नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप लोग | आशा करता हूँ की आप लोग सब ठीक-ठाक होगे | दोस्तों मैं आपका अपना विक्रम | मैं 12th में पढता हूँ तथा अपनी पढाई अपने ही शहर में करता हूँ | मेरे प्रिय भाई लोगो मैं आप को आज एक नयी कहानी बताने जा रहा हूँ | कि कैसे मैंने और मेरे दोस्त ने हॉस्टल में लड़की चोदी | आशा करता हूँ की आप लोगो को बहुत मौज आएगी | तो चलिए दोस्तों मैं आप लोगो को सीधा कहानी की ओर ले चलता हूँ |
तो मेरे प्रिय भाइयो-बहनों ये कहानी उस समय की है जब मैं और मेरे चाचा का लड़का प्रताप अपनी 12 की पढाई कर रहे थे | दोस्तों मैं और मेरे चाचा के लड़के से पूरा कॉलेज डरता था | किसी लड़के को इतनी हिम्मत नही होती थी की हम लोगो को कुछ कह दे | यहाँ तक की टीचर भी एक बार सोंचते थे की इनको कुछ कहूं की नही | भाइयो हम दोनों का अपने कॉलेज में पूरा भौकाल था | बड़े मजे से हम लोग अपने कॉलेज में जलवा पेलते थे | हम लोगो अपने कॉलेज ही नही बक्ली अपने शहर में भी पूरा रौला पेलते थे | इसके पीछे एक कारण था दोस्तों जिस कॉलेज में हम, लोग जाते थे वो हमारे पापा के दम पर ही चलता था | उसमे सबसे बड़ा डोनेशन हमारे पापा ने ही किआ था | मेरे पापा हमारे शहर के चेयरमैन थे | इसलिए हम लोगो की कॉलेज से लगाकर अपने शहर तक किसी से फटती नही थी | दोस्तों हम लोग दिखने में 6 फिट लम्बे और एक दम गोरे-चीटे हैं | हम लोगो के दो दोस्त थे | एक का नाम जिम्मी था और एक नाम दिनेश था | दोनों ही मेरे बहुत करीब हो गये थे | दोनो लोग कॉलेज के हॉस्टल में रहते थे | जिम्मी जो था वो कानपूर का रहने वाला था और दिनेश बिजनौर का था | दोनों ही मेरे बहुत अच्छे दोस्त बन गये थे | दिनेश जो था वो बहुत बड़ा पंडित था | उससे मेरे चाचा का लड़का बहुत मौज लेता था | पर दिनेश उसकी बातो का बुरा नही मानता था | वो बहुत ही मस्त लडका था | जब भी हम लोगो को दारू पिने का मन होता था | मैं और मेरे चाचा का लड़का प्रताप जिम्मी और दिनेश के साथ कॉलेज के हॉस्टल में रुक जाया करते थे | और फिर रात में फिर चोरी से गार्ड से दारु मंगवा के पिते थे | दिनेश पंडित था वो पूजा-पाठ करता था तो वो दारू नही पीता था सिर्फ जिम्मी पीता था | मैं ,प्रताप और जिम्मी मिलकर पूरी रात पीते थे | और खूब मस्ती करते थे | और जब सुबह होती थी तब कॉलेज जाने के समय पेट में दर्द होने का बहाना कर लेते थे | खूब मस्ती करते थे हम लोग अपने कॉलेज में |
मेरे दोस्त जिम्मी की एक गर्लफ्रेंड को सेट कर रखी था | वो दिखने में बहुत पटाका माल थी | उसने एक बार मुझसे मिलवाया था | जब मैं उससे मिला था तब मैं उसे देख कर ही हैरान हो गया था क्या लड़की थी यार एक दम पटाका | जब वो बोलती थी तब उसके गुलाबी होंठ कांपते थे | उसके बूब्स इक दम नुकीले थे | जब वो चलती थी तब उसके चुतर बहुत ही मोहक तरिके से हिलते थे | साला बस यही मन करता था की इसकी एक बार चूत मिल जाये मजा ही आ जायेगा | लेकिन ऐसा नही हो सकता था क्योकि वो मेरे दोस्त का माल था | वो मेरे ही कॉलेज में पढ़ती थी और कॉलेज के ही गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी | एक दिन जिम्मी ने मुझसे कहा की भाई मुझे इसकी लेनी है प्लीज हेल्प मी | मैंने कहा की तु बात करले हम लोग रात में गर्ल्स हॉस्टल में चलेंगे | जिम्मी ने अपने माल से कॉलेज में बात कर ली और अब रात में हम लोगों को हॉस्टल में जाना था | उस दीन मैं और मेरे चाचा का लड़का प्रताप अपने दोस्तों के साथ हॉस्टल में ही रुक गये | रात हुई जब सब लोग सो गये वार्डन भी चक्कर लगा कर चला गया | हम लोग उठे और चोरी से गर्ल्स हॉस्टल की ओर चले गये | जिम्मी की गर्लफ्रेंड ने हॉस्टल की विंडो से रस्सी लटका दिया था | हम लोग रस्सी पकड़ कर ऊपर चढ़ हए | उसने अपनी सहेली को कमरे के बाहर निकाल दिया और वो और मेरा दोस्त कमरे में चले गये| मैं और उसकी सहेली कमरे के बाहर खड़े थे | थोड़ी देर बाद अंदर से जोर-जोर से आह आह आह आह आह आह आह आह आह आहा आह अ अहाह आहा आहा आह आह आहा ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह ओह्ह्ह ओह्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह आह आह आह आहा आहा आया आया आह आः आह आः आहा अहहाह आह आहा अ आहाहा आः हाह हा अह आहा आह आह आह उन्ह उन्ह उन्ह इह्ह इह्ह इह्ह इह्ह इह्ह उन्ह उन्ह की सिस्कारिया आ रही थी | मेरा दोस्त अपने माल की चूत का मजा ले रहा था | उन दोनों की चोदने की सिस्कारिया सुन-सुन कर मेरा भी मन चूत चोदने का कर रहा था | जो मेरे साथ में उसकी सहेली कड़ी थी | उसके चेहरे से यह पता चल रहा था की इसे भी लंड की जरुरत है | वह दिवार से भीड़ कर मचल रही थी और धीरे-धिरे मेरे इधर बढ़ रही थी | मैं समझ गया था की ये भी अब गरम हो गयी है | मैंने अपना मन उसे चोदने का बना लिया | पर मैं थोडा-थोडा संकोच कर रहा था | तभी जीनो से किसी के आने की आवाज सुनाई पड़ी | मैं उसे लेके झट से कमरे के साइड में स्टोर रूम था उसी में लेके चला गया और उसे अपने आप से चिपका लिया | जब तक वार्डन चक्कर लगा कर चला नही गया तब तक मैंने उसे अपने आप से चिपकाये रख्खा | वो गरम हो चुकी थी उसके नुकीले बूब्स मेरे चाटी में चुभ रहे थे | फिर मैंने भी समझ दारी दिखाई और धीरे से उसके चेहरे को ऊपर उठाया और उसके होंठो को अपने मुह में रख कर चूसने लगा वो भी मेरा साथ देते हुए मेरी होंठो को चूस रही थी | मैंने उसका ऊपर का टॉप निकाल दिया और मैंने उसको पीछे से पकड़ कर उसके मस्त बूब्स को अपने हाथो में लेकर दबाने लगा और उसके मुह से आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आ आ आहाह आह आहा आया आ उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह आह आह आह आ आ आः आः की सिस्कारिया निकल रही थी | थोड़ी देर तक मैंने उसके बूब्स को दबाया और फिर बाद मैंने अपनी पेंट खोल कर अपना लंड उसके मुह में दे दिया और उसे चूसाने लगा | भाई साहब वो इतने अच्छे से मेरे लंड को चूस रही थी पूरे मुह में मेरे लंड को घुमा-घुमा कर चूस रही थी की मेरे मुह से आह आह आह आह आह आह आ हह आहा आह आह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह इह्ह इह्ह इह्ह इह्ह इह्ह इह्ह ई हही ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह आह आह आह आह आह आहा आह आहा आहा की सिस्कारियां ले रहा था | मुझे इतना मजा आ रहा था की मैं उसके मुह में ही झड गया था | फिर हम दोनों ने अपने सब कपडे निकाल दिए और स्टोर रूम में पड़ी टाट की बोरी को बिछा लिया | मैंने उसको उन्ही टाट की बोरिओ पे लिटा दिया और उसकी चूत में अपना मुह डाल कर अपनी जीभ से चोदने लगा उसे भी मजा आ रहा था उसके भी मुह से आह आह आह आह आह आह आह आहा आह आह आह आह आह आहा आहा आहा उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह उह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह्ह ओह्ह ओह्ह आह आह आहा आह आह आह आहा आहा आहा आहा आहा आहा आहा आहा आहा आहा आहा आहा आहा आहा अह आह की सिस्कारिया निकाल रही थी | थोड़ी देर तक मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदा और जब मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हुआ तब मैंने उसकी चूत चोदने का प्रोग्राम बनाया | मैंने अपने लंड को हाथ से हिला कर अच्छी तरह से खड़ा किआ और उसके बाद में मैंने उसकी दोनों पैरो को फैला दिया और अपने लंड को उसकी चूत में धीरे-धीरे डालना शुर किया | उसकी चूत बहुत टाइट थी की मेरा लंड बहुत धीरे-धीरे जा रहा था और वो भी मचल रही थी और कह रही थी की धीरे-धीरे अन्दर डालो दर्द हो रहा है | जब मैं अपने लंड से उसकी चूत को ढीला कर पाया हूँ तब मैंने उसकी चूत को अच्छे तरीके से चोदना स्टार्ट किया है | उसने अपने दोनों पैरो को मेरी कमर में फसा रखा था और हाथों को मेरी पीठ पर सहला रही थी और अपने मुह से जोर-जोर आह आह आह अह आहा आह आहा आहा आहा आह आह आह आहा आहा आहा आह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह आहा आहा हाह आहा आहा अहः आहा अह अ अ हहा क सिस्कारियां निकाल रही थी | थोड़ी देर बाद मैं जब झड़ने वाला था | तब मैंने अपना लंड निकाल उसके बूब्स पर झाड दिया |
तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी | आशा करता हूँ की आप सभी को पसंद आएगी |