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मेरा नाम राकेश है और मैं एक बड़ा कारोबारी हूं। मैं दिल्ली का रहने वाला हूं और मेरी उम्र 35 वर्ष है। मुझे काम करते हुए काफी वर्ष हो चुके हैं। पहले मैं नौकरी किया करता था लेकिन बाद में मैंने हिम्मत करते हुए अपना काम खोल लिया और जब मैंने अपना काम खोला तो फिर बाद में मुझे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। परंतु उसके बाद जैसे कैसे मैंने अपने काम को संभाल लिया और अब मेरा काम बहुत ही अच्छे से चल रहा है। मैं अपने काम से बहुत खुश भी हूं। क्योंकि मुझे अब बहुत अच्छा मुनाफा भी होने लगा है और मेरे घर वाले भी इस बात से बहुत खुश हैं। जब मेरी शादी हुई तो उस समय मेरी स्थिति कुछ ठीक नहीं थी। परंतु फिर भी मैंने शादी कर ली। क्योंकि मेरे पिताजी मुझे जिद कर रहे थे और कह रहे थे कि मैं शादी कर लूं। उनकी जिद की वजह से मैंने शादी कर ली लेकिन जब मैंने शादी की तो मैंने अपनी पत्नी को सब कुछ बता दिया। तो उसने मेरे साथ बहुत ही एडजेस्ट किया लेकिन धीरे-धीरे जब मेरा वक़्त अच्छा होता गया और मैं अच्छे पैसे कमाने लगा तो अब वह बहुत ही खुश थी और मुझे कहती कि शुरुआत में आपने कितनी दिक्कतें झेली थी। परंतु अब आपका बिजनेस बहुत ही अच्छा चल पड़ा है और मैं भी बहुत खुश हूं।
मैं अपने कारोबार के सिलसिले में अक्सर इधर उधर जाता रहता हूं और इस बार भी मैं अपने कारोबार के सिलसिले में जयपुर जा रहा था। मैंने सोचा कि मेरा एक पुराना दोस्त है तो मैं उससे जयपुर में मिल लेता हूं। जब मैंने उसे फोन किया तो वह बहुत ही खुश हुआ और कहने लगा कि तुमने इतने वर्षों बाद मुझे फोन कैसे कर लिया। मैंने उसे कहा कि तुम तो मुझे कभी फोन करने वाले नहीं हो। तो मैंने सोचा आज मैं ही तुम्हें फोन कर देता हूं। इस वजह से मैंने तुम्हें फोन किया। जब मैंने उसे बताया कि मैं जयपुर आ रहा हूं तो वह बहुत खुश हुआ और कहने लगा कि तुम मेरे घर पर ही रुकने वाले हो। मैं उसे मना नही कर पाया और मैं उसके घर चला गया। जब मैं उसके घर गया तो वह मुझसे मिलकर बहुत ही खुश हुआ और कहने लगा तुम इतने वर्षों बाद मुझे मिले हो। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। अब हम दोनों बैठकर बातें कर रहे थे। तभी संतोष की पत्नी आ गई और संतोष ने मुझे उससे इंट्रोडक्शन करवाया। उसका नाम सुरभि है। अब हम तीनों बैठकर बातें कर रहे थे तो संतोष हमारी कुछ पुरानी यादें ताजा कर रहा था और मुझे भी बहुत खुशी हो रही थी। बातें करते-करते अब हमारे काम की बात आ गई। संतोष ने मुझे पूछा कि तुम्हारा कारोबार कैसा चल रहा है।
मैंने उसे बताया कि मेरा कारोबार तो बहुत ही बढ़िया चल रहा है। शुरुआत में तो बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा। परंतु अब काम अच्छा चल पड़ा है और जब मैंने संतोष से इस बारे में पूछा तो वह कहने लगा कि मेरी स्थिति तो कुछ ठीक नहीं चल रही। मैं नौकरी से बहुत ज्यादा परेशान हो गया हूं और मुझे अब लगने लगा है कि मैं अपना ही कोई छोटा मोटा कारोबार शुरू कर लू लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि मुझे क्या काम शुरू करना चाहिए। मैंने उसे कहा, मैं तुम्हारी तुम्हारा कारोबार खोलने में मदद कर सकता हूं। वह यह बात सुनकर बहुत खुश हो गया और कहने लगा कि लेकिन मुझे उसके लिए इन्वेस्टमेंट डालनी पड़ेगी और वह मेरे पास नहीं है। मैंने उसे कहा तुम उसकी चिंता मत करो। मैं तुम्हें सेटअप लगा कर दे दूंगा। उसके बाद तुम अपने काम को चला लेना। अब वह बहुत खुश हुआ और उसकी पत्नी भी बहुत खुश थी लेकिन मैंने उसे कहा कि तुम्हें उसके लिए दिल्ली आना पड़ेगा और दिल्ली से ही काम करना पड़ेगा। वह कहने लगा ठीक है मैं अपनी नौकरी से कुछ दिनों बाद रिजाइन दे दूंगा और दिल्ली आ जाऊंगा। सुरभि यहां रह लेगी। मैं अपना काम कर के जयपुर से वापस अपने घर लौट गया और कुछ दिनों बाद संतोष का फोन आया और कहने लगा कि मैं दिल्ली आना चाहता हूं। तुम मुझे बताओ मुझे कब आना है। मैंने उसे कहा कि तुम 5 दिन बाद आ जाना। क्योंकि मैं अभी कुछ काम के सिलसिले में बाहर जा रहा हूं और दो-तीन दिन बाद मैं लौट आऊंगा। अब संतोष भी मेरे साथ दिल्ली आ गया और वह मेरे साथ ही काम करने लगा। मैंने उसे एक सेटअप लगा कर दे दिया और उसके बाद वह काम करने लगा। मैंने उसे रहने के लिए अपना एक फ्लैट दे दिया था और वह वहीं पर रह रहा था। धीरे-धीरे संतोष का काम भी अच्छा चलने लगा और वह मुझसे कहने लगा कि तुम्हारी बदौलत अब मेरा काम भी अच्छा चलने लगा है। मैं बहुत खुश हूं और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है।
अब संतोष भी बहुत खुश था और मैं भी उससे बहुत खुश था। एक बार मुझे काम के सिलसिले में जयपुर जाना था तो मैंने इस बारे में संतोष से जिक्र किया। वह कहने लगा तुम मेरे घर पर ही चले जाना और मेरी पत्नी से भी मिल लेना। मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हारे घर पर चला जाऊंगा और सुरभि से भी मिल लूंगा। अब मैं जयपुर चला गया जब मैं जयपुर गया तो सुरभि मुझे देखकर बहुत खुश हुई और मुझसे संतोष के बारे में पूछने लगी। मैंने उसे कहा कि वह बहुत अच्छा है और बहुत ही अच्छे से काम कर रहा है वह इस बात से बहुत ही ज्यादा खुश थी। मैंने सुरभि से कहा कि मैं फ्रेश हो लेता हूं उसके बाद मैं थोड़ी देर आराम करता हूं। जब मैं बाथरुम में गया तो मैंने सुरभि की लाल रंग की पैंटी दिखी जिससे कि मेरा मन खराब हो गया मैं उसे सुघने लगा। जब मैं बाहर आया तो मुझे सुरभि को देखकर बहुत ही ज्यादा उत्तेजना आने लगी और मैं उसकी गांड को देखने लगा मै उसके बड़े बड़े स्तनों को देख रहा था। जब सुरभि मेरे पास बैठी हुई थी तो मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके होठों को अपने होठों में ले लिया। मैं उसे बहुत ही अच्छे से किस करने लगा अब उसके होंठों से खून भी निकल रहा था। वह भी पूरी उत्तेजना में आ गई और मैंने तुरंत अपने लंड को बाहर निकालते हुए उसके मुंह में डाल दिया। जैसे ही मैंने अपने लंड को उसके मुंह के अंदर डाला तो वह बहुत ज्यादा खुश हो गई। मै अपने लंड को अंदर बाहर करती जा रही थी मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए तो मैंने देखा उसने पिंक कलर की पैंटी पहनी हुई है और वह उसमें बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मैंने उसकी पैंटी को खोलते हुए उसकी चूत मे हाथ लगाना शुरु किया उसकी चूत मे हल्के हल्के बाल थे। मैंने उसकी चूत के अंदर जैसे ही उंगली डाली तो उसकी चूत से पानी निकलने लगा और वह बहुत ही उत्तेजित होने लगी। थोड़ी देर में मैंने भी उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया। जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी योनि में घुसेड़ा तो उसके मुंह से चीख निकल पड़ी और वह बहुत ज्यादा मूड में आ गई। अब मैं उसे ऐसे ही बड़ी तीव्रता से चोदने लगा। उसे बहुत ही मजा आ रहा था जब मैं उसे चोदे जा रहा था मैंने उसके दोनों पैरों को कसकर पकड़ लिया और उसे चोदता रहा। थोड़ी देर में मैंने उसके स्तनों को भी अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करना शुरू कर दिया उनसे दूध निकल रहा था मैंने वह सब अपने मुंह में लेकर निकाल लिया। मैं अब उसके होठों को किस करते हुए बहुत ही ज्यादा मस्त हो रहा था। मैं उसे बड़ी तीव्रता से धक्के दिए जा रहा था उसका बदन भी पूरा लाल होने लगा और मुझे उसका बदन देखकर बहुत ही मजा आ रहा था। लेकिन मुझसे उसकी चूत की गर्मी नहीं झेली जा रही थी। फिर भी मैं उसे चोदने पर लगा हुआ था और बड़ी तेज धक्के दिए जा रहा था। मैंने उसे इतनी तीव्रता से चोदना शुरू किया कि उसका पूरा शरीर और भी गरम हो गया। वह पसीना-पसीना हो गई अब वह इतना ज्यादा पसीना हो चुकी थी कि मुझसे भी बिल्कुल नहीं रहा गया। मैंने तुरंत ही अपने वीर्य को उसकी योनि में डाल दिया जैसे ही मैंने अपने वीर्य को उसकी योनि में डाला तो वह बहुत ज्यादा खुश हुई। वह कहने लगी आपने तो संतोष की कमी को पूरा कर दिया है मुझे बहुत ही अच्छा लगा जब आप ने मुझे चोदा। जब भी मैं जयपुर जाता हूं तो सुरभि की चूत जरूर मारता क्योंकि उसकी चूत बहुत ज्यादा टाइट है और मुझे उसे चोदने में एक अलग ही अनुभूति होती है।