antarvasna, gaand chudai ki kahani
मेरा नाम राजेंद्र है मैं फरीदाबाद का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 40 वर्ष है और मैं पुलिस में नौकरी करता हूं। मुझे पुलिस की नौकरी करते हुए काफी वर्ष हो चुका है। मैं जिस कॉलोनी में रहता हूं वहां पर सब लोग बड़े ही शांतिप्रिय लोग हैं। सब लोग एक दूसरे के काफी मदद करते हैं। मुझे भी कभी आज तक ऐसा नहीं लगा कि मेरे बच्चे घर में अकेले हैं। मुझे किसी भी चीज को लेकर चिंता नहीं हुई। मुझे कभी भी कुछ जरूरत होती तो मेरे पड़ोस के लोग मदद कर दिया करते लेकिन जब से हमारी कॉलोनी में नए लोग रहने आने लगे तो हमारी कॉलोनी का माहौल खराब होने लगा। पहले हमारे आस पास जितने भी लोग रहते थे वह सब बहुत ही अच्छे थे लेकिन अब उन लोगों ने वह घर बेचने शुरू कर दिए हैं क्योंकि उन्हें उसके बदले अच्छे दाम मिलने लगे थे इसीलिए उन्होंने वह घर बेचकर कहीं और अपने घर ले लिए हैं। हमारी कॉलोनी में चोरियां अभी बहुत बढ़ने लगी थी।
एक दिन मेरे घर से भी चोरी हो गई। मुझे लगा कि अब तो हमारे घर पर कुछ भी सामान रखना ठीक नहीं है और मैं सोचने लगा कि मुझे अब देखना ही पड़ेगा कि वह चोरी कौन कर रहा है। अब मैं इस चीज को लेकर बहुत ही सचेत हो गया। मैंने अपने घर के बाहर ही सीसीटीवी कैमरा लगा दिया। मैं जब भी अपनी नौकरी से आता तो हमेशा ही सीसीटीवी कैमरे में देखता की आखिरकार यह चोरी कौन कर रहा है। एक बार तो मैंने एक चोर को पकड़ा भी और उसकी मैंने उस दिन जमकर धुनाई भी की। मैं उसे अपने नजदीकी पुलिस चौकी में ले गया क्योंकि मैं दूसरी पुलिस चौकी में हूं। मैं जब उसे वहां लेकर गया तो मैंने उसकी थाने में भी जमकर धुनाई की और मैंने वहां के स्पेक्टर से कहा कि साहब आप इसे देख लीजिए यह हमारे यहां से काफी बार चोरी कर के गया है। वह कहने लगे तुम इसे यहीं छोड़ जाओ। हम लोग इसे सारी वसूली कर लेंगे। अब मैं वहां से निकल गया और मैं अक्सर अपने सीसीटीवी कैमरे में देखता रहता।
एक शाम जब मैं घर पर आया तो मैंने देखा कि रात के वक्त हमारे पड़ोस की कविता भाभी किसी व्यक्ति से मिल रही हैं। मैंने कैमरे में उसका चेहरा साफ साफ देख लिया था। मैं जब एक दिन कविता भाभी से मिला तो मैंने उन्हें कहा कि आप रात के वक्त किसी व्यक्ति से मिल रही थी और आप की हरकतें भी कुछ ठीक नहीं थी। वह कहने लगी कि तुम्हें कैसे पता। मैंने उन्हें कहा आप मुझे यह सब मत बताइए मैं भी सब कुछ जानता हूं। जब मैंने उन्हें यह बात कही तो वह मुझे ही उल्टा कहने लगी और मेरे घर पर मेरी पत्नी के साथ झगड़ा करने लगी। वह मेरी पत्नी से कहने लगी कि तुम्हारे पति तो मुझे बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं और यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। हम लोग बिल्कुल इस चीज को बर्दाश्त नहीं करेंगे। शाम को जब मैं घर लौटा तो मेरी पत्नी कहने लगी कि आप फालतू में किसी के मुंह क्यों लगते हैं। आप अपने काम से काम रखिए। मैंने अपनी पत्नी से पूछा कि आखिर बात क्या हुई है लेकिन उसने मुझे कुछ भी नहीं बताया और वह चुपचाप रही। मैंने उसे कई बार पूछा लेकिन उसके बाद भी मुझे उसने कुछ नहीं बताया मैं फिर अब अपने काम पर आने जाने लगा। एक शाम मैंने फिर दोबारा से कविता भाभी को उसी व्यक्ति से मिलते हुए देखा। मुझे लगा कि यह लोग हमारी कॉलोनी का माहौल पूरा खराब कर रहे हैं। मैं नहीं चाहता था कि वह लोग ऐसा करें इसीलिए मैं उन्हें रोक रहा था लेकिन मैं ही गलत बन गया। मैंने अपनी पत्नी से कहा कि कविता भाभी का चरित्र भी ठीक नहीं है। वह कहने लगी आपको उनसे क्या लेना देना। आप अपने काम से काम रखें। आपको किसी के घर में झांकने की क्या आवश्यकता है। मेरी पत्नी के मुंह से भी उस दिन यह बात निकल गई। वह मुझे कहने लगी कविता भाभी हमारे घर पर आई थी और वह मुझे कह रही थी कि तुम्हारे पति हमें बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं। मेरा भी गुस्सा सातवें आसमान पर था और जब मेरी पत्नी ने मुझसे यह बात कही तो मैंने अपनी पत्नी से कहा कि मैं तो सिर्फ उन्हें समझाने की कोशिश कर रहा था यदि उन्हें ऐसी कोई भी हरकत करनी है तो वह अपने घर के अंदर करें। घर के बाहर खड़े होकर इस प्रकार की हरकते उन्हें शोभा नही देती।
मेरी पत्नी मुझे कहने लगी आप बिल्कुल सही कह रहे हैं लेकिन यदि आप उनसे यह बात कहेंगे तो आपको पता ही है उनका नेचर कैसा है। उल्टा वह पूरी कॉलोनी में हमें ही गलत साबित कर देंगे और वैंसे भी आपको उनसे क्या लेना देना। हम लोग अपने जीवन में खुश हैं। हमें किसी से भी मतलब रखने की क्या आवश्यकता है लेकिन मेरी तो जैसे दिमाग में अब यह बात बैठ चुकी थी कि मैं कविता भाभी को नहीं छोड़ने वाला। उन्होंने मेरी पत्नी को काफी भला बुरा कहा था। मैं अब हर शाम को ऑफिस से आकर देखने लगा तो उसमें काफी दिनों तक मुझे ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे कि मैं कविता भाभी को कुछ कह सकूं। एक दिन मुझे आने में देर हो गई थी मैंने रात को अपने सीसीटीवी में देखा तो उसमें कविता भाभी उस व्यक्ति को किस कर रही थी और वह व्यक्ति भी बड़ी गर्मजोशी में उन्हें किस कर रहा था। मैंने जब यह मंजर कैमरे में देखा तो मैं तेजी से दौड़कर बाहर की तरफ गया। मेरी पत्नी और बच्चे सो चुके थे। कविता भाभी ने जैसे ही मुझे देखा तो उस दिन उनकी सारी हवा निकल गई और वह भीगी बिल्ली बन कर चुपचाप खड़ी हो गई।
मैंने उन्हें कहा अब आप मुझे बताइए आप यह गुल खिला रही हैं मैं आपके पति को यह सब बातें बता दूंगा तो आपको पता चलेगा कि गलत हरकत करने का क्या नतीजा होता है। वह मेरे पास आई और मेरे पैर पडकर गिडगिडाने लगी उस वक्त वहां पर कोई भी नहीं था। वह व्यक्ति तो वहां से उड़न छू हो चुका था और उसका कुछ भी पता नहीं था। कविता भाभी मुझे कहने लगी आप अंदर चलिए मैं आपसे बात करती हूं। मैं जब उनके घर गया तो वह मुझे पैसे देने लगी और कहने लगी आप किसी को मत बताइएगा। मैंने वह पैसे उनके मुंह पर मारे और उनके हाथ को पकड़ते हुए अपनी ओर खींचा। मैंने जब उन्हें अपने लंड के ऊपर बैठाया तो उनकी बड़ी गांड मेरे लंड से टकरा रही थी मेरा लंड खड़ा हो गया। उन्होंने मेरे लंड को बाहर निकालते हुए अपने हाथों से हिलाना शुरू किया। उन्होंने अपने मुंह में लेकर उसे चूसना शुरू कर दिया मुझे बहुत मजा आ रहा था जब वह मेरे लंड को चूसती। वह ऐसे ही काफी देर तक मेरे लंड को सकिंग करती रही जब मैंने उनके कपड़े उतारे तो उनकी गांड को चाटना शुरू किया। मेरा सिर्फ उनकी गांड मारने का मन था। मैंने उन्हें कहा आप मेरे लंड पर तेल लगा दीजिए। उन्होंने मेरे लंड पर तेल को लगाते हुए उसे मालिश करना शुरू किया मेरा लंड एकदम चिकना हो गया। मैंने जैसे ही अपने लंड को कविता भाभी की चिकनी गांड के अंदर डाला तो वह चिल्ला उठी और कहने लगी लगता है आप मेरी गांड फाड़ कर ही मानेंगे। मैंने उनकी बडी चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ा हुआ था और बड़ी तेज गति से मैं उन्हें धक्के मार रहा था। मैंने उन्हें इतनी तेज गति से धक्के मारे उनकी गांड से खून बाहर की तरफ निकलने लगा। वह कहने लगी आप थोड़ा धीरे मेरी गांड मारिए इतना तेज तो मेरे पति भी मेरी गांड नहीं मारते और मेरे चाहने वाले तो मेरी गांड मारते ही नही हैं। उन्होंने यह बात कही तो मैंने और तेजी से उनकी गांड मारी उनकी गांड से खून का बाहव तेजी से होने लगा। मैं तेज गति से उनकी गांड मारने लगा मुझे बहुत मजा आता जब मैं उनकी गांड बड़ी तेज गति से मारता मेरा लंड उनकी गांड के बिल्कुल अंदर तक जा रहा था। जब उनकी गांड मेरे लंड से टकराती तो मेरे अंदर और भी ज्यादा उत्तेजना पैदा हो जाती। वह अपने मुंह से मादक आवाज में चिल्ला रही थी। मुझे उतना ही मजा आ रहा था। मैंने काफी देर तक उनकी गांड मारी। जब उनकी गांड से आग बाहर की तरफ निकले लगी तो मैं समझ गया मैं ज्यादा देर तक उनकी गर्मी को नहीं झेल पाऊंगा। जैसे ही मेरा वीर्य उनकी गांड के अंदर गिरा तो मैं खुश हो गया। उसके बाद वह मुझसे नजरे भी मिला नहीं पाती। मुझे जब मौका मिलता तो मै उनकी गांड जरूर मारता।