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मैं 30 साल का गबरू जवान हूं और मैं मोगा से हूं। हम लोगों ने बठिंडा से अभी-अभी मोगा शिफ्ट किया है। मैं मेरे माता पिता पत्नी और मेरी छोटी बच्ची है। मेरे यहां एक बड़ी कंपनी में जॉब लग गई थी। तो मैंने यही पर एक फ्लैट ले लिया था। इस फ्लैट को लिए हुए करीबन 3 साल हो चुके थे। लेकिन यहां कोई रहता नहीं था कभी कबार हम लोग छुट्टियों में यहां आया करते थे। तो अब मेरी जॉब नहीं लग चुकी थी तो मैं पूरी फैमिली को अपने साथ ही यहां पर ले आया। मोगा छोटा सा शहर है यहां पर लोग एक दूसरे को हम अमन जानते ही हैं। जब हम अपना घर शिफ्ट कर ही रहे थे तो पड़ोस की आंटी जी हमारे फ्लाइट में आई क्योंकि वह हमारे फ्लैट के बिल्कुल सामने वाले फ्लैट में रहते थे। और आते ही बोली आप लोग यहां पर नए-नए आए हो क्या वह मेरी मां से पूछने लगी इससे पहले कहां रहते थे क्या करते थे यह सब पूछ रही थी हम लोग अपना सामान सही करने में लगे हुए थे। तो इसलिए मैंने आंटी की तरफ ध्यान नहीं दिया। लेकिन आंटी हम सब को घूर घूर कर देख रही थी और जैसा कि हमारे यहां होता ही है। पड़ोसियों की पूरी जासूसी करने का रिवाज है।
मेरी मां उन आंटी को सब कुछ बताती जा रही थी। तभी बातों बातों में मेरी मां और उस आंटी की बड़ी दीदी दोस्त निकल गए। फिर तो क्या था जैसे उस आंटी ने हम पर सब कुछ लुटा दिया हो। हुसैन टेकरी उम्र करीबन 47 साल के आसपास होगी। दिखने में तो वह भी आज की लड़कियों को फेल कर रही थी। अपने होठों में लाल रंग की लिपस्टिक लगाई हुई थी। वह भी चटक लाल जो कि दूर से ही अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था। उसके उस लाल लिपस्टिक को देखकर मेरा मन उसको अपना लंड चुसवाने क्या हो रहा था। और उसके 40 नंबर के मोमे तो दूर से ही दिखाई दे रहे थे। उनके मोमे के बीच की लकीर दिखाई दे रही थी। आज भी उनमें मदमस्त जवानी कूट कूट कर भरी हुई थी। आज भी उन्होंने अपने आप को बहुत मेंटेन करके रखा हुआ था। फिर वह आंटी वहां से चली गई। जो बहुत जा रही थी तो मेरी नजरें उनके गांड के उभार पर पड़ी। जो दिखने में मनमोहक और कामवासना से भरपूर थी। लगता है आंटी के पति ने उन्हें गांड के रस्ते डोज थी।
कसम से कैसे हिलते हुए जा रही थी। मुझे तो आंटियों की बजाने का अनुभव बहुत अच्छा था। इससे पहले भी हम जहां पर रहा करते थे वहां की सविता आंटी को मैंने बहुत ज्यादा चोदा था। और किरण आंटी को भी नहीं भूल सकता। वह तो बहुत ज्यादा ही रसभरी थी। उसका वह गदराया हुआ बदन आज भी मेरे जेहन में जिंदा है। आज भी कभी-कभी वहां मुझे अपने घर पर बुला लेती हैं। लेकिन आप में ऑफिस में काम के चलते दूर नहीं जा सकता हूं। इसी वजह से अब मुझे अपनी नहीं पड़ोसन आंटी को ही अपने जाल में फंसाना होगा। यह काम करने में में बहुत ही माहिर हूं। क्योंकि मुझे पता है कैसे अपना फंदा आंटियों के ऊपर फेंकना होता है। अब हम सबने घर की साफ-सफाई करने के बाद मेरी पत्नी और मेरी मां ने हमारे लिए रात का खाना बनाया। खाना खाने के बाद हम लोग बाहर घूमने गए। जहां पर वह हो पड़ोसन आंटी मुझे अपनी गांड मटकाती हुई दिखाई दे गई। मां ने उनके बारे मैं मुझे बताया मेरी मां बोलने लगी। इनकी एक ही बेटी है। जिसकी शादी हो चुकी है और वह विदेश में अपने पति के साथ रहती हैं। इनके के पति भी कनाडा में रहते हैं। यहां पर अकेले ही रहती हैं अपनी सांस के साथ में इनकी सास की भी तबीयत ठीक नहीं रहती है। अब क्या था मेरे तो जैसे अरमान पूरे होने वाले थे। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी किस्मत में आंटियों का आना लिखा रहता है। उसके बाद हम लोग अपने फ्लाइट में जाए और सो गए। क्योंकि मेने यहां पर नई नौकरी ज्वाइन की थी तो अपने ऑफिस में बोल रखा था। 5 दिन के बाद जोइनिंग करूंगा। मैं ऑफिस से 5 दिन का टाइम ले रखा था।
अगले दिन जब मैं अपनी पूरी दिनचर्या का काम कर कर बाहर पास की ही दुकान में जो कि हमारे कॉलोनी में ही थी। वहां पर गया और वहां से अपने लिए सिगरेट की डिब्बी ली क्योंकि मैं सिगरेट का बहुत ही बड़ा चेन स्मोकर हूं। इसी वजह से मैंने वहां से सिगरेट ली। वह आंटी वहां पर सुबह नाश्ते के लिए कुछ सामान लेने आई हुई थी। तो मैंने उसे नमस्ते किया। यह मेरा पहला तरीका था उस रंडी को घेरने का उसने भी जवाब दिया और बोलने लगी तुम वही हो ना जो हमारे बगल वाले फ्लैट में रहने आए हो। मैंने बड़ी शालीनता से उस चूत को कहा अरे हां आंटी जी हम ही हैं। वह बोलने लगी मुझे आंटी मत बोला करो। अब तो मे समझ चुका था।
जवाबी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। मैं एक नंबर का आंटी चोद हूं। किसी भी आंटी को नहीं छोड़ता। मैंने उस बड़ी गांड से पूछा आंटी को सामान लेने आए हो क्या। उन्होंने बोला हां कुछ नाश्ते के लिए सामान लेने आई हू। उसने कुछ ब्रेड और बटर लिए और हम दोनों वहां से अपने फ्लैट के लिए आने लगे। हम दोनों आते आते हैं एक दूसरे से बातें करने लगे और बातों बातों में मैंने उनसे बोलो आप तो बहुत ही खूबसूरत हैं। अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश हो गई। और मुझे बोलने लगी। कभी हमारे घर भी आओ वहां पर करेंगे ढेर सारी बातें मैंने कहा क्यों नहीं क्या मैं आज शाम को आपके घर आ सकता हूं। क्योंकि मेरा परिवार दोपहर को मेरे मामा जी के यहां पर जाने वाले हैं और वह रात को ही वहां से लौटेंगे। तो मेरा मन भी थोड़ा आपसे बात करने का हो रहा है।बडी चूत को क्या चाहिए था वह तो यह चाहती ही थी। वह बोलने लगी रात को मैं तुम्हारे लिए खाना बना कर रखूंगी। यह बात मैं तुम्हारी मां से भी कर लूंगी की इसके लिए रात के खाने की चिंता ना करें। अब हम दोनों अपने अपने फ्लैट में चले गए
कुछ ही देर बाद तकरीबन 2 घंटे बाद हमारी पड़ोसन पम्मी आंटी हमारे घर आई। और मेरी मां ने उन्हें बैठाया थोड़ी बातें करी उसके बाद उन्होंने कहा आज रात का आपके लड़के का खाना हमारे यही पर होगा तो आप इसके खाने की चिंता बिल्कुल ना करें। मेरी मां पहले उन्हें मना करती रही बोली नहीं नहीं वह हो बना लेगा पर वह हो ठरकी आंटी मानी नहीं कहने लगी यह भी तो हमारे बेटे के समान है। क्या हमारा इतना भी फर्ज नहीं बनता। मेरी मां ने कहा ठीक है बना देना तुम रात का खाना और फिर दोपहर के बाद मैं अपनी फैमिली को अपने मामा के यहां छोड़ आया। मैं घर वापिस लौट आया अपने तब तक शाम भी होने ही वाली थी। फिर कुछ देर बाद मैंने आंटी के फ्लैट की घंटी बजाई और उनके घर में चला गया। उन्होंने दरवाजा खोला और कहा अरे तुम आ गए आओ बैठो बैठो उन्होंने फिर मुझे उसके बाद अपने सोफे पर बैठने के लिए कहा। उनकी सासू मां अंदर के कमरे में खाँस रही थी।
वह काफी बुजुर्ग थे इसलिए अपने बिस्तर से भी उठ नहीं पाती थी अच्छे से आंटी ने सीधे मुद्दे की बात की कहने लगी मुझे अपनी फुदी मरवानी है। उसे उसे भी मेरी नियत का पता चल चुका था मैंने ज्यादा देर नहीं की उसके बाद मैंने पम्मी आंटी को अपनी गोद में उठाया और सीधा ही उनके बिस्तर पर फेंक दिया। साली बहुत ही तंदुरुस्त थी। मैंने उसके सारे कपड़े निकाल कर फेंक दिए। फिर मैं उसके स्तनों को चूसने लगा और जब मैं नहीं चाहता यार तो वहां पर मैंने देखा उसके बहुत सारे झाटों पर बाल उगे हुए थे। इससे प्रतीत होता था कि उसकी फुदी बहुत समय से विरान पड़ी थी। मैं आप आंटी की फुदी को मुंह में लेकर चाटने लगा। उसमें से कुछ अलग ही तरीके से स्वाद आ रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने आंटी के मुंह में अपना लंड दे दिया।
कुछ देर तक मैने अपना लंड बाहर निकाला। अब मैंने उनको पोज में लेटा दिया। उसके बाद मैंने अपना लंड उनकी फुदी मैं प्रवेश कराना आरंभ किया। उसमें बहुत ही कसावट थी और वह बहुत ही टाइट थी। इस बात से मुझे बहुत ही जोश आने लगा और मैंने धीरे-धीरे धक्कों के साथ उनकी चूत मे घुसेड़ दिया। जैसे जैसे हो हो अपनी सांसो को बढ़ाते हैं मुझे और जोश पैदा होता जाता और मे उसी जोश के साथ मेरा लौड़ा भी बड़ा होता जाता कुछ समय बाद आंटी का पानी भी गिरने लगा था और उन्होंने मुझे अपनी दोनों टांगों से दबा दिया। जब उन्होंने ऐसा किया तो मेरा भी थोड़ी ही देर में झडने को हो गया। और फिर मैंने अपना वीर्य उनकी चूत मे डाल दिया। वह जैसे ही खड़ी हुई तो मेरा वीर्य उनकी टांगों के बीच से टपक रहा था। उसके बाद से तो मैं रोज आंटी को उनके फ्लैट में जाकर चोदता हू।