Antarvasna, kamukta दादा जी ने आवाज लगाते हुए कहा शोभित बेटा तुम क्या मुझे आज शुक्ला अंकल के घर छोड़ दोगे मैंने कहा जी दादा जी ठीक है मैं आपको छोड़ दूंगा। दादा जी तैयार होने लगे और मैंने उन्हें शुक्ला अंकल के घर छोड़ दिया था वह मुझे कहने लगे कि तुम शाम के वक्त भी कोशिश करना यदि मुझे लेने आ सको तो। मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं शाम के वक्त भी कोशिश करूंगा कि मैं आपको लेने के लिए आ जाऊं। दादू और शुक्ला अंकल की दोस्ती बहुत गहरी है वह दोनों एक दूसरे को ना जाने कितने वर्षों से जानते हैं। मैंने जब से होश संभाला है तबसे मैं शुक्ला अंकल के सफेद बालों को देखता आया हूं और दादू के भी अब सफेद हो चुके हैं लेकिन अभी भी वह अपने आप को किसी युवक से कम नहीं समझते। दादू के बाल सफेद होने के बावजूद भी उनके अंदर अब भी वैसी ही ऊर्जा बची हुई है जैसे की पहले थी वह हमेशा ही लोगों की भलाई की बातें करते रहते हैं।
मैंने कई बार दोनों को समझाया कि आप यह सब छोड़ दीजिए क्योंकि इन सब से कुछ होने वाला नहीं है अब आपकी तबीयत भी ठीक नहीं रहती है आपको घर पर ही आराम करना चाहिए लेकिन दादा जी कहां मानने वाले हैं वह तो शुक्ला अंकल के साथ चले जाते हैं और हमेशा ही उनके साथ बैठकर ना जाने क्या बातें करते रहते हैं। मैं शाम के वक्त अपने दादाजी को लेने के लिए चला गया जब मैं उन्हें लेने के लिए गया तो वह कहने लगे शोभित बेटा मुझे लग नहीं रहा था कि तुम मुझे लेने के लिए आओगे। मैंने अपने दादा जी से कहा भला मैं आपको कैसे लेना नहीं आता दादा जी कहने लगे बेटा तुमने अच्छा किया जो मुझे लेने के लिए आ गए क्योंकि मैं सोच ही रहा था कि तुम्हें फोन करूं लेकिन तब तक तुम मुझे लेने के लिए आ गए। हम लोग बात करते करते कब घर पहुंच गए कुछ पता ही नहीं चला दादा जी मुझे कहने लगे बेटा मेरे लिए तुम दवाई ले आना मैं तुम्हें बता देता हूं कि कौन सी दवाइयां लानी है। दादाजी की भी तबीयत खराब रहने के बावजूद भी वह अपनी तबीयत पर ध्यान नहीं देते थे कई बार तो मैंने उन्हें कहा भी लेकिन उन्हें जैसे इन सब चीजों की कोई परवाह ही नहीं थी।
वह हमेशा शुक्ला अंकल के घर चले जाया करते थे और वहां पर बैठकर वह ना जाने कितनी चर्चाएं किया करते। अगले दिन जब मैं अपने ऑफिस के लिए निकल रहा था तो मैंने दादा जी से कहा कि लाइए मुझे दवाइयों के नाम लिखकर दे दीजिए। दादा जी कहने लगे बेटा मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता है तुम ही लिख दो मैंने उनकी दवाइयों के नाम लिखे और कहा ठीक है दादा जी मैं शाम को आते वक्त दवाइयां ले आऊंगा। दादाजी मुझे हर काम के लिए कहा करते थे लेकिन वह मुझसे बहुत प्यार भी करते थे और बचपन में वही मुझे अपने साथ घुमाने के लिए लेकर जाया करते थे। दादाजी को रिटायर हुए काफी वर्ष हो चुके हैं और मां पापा हमेशा दादा जी की बड़ी देखभाल करते हैं। दादा जी अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव पर थे लेकिन उसके बावजूद भी वह हमेशा ही लोगों की भलाई की बात किया करते हैं उनकी तबीयत भी इसी वजह से खराब होने लगी थी लेकिन उन्हें अपनी तबीयत खराब होने का कोई फर्क नहीं पड़ता था वह सिर्फ लोगों की भलाई की बात करते रहते थे। हमारी सोसाइटी में जब भी किसी को कोई मदद की आवश्यकता होती तो वह सबसे पहले मेरे दादा जी को ही अपने साथ लेकर जाते थे। एक दिन दादा जी ने मुझे कहा कि बेटा मेरे कुछ पुराने दोस्त मुझसे मिलने के लिए आ रहे हैं और हम लोगो ने घूमने का प्लान भी बनाया है तो क्या तुम मेरे साथ चलोगे। मैंने उन्हें कहा था कि दादा जी आपकी तबीयत भी आजकल कुछ ठीक नहीं है वह कहने लगे बेटा इतने वर्षों बाद मैं उनसे मिल रहा हूं। दादा जी ने मुझे अपनी बातों से पूरी तरीके से मना लिया था और मैं उन्हें उनके दोस्तों के पास लेकर चला गया। जब मैं उन्हें उनके दोस्तों के पास लेकर गया तो उनकी उम्र भी दादाजी जितनी हीं थी वह लोग एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश थे। वह लोग एक होटल में रुके हुए थे और मैं उन लोगों के बीच में अपने आप को बड़ा ही अजीब सा महसूस कर रहा था लेकिन तभी ना जाने कहां से एक सुंदर सी लड़की आई।
मैं तो उसे देखता ही रह गया उसकी लंबाई यही कोई 5 फुट 8 इंच की रही होगी और वह किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी मेरी नजरें तो उससे हट ही नहीं रही थी लेकिन जब दादाजी ने मेरा परिचय उस लड़की से करवाया तो मैं दिल ही दिल खुश हो गया था और अब मैं घूमने के लिए भी तैयार था। मैं दादा जी की बातों को मान चुका था दादाजी ने मुझे गुंजन से मिलवाया तो मैं बहुत खुश हुआ। गुंजन के दादाजी और मेरे दादाजी के बीच बहुत अच्छी दोस्ती थी वह दोनों एक दूसरे को कई वर्षों से जानते हैं मैं अब गुंजन के साथ बात कर रहा था और मुझे उसके साथ बात करना अच्छा लग रहा था। गुंजन ने मुझे बताया कि वह दादा जी को बहुत प्यार करते हैं और उनके साथ ही उसने घूमने के बारे में सोचा है। मैं भी अपने दादाजी को घुमाने के लिए तैयार हो चुका था और उन्होंने कहा कि हम लोगों को मनाली जाना है हम लोगो ने मनाली जाने की पूरी तैयारी कर ली थी। मैं बहुत खुश था क्योंकि मेरे साथ गुंजन जो थी हम लोग अपनी कार से मनाली के लिए निकले जब हम लोग मनाली पहुंचे तो वहां पर पहाड़ की श्रृंखलाएं और ठंडा मौसम हमे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था चारों ओर पहाड़ दिखाई दे रहे थे और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। गुंजन से भी मेरी अब अच्छी दोस्ती हो चुकी थी मेरे दादाजी और गुंजन के दादाजी अपने कुछ पुरानी यादों को ताजा कर रहे थे।
हम लोग जब होटल में पहुंचे तो वहां पर हम लोगों ने दो रूम कर लिए थे एक रूम में गुंजन के दादा जी और मेरे दादा और मैं रुकने वाले थे और दूसरे रूम में गुंजन रुकने वाली थी। मैं बहुत ज्यादा खुश था गुंजन से मैंने उस दिन पूछ ही लिया कि गुंजन तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड तो नहीं है। गुंजन कहने लगी नहीं तो मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है गुंजन मुझे कहने लगी लेकिन तुम मुझसे यह सब क्यों पूछ रहे हो। मैंने गुंजन से कहा आज कल यह सब आम हो चुका है इसलिए मैंने सोचा कि तुम से पूछ लूँ गुंजन ने मुझे कहा कि क्या तुम्हारी भी कोई गर्लफ्रेंड है मैंने उसे कहा नहीं मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। हम दोनों जैसे एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा खुश हैं और मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मैं गुंजन से अपने दिल की बात कह दूं लेकिन फिलहाल तो मैंने उससे अपने दिल की बात नहीं कही थी और हम लोग मनाली का पूरा आनंद उठा रहे थे। गुंजन और मेरे बीच में काफी बातें हो रही थी और ऐसा मौका शायद मुझे कभी दोबारा मिलने वाला था। हम दोनों ही एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिता रहे थे सब कुछ इतने जल्दी हो रहा था कि मुझे लग रहा था कि मुझे और भी समय गुंजन के साथ बिताना चाहिए लेकिन हम लोगों मनाली से वापस लौट चुके थे। कुछ दिनों के लिए गुंजन और उसके दादा जी हमारे घर पर ही रुकने वाले थे हालांकि गुंजन ने मना कर दिया था लेकिन उसके बावजूद भी मेरे दादा जी के कहने पर वह लोग मान गए। जब वह लोग हमारे घर पर आए तो मुझे गुंजन से बात करने का अच्छा मौका मिल चुका था। मैं अपने घर पर गुंजन के साथ बैठ कर बात कर रहा था और उसे कुछ अपनी पुरानी तस्वीरें दिखा रहा था। हम दोनों एक दूसरे से काफी देर तक बात करते रहे लेकिन जब मैंने गुंजन के स्तनों पर हाथ लगाया तो मुझे अच्छा लगा।
मैं उसकी झील सी आंखों में खोने लगा था मैंने गुंजन के हाथ को पकड़ लिया वह मुझसे अपने हाथ को दूर करने की कोशिश करने लगी लेकिन फिर मैंने जब उसकी जांघ पर अपने हाथ से सहलाना शुरु किया तो वह भी शायद अपने आपको रोक नहीं पाई। गुंजन मुझे कहने लगी तुम यह सब क्या कर रहे हो? मैंने उसे किस करना शुरू कर दिया जिस प्रकार से मैं उसके होंठों को चूम रहा था उससे गुंजन को भी बड़ा मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत मजा आ रहा था। हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी देर तक किस करते रहे जब मैं और गुंजन पूरी तरीके से उत्तेजित हो गए तो मेरी भी समझ में नहीं आ रहा था कि हमें अब क्या करना चाहिए क्योंकि मुझे डर लग रहा था कि कहीं गुंजन प्रेग्नेंट ना हो जाए क्योंकि मेरे पास कंडोम ही नहीं था लेकिन मैने गुंजन की योनि के अंदर लंड को घुसा दिया। उसकी सील पैक चूत से खून बाहर की तरफ निकला तो वह मुझे कहने लगी शोभित मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा करते ही उसे धक्के मारने शुरू कर दिए। जिस गति से मै गुंजन को धक्के दे रहा था मुझे बड़ा मजा आया। वह भी मेरा पूर साथ देती काफी देर तक यह सब चलता रहा था। हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाए तो मैंने अपने वीर्य को गुंजन की योनि के अंदर गिरा दिया। गुंजन कहने लगी तुमने यह क्या किया लेकिन मैंने उसे कहा कुछ नहीं होता तुम मुझ पर भरोसा रखो। यह कहते ही मैंने दोबारा से उसकी चूत के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया जैसे ही उसकी योनि के अंदर दोबारा मेरा लंड घुसा तो वह चिल्लाने लगी। वह जिस प्रकार से चिल्ला रही थी मुझे बड़ा मजा आ रहा था मैं उसे लगातार तेजी से धक्के दिए जाता काफी देर तक मैंने उसे चोदा। कुछ देर बाद मैंने उसे डॉगी स्टाइल में भी चोदना शुरु किया वह मेरे लंड से अपनी चूतडो को टकराती उसकी चूतड़ों का रंग भी लाल हो चुका था। मै उसे बड़ी तेजी से धक्के दिए जा रहा था लेकिन जैसे ही मैंने अपने वीर्य की पिचकारी से उसकी चूतडो को धो डाला तो वह खुश हो चुकी थी और कुछ दिन बाद वह मुंबई लौट गई।