Antarvasna, hindi sex story सुबह सुबह ऑफिस जाकर बॉस की बातें सुनना ऐसा लगता है कि जैसे किसी स्कूल में हेड मास्टर की बातें सुन रहे हो लेकिन अब जिंदगी का यही दस्तूर हो गया है इसके सिवा शायद और कोई सच्चाई नहीं थी। ऑफिस में मेरे पास सब लोगों के लिए कुछ ना कुछ बातें रहती थी इसलिए सब लोग मुझसे बड़े खुश रहते और मेरे सीनियर भी मेरी हाजिर जवाबी से बड़े खुश रहते थे। वह कहते कि तुम बड़े ही हाजिर जवाब हो इसीलिए ऑफिस में मुझे सबसे ज्यादा अटेंशन मिलता था। सब लोग मेरी बातों को बड़े ध्यान से सुना करते और बीच बीच में मैं कुछ चुटकुले भी सुना दिया करता था जिससे कि हमारे ऑफिस के लोग मेरी बातों से बहुत खुश रहते थे। जिस दिन मैं ऑफिस नहीं जाता तो उस दिन मुझे ऑफिस से तीन-चार फोन तो आ ही जाते थे। मेरे जीवन में कुछ भी ऐसा नहीं था जो कि छुपा हो मेरा जीवन एक खुली किताब की तरह था और मैंने अपने जीवन को हमेशा ही अच्छे तरीके से जिया है।
मैं अपनी जिंदगी में सिर्फ एक अच्छा जीवन जीना चाहता था मैं चाहता था कि मैं जीवन भर अपनी जिंदगी को अच्छे से जिऊँ और मेरे कॉलेज की जिंदगी भी बड़ी अच्छी रही। कॉलेज में भी मेरी बड़ी चर्चा हुआ करती थी और कॉलेज में सब लोग मेरी बातों से बड़े खुश रहते थे। मैं अभी तक अपने उसी स्वभाव को अपने जीवन में उतारता आया हूं और सब लोग शायद मेरे उसी स्वभाव की वजह से मुझे पसंद करते हैं। मेरी बीवी जो कि एक सरकारी नौकरी में कार्यरत है वह भी मुझसे बड़ी खुश रहती है और हमेशा ही कहती है कि तुम्हारा साथ मुझे बहुत अच्छा लगता है। हमारी शादी को आज 5 वर्ष हो चुके हैं लेकिन मेरी पत्नी हमेशा ही मुझसे वैसे ही बात करती है जैसे कि हम लोग पहली बार मिलने पर करते थे। जब हम लोगों की मुलाकात पहली बार हुई थी तो मैंने उसी वक्त अपनी पत्नी रश्मि को दिलो जान से पसंद कर लिया था और रश्मि भी मुझसे बहुत प्यार करती है। मेरी पत्नी हमेशा ही मुझे कहती है कि सब लोग तुम्हारी बड़ी तारीफ करते हैं और कहते हैं कि तुम कितने मिलनसार और खुशमिजाज हो।
मैं हमेशा ही रश्मि से कहता कि तुम भी पता नहीं कैसी बातें करती रहती हो तुम्हें तो मालूम हीं है ना कि मेरा मिजाज ही कुछ ऐसा है कि लोग मेरी तरफ खिंचे चले आते हैं। आस पड़ोस के लोग हमारे घर पर अक्सर बैठने के लिए आ जाया करते थे और घर में जब वह लोग आते तो घर में ठहाके मारकर हंसा करते घर में शायद हमारा ऐसा ही माहौल था। जब भी मेरे पिताजी लोगों से मिला करते थे तो वह भी बिल्कुल मेरी तरह ही लोगों से बातें किया करते और मेरी तरह ही वह हंसी मजाक किया करते थे। वह हमेशा ही लोगों को बढ़ा चढ़ाकर बताया करते थे वह बिल्ली को शेर बता दिया करते और ना जाने उन्हें यह क्यो अच्छा लगता था। उनकी उम्र अब 73 वर्ष हो चुकी है लेकिन अभी भी वह बिल्कुल मेरी तरह ही लोगों से बातें किया करते हैं और हमेशा ही वह अपने दोस्तों को घर पर बुलाते हैं। हमारी उम्र भी बढ़ती जा रही थी और मेरे बालों में सफेदी छाने लगी थी चेहरे पर भी हल्की सी झाइयां आ गई थी और पेट भी बड़ा हो चुका था। मेरी कमर पहले 30 इंज की हुआ करती थी लेकिन अब बढ़कर 38 हो चुकी है जिस वजह से मेरी पत्नी कई बार मुझे कहती थी की तुम तला भुना खाना क्यों नहीं छोड़ देते परंतु मैं तो इन सब चीजों का बड़ा शौकीन रहा हूं। मुझे समोसे कचौड़ी और जलेबी खाना बड़ा पसंद है परंतु मेरी पत्नी हमेशा ही कहती कि तुम इन सब चीजों से परहेज किया करो यह तुम्हारे लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। आखिर मैं भी किसी चार्ली चैपलिन से कम थोड़ी था मैं भी लोगों को अपनी बातों में ला जाता और मेरी पर्सनैलिटी देखकर सब लोग खुश हो जाया करते थे। जब मुझे पहली बार ह्रदय की बीमारी ने जकड़ा तो उस दिन मुझे एहसास हुआ कि मुझे अब यह तली भुनी चीजे बंद कर देनी चाहिए क्योंकि अब शायद मैं उन चीजों को पचा नहीं पा रहा हूं। मेरा शरीर भी अब बहुत ज्यादा मोटा हो चुका था इसके लिए डॉक्टर ने मुझे परहेज के तौर पर ना जाने क्या क्या चीज बताई। मैं अपनी आदतों को तो अपने जीवन से दूर नही कर सकता था लेकिन फिर भी मैं अपने जीवन से उन चीजों को हटाने की पूरी कोशिश करता। कुछ दिनों के लिए मैंने अपने ऑफिस से भी छुट्टी ले ली थी और मैं अपने इलाज पर ही लगा हुआ था।
मेरी पत्नी रश्मि के लाख समझाने के बाद भी मैं कई बार ऐसी गलती कर जाता कि वह मुझे डांट देती थी लेकिन आखिरकार उसने मेरी आदतों से मुझे छुटकारा दिलाने की ठान ली थी और मेरे खाने से भी अब काफी चीजें दूर हो चुकी थी मेरा वजन भी आप घटने लगा था। मुझे इस बात की खुशी थी की मेरा वजन गिर रहा है लेकिन इस बात का दुख भी था कि मुझे काफी चीजों को लेकर परहेज करना पड़ता है। हमारे घर पर हमारे पड़ोस में रहने वाले मिश्रा जी आए मिश्रा जी के हमारे घर पर आने से मुझे इस बात का सुकून मिला कि कम से कम मुझे कुछ चीज खाने को तो मिल ही जाएगी। मिश्रा जी से मैंने कहा कि मिश्रा जी मुझे समोसा खिला दीजिए रश्मि तो मुझे खाने देती नहीं है मिश्रा जी ने भी मेरी मदद की और चोरी छुपे उन्होंने मेरे लिए समोसा मंगवा दिया। इतने समय बाद जब मैंने समोसे खाया तो मुझे बड़ा ही अच्छा महसूस हुआ और ऐसा लगा कि ना जाने कितने वर्षों बाद मैंने समोसे का आनंद लिया हो। मैंने मिश्रा जी को कहा साहब आपका धन्यवाद जो आपने मेरी इतनी मदद की। वह कहने लगे अरे भाई साहब क्या बात कर रहे हैं आपने भी तो हमारी ना जाने कितनी ही बार मदद की है और जब से आप की तबीयत खराब हुई है तब से तो बिल्कुल भी आनंद नहीं आ रहा है।
वह मुझसे चाहते थे कि मैं भी उन्हें कुछ चुटकुला सुना दूं मैंने भी उन्हें एक बढ़िया सा चुटकुला सुना दिया जिससे कि वह खुश हो गए। वह कहने लगे आप के चेहरे की मुस्कुराहट से ऐसा लगता है कि जैसे सब लोग खुश हो रहे हैं और आप इतने दिनों से गुप्ता की दुकान में नहीं आए तो वहां माहौल बिल्कुल ही ठंडा सा पड़ा हुआ है। वह मेरी तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे और कह रहे थे कि आपके ना आने से गुप्ता की बिक्री भी कम हो गई है। मैंने उन्हें कहा लगता है मुझे कल से आना पड़ेगा, अब मैं ठीक होने लगा था तो अपने ऑफिस जाने लगा पहले की तरह ही मैंने अपना पुराना रूटीन भी शुरू कर दिया था। रश्मि के रोकने के बावजूद भी मैं उसकी बातों को अनसुना कर देता था क्योंकि मुझे लगने लगा था कि मैं पूरी तरीके से ठीक हो चुका हूं इसलिए मुझे परहेज करने की ज्यादा जरूरत नहीं है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जा रही थी वैसे ही कम उम्र की लड़कियों में मेरी दिलचस्पी भी बढ़ने लगी थी। जब हम लोग कॉलेज में पढ़ा करते थे उस वक्त तो हमे अपने से बड़ी उम्र की लड़कियों में बड़ी दिलचस्पी रहती थी और कुछ को तो मैंने अपनी बातों से मोहित कर लिया था और उनके साथ मुझे अंतरंग संबंध बनाने का मौका भी मिल गया। अब ढलती उम्र मे मैं पहुंच चुका था मेरा कमसिन लड़कियों को लेकर कुछ ज्यादा मन होने लगा था क्योंकि मैं चाहता था कि किसी कमसिन लड़की के साथ में सेक्स का मजा लेना चाहता था। इसी के चलते मुझे अनामिका मिल जब मेरी मुलाकात अनामिका से पहली बार हुई तो वह भी मेरे साथ बड़े अच्छे से बात करती। वह मेरी बातों में इतनी खो जाती कि मुझे भी अच्छा लगने लगता।
उसकी उम्र मात्र 22 वर्ष ही तो थी लेकिन मुझे तो उसके खूबसूरती ने अपना दीवाना बना दिया था। मैं उसे एक दो बार अपने साथ मूवी दिखाने के लिए भी लेकर जा चुका था लेकिन अब मुझे उसकी कमसिन और मनोहर हुस्न के मजे लेने थे। मैंने ऐसा ही किया मैं जब अनामिका से मिला तो उस वक्त मैंने अनामिका के रसीले होठों को अपना बना लिया और उसके रसीले होठों को मैंने काफी देर तक चूसा। जब मै उसके होंठो को अपने होठों में लेकर चूमता तो हम दोनों के बदन से गर्मी बाहर निकलने लगी। मैंने अपने बदन से कपड़े उतारते हुए अनामिका से कहा तुमने क्या कभी किसी के लंड को अपने मुंह में लिया है तो वह शर्माने लगी। मैंने भी अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसे अनामिका के मुंह में डाल दिया। वह पहले तो शर्मा रही थी लेकिन धीरे-धीरे उसकी शर्म दूर होने लगी और वह बडे अच्छे से मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर ले रही थी। काफी देर तक उसने ऐसा ही किया जब मैंने अनामिका कि योनि पर अपने लंड को लगाया तो उसकी योनि से पानी निकल रहा था। जैसे ही मैंने उसकी गीली हो चुकी चूत के अंदर लंड को डाला तो मेरा लंड गरम होने लगा था।
जब मेरा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो वह चिल्लाने लगी और जिस प्रकार से वह चिल्ला रही थी उससे मुझे भी मजा आ रहा था उसकी योनि के अंदर मैंने अपने लंड को बड़ी तेजी से डाला। वह अपने दोनों पैरों को खोलने लगी और जिस प्रकार से उसने अपने दोनों पैरों को चौडा कर लिया था उससे वह बिल्कुल भी रहे नहीं पाई। वह चिल्लाने लगी लेकिन उसकी कमसिन और चिकनी चूत से खून तेजी से बाहर बहने लगा था। मुझे भी अच्छा लगने लगा अनामिका भी पूरा आनंद ले रही थी लेकिन उसकी टाइट और कोमल चूत का मजा मैं कितनी देर तक ले पाता जैसे ही मेरा वीर्य गिरने वाला था तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और अपने वीर्य को अनामिका के स्तनों पर गिरा दिया। जैसे ही अनामिका के स्तनों पर मेरा वीर्य गिरा तो उसने अपने हाथ से मेरे वीर्य को साफ कर लिया और कहने लगी आपने तो आज मेरा जीवन सफल कर दिया। जिस प्रकार से अनामिका की सील मैंने तोड़ी उससे वह हमेशा ही मेरे साथ संभोग करने के लिए तैयार रहती। मैं अनामिका के साथ सेक्स संबंध बनाने के लिए हमेशा तैयार रहता था।