Antarvasna, hindi sex kahani मैं अपने रूम में तैयार हो रहा था मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही थी तभी भैया ने मुझे आवाज लगाई मैंने भैया से कहा हां भैया बस अभी आया। मैंने कपड़े पहन लिए थे और मैं भैया के पास गया तो भैया कहने लगे अविनाश क्या तुम ऑफिस जा रहे हो मैंने भैया से कहा हां भैया मैं ऑफिस जा रहा हूं। भैया मुझे कहने लगे तुम्हारे ऑफिस के रास्ते में ही मंजुला का घर पड़ता है तो क्या तुम उसे शाम के वक्त अपने साथ ले आओगे मैंने भैया से कहा हां भैया मैं शाम के वक्त भाभी को ले आऊंगा। भैया कहने लगे लेकिन याद से ले आना कहीं तुम आते वक्त किसी और रास्ते से आ गए तो, मैंने वजह से कहा ठीक है भैया मैं ले आऊंगा मैं आपको एक बार फोन भी कर दूंगा।
मैं अपने ऑफिस के लिए तैयार हो चुका था मम्मी ने कहा कि बेटा नाश्ता कर लो मैंने भी जल्दी से नाश्ता किया और अपने ऑफिस के लिए निकल गया। मैं अपने ऑफिस के लिए निकला तो मुझे ऑफिस पहुंचने में 10 मिनट लेट हो गई थी और ऑफिस का रूल बड़ा ही सख्त किस्म का है 10 मिनट लेट आने पर भी कुछ ना कुछ तो सुनने को मिल ही जाता है। उस दिन भी ऐसा ही हुआ उस दिन मेरे सीनियर ने मुझे ना जाने क्या क्या सुना दिया लेकिन मै उन्हें कुछ कह भी नहीं सकता था। मैं और मेरा दोस्त रवीश लंच टाइम में साथ में बैठे हुए थे तो रवीश मुझे कहने लगा यार अविनाश लगता है अब नौकरी छोड़ देनी चाहिए। मैंने रवीश से कहा लेकिन क्यों वह कहने लगा तुम ही देखो ना इतने वर्ष काम करते हुए हो चुके हैं लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी तो नहीं हुआ है जिससे कि जीवन में परिवर्तन आ जाए। उस दिन रवीश बहुत ही ज्यादा दुखी नजर आ रहा था ना जाने ऐसी क्या बात थी कि वह इतना दुखी था लेकिन उसके दिल में कुछ तो ऐसा चल रहा था जिससे कि वह काफी दुखी प्रतीत हो रहा था। मैंने रवीश से पूछा भी तो उसने मुझे इतना ही कहा कि यार मैं चाहता हूं अपना कोई काम शुरू कर लूँ मैंने रविश से कहा लेकिन तुम क्या काम शुरू करना चाहते हो। मुझे रवीश कहने लगा यार मैं सोच रहा था कि मैं खिलौनों की फैक्ट्री लगाऊँ मैंने उससे कहा क्या तुम इसका तजुर्बा भी है।
वह कहने लगा हां दरअसल मेरे एक मामा जी यही काम करते हैं और वह मुझे कई बार कहते भी हैं कि तुम मेरे साथ क्यों नहीं काम कर लेते लेकिन मुझे लगता था की इतनी पढ़ाई करने के बाद यदि मैं यह सब काम करूं तो शायद यह उचित नहीं होगा लेकिन मामा जी ने कुछ ही सालों में इतनी तरक्की कर ली है कि उन्हें देखकर लगता है कि नौकरी से तो अब मेरा भला होने वाला नहीं है और मैंने अपना पूरा मन बना लिया है कि मैं मामा जी की मदद से ही फैक्ट्री खोल लूंगा। मैंने रवीश से कहा क्यों नही यदि तुम्हें ऐसा लगता है तो तुम्हें अपने मामा जी की मदद लेनी चाहिए। रवीश की आंखों में साफ नजर आ रहा था कि वह अब नौकरी छोड़ने वाला है क्योंकि वह नौकरी से बहुत तंग आ चुका था और उसने अपना पूरा मन बना लिया था। यह बात उसने सिर्फ मुझे ही बताई थी क्योंकि ऑफिस में रवीश सबसे ज्यादा मेरे ही नजदीक है इसलिए उसने मुझे यह बात बताई थी कि मैं ऑफिस छोड़ने वाला हूं मैंने रवीश से कहा कोई बात नहीं जैसा तुम्हे ठीक लगता है तुम वैसा ही करो। आज शाम के वक्त मुझे अपनी भाभी को घर लेकर जाना था मुझे यह बात अच्छे से मालूम थी मैंने मंजुला भाभी को फोन कर दिया। जब मैंने उन्हें फोन किया तो वह कहने लगी कि देवर जी आप घर पर ही आ जाइएगा मैंने कहा ठीक है भाभी मैं घर पर ही आ जाऊंगा। मैं घर पर चला गया जब मैं भाभी के घर पर गया तो वहां पर उनकी पड़ोसी भी बैठी हुई थी वह मुझसे मेरे बारे में पूछने लगी उनकी उम्र यही कोई 55 वर्ष के आसपास रही होगी। मेरी भाभी ने उन्हें मेरे बारे में बता दिया और वह तो मुझसे ऐसे पूछ रही थी जैसे कि मेरे लिए अपनी अपनी लड़की का रिश्ता लाई हो। मैंने भी उनसे ज्यादा बात नहीं की लेकिन भाभी ने भी अपना सामान पैक कर लिया था और मैं मंजुला भाभी को अपने साथ ही घर ले आया। जब हम लोग घर पहुंचे तो मैंने मां से कहा क्या भैया अभी तक आए नहीं है मां कहने लगी नहीं तुम्हारे भैया अभी तक नहीं आए हैं। मैंने मां से कहा लेकिन भैया तो कह रहे थे कि आज वह जल्दी आ जाएंगे मां कहने लगी कह तो रहा था कि जल्दी आ जाएगा परंतु अभी तक वह आया नहीं है।
जब भैया घर आये तो मैंने भैया से कहा भैया मैं भाभी को ले आया था भैया कहने लगे तुमने बहुत अच्छा किया क्योंकि मुझे आज ऑफिस में ज्यादा काम था वैसे तो मुझे लग रहा था कि मैं घर जल्दी आ जाऊंगा लेकिन मैं घर के लिए निकल ही रहा था तब तक मेरे बॉस ने मुझे कह दिया कि थोड़ा सा काम और है तुम इसे निपटा कर ही जाना तो मुझे भी लगा कि काम कर ही लेता हूं इसलिए मैंने काम करके घर आना ही ठीक समझा। कुछ दिनों बाद भैया कहने लगे कि कहीं घूमने के लिए चलते है मैंने भैया से कहा हां भैया कहीं घूमने का प्लान बनाओ काफी दिन हो गए हैं हम लोग कहीं घूमने भी नहीं गए हैं। जब मैंने भैया से यह बात कही तो भैया कहने लगे हां ठीक है अविनाश मैं तुम्हें आज ही बताता हूं। दोपहर के वक्त भैया ने मुझे फोन कर दिया और दोपहर के वक्त जब भैया ने मुझे फोन किया तो वह मुझे कहने लगे कि मैं सोच रहा हूं कि कुछ दिनों के लिए हम लोग जयपुर चले। मैंने भैया से कहा हां भैया हम लोग कुछ दिनों के लिए जयपुर चलते हैं लेकिन जयपुर जाने का हम लोगों का प्लान ना बन सका क्योंकि इस वक्त गर्मी काफी हो रही थी तो हम लोगों ने सोचा कि हम लोग मनाली चले जाते हैं और हम लोग मनाली जाने की तैयारी करने लगे।
हमारा पूरा परिवार हमारे साथ में था और मैं बहुत खुश था काफी समय बाद हम लोग एक साथ घूमने के लिए कहीं जा रहे थे इतने वर्षो बाद कहीं एक साथ घूमने के लिए जाना बहुत ही सुखद एहसास था। जब हम लोग मनाली पहुंच गए तो मनाली पहुंचते ही भैया कहने लगे चलो कम से कम कुछ दिनों के लिए गर्मी से छुटकारा तो मिल जाएगा। मैंने भैया से कहा आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं दिल्ली में तो बहुत ही ज्यादा गर्मी हो रही है और मनाली में तो इतना अच्छा मौसम है। हम लोग जिस होटल में रुके हुए थे वहां का स्टाफ बड़ा ही अच्छा था और हम लोगों ने एक टूरिस्ट गाइड भी कर लिया था जो कि हमारे साथ ही था। टूरिस्ट गाइड बढ़ा ही मजाकिया और हंसमुख किस्म का था उसका शरीर और उसके बात करने का तरीका बड़ा ही अच्छा था। हम लोगों ने मनाली में बड़ा ही इंजॉय किया और मैं भी बड़ा खुश था हमारा टूरिस्ट गाइड तो बड़ा ही कमाल का था उसने सब के चेहरे पर हंसी लाकर रख दी थी और सब लोग बहुत खुश थे लेकिन मंजुला भाभी उदास नजर आ रही थी। मुझे कुछ समझ नहीं आया कि वह इतना उदास क्यों है मैंने भाभी के पास जाकर पूछा था आप इतने उदास क्यों है तो वह कहने लगी अविनाश तुम रहने दो। भाभी मुझसे बात ही नहीं कर रही थी और ना ही वह भैया से कोई बात कर रही थी लेकिन मैं चाहता था कि मैं भाभी से बात करू मैंने भाभी से बात की तो भाभी कहने लगी देखो अविनाश अब मैं बताना तो नहीं चाहती थी लेकिन तुम जब मेरे पीछे लगे हो तो तुम्हें बताना ही पड़ रहा है। मुझे भाभी ने बताया कि किस प्रकार से उनके और भैया के बीच में झगड़े हुए हैं मौसम कितना सुहावना है वह अकेली है।
भाभी ने मेरी तरफ देखा और कहा तुम्हारे भैया तो लगता है मुझसे झगड़ा करने आए हुए हैं मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था लेकिन मुझे इतना तो पता चल चुका था कि भैया और भाभी के बीच में अब बात नहीं होने वाली है। भाभी ने मुझे अपने पास बुलाया जब उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथ से दबाना शुरू किया तो मैं भी मचलने लगी मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैं अपनी मर्यादाओं के बारे मे सोचने लगा मै भाभी की तरफ देख भी नहीं पा रहा था लेकिन भाभी ने जब मेरी पैंट की चैन को खोलते हुए लंड को बाहर निकाला तो मैंने सोचा भाभी को आखिर ऐसा हुआ क्या है लेकिन भाभी के अंदर तो सेक्स को लेकर आग जल रही थी। उन्होंने मेरे लंड को हिलाना शुरू किया और मुझे बड़ा अच्छा लगा वह काफी देर तक मेरे लंड को मुंह में लेकर चुसती रही जब उनकी इच्छा भर गई तो उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए। मैं भाभी के गोरे बदन को देखकर रह ना सका जैसे ही मैंने भाभी के गोरे बदन को देखा तो मेरे अंदर के जोश को मै बिल्कुल में रह ना सका।
मैंने भी भाभी की स्तनों को चूसना शुरू किया उनसे मैंने खून निकाल दिया अब मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि मैं अपने लंड को भाभी कि चूत मे डालना चाहता था। मैंने जैसे ही अपने लंड को भाभी की योनि मे सटाया तो वह चिल्लाने लगी। मैंने अपने लंड को उनकी योनि के अंदर घुसा दिया था जैसे ही मैंने लंड को अंदर घुसाया तो मै पूरी तरीके से उत्तेजित हो गया। मैं धक्के मारने लगा मेरे जीवन में पहली बार ही मैंने किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाया थे इसलिए मेरे लंड में भी दर्द होने लगा और अजीब सा महसूस हो रहा था लेकिन उसमें भी एक अलग ही मजा था। जिस प्रकार से मैं भाभी को धक्के मारता मै उनकी मादक आवाज सुनकर उत्तेजित होने लगा मेरी उत्तेजना और बढने लगी थी। भला मैं भी भाभी की योनि की गर्मी को कितनी देर तक झेल पाता जैसे ही मेरा वीर्य भाभी की योनि के अंदर गिरा तो वह बिल्कुल भी रह ना पाई और मुझे गले लगा लिया और कहने ले यार तुम ही मेरे सच्चे देवर हो।