antarvasna sex stories, desi kahani
दोस्त मेरा नाम कमल है मैं एक नामी होटल में काम करता हूं। मैं वहां का मैनेजर हूं। हमारे होटल में सारे अमीर ही आते हैं। क्योंकि उसका किराया बहुत ही ज्यादा होता है इसलिए कोई सामान्य व्यक्ति वहां पर नहीं रुकता। हमारे यहां हर साल होटल मैनेजमेंट की बच्चे ट्रेनिंग के लिए आते हैं। उनको उनके कॉलेज के द्वारा हमारे यहां काम सिखाने के लिए भेजा जाता है। इस साल भी हमारे यहां पर 10 बच्चों का ग्रुप आया। उनमें से 8 लड़के थे और 2 लड़कियां मेरा ध्यान सिर्फ लड़कियों पर ही था। क्योंकि मुझे तो उनकी चूत लेनी थी। दोनों लड़कियों में से एक तो इतनी हॉट थी नहीं पर दूसरी वाली वह बहुत ज्यादा ही हॉट थी सही कहूं तो वह एक तरीके से अपने आप में पूरे हुस्न को समेटे हुई थी। उनके कॉलेज से कोई टीचर आए हुए थे उन्होंने मेरा परिचय उन सभी बच्चों से करवाया। उसके बाद उन्होंने उन बच्चों का परिचय मुझे दिया। तो योग टीचर में उस लड़की का नाम भी बताया उसका नाम दिशा था। मैं उसका नाम जान कर बहुत ही खुश था उसको देख कर मेरा लंड अंदर ही अंदर मुझसे कुछ कह रहा था। वह कह रहा था इसकी चूत जरूर लेनी है।
उसके बाद मैंने उन सबको पुरे होटल में सारे स्टाफ से मिलाया। मैंने उनको समझाया होटल में किस तरीके से काम किया जाता है। मैंने एक चीज के लिए खास तौर पर हिदायत दी की होटल में अनुशासन का ध्यान रखकर सारे काम करें। दिशा भी मेरी तरफ देख रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो भी मेरी ओर आकर्षित हो रही है। उसके बाद तो जैसे मेरा सीना और चौड़ा होता गया। मैं दिशा पर विशेष ध्यान दिया करता था। यह इनका पहला दिन था इसलिए मैंने इन सब को कहा तुम्हारे लिए जो कमरे कॉलेज की तरफ से दिए गए हैं वहां जाकर आराम कर लो। उसके बाद वह सब अपने अपने कमरों में चले गए उनके लिए चार कमरे कॉलेज की तरफ से बुक कराए गए थे।
अगले दिन सुबह उनकी जब ट्रेनिंग शुरू हुई। वह सब मुझे होटल की लॉबी में मिले। और कहने लगे सर ट्रेनिंग में क्या क्या बताएंगे आप हमें मैं उन सबको अलग-अलग डिपार्टमेंट में भेज दिया किसी को किचन में किसी को रिसेप्शन में किसी को हाउसकीपिंग में लेकिन दिशा को अपने साथ ही रखा और उसको कहा तुम मेरे साथ रहकर देखो मैं कैसे जो भी गेस्ट हमारे होटल में आते हैं। उनसे किस तरीके से मिलता हूं कैसे बात करता हूं। यह सब मैं तुम्हें सिखाऊंगा। यह तो मेरी गंदी नीयत थी कि मैंने उसको जानबूझकर अपने साथ रखा। अब मैं उसके बूब्स और उसकी गांड को निहारने लगा। उसको अपने केबिन में ले गया। उसके बूब्ज़ उसकी सफेद शर्ट से बाहर की तरफ झांक रहे थे। यह देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बातों ही बातों में उसके बूब्स पर हाथ फेर दिया। फिर मैंने उसको सॉरी बोला उसने बोला इट्स ओके सर और वहां मुस्कुराने लगी। यह देख कर मेरी हिम्मत बढ़ती ही जा रही थी। मेरी हिम्मत इतनी बढ़ चुकी थी कि मैं उससे लंड चूत की बातें करता था। और उसको कुछ भी सिखाता नहीं था। सिर्फ इसी में पूरा दिन चला जाता था। और जैसे ही ट्रेनिंग का शासन खत्म होता था। उसको भेज देता था लेकिन मेरी नियत तो खराब होती ही जा रही थी। वह भी अपनी गांड मटकाती हुई चली जाती थी।
अब धीरे-धीरे ऐसे ही समय बीत गया और पता ही नहीं चला कब 1 माह हो गए। 1 महीने में मैंने एक आद दिन छोड़ कर ही उसके स्तन या गांड पर हाथ मा फेरा हो। वह भी यह सब समझ चुकी थी। किया हो मुझे कुछ सिखाने वाले नहीं हैं और सिर्फ इनको मेरी चूत चाहिए। अब वह मेरे पास आई और कहने लगी सर आप मुझे कुछ सीखा ही नहीं रहे हैं और एक महीना हो चुका है। मैं यहां पर बोर होने लगी हूं। मैंने कहा मैं तुम्हें सब सिखा तो रहा हूं। तुम मेरे साथ रहती हो यही तो मैं तुम्हें सिखा रहा हूं। और मैंने उसको जवाब दिया सब्र रखो धीरे धीरे सब सीख जाओगे अभी तो बहुत समय है। परंतु वह यह सब समझ चुकी थी कि मैं उसको कुछ भी नहीं सिखाने वाला हूं सिर्फ उसकी बूब्ज़ और गांड मरा हाथी फेंकने वाला हूं। उस दिन भी मैंने उसकी गांड पर बहुत तेजी से हाथ फिरा और वह गुस्से में चली गई। मैंने उसको कुछ भी नहीं कहा क्योंकि मुझे उसकी चूत लेनी थी।
अब वह अगले दिन नहीं आई वह अपने रूम में ही थी। मैंने उसके साथ में जो लड़की थी उससे पूछा आज दिशा क्यों नहीं आई। उसने कहा सर उसकी तबीयत ठीक नहीं है। उसके बाद मैंने इन सब बच्चों को अलग-अलग डिपार्टमेंट में भेज दिया काम सिखाने के लिए फिर मैं दिशा के रूम में जाने लगा। जब मैं उसके रूम में पहुंचा तो मैंने रूम की डोर बेल बजाई उसने रूम का दरवाजा खोलो और देखते ही बोली सर आप मैंने उसको बोला हां मुझे तुम्हारी दोस्त ने बताया तुम्हारी तबीयत सही नहीं है। तो मैंने सोचा मैं तुम्हारी तबियत के बारे में तुमसे पूछन आऊ उसने कहा सर नहीं नहीं बस ऐसे ही कुछ सोच रही थी इस वजह से आई नहीं मैंने उसको पूछा क्या मैं अंदर आ सकता हूं या दरवाजे पर ही खड़ा रहूं। वह मेरी बात को टाल ना सकी और मैं अंदर उसके रूम में चला गया।
मैं जैसे ही बिस्तर पर बैठा हूं तू वहां उसकी पिंक कलर की पैंटी पडी हुई थी। जैसे ही मेरे लिए पानी लेने पानी लेने फ्रिज की तरफ गई तो मैंने उसकी पैंटी को उठाकर सूंघना शुरू कर दिया। जिसमें से अलग ही तरह की महक आ रही थी। उसने भी मुझे देख लिया था। लेकिन उसने इग्नोर कर दिया और मुझे पानी का गिलास देते हुए कहा यह लीजिए सर पानी पीजिए। उसने एक हल्की सी टीशर्ट और छोटा सा शार्ट पहन रखा था जिसमें उसके उभार साफ-साफ प्रतीत हो रहे थे। उसकी गोरी गोरी जांघों पर एक भी बाल नहीं था उसने वैक्स किया हुआ था। मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींचा जिससे वह मेरी गोद में आकर बैठ गई। और उसकी गांड मेरे लंड पर थी। वह तुरंत ही खडी उठ गई। बोलने लगी हो क्या कर रहे हो। मैंने भी उसको बोल दिया अगर तुमको काम सीखना है तो यह सब करना होगा। उसने हल्की सी मुस्कान दी और मुझे कहने लगी सर मैं यही सोच रही थी कि आपको अपनी चूत दू या नहीं पर अब लगता है मुझे देनी ही पड़ेगी। और उसने यह सब कहते कहते अपनी शॉर्ट और चड्डी उतार दें और मेरे सामने उसकी पिंक चूत थी जिसमें एक भी बाल नहीं थे जो एकदम मुलायम सी थी और भरपूर रस अपने अंदर समेटे हुए थी। मुझे जोश आ चुका था मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरु कर दिया। सहलाते हुए मैंने उसकी चूत मे उंगली डाल दी जिससे वह आदा फुट तक उछल गई। फिर मैं अपनी उंगलियों को अंदर बाहर करने लगा जिससे उसका गीला हो गया था।
वह बहुत दिन से जैसे चुदने का इंतजार कर रही हो इतना सारा गीला हो चुका था। मैंने उसकी टी-शर्ट को उतारा और उसके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया। जिससे उसकी आवाज मैं कुछ कपकपी सी थी। और अपने हाथों से उसके स्तनों को जोर जोर से दबा रहा था। जिससे वह बोल रही थी सर आराम से दर्द हो रहा है लेकिन मैं भी कहां मानने वाला था मैंने तो अपना दांतो से उसके बूब्ज़ पर काट दिए। जैसे जैसे मै उस को दांत से काटता वैसे वैसे उसको नशा चढ़ता जाता। कभी मैं उसके चूचो पर तो कभी उसकी चूत पर अपना हाथ फेरता। उसको बहुत ही मजा आ रहा था। फिर मैंने अपनी पैंट भी उतार दी और उसने मेरा लंड अपने हाथो से पकड लिया। पहले उसने थोड़ी देर अपने हाथों से हिलाया। फिर उसने अपने मुंह में मेरे लंड को ले लिया। उसने मालूम नहीं किस तरीके से चुसा कि मेरा सारा पानी एक ही झटके में गिर गया और उसने मेरा सारा माल पी लिया। किंतु मैं इतने से ही संतुष्ट होने वाला नहीं था तो मैंने उसको होटल के नरम बिस्तर पर लेटा दिया और अब मेरी बारी थी तो मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ से चाटना शुरू किया धीरे-धीरे उसका भी पानी मेरे मुंह में जाने लगा तो मैं समझ गया था कि अब मुझे इस की गर्मी को मिटाना होगा। उसकी चूत गर्म हो गई थी तो मैंने अपना लंड उसकी चूत मैं प्रवेश करवा दिया और मुझे गर्मी का एहसास होने लगा। अब मैं अपने लंड अंदर बाहर करने लगा जिससे उसकी चूत मैं रगड़न होने लगी थी। और वह मुझे कस कर जकडने लगी थी। पहली बार तो मेरा जल्दी ही गिर गया। किंतु उसके बाद मैंने उसे अलग अलग पोज बनाकर उसके साथ संभोग किया। मैंने कई प्रकार की क्रियाओं के माध्यम से अपने उसकी चूत मे अपना लंड प्रवेश करवाया और ना जाने कितनी ही दफा उसके ऊपर अपना वीर्य गिराया।