी कि मुझे भी नहीं पता कि मैं कहां रुकने वाली हूं। मैं उसे अपने साथ लुधियाना वापस ले आया। जब वह मेरे साथ आई तो मैंने उसके रहने के लिए बंदोबस्त कर दिया था। मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसका नाम आरोही है और वह एक अच्छे घर की लड़की है लेकिन उसकी स्थिति उसके मां-बाप की मृत्यु के बाद बहुत ही बुरी हो चुकी थी। मैंने जहां पर उसके रहने के लिए बात की थी उसे मैंने वहां पर पैसे भी दे दिए और वह वहीं पर रहने लगी। अब वह एक जगह नौकरी भी करने लगी क्योंकि वह पढ़ी लिखी थी इसलिए उसने नौकरी कर ली। अब वह मुझे मिल जाया करती थी। मैं जब भी अपने ऑफिस के लिए जाता था तो वह मुझे हमेशा ही मिल जाती थी क्योंकि वह जहां पर रह रही थी वह मेरे रस्ते में ही पड़ता था इसलिए मैं उसे हमेशा ही मिल जाता था। अब वह भी अच्छे से अपना काम कर रही थी और अपने काम में ही बिजी थी। उसके पास कुछ पैसे जमा हो गए थे और वह एक दिन मुझे कहने लगी कि आपने उस दिन मेरी बहुत मदद की इसलिए मैं अपनी तरफ से आपको डिनर पर इनवाइट करना चाहती हूं। मैंने उसे कहा ठीक है जब मैं ऑफिस से लौट आऊंगा तो हम दोनों साथ में ही चलेंगे। अब मैं रोज की ही तरह अपने ऑफिस चला गया और शाम को जब मैं वापस लौटा तो मैंने आरोही को फोन किया और वह तैयार होकर मुझे मिली, हम लोग एक रेस्टोरेंट में चले गए और वहां पर हमने काफी बातें की।
मुझे उससे बातें कर के लगा कि वो अंदर से बहुत ही ज्यादा दुखी है लेकिन फिर भी वह अपने आप से लड़ रही है। जब उसने मुझे बताया कि उसके माता पिता की मृत्यु किस प्रकार से हुई तो मुझे बहुत ही दुख हुआ। मैंने उसे कहा कि अब तुम आगे क्या करने वाली हो, वो कहने लगी कि फिलहाल तो मैं यहीं पर कुछ काम करूंगी और उसके बाद ही मैं कहीं और चली जाऊंगी। उसका चेहरा बहुत ही मासूम था और उसकी उम्र भी ज्यादा नहीं थी। उसकी उम्र 22- 23 वर्ष की रही होगी। जब उसने मुझे बताया कि उसका कॉलेज कंप्लीट हो चुका है तो मैंने उससे कहा कि तुम यहीं पर रहकर कुछ अच्छे से तैयारी करो लो, उसके बाद तुम्हें कहीं अच्छी जॉब मिल जाएगी। वह कहने लगी हां मैं भी यही सोच रही हूं क्योंकि वह जहां अभी जॉब कर रही थी, वहां उसे ज्यादा पैसे नहीं मिलते थे लेकिन उसका घर खर्चा निकल जाया करता था। हम दोनों बहुत ज्यादा बात कर रहे थे और अब वह मुझसे मुस्कुरा कर बात करने लगी क्योंकि वह मेरे साथ अपने आप को बहुत ही कंफर्टेबल महसूस कर रही थी। मुझे भी उसके साथ बात करना अच्छा लग रहा था। मुझे उसके साथ वक्त भी बिताना काफी अच्छा लग रहा था। अब हम दोनों ने डिनर कर लिया था तो मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ते हुए निकल जाता हूं।
जब मैं और आरोही ऑटो में आ रहे थे तो हम दोनों चिपक कर बैठे हुए थे उसकी जांघ मेरी टांगों से टकरा रही थी और मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया तो हम दोनों का ही मूड बन गया। मैंने ऑटो वाले के कान में कहा कि तुम सीधा होटल में ले लो वह होटल में ले गया। जब मे आरोही को होटल में ले गया उसके बाद मैने होटल में एक रूम बुक कर लिया मैं उसे रूम में ले गया और जब मैं उसे रूम में ले गया तो तुरंत ही मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। जब मैंने उसके बदन को देखा तो उसकी जांघ बहुत ही मोटी थी उसकी गांड बहुत ज्यादा बाहर के लिए निकली हुई थी। मैंने उसके होठों को किस करना शुरू किया और काफी देर तक उसके होंठों को मैंने किस किया। कुछ देर बाद मैंने उसके स्तनों का रसपान करना शुरू कर दिया उसके स्तन बहुत छोटे थे लेकिन बहुत ही टाइट थे। मैंने उसके स्तनों को बहुत अच्छे से चूसा और काफी देर तक उसके स्तनों का रसपान किया। मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी योनि को चाटने लगा उसकी चूत से पानी निकल रहा था। अब उसे भी बिल्कुल नहीं रहा जा रहा था और ना ही मुझसे कंट्रोल हो रहा था मैंने जब अपने लंड को उसकी योनि में डाला तो वह चिल्लाने लगी। मैंने उसे बड़ी तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए होटल का बिस्तर इतना ज्यादा मुलायम था कि जब मैं उसे झटके देता तो वह पूरे नीचे तक चली जाती और फिर कुछ देर बाद वह थोड़ी ऊपर की तरफ आ जाती। अब मैं उसे ऐसे ही झटके दिए जा रहा था उसे बड़ा अच्छा लग रहा था जब मैं उसे इस प्रकार से चोद रहा था। मुझे भी बड़ा आनंद आ रहा था जब मैं उसे चोदे जा रहा था वह बहुत ही खुश हो रही थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने जब चादर को देखा तो चादर पूरी लाल हो चुकी है क्योंकि आरोही की सील टूट गई थी और उसे खून निकल रहा था। वह अपने मुंह से बड़ी तेज आवाज निकाल रही थी उसका यह पहला ही अनुभव था इसलिए उसे मेरे झटके ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं हो पा रहे थे। अब उसने अपने दोनों पैरों को मिला लिया जिससे की उसकी योनि और भी ज्यादा टाइट हो गई। मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा लेकिन मैं भी ज्यादा देर तक उसकी योनि की गर्मी को झेल नहीं पाया और मेरा वीर्य उसकी योनि में गिर गया। मैं उसे पकड़कर ही सो गया जब सुबह हम दोनों उठे तो हम दोनों नंगे थे हम दोनों ने कपड़े पहन लिए।