Antarvasna, hindi sex stories मुझे अनिता मेरे ऑफिस के बाहर ही मिलने वाली थी मैं अपने ऑफिस से जैसे ही फ्री हुआ तो अनीता मुझे मिली। जब अनिता मुझे मिली तो मैंने अनीता से कहा कि चलो फिर मूवी देखने के लिए चलते हैं हम दोनों मूवी देखने के लिए चले गए। मैंने मूवी का टिकट लिया और हम दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए थे मुझे बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि अनिता का हाथ मैंने कसकर पकड़ा हुआ था। अनिता मुझसे कहने लगी कि मूवी शुरू होने में कितना टाइम लगेगा मैंने अनिता से कहा कि मूवी शुरू होने में बस थोड़ी ही देर है और हम दोनों थिएटर के बाहर लगे सोफे पर बैठ गए। जब हम दोनों बैठे तो मैंने अनिता से कहा मैं अभी आता हूं और मैं वहां से टॉयलेट चला गया मैं टॉयलेट से लौटा तो मुझे अनिता कहीं दिखाई नहीं दी मैंने अनिता का नंबर ट्राई किया लेकिन उसका नंबर लग नहीं रहा था। मेरे समझ में नहीं आया की आखिर अनिता चली कहां गई है मैं सोच में पड़ गया कुछ देर बाद अनिता आई तो उसके साथ में उसकी एक सहेली भी थी मैंने अनिता से कहा तुम कहां चली गई थी।
वह मुझे कहने लगी हम लोग पार्किंग में चले गए थे वहां पर नेटवर्क नहीं आ रहा था अनिता ने मुझे अपनी सहेली मालिनी से मिलवाया। जब उसने मुझे अपनी सहेली से मिलवाया तो मैंने अनिता से कहा तुम दोनों ही पार्किंग में चली गई थी वह कहने लगे हां हम दोनों ही पार्किंग में चले गए थे। अनिता ने मुझे मालिनी के बारे में बताया जब अनिता ने मुझे मालिनी के बारे में बताया तो मैंने अनिता से कहा क्या यह वही मालिनी है जो तुमसे फोन पर बात करा करती थी। अनिता कहने लगी हां यह वही मालिनी है, मैंने मालिनी से कहा अनिता तुम्हारी हमेशा ही बात करती रहती है तो मालिनी कहने लगी कि मैं अब यहीं मुंबई में रहने के लिए आ चुकी हूं। मालिनी पहले कोलकाता में रहा करती थी अब वह मुंबई आ चुकी थी और इत्तेफाक से वह भी उस दिन मूवी देखने के लिए आई हुई थी हम लोग मूवी थियेटर के अंदर गए तो मालिनी का नंबर हमसे दो लाइन छोड़कर था लेकिन मालिनी हमारे साथ ही बैठ गई। कुछ ही देर बाद एक युवक आया तो मैंने उसे कहा कि भैया क्या आप आगे बैठ जाएंगे वह कहने लगा कोई बात नहीं।
वह युवक भी अकेला ही था इसलिए वह आगे बैठ गया था मूवी शुरू होने वाली थी जैसे ही मूवी शुरू हुई तो सब लोग स्क्रीन की तरफ देखने लगे। मूवी शुरू होते ही मैंने अनिता का हाथ पकड़ लिया मालिनी यह सब देखी जा रही थी क्योंकि वह अनिता के बिल्कुल बगल में बैठी हुई थी इसलिए वह सब देखे जा रही थी। जैसे ही मूवी का इंटरवल हुआ तो मैंने खाने के लिए स्नैक्स ऑर्डर कर दिया कुछ ही देर बाद एक लड़का स्नेक्स ले आया। मालिनी ने भी हमारे साथ ही स्नेक्स खाये और हम लोग मूवी देखते रहे मूवी खत्म होने के तुरंत बाद ही हम लोग वहां से नीचे उतरे और मालिनी कहने लगी कि मुझे अभी जाना होगा। अनिता ने उसे कहा ठीक है हम लोग कभी और मिलते हैं। उस दिन मेरी मालिनी से अच्छे से बात तो नहीं हो पाई थी लेकिन मैं मालिनी से मिल चुका था और उसके बाद हम लोग वहां से चले गए और मालिनी भी जा चुकी थी। मैंने अनिता से कहा कि मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ दूं अनिता कहने लगी हां तुम मुझे मेरे घर तक छोड़ दो। मैंने अनीता को उसके घर तक छोड़ दिया और रात को हम दोनों की फोन पर काफी देर तक बातें होती रही। अनिता को मेरे परिवार वाले अच्छे से जानते हैं और हम लोगों ने शादी करने का फैसला भी कर लिया है लेकिन अनिता को ही थोड़ा समय चाहिए क्योंकि वह चाहती है कि जब उसका कंपनी में प्रमोशन हो जाए तो उसके बाद वह मुझसे शादी कर लेगी। इसी वजह से वह अभी तक मुझसे शादी नहीं कर पाई मैं चाहता हूं कि हम दोनों शादी कर ले लेकिन अनिता अभी नहीं चाहती कि हम लोग शादी करें इसलिए अभी तक मैंने और अनिता ने शादी नहीं की। एक दिन मैं अपने ऑफिस से बाहर निकल रहा था तभी मुझे मालिनी दिखाई दी मालिनी ने भी मुझे पहचान लिया और मालिनी कहने लगी अरे आदित्य तुम यहां पर क्या कर रहे हो।
मैंने मालिनी को बताया कि मैं यहीं पर जॉब करता हूं मालिनी कहने लगी अच्छा तो तुम यहीं पर जॉब करते हो मैंने उससे कहा हां मैं यहीं जॉब करता हूं। जब उसने मुझे बताया कि मैं भी तो यहीं जॉब करती हूं तो मैंने उसे कहा अच्छा तो तुम्हारा ऑफिस मेरे पास ही है चलो फिर दोबारा से मुलाकात होती रहेगी। उस वक्त मैं सिर्फ बाहर चाय पीने के लिए ही आया था हमारे ऑफिस में भी कैंटीन है परंतु मुझे वहां की चाय बिल्कुल भी पसंद नहीं आती इसीलिए मैंने सोचा कि क्यों ना बाहर से चाय पी कर आऊं तभी मुझे मालिनी मिल गई। हम लोग ज्यादा देर तक तो बात नहीं कर पाए लेकिन मुझे मालिनी से बात करना अच्छा लगा और मैंने उससे थोड़ी देर ही बात कि मैं जब अनिता से मिला तो मैंने अनिता को बताया कि मालिनी तो मुझे आज मिली थी। अनिता कहने लगी अच्छा तो मालिनी तुम्हें आज मिली थी मैंने उसे कहा वह मेरे ऑफिस के पास ही काम करती है। अनिता मुझे कहने लगी खैर यह सब बात छोड़ो तुम यह बताओ कि क्या हम लोगों को शादी कर लेनी चाहिए। मैंने अनिता से कहा क्यों नहीं मैं तो कब से चाहता ही हूं कि हम लोग सगाई कर ले लेकिन तुम ही तो मुझे कह रही थी कि मैं अभी सगाई नहीं करना चाहती हूं इसलिए मैंने तुम्हें कुछ नहीं कहा। मैं चाहता हूं कि तुम मुझसे शादी कर लो हम दोनों सगाई कर लेंगे तो कुछ ही समय बाद हम लोगों की शादी भी हो ही जाएगी अनिता कहने लगी मैं सोच तो रही थी कि अब हम लोगों को सगाई कर ही लेनी चाहिए। मैंने अनिता से कहा लेकिन तुमने अब यह फैसला कैसे ले लिया कि हम लोगों को सगाई कर लेनी चाहिए।
अनीता कहने लगी अब तुम्हें मैं क्या बताऊं मम्मी मुझे हर रोज कहती है कि तुम लोगों का इतना समय से एक दूसरे से रिलेशन चल रहा है लेकिन अभी तक तुमने सगाई के बारे में नहीं सोचा है अब तुम ही मुझे बताओ कि मैं उनको बार-बार क्या जवाब देती रहूँ इसलिए मैं सोच रही हूं कि कम से कम हम लोग सगाई कर ले उसके बाद इस बारे में मैं सोचूंगी की शादी कब करनी है मैंने अनीता से कहा ठीक है जैसा तुम्हें उचित लगता है। कुछ ही समय बाद हम लोगों की सगाई हो गई उस दिन सगाई में हमने मालिनी को भी बुलाया था और मेरे कुछ दोस्त भी आए हुए थे। सगाई का फंक्शन हम लोगों ने होटल में ही करवाया था तो वहां पर हम लोगों के सारे दोस्त और सगे संबंधी आए हुए थे सब कुछ बड़े अच्छे से रहा और अब मेरी और अनीता की सगाई भी हो चुकी थी। अब हम दोनों की सगाई हो चुकी थी इसलिए अनीता और मेरे बीच अब शादी को लेकर प्लैनिंग होने लगी हम लोगों आगे कैसे शादी की तैयारियां करेंगे। हम दोनों के दिल में ना जाने कितने ही खयाल पैदा हो रहे थे और मुझे भी अच्छा लग रहा था चूंकि मेरी अनीता से सगाई हो चुकी थी और कुछ ही समय बाद हम लोगों के शादी भी होने वाले थी। मालिनी अक्सर मुझे मिलती जब भी मालिनी मुझे मिलती तो मैं उससे उसके हाल-चाल पूछ लिया करता लेकिन उसके दिल में कुछ तो चल रहा था। एक दिन उसने मेरा हाथ पकड़ लिए उसके हाथ पकड़ने का अंदाज मुझे कुछ ठीक नहीं लगा। मैंने उसे कहा देखो मालिनी यह सब बिल्कुल भी ठीक नहीं है लेकिन मालिनी को कहा भले और बुरे के समझ थी वह तो सिर्फ मेरे साथ बात करना चाहती थी और मेरे साथ समय बिताना चाहती थी।
अचानक से उसका मेरे प्रति पूरी तरीके से रवैया ही बदल गया वह मुझ पर डोरे डालने लगी। वह मुझ पर डोरे डाल रही थी मैं उससे दूर जाने की कोशिश करता लेकिन मालिनी अनचाहे ही मेरा हाथ पकड़ लिया करती और ना जाने उसे मुझसे क्यों इतना प्यार था। एक दिन वह मेरे साथ मेरी कार में बैठी हुई थी उसने मुझसे कहा आप मुझे मेरे घर तक छोड़ दीजिएगा क्योंकि मेरी कार खराब हो चुकी है। मैंने भी उसे उसके घर तक छोड़ दिया जब मैंने उसके नरम और गुलाबी होठों को चूसना शुरू किया तो मुझे भी अच्छा लगा उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैं भी अपने आपको नहीं रोक पाया जब उसने मेरी पैंट की चैन को खोलते हुए मेरे लंड को बाहर निकाला तो वह उसे बड़े ही अच्छे से चूसने लगी। मुझे भी मजा आ रहा था वह मेरे लंड को आराम से अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच गई थी। मैं अपने आपको ना रोक सका मैंने जैसे ही मालिनी की योनि के अंदर अपनी उंगली डाली तो मैं उसे चोदना चाहता था।
मैंने उसे चोदने की ठान ली थी हम दोनों वहां से मालिनी के घर पर चले गए क्योंकि मालिनी अकेली रहती थी इसलिए मेरे लिए यह अच्छा मौका था। मैंने मालिनी के बदन से कपड़े उतारे तो उसने जालीदार पैंटी और ब्रा पहनी हुई थी उसकी पैंटी ब्रा देखकर मैं उत्तेजित होने लगा। मैंने जब मालिनी की योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया तो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था उसकी योनि के अंदर तक मेरा लंड जा चुका था। उसकी योनि की दीवार से मेरा लंड टकराने लगा था वह चिल्लाने लगी उसके मुंह से मादक आवाज निकल रही थी उसकी मादक आवाज में एक गहराई थी। उसे में बड़ी तेजी से चोदे जा रहा था मैं अपने लंड को उसकी योनि के अंदर बाहर कर रहा था और उसे भी बड़ा आनंद आता। काफी देर तक मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर बाहर किया जब मैं उसकी चूत तेजी से मारनी शुरु की तो वह कहने लगी मजा आ रहा है। मैंने उसे कहा मुझसे रहा नहीं जाएगा मालिनी ने अपने पैरों को चौड़ा कर लिया मैंने उसे बड़ी तेज गति से चोदा उसकी योनि से फच फच की आवाज निकल रही थी उसकी योनि के अंदर जैसे ही मेरा माल गिरा तो उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया।