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मेरा नाम सूर्या है। मैं मुंबई का रहने वाला हूं। मैं ब्रोकर का काम करता हूं और किसी को भी घर रेंट पर चाहिए होते हैं तो मैं उन्हें रेंट पर घर दिला देता हूं। मैं जिस सोसाइटी में घर दिलाता हूं उसमें ही मेरी एक दुकान है और मैंने उसके अंदर ही अपना ऑफिस बनाया हुआ है। जब भी मेरे पास कोई आता है तो मैं तुरंत ही उसे घर दिखा देता हूं। क्योंकि जहां मेरी दुकान है वहां हमारी कॉलोनी बहुत ही बड़ी है। इस वजह से सब लोग मुझे ही कह कर जाते हैं। यदि किसी को घर चाहिए होता है तो मैं उसे तुरंत ही दिलवा देता हूं और मेरा काम बहुत ही अच्छे से चल रहा है। मैं अब अपने काम को बढ़ा चुका हूं और मैंने वहीं पास में एक रेस्टोरेंट भी खोल लिया है। जब मैंने रेस्टोरेंट खोला तो मेरे पास बहुत ज्यादा भीड़ होने लगी। क्योंकि जितने भी कस्टमर हमारी सोसाइटी के थे उन सब के पास मैंने प्रचार करवा दिया था और वह लोग मेरे रेस्टोरेंट से ही खाना लेकर जाते थे और यदि कोई अकेला होता था तो मैंने उसके लिए टिफिन सर्विस भी शुरू कर दी थी। जिससे कि वह लोग मेरे यहां से टिफिन लेकर जाया करते थे। या फिर मेरे रेस्टोरेंट के लड़के ही टिफिन पहुंचा दिया करते।
एक बार मेरे रेस्टोरेंट में एक लड़की आई और वह काफी देर तक हमारे रेस्टोरेंट में बैठी हुई थी। मैं उसे बार-बार देख रहा था क्योंकि वह मुझे अच्छी लग रही थी। उसका रंग सांवला सा था और उसकी लंबाई ठीक-ठाक थी लेकिन वह दिखने में बहुत ही ज्यादा सुंदर थी। उसके चेहरे की तरफ देख कर ही बहुत अच्छा लग रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं उसे देखता ही रहूं। वह अक्सर मेरे रेस्टोरेंट में आती थी और मैं उसे हमेशा ही देखता रहता था लेकिन मैंने उसे कभी भी बात नहीं की। एक दिन वह मेरे रेस्टोरेंट का विजिटिंग कार्ड ले गई और मुझसे पूछने लगी कि आपके यहां से होम डिलीवरी की सर्विस भी है। मैंने उसे बताया कि हां हमारे यहां पर होम डिलीवरी की सर्विस भी है। यदि आपको कोई भी कुछ भी सामान मंगवाना हो तो आप रात के 1 बजे तक मंगवा सकते हैं। मैंने उससे पूछा आप कहां पर रहते हैं तो वह कहने लगी कि मैं यही थोड़ी दूर पर रहती हूं। मैंने उससे उसका नाम पूछ लिया था। उसका नाम दीपिका है और वह जब भी रेस्टोरेंट में आती तो मैं उससे अक्सर बात कर लिया करता था। मुझे बहुत ही अच्छा लगता था जब मैं उससे रेस्टोरेंट में बात किया करता था। एक दिन दीपिका मेरे पास आई और कहने लगी कि यहां पर आप कोई फ्लैट मुझे दिलवा सकते हैं।
मैंने उसे कहा कि मैं आपको फ्लैट दिलवा दूंगा। आप उसकी चिंता मत कीजिए। पर आपको कब तक लेना है। वह कहने लगी कि मुझे अगले महीने तक लेना है यदि आप दिलवा सके तो बहुत ही अच्छा होगा। अब मैंने दीपिका को फ्लैट दिलवा दिया था। वह बहुत ही खुश थी और मेरे रेस्टोरेंट से ही वह टिफिन लेकर जाती थी। अधिकतर तो हमारे रेस्टोरेंट से ही टिफिन लेकर जाती थी या फिर कभी उसे लेट हो जाती तो वह फोन कर के मंगवा लिया करती थी तो मैं किसी लड़के को भिजवा दिया करता था। अब वह मुझे हमेशा ही दिख जाती और मुझे भी बहुत अच्छा लगता। वह अक्सर मुझसे बात किया करती थी और मैं भी उससे बात कर लिया करता। उसका फोन नंबर मेरे पास था तो मैंने सोचा एक दिन उसे मैसेज कर लिया जाए। मैंने जब उसके मोबाइल पर मैसेज किया तो उसने तुरंत ही रिप्लाई कर दिया और जब उसने रिप्लाई किया तो मुझे भी बहुत अच्छा लगा। अब मैं भी उसे मैसेज किया करता हूं और वह भी मुझे मैसेज कर दिया करती।
एक दिन वह मेरे पास आई और कहने लगी कि मैं कुछ दिनों के लिए अपने घर जा रही हूं तो आप टिफिन मत भिजवाइएगा। मैं आने के बाद ही आपसे टिफिन दोबारा से शुरू करवा लूंगी। मैंने उसे कहा ठीक है आप जब घर से आ जाएंगे तो आप मुझे बता दीजिए। अब वह अपने घर चली गई और कई दिनों तक वह मेरे रेस्टोरेंट में नहीं आई। मुझे भी बहुत बुरा सा लगने लगा और मैं अपने काम में बहुत बिजी हो गया था। तभी कुछ दिनों बाद दीपिका वापस आ गई और जिस दिन वह आई तो उस दिन मेरे चेहरे पर एक अलग ही प्रकार की मुस्कुराहट थी। मैंने उससे पूछा क्या आप घर से वापस आ गई। तो वो कहने लगी हां मैं घर से वापस आ चुकी हूं। अब आप मेरा टिफिन भिजवा दिया कीजिए। मैं उसका टिफिन भिजवा दिया करता था। एक दिन मेरे रेस्टोरेंट में मेरे दो कर्मचारियों की तबीयत खराब हो गई और उस दिन मुझे ही पूरा काम करना पड़ रहा था और मुझे बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी। क्योंकि मुझे ही टिफिन लोगों के घर तक पहुंचाने पढ़ रहे थे और सारा काम खुद ही देखना पड़ रहा था। उस दिन दीपिका ने भी फोन कर दिया और कहने लगी कि आप टिफिन मेरे घर पर ही भिजवा दीजिए। अब मैंने उसे कहा कि आज तो लड़के नहीं हैं आप आकर ले जाइए। वह कहने लगी कि मैं अपना कुछ काम कर रही हूं इसलिए मैं आपके रेस्टोरेंट में नहीं आ सकती। आप किसी भी तरीके से वह भिजवा दीजिए। चाहे आप थोड़ा लेट भी भिजवाएंगे तो चल जाएगा।
अब मुझे ही उसके घर पर टिफिन लेकर जाना पड़ा। जब मैं उसके घर टिफिन लेकर गया तो मैंने उस की डोर बेल बजाई और उसने दरवाजा खोला। उसके बाद मैंने उसे टिफिन दे दिया। दीपिका मुझसे कहने लगी कि आप बैठ जाइए मैं उसके घर में बैठ गया। जब मैं बैठा तो उसकी पैंटी मेरे नीचे थी। मैंने जैसे ही उसकी पैंटी को अपने हाथ में लिया तो मुझे उससे कुछ अलग ही खुशबू आ रही थी। मेरा मूड खराब हो चुका था मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और दीपिका को कहने लगा कि तुम मुझे बहुत पसंद हो। वह भी मुझे कहने लगी कि आज मेरा बहुत मन है आप मेरी इच्छा पूरी कर दो। मैंने उसे कसकर पकड़ते हुए उसके होठो को चूमना शुरू कर दिया और उसे बड़ी ही तेजी से किस करना शुरू किया। वह भी पूरे मूड में आ गई और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। जब उसने मेरे कपड़े खोले तो मेरा मन पूरा खराब हो गया और मैंने उसके मुंह में अपने लंड को डाल दिया। वह बहुत ही अच्छे से लंड को चूस रही थी और मुझे बड़ा मजा आ रहा था जब वह मेरे लंड को चूसती जा रही थी। अब मैंने उसके कपड़े खोलते हुए उसके स्तनों को अपने मुंह में समा लिया और उसे बहुत अच्छे से चूसने लगा। मैं उसके स्तनों को इतने अच्छे चूस रहा था कि उसे बड़ा ही मजा आ रहा था और वह पूरी उत्तेजना में आ रही थी। अब मैंने उसकी योनि में अपना लंड डाला तो उसकी योनि बहुत टाइट थी और मुझे बहुत ही मजा आने लगा। जब मैं उसे धक्के दिए जा रहा था तो उसका शरीर पूरा हिल रहा था मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था और वह भी बड़ी खुश थी। वह मेरा पूरा साथ दे रही थी और अपने मुंह से मादक आवाजें निकालती जाती। मैं उसे जितने तेज धक्का देता वह उतनी ही तेज सिसकियां ले रही थी। वह मेरा पूरा साथ देती और मैं उसे उतना ही अच्छी तरीके से चोदता जाता। वह पूरे मूड में आ चुकी थी तो उसने मेरे लंड को बाहर निकालते हुए अपने मुंह के अंदर समा लिया और बडे ही अच्छे से उसे सकिंग करना शुरू कर दिया। वह मेरे लंड को इतने अच्छे से चूस रही थी कि मुझे बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी देर में वह मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और अपनी चूतड़ों को ऊपर नीचे करने लगी। जब वह अपने चूतडो को ऊपर नीचे करती तो मुझे बड़ा मजा आता और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरे ही जोश में आ चुकी है। मैंने भी उसे तेज तेज धक्के मारने शुरू कर दिए थे। वह भी बड़ी तेजी से धक्के दिए जा रहे थे मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था और वह मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने भी उसे तेजी से चोदना शुरू किया और हम दोनों अब पूरी तरीके से गर्म हो चुके थे और पसीना-पसीना होने लगे थे। उसकी योनि से इतनी ज्यादा गर्मी निकालने लगी की मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था और वह भी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। मैंने उसकी योनि के अंदर अपने वीर्य को डाल दिया।