Antarvasna, kamukta पिता जी का रिटायरमेंट 2 महीने बाद होने वाला था लेकिन पिताजी को अभी से चिंता होने लगी थी कि वह अपने रिटायरमेंट के बाद घर पर क्या करेंगे क्योंकि उन्हें तो घर में रहने की बिल्कुल भी आदत नहीं है। उन्होने अपने जीवन के 35 वर्ष अपनी नौकरी को दे दिए और अब वह रिटायर होने वाले हैं पिताजी को हमेशा ही चिंता सताती रहती थी। मैंने पिता जी से कहा आप इतनी चिंता क्यों करते हैं हम लोग हैं तो सही आप रिटायर होने के बाद हमारे साथ ही रहिएगा लेकिन पिताजी तो हमेशा यह बात कहते कि जब से तुम्हारी मां का देहांत हुआ है तब से मैं कितना अकेला हो गया हूं। मैंने कहा कि पिताजी हम लोग आपके साथ हमेशा रहेंगे आप क्यों चिंता करते हैं वह कहने लगे ठीक है बेटा लेकिन उनके दिमाग में सिर्फ यही बात घूमती रहती थी वह रिटायरमेंट के बाद ऐसा क्या करेंगे वह हमेशा ही ऐसा सोचा करते। जब पिताजी रिटायरमेंट होने वाले थे तो उन्होंने घर में एक दावत भी रखी थी और उस दावत में हमारे आस पड़ोस के लोगों को भी बुलाया था।
आस पड़ोस के लोग जब घर पर आए तो पिताजी ने सारी व्यवस्था बड़े ही अच्छे से की हुई थी किसी को भी कोई समस्या नहीं हुई और मैं भी बहुत खुश था क्योंकि अब पापा घर पर ही रहने वाले थे। मेरी शादी को 5 वर्ष हो चुके हैं और मेरा छोटा भाई जो कि अभी कुंवारा है लेकिन उसकी उम्र भी शादी की हो चुकी है वह भी अपने 28वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। पिताजी चाहते हैं कि वह उसकी भी शादी कर दें लेकिन अभी तक उसकी शादी नहीं हो पाई है। मेरी पत्नी घर को बड़े अच्छे से संभाले हुई है उसने ही घर की सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले रखी है और बड़े ही अच्छे से सारी चीजों को मैनेज करती है। घर में कोई भी काम हो या ऐसी कोई भी परेशानी हो तो सबसे पहले आशा ही खड़ी रहती है आशा एक बहुत ही समझदार और एक सुलझी हुई महिला है। मेरी शादी को 5 वर्ष हो चुके हैं लेकिन इन 5 वर्षों में उसने जिस प्रकार से घर को संभाला है उससे मैं हमेशा ही उसकी तारीफ करता हूं मैं कहता हूं कि तुम सारी चीजों को कैसे मैनेज कर लिया करती हो।
वह बच्चों का भी ध्यान रखती है और पापा का भी वही ध्यान रखती हैं हम लोगों को भी वह समय पर हर एक चीज दे दिया करती है। अब हम मेरे छोटे भाई आकाश के लिए रिश्ते देखने शुरू कर चुके थे पापा घर में रिटायरमेंट के बाद अब यही काम कर रहे थे वह आकाश के लिए एक बढ़िया सी लड़की ढूंढ रहे थे लेकिन अभी तक कोई ऐसी लड़की नहीं मिल पाई। आकाश नहीं चाहता था कि वह शादी करे लेकिन कभी ना कभी तो उसे शादी करनी ही थी और कुछ ही समय बाद आकाश के लिए एक लड़की का रिश्ता आया। जब मैं और पिताजी उसे देखने के लिए गए तो हमें लड़की ठीक लगी और आकाश को भी वह लड़की पसंद आ गई अब आकाश ने भी रिश्ते के लिए हामी भर दी थी और वह उससे शादी करना चाहता था। कुछ समय बाद उन दोनों की सगाई हो गई लड़की का नाम अंजली है, अंजलि से आकाश की शादी होने वाली थी वह दोनों एक दूसरे से शादी के नाम से ही खुश थे और कुछ ही दिनों बाद दोनों की शादी हो गई। अब उन दोनों की शादी हो चुकी थी और वह दोनों एक दूसरे के सात बहुत ही खुश थे क्योंकि आकाश और अंजली एक दूसरे को अच्छी तरीके से समझते थे। उन दोनों ने शादी के बाद घूमने का प्लान बनाया दोनों घूमने के लिए दुबई चले गए आकाश मुझे दुबई से फोन करता जा रहा था और कहता कि भैया मैं आपको कब से फोन कर रहा था लेकिन आपने फोन ही नहीं उठाया मैंने आकाश से कहा कि मैं अपनी मीटिंग में बैठा हुआ था इसलिए तुम्हारा फोन नहीं उठा पाया। वह मुझे कहने लगा भैया लेकिन मैं तो सोच रहा था कि आपको फोन करूंगा आप से मुझे कहना था कि हम लोग कल घर आ रहे हैं। मैंने आकाश से कहा क्या तुम लोग कल घर आ रहे हो वह मुझे कहने लगा हां भैया लेकिन मैं यह पूछ रहा था कि क्या आपके लिए कुछ लेकर आना है परंतु आपने फोन ही नहीं उठाया। मैंने आकाश से कहा अरे नहीं रहने दो मेरे लिए भला तुम क्या लाओगे अपनी भाभी के लिए देख लेना यदि तुम्हें कुछ चीजें समझ आए तो अपनी भाभी के लिए ले लेना। जब आकाश और अंजली घर आ गए तो मैंने आकाश से कहा तुम्हारा दुबई का सफर कैसा रहा वह मुझे कहने लगा भैया बहुत ही अच्छा रहा और बड़ा मजा आ गया। मैंने आकाश से कहा चलो इस बहाने तुम दुबई तो घूम आए।
मैंने आशा से कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए दिल्ली जा रहा हूं वहां से मैं अगले हफ्ते ही लौट आऊंगा वह मुझे कहने लगी ठीक है तुम जब दिल्ली जा रहे हो तो वहां पर मौसी से भी मिल लेना मौसी भी काफी समय से कह रही थी तुम उनसे मिलने के लिए नहीं आए हो। आशा की मौसी दिल्ली में ही रहती है और वह कहने लगी कि तुम मौसी से जरूर मिल आना मैंने आशा से कहा ठीक है मैं मौसी से मिल आऊंगा। मैं अपना सामान पैक करने लगा आशा मुझे कहने लगी कि मैं तुम्हारी मदद कर देती हूं मैंने आशा से कहा हां तुम मेरी मदद कर दो। आशा ने मेरी मदद की और जब आशा ने मेरी मदद की तो उसके बाद मैंने सामान रख लिया था और मैं दिल्ली जाने की पूरी तैयारी करने लगा। मैं दिल्ली के लिए बस से ही निकला था क्योंकि चंडीगढ़ से मुझे दिल्ली के लिए टिकट नहीं मिल पाई थी इसलिए मुझे चंडीगढ़ से बस में ही जाना पड़ा। मैं जब बस में बैठा हुआ था तो बस में काफी गर्मी थी मैंने कंडक्टर से कहा भैया ए सी तो खोल दो वह मुझे कहने लगा भैया अभी बस में सवारियां नहीं बैठी हैं जैसे ही थोड़ा बस भर जाएगी तो मैं ए सी ऑन कर दूंगा।
मैंने उसे कहा ठीक है तुम जल्दी से ए सी ऑन कर दो गर्मी बहुत ज्यादा हो रही है और अच्छे से बैठा भी नहीं जा रहा। धीरे धीरे बस भी भरने लगी थी परंतु अभी भी वह कंडक्टर दिल्ली दिल्ली दिल्ली आवाज लगा रहा था मुझे साफ सुनाई दे रहा था परंतु अभी बस पूरी तरीके से भरी नहीं थी। मुझे बस में बैठे हुए करीब 15 मिनट हो चुके थे 15 मिनट में काफी सवारिया बस के अंदर आकर बैठ चुकी थी और जब वह लोग बैठे तो मैंने कंडक्टर से कहा कितनी देर बाद बस चलने वाली है। वह मुझे कहने लगा बस साहब 5 मिनट बाद बस चलने वाली है मैंने उसे कहा ठीक है। मैं अपनी सीट में बैठा ही हुआ था कि तभी मेरे पास एक युवती आकर बैठी उसके नैन नक्श और उसके लंबे बाल देख कर मैं तो उसकी तरफ फिदा हो गया था। मैं उसे देखे जा रहा था लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि वह एक नंबर की टाइट माल है जब मैंने उसके गोरे बदन को देखा तो मैं उसे देखकर उस से चिपकने की कोशिश करने लगा वह मेरे बगल में ही बैठी हुई थी। जब मेरा हाथ उसके स्तनों पर लगा तो उसने भी मेरी तरफ देखा और हम दोनों की आंखें टकराने लगी मैंने उससे पूछा तुम्हारा क्या नाम है? वह कहने लगी मेरा नाम मनीषा है मैंने मनीषा से कहा तुम क्या करती हो? वह कहने लगी मैं कॉलेज में पढ़ती हूं मनीषा की जांघ पर भी मेरा हाथ लगने लगा था उसकी गोरी जांघ को भी मैं दबा रहा था मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। काफी देर तक मैं उसकी चूत को दबाता रहा मुझे बड़ा मजा आया लेकिन जब रात के वक्त लाइट बंद हो गई तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और मनीषा ने उसे अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया। मनीषा जिस प्रकार से मेरे लंड को चूस रही थी मैने उससे इस बात का अंदाज लगा लिया था वह बडी कमाल की होगी।
उसने अपने मुंह के अंदर तक मेरे लंड को घुसा लिया था वह बड़े ही अच्छे से अपने मुंह में मेरे लंड को लेकर चूस रही थी लेकिन जैसे ही मैंने अपने लंड को मनीषा के मुंह से बाहर निकाला तो वह कहने लगी मुझे तो बड़ा मजा आ गया। मैंने मनीषा से कहा मुझे भी तुम्हारे स्तनों को चूसना है अब मैं मनीषा के स्तनों को चूसने लगा था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। जिस प्रकार से मैं उसके स्तनों को चूसता उससे मुझे बहुत मजा आता और एक अलग ही बेचैनी जागने लगती। हम दोनों अपनी सीट में सो चुके थे हमने अपने स्लीपर का परदा लगा लिया हम दोनों नंगे हो चुके थे। मैंने मनीषा के बदन से पूरे कपड़े उतार दिए थे और उसके कपड़े उतारते ही मैंने उसके स्तनों का रसपान काफी देर तक किए। उसके बाद जब मनीषा के अंदर की आग जलने लगी तो मैंने मनीषा से कहा मुझे तुम्हारी चूत को चाटना है। मैंने जैसे ही मनीषा की चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो उसे बड़ा अच्छा लगने लगा उसकी योनि से पानी बाहर निकलने लगा था।
मैंने मनीषा की योनि में लंड को सटाया तो वह कहने लगी आप इतना इंतजार क्यों कर रहे हैं अंदर ही डाल दीजिए। मैंने मनीषा की योनि के अंदर अपने लंड को घुसा दिया उसकी योनि की दीवार से मेरा लंड टकराने लगा था मैं अपने लंड को मनीषा की योनि के अंदर बाहर करता जा रहा था। मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और मनीषा को भी मजा आ रहा था मनीषा के मुंह से मादक आवाज निकल रही थी और उसकी सिसकियां मेरे कानों में जाते ही मेरे अंदर उत्तेजना पैदा कर देती और मुझे बडा ही मजा आता। काफी देर तक मैंने मनीषा की योनि के मजे लिए जब मनीषा के पैरों को मैंने अपने कंधों पर रखा तो उसकी योनि मुझे और टाइट महसूस होने लगी थी। उसकी कमसिन योनि के अंदर बाहर मेरा लंड बड़ी तेजी से हो रहा था मुझे भी बड़ा आनंद आ रहा था। मनीषा को भी बहुत ही अच्छा लग रहा था मैंने मनीषा की योनि के अंदर बाहर जैसे ही अपने लंड को किया तो उसे मुझे बड़ा मजा आया। मैं ज्यादा देर तक रह ना सका जैसे ही मैंने अपने वीर्य को मनीषा की योनि में गिराया तो वह मेरी बाहों में आ गई और कहने लगी अब सो जाते हैं।