hindi sex stories, antarvasna
मेरा नाम जय है और मैं एक कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र हूं। मेरी उम्र 24 वर्ष है। मेरा यह पोस्ट ग्रेजुएशन का पहला ही वर्ष है। इसलिए हमारे कॉलेज में कई नए छात्र और छात्राएं आई हैं। कुछ लोग तो मेरे साथ पुराने ही थे। जो हमारे साथ पहले भी ग्रेजुएशन के दौरान पढ़ाई कर रहे थे। हमारे क्लास में एक नया लड़का आया उसका नाम अनूप था। वह काफी समझदार और पढ़ने में भी अच्छा था। तो मेरी उससे दोस्ती हो गई और हम लोग ऐसे ही साथ में कैंटीन में जाया करते थे और काफी सारी बातें किया करते थे। जब मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे घर में कौन-कौन है तो उसने मुझे बताया है कि मेरे घर में मेरी मम्मी पापा एक बहन और एक बड़े भैया हैं। मैंने भी उसे अपने घर के बारे में सब कुछ बताया। अब हम दोनों का घर में भी आना जाना लगा रहता था। हम दोनों की घनिष्ठता बहुत ज्यादा हो गई। अनूप बहुत ही अच्छा लड़का था और वह काफी बार मेरी मदद भी कर चुका था। एक बार हम लोग ऐसे ही मार्केट में कुछ सामान लेने के लिए चले गए।
उसकी दोस्त वहां पर उसे मिली। उसका नाम माला था। माला से भी अनूप ने मेरा परिचय करवाया और वह काफी सुंदर और मधुर भाषी लड़की थी। अब मेरा परिचय भी माला से हो चुका था और हम लोगों ने थोड़ी बातें की। उस दिन तो हमारी बातें नहीं हो पाई। लेकिन अनूप ने मुझे कहा कि तुम्हें माला से मिलकर कैसा लगा। मैंने उसे बताया कि माला तो बहुत ही अच्छी लड़की है और बात करने में भी काफी अच्छी है। मुझे माला को देखकर एक अलग ही तरीके की फीलिंग आ रही थी। मैंने काफी दिनों तक तो अनूप से इस बारे में कोई जिक्र नहीं किया लेकिन जब मैंने अनूप से इस बारे में बात की तो अनुप को थोड़ा बुरा लगा लेकिन उसने मुझे कहा कोई बात नहीं, ऐसा तो होता है। मैंने अनूप से कहा था कि मुझे माला बहुत पसंद है और तुम उससे मेरी बात करवा दो।
अनूप ने भी मेरी बात को नहीं टाला और उसने माला को मिलने बुला लिया। माला, मैं और अनूप हमारी कैंटीन में बैठ कर बातें करने लगे। मैंने माला का नंबर ले लिया और अनूप ने भी मेरी काफी तारीफ माला के सामने करी। तो वह भी मेरी तरफो से आकर्षित हो गई थी। लेकिन अभी मुझे उससे बात को आगे बढ़ाना था। मैं सोचने लगा कि किस तरीके से मैं उससे अपनी बात को आगे बढ़ाऊ। क्योंकि मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं सीधा जाकर उसे कह देता कि मेरे दिल में आपके लिए कुछ फीलिंग है। कुछ दिनों बाद मेरे पिताजी भी नौकरी से रिटायर होने वाले थे। तो मैंने सोचा कि अपने दोस्तों को भी घर पर बुला लेता हूं। इस बहाने हम लोगों का मिलना भी हो जाएगा और एक इंट्रोडक्शन भी हो जाएगा। मैंने अपने सारे दोस्तों को घर पर बुला लिया है और माला को भी अपने घर पर बुलाया। मैंने माला का परिचय अपने पिताजी और माताजी से करवाया। वह भी माला से मिलकर बहुत ज्यादा खुश हुए। उसके बाद माला से मेरी मुलाकात बहुत ज्यादा बढ़ने लगी और मैं अब उससे अकेले में भी मिलने लगा था। एक दिन बातों बातों में ही मैंने उससे अपने दिल की बात कह दी और वह भी मुझे कहने लगी कि मैं भी तुम्हें पसंद करती हूं।
माला और मेरी नजदीकियां कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी। एक दिन मैंने उसे कहा क्या तुम मेरे साथ कहीं घूमने चल सकती हो। वह मुझे कहने लगी कि अकेले तो मेरे घर वाले मुझे भेजेंगे नहीं परंतु फिर भी मैं कोशिश करूंगी कि मैं कुछ भी बहाना बनाकर तुम्हारे साथ चलूं। क्योंकि उसका मन भी अब होने लगा था कि वह मुझसे अपनी चूत मरवाए लेकिन ऐसा समय मिल नहीं पा रहा था और ना ही मेरे पास कोई ऐसी जगह थी जहां मैं उसे लेकर जा सकता था। मैंने यही उचित समझा कि उसे कहीं बाहर ही घुमाने ले जाता हूं। हम लोग कभी बीच में तो मिल जाया करते थे और मैं तब उसके स्तनों उसकी गांड पर हाथ फेर दिया करता था लेकिन मुझे फिलहाल उसके नाम की मुठ मारकर ही काम चलाना पड़ रहा था। मुझे अभी समय नहीं मिल पा रहा था कि मैं कभी उसे चोद सकूं या उसके यौवन का आनंद उठा पाऊं।
कुछ दिनों बाद माला मुझे कहने लगी कि हमारे रिश्तेदार के यहां पर शादी है। मेरे पिताजी ने मुझे कहा कि तुम ही वहां पर चले जाना क्योंकि जिनके यहां पर शादी है उनकी लडकी की उम्र भी मेरे जितनी है और वह मुझे अच्छे से पहचानती भी है बचपन में हम लोग एक साथ ही स्कूल में पढ़ाई करते थे। मेरे पिताजी और माताजी ने मुझे कहा कि तुम उनके वहां शादी में चले जाओ। मैंने माला से पूछा शादी कहां पर है तो उसने मुझे बताया कि शादी पठानकोट में है। अब हम दोनों ने फैसला कर लिया कि हम वहां चलेंगे।
मैं माला को लेकर अपने साथ पठानकोट चला गया। हम लोग शादी से दो दिन पहले ही निकल गए। मैंने वहां पर एक होटल में रूम लिया जैसे ही मैंने होटल में रूम लिया तो मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ। मैंने माला को अपने नीचे दबा दिया मैंने उसके सारे कपड़ों को खोल दिया। अब उसके होठों को अपने होठों में लेकर चूसने लगा मैं उसे ऐसे ही चूसता रहा वह भी मस्त हो गई थी। उसने मेरे लंड को पकड़ लिया जैसे ही उसने मेरे लंड को पकड़ा तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। अब उसने मेरे लंड को हिलाना शुरू कर दिया जैसे ही वह मेरे लंड को हिलाती तो मेरा लंड मोटा हो गया। अब मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो उसने तुरंत ही मेरे मोटे और कड़क लंड को अपने मुंह में ले लिया। जैसे ही उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लिया तो मेरा और ज्यादा मोटा हो गया। उसने मेरे लंड पूरे अपने मुंह के अंदर ही समा लिया और उसे बड़े अच्छे से चूसती जाती। वह मेरे लंड को बड़े प्यार से अंदर बाहर करने लगी। जिससे कि मेरे लंड से थोड़ा बहुत वीर्य भी निकलने लगा। उसने वह माल को चाट लिया और मेरे लंड को पूरा लाल कर दिया। जैसे ही उसने मेरे लंड को बाहर निकाला तो मैंने तुरंत ही उसकी टाइट योनि में अपने लंड को डाल दिया और बड़ी तेज प्रहार करना शुरू किया।
मैं ऐसे ही उसे रगड़ता जा रहा था और उसकी चीखें निकल रही थी। वह मुझे कहने लगी तुम्हारा लंड तो बहुत ही ज्यादा मोटा है। मैं उसे ऐसे ही चोदे जा रहा था और वह बड़ी तेज आवाज में चिल्लाने लगती। मुझे अपने जीवन में ऐसा आनंद कभी नहीं मिला जैसा उसे चोद कर मुझे अनुभूति हो रही थी। मुझे बहुत खुशी मिल रही थी कि मैं आज माला को अपने लंड के नीचे चोद रहा हूं। मैंने उसके दोनों पैरों को खोलकर बड़ी तीव्र गति से झटके मारने शुरू किए। मैंने उसे 10 मिनट तक ऐसे ही चोदना जारी रखा। एक समय बाद मेरा वीर्य भी गिरने वाला था मैंने बड़ी तेज झटका उसकी योनि के अंदर मारा और मेरा माल तीव्र गति से उसके अंदर ही गिर गया अब मेरी भड़ास शांत हुई। मेरा लंड दोबारा से हिलोरे मारने लगा और वह एकदम से खड़ा हो गया। मैंने भी माला को पकड़ा और उसे उल्टा बिस्तर पर लेटा दिया। मैंने उसके चूतड़ों को खोलते हुए उसकी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया। जैसे ही मैंने लंड को उसकी योनि में डाला तो बहुत बड़ी तेज चिल्लाने लगी। वह मुझे कहती कि तुम तो बड़े ही अच्छे तरीके से मुझे चोद रहे हो। अब मैं उसे ऐसे ही चोदता रहा उसकी चूतडे मुझसे टकरा रही थी और मैंने उसके स्तनों को अपने हाथ में पकड़ लिया। मैंने अब उसको ऊपर उठाते हुए उसकी दोनों चूतड़ों को अपने हाथ में ले लिया और उसे बड़ी तेज झटके मारता। वह भी उत्तेजित हो उठी और वह भी अपनी चूतड़ों को मेरे लंड के तरफ करती जाती। जिससे कि मैं उसके चूतड़ों को देख कर और भी ज्यादा मजे में आ जाता और ऐसे ही उसे चोदना जारी रखा। मेरा मन अभी उससे नहीं भर रहा था मैं ऐसे ही उसे झटके दिए जा रहा था। मैंने कम से कम आधे घंटे तक उसकी चूत को ऐसे ही रगड़ना जारी रखा। मेरा पूरा लंड छिल चुका था लेकिन तब भी मेरा मन नहीं भरा था। अब उसने अपनी चूतड़ों को बड़ी तेज तेज मेरे लंड पर मारना शुरू किया। जिससे कि मेरा वीर्य निकल पड़ा और वह दोबारा से उसकी योनि में ही गिर गया। मैंने जब उसकी योनि से अपने लंड को बाहर निकाला तो हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।
अब वह फ्रेश होकर आपने रिश्तेदारों के यहां शादी में चली गई। मैंने उसे दो दिन तक होटल में बहुत ही अच्छे से चोदा उसके बाद हम वापस घर लौट गए।