Antarvasna, kamukta मेरा नाम सुमित है मैं इंदौर का रहने वाला हूं मुझे इंदौर में अपने पापा का करोवार संभालते हुए दो वर्ष हो चुके हैं इन दो वर्षों में मैं ना तो अपने दोस्तों से मिल पाया और ना ही मैं इंदौर से कहीं बाहर जा पाया। मेरा मन इंदौर से बाहर जाने का काफी होता है परंतु कभी भी ऐसा मौका नहीं मिल पाया कि मैं इंदौर से बाहर जा पाऊँ क्योंकि जबसे मैंने दुकान का काम संभाला है तबसे मेरे ऊपर ही सारी जिम्मेदारी आन पड़ी है अब पापा घर पर ही रहते हैं और घर में एकलौता होने की वजह से मुझे ही सारा काम संभालना पड़ता है मुझे काम संभालते हुए पता ही नहीं चलता कि कब सुबह से शाम हो जाती है मैं बहुत ज्यादा व्यस्त रहता हूं। एक दिन मेरे दोस्त धनंजय का मुझे फोन आया और वह कहने लगा मुझे तुमसे मिलना था मैंने उसे कहा तुम दुकान में ही आ जाओ धनंजय अब अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहता है, उनका घर इंदौर में भी है।
धनंजय मुझसे मिलने के लिए दुकान में आ गया जब धनंजय मुझसे मिलने के लिए दुकान में आया तो मैंने उसे कहा तुम दिल्ली से कब आए तो वह कहने लगा बस कुछ दिन ही हुए हैं मुझे दिल्ली से आए हुए सोचा तुम से भी मिल लूँ। मैंने धनंजय को अपने साथ दुकान में बैठा लिया और उससे उसके हाल-चाल पूछने लगा वह मुझे कहने लगा बस यार अब तो दिल्ली में ही पूरी तरीके से सेटल हो चुके हैं इसलिए अब इंदौर आना कम होता है मैंने धनंजय से कहा और सुनाओ तुम्हारे जीवन में नया क्या चल रहा है वह कहने लगा नया तो कुछ भी नहीं चल रहा लेकिन कुछ समय बाद मेरी सगाई होने वाली है और तुम्हें मेरी शादी में जरूर आना है। मैंने भी उसे कहा तुम्हारी जब भी शादी होगी तो मैं जरूर दिल्ली आऊंगा धनंजय कहने लगा मैं कोई भी बहाना नहीं सुनना चाहता तुम्हें मेरी शादी में आना ही पड़ेगा मैंने उसे कहा हां मैं तुम्हारी शादी में जरूर आऊंगा। धनंजय मेरे साथ काफी देर तक दुकान में बैठा रहा उसके बाद वह चला गया मैं अपनी दुकान का काम संभालने लगा मैं अपनी दुकान का काम बड़े ही अच्छे से संभालता था क्योंकि मेरे पिताजी के जितने भी पुराने ग्राहक हैं वह अब तक मेरे पास सामान लेने के लिए आते हैं मैंने उन्हें कभी भी कोई शिकायत का मौका नहीं दिया इस वजह से मेरे संबंध उन लोगों के साथ बहुत ही अच्छे हैं।
करीब एक महीने बाद धनंजय का मुझे फोन आया और वह कहने लगा मेरी सगाई हो चुकी है और 6 महीने बाद मेरी शादी होने वाली है मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी शादी में जरूर आऊंगा। उस दिन धनंजय ने मुझसे आधे घंटे तक फोन पर बात की धनंजय मेरे बचपन का दोस्त है और मैं उसके परिवार को बचपन से ही जानता हूं हम दोनों की दोस्ती स्कूल के वक्त में हुई थी धनंजय हमारे क्लास का सबसे शैतान लड़का था पहले वह मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन जब धनंजय से मेरी दोस्ती हुई तो उसके बाद हमारी दोस्ती अब तक चली आ रही है। हम दोनों ने कॉलेज भी एक साथ किया और उसके बाद मेरी और धनंजय कि दोस्ती अब तक चली आ रही है, धनंजय ने मुझे कहा तुम्हें शादी में जरूर आना है और कुछ समय बाद उसकी शादी का दिन भी नजदीक आ गया। उसने मेरे घर पर अपनी शादी का कार्ड भिजवा दिया जब उसने अपनी शादी का कार्ड मुझे घर पर भिजवाया तो मैं उसकी शादी में जाने के लिए तैयार हो गया लेकिन उसकी शादी में जाने से मुझे यह दिक्कत आई कि मुझे दुकान में किसी को रखना पड़ेगा मैं अपने पापा को कहना नहीं चाहता था कि वह दुकान में बैठे लेकिन उन्होंने वह शादी का कार्ड देखते ही खुद मुझसे कहा बेटा कुछ दिनों के लिए मैं दुकान का काम संभाल लूंगा। अब मैंने दिल्ली जाने की पूरी तैयारी कर ली और कुछ समय बाद ही मैं दिल्ली चला गया जब मैं दिल्ली गया तो मुझे ऐसा लगा जैसे कितने समय बाद मैं घर से बाहर निकला हूं मैं दिल्ली पहुंचा तो मैंने धनंजय को फोन कर दिया धनंजय को फोन करते ही उसने मुझे कहा तुम स्टेशन में ही रहना मैं तुम्हें वही लेने के लिए आ रहा हूं वह खुद ही मुझे लेने के लिए आया जब वह मुझे अपने घर ले गया तो मैं उसका घर देखकर हैरान रह गया क्योंकि दिल्ली में उसका काफी बड़ा घर था।
मैंने धनंजय से कहा यार तुम तो पूरी तरीके से यहां सेटल हो चुके हो धनंजय कहने लगा बस यार यह सब भैया की वजह से ही हो पाया क्योंकि भैया का काम बहुत अच्छा चलता है जिस वजह से हम लोगों ने यह घर अभी कुछ समय पहले ही खरीदा है मैंने धनंजय से कहा तो तुम्हारी शादी की तैयारी कैसी चल रही है वह मुझे कहने लगा बस अब कुछ मेहमान घर पर आ गए हैं। कुछ समय बाद मैं और धनंजय उसके रूम में बैठ गए धनंजय मुझसे कहने लगा शादी की तो पूरी तैयारियां हो चुकी है और लगभग हमने अपने सभी मेहमानों को भुला दिया है क्योंकि यह घर में मेरी आखिरी शादी है इसलिए पापा चाहते हैं कि मेरी शादी धूमधाम से हो। मैंने धनंजय से कहा तुम्हारे रिश्तेदार इंदौर से भी तो होंगे वह कहने लगा वह लोग कल ही यहां आएंगे, जब धनंजय ने मुझसे यह बात कही तो मैंने धनंजय से कहा चलो यह तो अच्छा है कि इंदौर से तुम्हारे रिश्तेदार आएंगे वह मुझे पहचानते हैं क्योंकि मैं धनंजय के साथ बहुत ज्यादा रहता था इस वजह से उसके सारे रिश्तेदार मुझे पहचानते हैं। मैंने धनंजय से कहा मैं तुम्हारी शादी में बहुत जल्दी आ गया हूं तो अब तुम्हारी जिम्मेदारी बनती है कि तुम मुझे दिल्ली घुमाओ धनंजय मुझे कहने लगा हां मैं तुम्हे दिल्ली जरूर घुमाऊंगा।
उसने मुझे दिल्ली घुमाने की बात कही तो मैं खुश हो गया क्योंकि मैं दिल्ली कभी भी अच्छे से नहीं घूम पाया था मैं जब भी दिल्ली आता था तो अपने काम से आया करता था और उसके बाद सीधा ही निकल जाता था, धनंजय की दोस्ती दिल्ली में काफी अच्छी है और उसके दोस्तों से उसने मुझे मिलवाया वह उस दिन मुझे अपने साथ घुमाने लेकर गए हम लोग ज्यादा जगह तो नहीं जा पाए लेकिन फिर भी धनंजय ने मुझे काफी जगह घुमा दिया था और मैं बहुत ज्यादा खुश था क्योंकि मैं इतने समय बाद घर से बाहर निकला था और धनंजय की शादी की खुशी तो थी ही। धनंजय ने मुझसे पूछा कि तुम कब शादी कर रहे हो? मैंने उसे कहा यार मुझे कोई ऐसी लड़की मिल ही नहीं रही जिससे मैं शादी करूं वैसे तो पापा मुझे कह रहे थे कि अब तुम्हारी शादी की उम्र हो चुकी है लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया मैं अभी शादी नहीं करना चाहता। जब यह बात मैंने धनंजय से कही तो वह कहने लगा तुम्हें अब शादी कर लेनी चाहिए हमारे साथ जितने भी दोस्त थे उन सब की शादी हो चुकी है और तुम्हें भी अब अपने लिए कोई लड़की देख लेनी चाहिए तुम्हें जल्दी से शादी कर लेनी चाहिए मैंने उसे कहा हां क्यों नहीं। अगले दिन धनंजय के सारे रिश्तेदार घर पर आ चुके थे और उसके पास के ही एक होटल में रहने की व्यवस्था की थी मैं भी उसी होटल में रुका धनंजय ने मुझे कहा था तुम यहां पर रुक कर क्या करोगे तुम घर पर ही रुको लेकिन मैंने उसे कहा नहीं मैं होटल में ही ठीक हूं। मैं उस दिन होटल में ही रुका था वहां पर सब कुछ व्यवस्था थी मुझे ऐसी कोई दिक्कत या परेशानी नहीं थी। उस शादी के दौरान मेरी मुलाकात एक भाभी से हुई उनका नाम सरिता था। सरिता भाभी से मैं बहुत देर तक बात करता रहा और उनसे बात करना मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। वह साड़ी में बड़ी ही गजब की लग रही थी और उनकी पतली कमर देखकर तो मै उन पर फिदा हो चुका था।
मैंने उनकी इतनी तारीफ की वह मुझसे कहने लगी क्या मैं वाकई में तुम्हे इतनी अच्छी लगती हूं। मैंने उनसे कहा यदि आप मेरे साथ चले तो मैं आपको बताऊं कि मैं आपके साथ क्या कर सकता हूं और आप कितनी अच्छी लगती हैं। इस बात से शायद वह भी उत्तेजित हो गई और मेरे साथ रूम में आ गई। जब वह मेरे साथ रूम में आई तो मैंने उनकी साड़ी को उतारना शुरू किया और उनकी पतली कमर को मैंने महसूस करना शुरू किया और उनकी नाभि को जब मैं चाटता तो उनके अंदर का जोश और भी ज्यादा दोगुना हो जाता मैंने उनके पतले होठों को बहुत देर तक चूसा। जब मैंने उनके ब्लाउज के बटन को खोलते हुए उनके स्तनों को अपने मुंह में लेना शुरू किया तो वह बड़ी ही मादक आवाज में मुझे कहने लगी अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा है। जब उन्होंने यह बात कही तो मैंने भी उनकी बिना बाल वाली चिकनी चूत को चाटना शुरू किया और उनकी उत्तेजना को और भी ज्यादा बढ़ा दिया। मैंने जब अपने मोटे लंड को उनकी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो उन्हें ऐसा लगा जैसे ना जाने उनकी योनि में क्या चला गया।
मेरा मोटा लंड उनकी चूत के अंदर बहार हो रहा था, मुझे बड़ा अच्छा महसूस होता मैं उन्हें तेजी से धक्के दे रहा था। मेरे जितनी तेज उन्हे धक्के मारता तो उनके मुंह से उतनी तेज आवाज निकल जाती। जैसे ही उनके मुंह से आवाज निकलती तो मुझे भी बहुत अच्छा महसूस होता मैं उनकी दोनों जांघों को पकड़कर उन्हें तेज गति से धक्के देना शुरू कर देता। मेरे धक्के इतने तेज हो चुके थे कि उनका पूरा शरीर हिलने लगता। वह मुझे कहने लगी तुम्हारी अंदर बहुत जोश है, मैंने उन्हें कहा अब आप बताइए आप कितनी अच्छी हैं। वह कहने लगी हां तुम बिल्कुल सही कह रहे हो मैंने उन्हें बड़ी देर तक चोदा जब मेरा वीर्य सरिता भाभी की योनि में जा गिरा तो वह मुझे कहने लगी आज तुम्हारे साथ सेक्स कर के मुझे मजा ही आ गया ऐसा सेक्स मैंने काफी समय पहले किया था। मैंने शादी को पूरी तरीके से इंजॉय किया, धनंजय ने मुझसे पूछा तुमने शादी को एंजॉय तो किया। मैंने उसे कहा तुम्हारी शादी को मैंने इतना ज्यादा इंजॉय किया कि मैं बता नहीं सकता। मैं अपने घर लौट आया लेकिन जब भी मैं सरिता भाभी के बारे में सोचता हूं तो मेरा वीर्य उनके नाम से ही गिर जाता है।