Antarvasna, desi kahani
मेरा नाम अभिमन्यु है मैं गुजरात का रहने वाला हूं। मेरे परिवार में मेरी मम्मी पापा और मेरा एक भाई है। मैं एमबीए की पढ़ाई कर रहा हूं। मेरे पापा एक बिजनेसमैन है हम सब लोग गुजरात में ही रहते हैं मेरी पढ़ाई भी शुरू से गुजरात में ही हुई। मेरे पापा हमेशा मुझ पर अपनी बातें थोपते रहते हैं। वह कभी यह नहीं सोचते कि मैं क्या चाहता हूं वह मुझसे एमबीए तो करा रहे हैं लेकिन वह मुझे अपने बिजनेस की तरफ मोड़ रहे हैं। वह हर समय मुझसे अपने बिजनेस की बातें करते रहते हैं लेकिन एमबीए करके मुझे उनके साथ बिजनेस नहीं करना है। बल्कि एक डॉक्टर बनना है लेकिन उन्हें ऐसा लगता है कि मैं उनकी तरह एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन बनू। मैं उनकी इन बातों से तंग आ चुका हूं लेकिन वह किसी की भी नहीं सुनते। मैंने अपने पापा से एक दिन कहा कि मुझे इस शहर से एमबीए नहीं करना है। मुझे दूसरे शहर से एमबीए करना है लेकिन उन्होंने मुझे दूसरे शहर जाने की अनुमति नहीं दी और कहा कि एमबीए करना है तो यहीं इसी शहर में हमारे साथ रहकर करो नहीं तो कल से मेरे साथ मेरे बिजनेस में हाथ बटाओ।
मैंने अपनी मां से भी इस बारे में कई बार बात की है कि पापा से कहा करें कि मुझसे अपने बिजनेस की बातें ना करें। मुझे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना है और अपनी पढ़ाई पूरी करके एक डॉक्टर बनना है और मुझे अपना खुद का एक हॉस्पिटल खोलना है। जिसमें मैं गरीब लोगों का कम से कम फीस जमें इलाज कर सकूं बस मेरा यही सपना है और यह सपना तब तक पूरा नहीं होगा जब तक पापा मुझे सपोर्ट नहीं करेंगे। हमेशा की तरह आज भी मैं कॉलेज गया हमारे कॉलेज में एक फंक्शन था। उसमें कॉलेज की सभी बच्चे पार्टिसिपेट कर रहे थे। मेरे सर ने मुझसे भी कहा तो मैं भी इस फंक्शन में पार्टिसिपेट करने को तैयार हो गया। हमारे कॉलेज में एक नई मैम आई थी। उन्होंने ही हमारे इस फंक्शन की तैयारी की थी। इस फंक्शन के दौरान हम सब ने बहुत मेहनत की और जिस दिन वह फंक्शन था उस दिन मेरे पापा भी इस फंक्शन में आए हुए थे।
उस फंक्शन में हम लोगों ने एक नाटक किया। जिसमें मैं एक डॉक्टर की भूमिका में था और वह काफी अच्छा रहा सब लोगों ने हमारी बहुत तारीफ की और मैं इस बात से बहुत खुश था। हमारे नाटक की सब लोगों ने तारीफ की यह मेरे लिए एक गर्व की बात थी। जब मैं घर पहुंचा तो मेरे पिताजी इस बात से बिल्कुल भी खुश नहीं थे। वह यही कहने लगे कि तुम्हें क्या डॉक्टर बनना इस इतना पसंद है कि तुम जब भी देखो तो सिर्फ डॉक्टरी की बात करते रहते हो। मैं तुम्हें एक अच्छी लाइफ देना चाहता हूं मैं नहीं चाहता कि तुम डॉक्टर बनकर तो अपनी नई जिंदगी शुरू करो। मैंने अपने बिजनेस मे इतनी मेहनत की है इसी को तुम आगे बढ़ाओ तो तुम्हारे लिए ज्यादा अच्छा रहेगा। बजाय किसी नए काम को शुरू करने के मुझे भी यह बात थोड़ी अजीब लगी। मैं भी अपना सपना पाले हुए था लेकिन मुझे अब लग गया था कि शायद यह पूरा होने वाला नहीं है इसलिए इस बात के लिए लड़ झगड़ कर कोई फायदा नहीं है। चुपचाप से अपना बिजनेस का ही काम करना पड़ेगा। मैंने अब सोच लिया था कि मैं अपने पापा के बिजनेस में हाथ बटाते हुए ही गरीब बच्चों की सहायता करूंगा। उनकी मदद के लिए जितना मुझसे बन पड़ेगा वह सब मैं इस तरीके से ही करूंगा और सामाजिक कार्य में अपने आप को लोगों से जोड़कर रखूंगा।
जब अगले दिन मैं कॉलेज गया। मेरी वही मैडम मुझसे बहुत खुश हुई और बहुत इंप्रेस हुई। वह कहने लगी कि तुमने कल का प्रोग्राम बहुत अच्छा किया। तुमने डॉक्टर की भूमिका बखूबी निभाई और उसमें अपने काम को अच्छे से किया। मैंने उन्हें बताया कि मैं डॉक्टर ही बनना चाहता था लेकिन मेरे पिताजी की जीद की वजह से मुझे यहां पर एडमिशन लेना पड़ा। मेरे पिताजी का बिज़नेस है उसी को वह चाहते हैं कि मैं आगे बढू। मैंने भी अपना इरदा बदल दिया है कोई डॉक्टर बनने का क्योंकि यह सिर्फ मेरा सपना ही बनकर रह जाएगा। मैं अब पढ़ाई पूरी करने के बाद समाज में जितने गरीब लोग हैं उनकी सहायता करना चाहता हूं। इस बात से मैडम बहुत खुश हुई और वो कहने लगी कि जब कभी मेरी जरूरत पड़े तो तुम मुझे बता देना।
कुछ दिनों बाद मुझे कुछ गरीब बच्चों का एडमिशन स्कूल में करवाना था। तो उसी की हेल्प लेने के लिए मैं उन मैडम के पास चला गया और मैडम का नाम आशा है। जैसे ही मैं उनके ऑफिस में गया तो वह बहुत ही ज्यादा सुंदर लग रही थी। आज वह पहली बार सूट पहनकर कॉलेज आई थी नहीं तो वो अमूमन साड़ी में ही कॉलेज आती थी। मुझे यह देख कर बहुत अच्छा लगा और अंदर से एक सेक्स की भावना जागृत होती। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं उन्हें वहीं लेटा कर चोदना शुरू कर दू। लेकिन ऐसा संभव नहीं था क्योंकि वह मेरी टीचर थी। अब मैं उनके पास जाकर बैठ गया और उनसे मैंने इस बारे में डिस्कशन करना शुरू कर दिया कि मुझे कुछ बच्चों का एडमिशन स्कूल में करवाना है। मैने उन्हें कहा आपके परिचय में कोई इस तरीके से स्कूल है जो थोड़ा कम फीस में उन बच्चों को अपने यहां पर रख सके। बात करते-करते उनके स्तन मुझ से टकराने लगे अब वह भी उत्तेजित होने लगी थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब उनके स्तन मेरे हाथों से टकराते।
उनके स्तनों का साइज बहुत बड़ा था मै भी उत्तेजित होता और उनके अंदर से भी सेक्स की भावना जागृत हो गई थी। उन्होंने ने मेरे जांघो पर हाथ रख दिया और धीरे-धीरे वह मेरे लंड तक अपने हाथ को ले आई। जैसे ही उनका हाथ मेरे लंड पर लगा तो मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया। मैंने भी उनकी जांघो पर अपने हाथ को रख दिया और उनकी चूत को बड़ी तेजी से दबा दिया। उन्होंने भी मेरे लंड को बहुत जोर से दबा दिया और हम दोनों की चीखें निकल पडी। मैडम भी तैयार हो चुकी थी तो मैने उन्हे वही उनके सोफे में लेटाते हुए उनके कपड़े खोल दिए। जैसे ही मैडम के कपड़े खोले तो मैंने देखा कि उन्होंने मेहरून कलर की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी। यह सब देखकर मै बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया। उनके स्तन बहुत ही ज्यादा बड़े थे और उनकी गांड का साइज़ भी कुछ ज्यादा ही बडा था। मैंने उनकी ब्रा को ऊपर उठाते हुए उनके चूचो को अपने मुंह में लेना शुरू किया और ऐसे ही चूसता रहा। जैसे ही मैं उनके स्तनों को चूसता जाता तो उनके दूध को भी अपने मुंह में ले लेता। वो मुझे कसकर पकड़ लेते और मेरे पूरे शरीर को दबा देते।
मैंने उनकी पूरे शरीर को चाटना शुरु किया और उनकी योनि को भी चाटने लगा। वह बहुत ज्यादा चिल्लाने लगी मैंने भी जल्दी से अपने लंड को गीली चूत पर लगाते हुए अंदर जड़ तक घुसा दिया। जैसे ही मैंने उनकी योनि के अंदर लंड डाला तो उनकी चीखें निकल उठी और वह कहने लगी तुम्हारा तो वाकई में बहुत बड़ा है। मैंने उन्हें कहा थैंक यू मैडम अब मैं ऐसे ही उन्हें झटके मारने लगा। मैं उन्हें काफी तीव्र गति से झटके मार रहा था जिसे उनके चूचे हिल रहे थे और मै उन्हें अपने मुंह में लेकर चूसता जाता। मुझे बहुत अच्छा लगता जब मै उनके स्तनों से दूध को निकालकर अपने मुंह में लेता। उन्होंने अपने पैरों से जकड़ना शुरू कर दिया मुझे समझ आ गया था कि मैडम भी उत्तेजित हो रही हैं। मैं ऐसे ही तेज तेज झटके मार रहा था। मुझे अच्छा लग रहा था क्योंकि मैं अपनी मैडम को चोद रहा था। यह मेरे लिए एक गर्व की बात थी। मैंने उन्हें बहुत देर तक ऐसे ही चोदना जारी रखा और मेरा वीर्य झड़ने को हो गया। मैंने अपने माल को मैडम की टाइट योनि में डाल दिया। अब मैं ऐसे ही उनके ऊपर काफी देर तक लेटा रहा। उन्होंने भी अपने दोनों हाथों से मुझे कसकर पकड़ रखा था। अब मेरा लंड छोटा होने लगा था और मैंने बाहर निकाला तो उनकी चूत से वीर्य टपक रहा था। मुझे उनके साथ संभोग करके बहुत अच्छा लगा।
हम लोगों ने वही एडमिशन की बात शुरू कर दी उन्होंने मुझे बताया कि उनके एक मित्र हैं। उनका स्कूल है वहां बच्चों का एडमिशन करवा दूंगी। मैं उन्हें थैंक यू कहते हुए उनके ऑफिस से चला गया। उसके बाद से मैं उन्हें हमेशा ही चोदता रहता हूं। जिससे कि कॉलेज में अब मेरा मन भी लगता है और मेरी पढ़ाई भी पूरी हो चुकी है।