आयी मेरी चुदाई की रेल

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मेरा नाम आफताब है मैं गुजरात के एक छोटे से कस्बे में रहता हूं। मेरा एक छोटा सा व्यापार है और मैं इस सिलसिले में अहमदाबाद आता जाता रहता हूं। क्योंकि हमारे यहां से अहमदाबाद काफी दूर है इसलिए मुझे वहीं पर रुकना पड़ता है। मैं कोई भी होटल में वहां पर रुक जाता हूं लेकिन अब मेरा आना जाना काफी हो चुका है तो इसलिए मैंने एक ही होटल में ज्यादातर रुकता हूं। इसलिए उस होटल में मुझे सब लोग जानते हैं। तो मुझे वहां पर किसी भी तरीके से कोई भी कमी नहीं होती है। जब अहमदाबाद जाता हूं तो हमेशा कोई ना कोई कॉल गर्ल को जरूर बुलाता हूं। ज्यादातर काम में ही लगा रहता हूं इसलिए बहुत कम समय मिलता है तो मैं अहमदाबाद में ही अपनी सारी ख्वाहिश को पूरा कर लेता हूं। मेरे दोनों ही काम हो जाते हैं मैं अपना सामान भी ले लेता हूं और अपने लंड की भूत को भी शांत कर लेता हूं। इस बार भी मैं पहले की तरह ही उसी होटल में रुका जहां मैं हमेशा ही रूकता था। वहां के जितने भी आदमी थे सब बोलने लगे और साहब कितने दिन के लिए आए हो मैंने कहा रुकूंगा दो-चार दिन हो रही हो बोलते हुए उन्होंने कहा ठीक है साहब हम आपका सामान कमरे में रख देते हैं।

वह लोग मेरा सामान कमरे में रखा आए। मैं थका हुआ था और आराम करने लगा अपने कमरे में और पता नहीं कब मेरी आंख लग गई मैं सो गया। जब मैं उठा तो मैंने दिखा समय काफी हो चुका है और मैं बाहर निकला तो अंधेरा होने लगा था। अब जब मैं रिसेप्शन पर पहुंचा। तो होटल के मैनेजर ने मुझे पूछा और कैसा रहा आपका सफर मैंने मैनेजर को जवाब दिया अच्छा था फिर मैनेजर ने मुझे बोला कितने दिन के लिए रुके हो आप मैंने भी मैनेजर को कहा दो-तीन दिन तो रुकूंगा उसके बाद देखता हूं। शायद काम हो गया तो निकल जाऊंगा अगर काम नहीं होता तो रुकूंगा। उसके बाद मैं बाहर टहलने निकल पड़ा। और जब मैं वहां पर तहलका होटल पहुंचा तो मैंने वहां देखा दो महिलाएं रिसेप्शन पर थी। दोनों ने बुर्का पहना हुआ था। इसलिए कुछ अच्छे से दिखाई नहीं दिया। तभी मैनेजर ने मुझे भी आवाज़ लगाई और बोला और साहब वापस आ गए आप मैंने कहा हां घूमने गया था। तभी उन महिला में से एक महिला ने अपना बुर्का उठाया तो वह काफी बुजुर्ग थी।

दूसरी महिला रिसेप्शन पर रखे सोफे पर बैठी हुई थी। मैं भी वहां जाकर बैठ गया। मैं उस महिला के हाथों को देख रहा था जो काफी मुलायम थे इससे यह मालूम पड़ता था कि उस महिला की उम्र 20 25 साल की होगी। मैंने अपना हाथ उस महिला के हाथ के ऊपर रख दिया। और उसके हाथों को जोर से दबा दिया। लेकिन वह कुछ बोली नहीं और शांति से बैठे रही। तभी मैंने इशारों-इशारों में मैनेजर को कहा इनका कमरा मेरे कमरे के बगल में दिलवा दो। अब मैं उस होटल का पुराना कस्टमर था। तो मैनेजर मेरी बात को टाल ना सका। हम होटल के लोगों ने उन दोनों का सामान मेरे कमरे के बगल वाले कमरे में रखवा दिया। मैंने उस महिला के कोमल हाथों पर से अपने हाथ हटा लिए और वह लोग कमरे में चले गए। मैंने मैनेजर से कहां शुक्रिया और यह कहते हुए मैंने मैनेजर को कुछ पैसे टिप में दिए मैनेजर बोलने लगा अरे साहब पैसे रहने दीजिए आप हमारे हमेशा के कस्टमर हैं मैंने मैनेजर को कहा रखो अपने पास रखो।

अब मैं अपने कमरे की तरफ जाने लगा। मेरे कमरे की बालकनी और जहां वह दोनों महिलाएं रुकी थी उन दोनों की बालकनी सटी हुई थी। मैं बाहर बालकनी की तरफ गया और वहीं पर कुर्सी लगाकर बैठ गया। जैसे ही मैं बाहर बैठा उसके कुछ ही समय बाद आधे घंटे बाद वह महिला भी बालकनी में आ गई। अब मैं उसको घूर घूर कर देखने लगा। लेकिन वह मेरी तरफ़ नहीं देख रही थी। कुछ देर बाद वह भी अंदर चली गई और मुझे लगा शायद मेरा आज का दिन खराब जाने वाला है। मैंने सोचा किसी कॉल गर्ल को बुला लेता हूं। जैसे ही मैं अंदर जाने वाला था वैसे ही वह लड़की बाहर कुर्सी लेकर आ गई और वह भी वहीं बालकनी में बैठ गई। इस बार वह भी मेरी तरफ देखने लगी।

अब मैं समझ गया था मामला फिट है। तो मैंने अपनी शर्ट उतार दी और ऐसे ही अपनी बनियान में बैठ गया। मेरी छाती के घने बाल उसको अपनी और आकर्षित करने लगे थे। थोड़े समय बाद उस महिला ने भी अपना बुर्का उतार दिया। मैं यह देख कर आश्चर्यचकित रह गया कि वह लड़की है महज 20 साल की उसकी आंखें भूरी भूरी थी। मुझे उसकी आंखों को देख कर नशा होने लगा था। हां मैंने उसको इशारों इशारों में पटा लिया और उसको अपने कमरे में बुला लिया। जब उसकी मौत हो गई तो वह मेरे कमरे में आ गई। मेरे लिए तो यह मेरे जीवन की सबसे अच्छी रात होने वाली थी।  अब जब हो मेरे कमरे में आ गई तो मैंने उससे उसका नाम पूछा उसने अपना नाम अनीशा बताया। अब मैंने उसके हाथों को सहलाना शुरू कर दिया। वह कुछ नहीं बोली और थोड़ी देर बाद मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख दिया। और धीरे-धीरे अपने हाथ को उसकी चूत तक ले गया जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ तो हो मदहोश हो गई। उसका सलवार भी गीला हो गया। अब उसको अच्छा लगने लगा था। उसने मेरी छाती पर हाथ रखा और कहने लगी तुम्हारी छाती मुझे बहुत आकर्षित लगी।

बिल्कुल मेरे शौहर के जैसे हो जो विदेश में रहते हैं। मैंने उससे कहा तुम्हारी शादी हो रखी है उसने कहा हां अभी 6 महीने पहले ही हुई है। मैंने कहा चलो नहीं नहीं माल है। अब मैंने उसको झटके से बिस्तर पर पटक दिया। और 69 पोज बना कर मैंने अपना लंड उसके मुंह में दे दिया और उसकी लाल चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगा। उसमें से बड़ी ही अच्छी सी खुशबू आ रही थी। ऐसी खुशबू मैंने कभी नहीं महसूस की थी। और मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था उसकी चूत को चाटने में मैं उसके गले तक अपने लंड को उतार रहा था।  वह भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मजा आ रहा था। अब मैंने उसको उठाकर अपनी तरफ उसका मुंह कर लिया और उसके होठों की लाली को पीने लगा। उसके होंठ बहुत पतले और अच्छे थे। और उसकी नाक बहुत पैनी थी। मुझे उसके होठों का रस पीने में आनंद आ रहा था। आप काफी समय बीतने के मैंने उसके चूचो को दबाना शुरु कर दिया। जो ज्यादा बड़े तो नहीं थे पर बहुत ही कड़क थे। और गोल गोल थे। बहुत अच्छा लग रहा था उसके बूब्स को दबाना। हां मैंने अपने मुंह से भी उसके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया। वह इतना ज्यादा कड़क थे क्यों को दबाने में आनंद आ रहा था। अब अनीशा का पानी भी गिरने लगा था वह मेरे लंड पर टच हो रहा था।

अब क्या था मैंने भी उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया। धीरे-धीरे धागों के साथ मैंने उसकी योनि में अपने लोड़े को फिट कर दिया। और धक्के देकर उसके बुरे हाल कर दिए। अनीशा को भी मजा आ रहा था तो उसने अपने पैर और खोल लिए 15 मिनट बाद हम दोनों का पानी निकल गया और मैंने उसकी योनि में उस पानी को गिरा दिया। जैसे ही मेरा पानी गिरा वैसे ही मेरे अंदर की कुछ भूख शांत हो गई और हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर एक दूसरे से चिपक कर सो गए। अनीशा अपने मुंह को मेरे लोड़े की तरफ कर लिया और उसकी गांड मेरे लंड से टकराने लगी।

फिर मैंने सोचा इसकी गांड ही क्यों न मारी जाए वह अच्छी खासी ही थी। आप मेरे लंड में दोबारा जान आ गई थी और वह पहले से भी ज्यादा सख्त हो गया था। मैंने उसकी गांड को थोड़ा सा चौड़ा किया और उसके छेद में हटा दिया। जैसे ही थोड़ा सा अंदर गया वैसे ही वह चिल्ला उठी। फिर मैंने अपनी पूरी जान लगाई और उसकी गांड में अपने लोड़े को उसकी जड़ तक घुसा दिया। जब जब मैं अंदर घुसा रहा था दर्द तो मुझे भी बहुत हुआ पर माशा बहुत ज्यादा आ रहा था। अब मैं उसकी गांड में जैसे जैसे अंदर बाहर करता तो उसकी चीखें निकल पड़ती। कितना तेज बहुत चिल्लाती मुझे उतना ही जोश पैदा होता और मेरा सख्त होता रहता। यह संभोग क्रिया 10 मिनट तक मैंने अनीशा के साथ की जैसे ही मैंने लंड बाहर निकाला तो वह पूरा का पूरा लाल हो गया था। दोस्तों इस प्रकार से मैंने अनीशा की गांड होटल के कमरे में ली और यह मेरा सबसे यादगार लम्हा बन गया।

 

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