Antarvasna, Kamukta मैं बचपन से ही पढ़ने में ठीक नहीं था एक बार मेरा रिजल्ट आने वाला था उस दिन मैं स्कूल में गया हुआ था। मुझे स्कूल में जब मार्कशीट मिली तो अपने नंबर देखकर मुझे पूरा यकीन हो चुका था कि मैं अगर घर में अपने नंबर अपने पिताजी को दिखाऊंगा तो वह मुझे बहुत मारेंगे इसलिए मैंने सोचा कि मैं उन्हें नही बताऊंगा लेकिन जब मैं घर पर गया तो मेरे पिताजी को पहले से ही मालूम था कि मेरा रिजल्ट आ चुका है। उन्होंने मुझसे पूछा सागर बेटा तुमने अपना रिजल्ट मुझे नहीं दिखाया मैंने उन्हें कहा हां पिताजी मैं आपको अपना रिजल्ट दिखाता हूं। मैंने जब उन्हें अपनी मार्कशीट दिखाई तो वह गुस्से में आ गए और मुझे वह घूर कर देखने लगे मैं तभी समझ चुका था कि आज पिताजी मुझे बहुत पीटने वाले हैं और हुआ भी वही उन्होंने मुझे बहुत ज्यादा पीटा। उस दिन के बाद मेरे दिल में उनके लिए हमेशा ऐसे ही नफरत पैदा हो गई थी और मैं उन्हें कभी पसंद ही नहीं करता था।
जब भी मेरे कम नंबर आते तो वह मुझे हमेशा बुरा भला कहा करते जिससे कि मैं परेशान हो चुका था मैं हमेशा सोचता कि मेरे पिताजी मुझे हमेशा भला बुरा कहते हैं क्या यह उचित है। मेरी मां मुझे समझाती और कहती कि बेटा तुम अपने पिता जी की बातों पर ध्यान ना दिया करो तुम्हें मालूम है कि वह बहुत गुस्सा हो जाते हैं इसलिए तुम उनके सामने कुछ मत कहा करो। मैंने उसके बाद अपने पिताजी के सामने कुछ भी कहना छोड़ दिया मैं उनसे भी ज्यादा बात नहीं किया करता था और समय ऐसे ही बितता रहा। एक दिन हमारे पड़ोस में झगड़ा हुआ झगड़े की वजह से मेरे पिताजी ने मुझे काफी कुछ बात सुनाई मैंने उन्हें कहा इसमें मेरी गलती कहां थी लेकिन उन्हें तो उसमें भी मेरी गलती नजर आ रही थी। मेरे कुछ दोस्तों ने हमारे पड़ोस में झगड़ा कर लिया जिससे कि मैं भी बीच में उन लोगों को समझाने के लिए गया लेकिन मेरे पापा को लगा कि मैंने भी झगड़ा किया है। वह मुझे कहने लगे कि तुम कभी भी सुधर नहीं सकते तुम्हारी वजह से हम लोग बहुत परेशान हैं तुम घर छोड़कर चले क्यों नहीं जाते कम से कम हम लोग आराम से तो रह सकेंगे। उन्होंने कहा पिता जी आपने बचपन से ही मुझे हमेशा गलत समझा है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि मैं हर जगह गलत होता हूं आप कभी तो मुझ पर भरोसा कर सकते हैं लेकिन मेरे पिताजी को मुझ पर कभी भी भरोसा नहीं था।
वह हमेशा ही मुझे कहते कि तुम बिल्कुल ही नालायक हो तुम अपने जीवन में कभी कुछ नहीं कर सकते। बचपन से ही मैं यह सब सुनता आ रहा था और अब तो मुझे जैसे आदत सी होने लगी थी परंतु एक दिन मेरे पापा ने मुझे बहुत कुछ कहा उसके बाद मैंने घर छोड़ ही दिया। मैं उस वक्त कॉलेज में ही था मैंने अपने कॉलेज की पढ़ाई भी छोड़ दी और मैं घर छोड़ कर मुंबई चला गया मैं जब घर छोड़ कर मुंबई पहुंचा तो मैं किसी को भी नहीं जानता था मेरे लिए समस्या यह थी कि मेरे पास रहने के लिए छत नहीं थी इसलिए मैंने कई दिन फुटपाथ पर गुजारे। उसके बाद मैं वहीं फुटपाथ पर चाय बनाने लगा मैंने अपने जीवन में बहुत मेहनत की और धीरे-धीरे मैं अब ठीक-ठाक पैसे कमाने लगा था जिससे कि मैंने अपने रहने के लिए घर पर ले लिया था। अपनी मेहनत की बदौलत ही मैं अपनी अच्छी जिंदगी जी रहा था लेकिन जब भी मैं अपने परिवार के बारे में सोचता तो मुझे लगता कि मुझे घर चला जाना चाहिए लेकिन अब मैं मुंबई में ही काम करने लगा था। मुझे मुम्बई में काफी वर्ष हो चुके थे मुझे मालूम ही नहीं पड़ा कि कब समय निकल गया और इतनी तेजी से सब कुछ होने लगा। मैं जिस जगह रहता था वहां पर हमारे पड़ोस में ही एक अंकल रहते थे वह भी अपने बच्चों को हमेशा वैसे ही डांटते थे जैसे कि मेरे पिताजी मुझे बचपन में कहते थे इसलिए मुझे वह अंकल भी पसंद ही नहीं आए। मैं उनके बच्चों से एक दो बार मिला भी था तो मैंने उनसे पूछा क्या तुम्हारे पापा तुम्हें ऐसे ही डांटते रहते हैं वह कहने लगे हां पापा तो ऐसे ही डांटते हैं और अब हम लोगों को आदत हो चुकी है हमें कोई फर्क ही नहीं पड़ता कि वह क्या कह रहे हैं।
मैंने उन्हें कहा तुम लोगों ने आगे क्या सोचा है तो वह कहने लगे हमें नहीं मालूम कि हमें आगे क्या करना है लेकिन हम लोग अपने पिताजी के साथ कभी नहीं रह सकते हैं। मुझे ऐसा लगा कि जैसे बचपन में मेरे पिताजी मुझे पीटते थे वैसे ही उनके पिताजी भी उन्हें पीटते हैं। हमेशा की तरह ही मैं अपने रेस्टोरेंट में गया हुआ था मैंने अब अपना रेस्टोरेंट भी खोल लिया था। सुबह का वक्त था सुबह मेरी दुकान में कस्टमर आया और वह कहने लगे नाश्ते में क्या मिलेगा मैंने उन्हें मेनू कार्ड पकड़ाया और कहा यह मेनू कार्ड है इसमें आप देख लीजिए। उन्होंने कहा ठीक है आप हमारे लिए नाश्ता पैक करवा दीजिए मैंने उन्हें कहा ठीक है आप ऑर्डर दे दीजिए मैं आपके लिए नाश्ता पैक करवा देता हूं वह लोग नाश्ता लेकर चले गए लेकिन आधे घंटे बाद वह लोग वापिस आये। जब वह वापस आए तो उनके साथ में कुछ और लोग भी थे उन्होंने मुझे कहा भाई साहब हम आपके यहां से सुबह नाश्ता लेकर गए थे लेकिन जो नाश्ता हम लोग आपके यहां से ले गए उसमें इतनी ज्यादा बदबू आ रही थी कि वह खाने लायक तक नहीं था। मैंने उन्हें कहा आप मुझे दिखाइए उन्होंने मुझे खाना दिखाया तो उसमें से बहुत ज्यादा बदबू आ रही थी मैंने अपने रेस्टोरेंट में काम करने वाले लड़के को बुलाया और कहा देखो उसमें से कितनी ज्यादा बदबू आ रही है तुम लोग क्या ऐसे ही किसी को कुछ भी दे दोगे। मैंने उन लड़को को बहुत डांटा उसके बाद मैंने उन कस्टमरों से माफी मांगी वह कहने लगे यदि आप ऐसा ही कस्टमर के साथ करेंगे तो आपके पास कौन आएगा मैंने उन्हें कहा सर आज माफ कर दीजिए आज के बाद कभी ऐसा नहीं होगा।
वह लोग मेरे कस्टमर थे तो मैं नहीं चाहता था कि उनके साथ भी कुछ गलत हो क्योंकि इसमें हमारी ही गलती थी। तभी एक महिला बोली आप अपने खाने का ध्यान दीजिए नहीं तो आपके पास से सारे कस्टमर चले जाएंगे उसी दिन से मैंने अपने रेस्टोरेंट में काम करने वाले सब लोगों से कहा कि आगे से यदि कभी ऐसा कुछ हुआ तो उसे मैं काम से निकाल दूंगा। वह लोग कहने लगे सर आज के बाद कभी ऐसा नहीं होगा क्योंकि उन्हें भी नहीं मालूम था कि जो सामान उन्होंने दिया है उसमें से बदबू आ रही थी। उन्होंने वैसे ही खाना बना कर उन व्यक्ति को दे दिया था जिससे कि उन्हें बहुत बुरा लगा उस दिन के बाद ऐसा कभी भी नहीं हुआ। मेरा रेस्टोरेंट बड़ा अच्छा चल रहा है और मेरे पास वह लोग भी अक्सर आते रहते हैं, एक दिन मैंने उन्हीं से पूछा सर आप क्या करते हैं तो वह कहने लगे मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता हूं और हम लोग यहीं रहते हैं। उनके साथ में और भी लोग आया करते थे धीरे-धीरे सब लोगों से मेरी अच्छी बातचीत होने लगी थी और वह सब लोग मेरे पास ही आया करते थे। एक दिन हमारे रेस्टोरेंट में कुछ ज्यादा ही भीड़ थी उस दिन मुझे भी अपने रेस्टोरेंट में काम करना पड़ा तो मैं बहुत ज्यादा थक चुका था इसीलिए मैं जब घर गया तो मुझे बहुत गहरी नींद आई और मैं उस दिन सो गया। अगले दिन दोबारा सुबह मैं अपने रेस्टोरेंट में चला गया। मेरे रेस्टोरेंट में काफी भीड़ होने लगी थी और मेरा काम भी अच्छे से चल रहा था उसी दौरान एक दिन मेरे होटल में एक लड़की आई वह कहने लगी क्या आप मेरे घर पर खाना भिजवा देंगे। मैंने उसे कहा हां आप खाने का ऑर्डर दे दीजिए, उसने खाने का ऑर्डर दे दिया उसके बाद वह चली गई मैंने उसके घर पर होम डिलीवरी करवा दी।
वह अक्सर रेस्टोरेंट में आती तो वह पैसे देकर जाती और उसके बाद मैं उसके घर पर डिलीवरी करवा दिया करता मुझे उसका नाम भी मालूम चल चुका था उसका नाम कुसुम है। एक दिन मे ही उसके लिए होम डिलीवरी लेकर चला गया उस दिन जब उसने दरवाजा खोला तो उसने बड़ी ही टाइट सी टीशर्ट और एक छोटी सी निक्कर पहनी हुई थी उसमे वह बहुत सेक्सी लग रही थी। मैंने उसे कहा तुम बड़ी सुंदर लग रही है वह शायद मेरी बातों को समझ गई और कहने लगी आइए ना अंदर बैठिए। उसने मुझे अंदर बुलाया और मेरे पास आकर बैठ गई मुझे नहीं मालूम था कि वह मुझसे अपनी चूत मरवाने चाहती है। जब वह मेरे पास आकर बैठी तो मैंने उसकी जांघों को सहलाना शुरु किया जब मैं उसकी जांघ को सहलाता तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था और उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मेरा लंड तन कर खड़ा हो चुका था जैसे ही मैंने कुसुम को घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया तो वह अपने मुंह से सिसकियां लेने लगी, वह अपने मुंह से मदाक आवाज में बड़ी तेज सिसकियां लेती।
मैं उसे बहुत तेज गति से धक्के दिए जा रहा था जिससे कि मेरे अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ने लगी मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। कुसुम मुझे कहती अब मजा आ रहा है तुम और भी तेज गति से मुझे धक्के दो मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मारता जिससे कि हम दोनों के अंदर गर्मी बढ़ जाती। वह मुझसे अपनी चूतडो को टकराती तो वह बहुत खुश हो रही थी जब मेरा वीर्य गिरने वाला था तो मैंने कुसुम से कहा मेरा वीर्य गिरने वाला है, वह मुझे कहने लगी मेरे मुंह के अंदर डाल दो। मैंने अपने लंड को चूत से बहार निकाला और उसके मुंह के अंदर डाल दिया जैसे ही मेरा वीर्य उसके मुंह के अंदर गिरा तो वह मुझे कहने लगी मुझे अब मजा आ गया। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लगा तुमने मेरी इच्छा पूरी कर दी मैं सोच रही थी कि काश कोई मुझे आज चोदता लेकिन तब तक तुम खाना लेकर आ गए तुमसे अपनी चूत मनवाने में मुझे बड़ा मजा आया। वह मुझे खाना लेकर कई बार बुला दिया करती है।