Antarvasna, hindi sex story पारस मेरे बचपन का दोस्त है और हम दोनों के बीच बहुत ही गहरी दोस्ती है पारस मुझसे कभी भी कोई चीज नहीं छुपाता था परंतु एक दिन जब मैं पारस से मिलने उसके घर पर गया तो वह अपने कमरे में ही लेटा हुआ था। मैंने जब उसकी मम्मी से पूछा आंटी पारस कहां है तो पारस की मम्मी कहने लगी बेटा वह अपने रूम में ही है तुम उसे रूम में ही जाकर मिल लो। मैं भी रूम में चला गया पारस फोन पर किसी से बात कर रहा था मैं जैसे ही रूम में गया तो पारस एकदम घबरा कर मुझे कहने लगा अरे सुमित तुम कब आये? मैंने उसे कहा मैं तो अभी ही आया हूं लेकिन तुम इतना घबरा क्यों रहे हो वह चुप हो गया और कहने लगा नहीं बस ऐसे ही मुझे लगा शायद मम्मी आ गई है।
पारस ने उस वक्त फोन काट दिया मुझे इतना तो यकीन हो चला था कि पारस किसी से फोन पर बात कर रहा है लेकिन उसने मुझे उस दिन कुछ भी नहीं बताया मैंने पारस से कहा तुम्हारी तबीयत तो ठीक है। वह कहने लगा हां मेरी तबीयत तो ठीक है लेकिन तुम बताओ तुम क्या कुछ काम से घर पर आए थे, मैंने उसे कहा नहीं मैं कुछ काम से तो घर पर नहीं आया था बस घर में आज टाइम पास नहीं हो रहा था तो सोचा तुमसे मिल आता हूं वैसे भी काफी दिन हो गए थे तुमसे मिले हुए। जब मैंने पारस से यह बात कही तो वह कहने लगा हां वैसे भी तुम आजकल घर पर कम ही आते हो। मैंने पारस से कहा तुम भी तो आजकल कुछ दिनों से कुछ अलग ही नजर आते हो ना ही तुम कोई बात करते हो और ना ही मुझसे मिलने घर पर आते हो। वह मुझे कहने लगा यार तुम्हें तो पता ही है अब तो घर से बाहर जाना भी अच्छा नहीं लगता मैंने पारस से कहा लेकिन पहले तो तुम हमेशा मुझसे मिलने के लिए आ जाया करते थे या फिर तुम मुझे फोन कर दिया करते थे परंतु कुछ समय से तुम्हारे अंदर बदलाव आ गया है और तुम पूरी तरीके से बदल चुके हो।
मैंने पारस से कहा यार तुम्हारे अंदर बहुत ज्यादा बदलाव आ चुका है वह मुझे कहने लगा दोस्त ऐसा कुछ भी नहीं है यह तुम्हें लग रहा होगा परंतु पारस मुझसे कुछ ना कुछ चीज तो छुपा रहा था और वह मुझे शायद बताना नहीं चाहता था इसलिए मैंने भी उससे ज्यादा नहीं पूछा और करीब आधे घंटे तक मैं उसके साथ बैठा रहा। उसके बाद मैं भी अपने घर वापस लौट आया परन्तु मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि पारस मुझसे क्या छुपा रहा है आखिरकार उसके दिमाग में क्या चीज चल रही है जो वह मुझे बताना नहीं चाहता या फिर वह मुझसे अब दूरी बनाने लगा है मुझे यह बात बहुत ज्यादा खलने लगी थी और मुझे इस बात के बारे में जानना ही था कि पारस मुझसे क्या छुपा रहा है। मैंने भी जानने की कोशिश की और जब मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं चला तो मैंने एक दिन पारस की मम्मी से ही पूछना उचित समझा मैं उस दिन पारस के घर पर गया हुआ था और शायद पारस कहीं गया था। मैंने आंटी से पूछा आंटी आजकल पारस के अंदर मुझे कुछ बदलाव नजर आ रहा है तो उसकी मम्मी कहने लगी हां बेटा तुम सही कह रहे हो आजकल उसमे काफी बदलाव सा आ गया है और घर में किसी के साथ बात नहीं करता वह सिर्फ अपने कमरे में बैठा रहता है और बड़ी अजीब बातें करने लगा है। मुझे कुछ समझ नहीं आया कि आखिरकार पारस के अंदर यह बदलाव कैसे आ गया और मैं भी इस बात से बहुत ज्यादा हैरान था कि वह अपने घर पर भी अच्छे से बात नहीं करता है और वह पूरी तरीके से अब बदल चुका है मुझे करीब 15 मिनट ही हुए थे लेकिन आंटी ने मुझे सब कुछ बता दिया था। जैसे ही पारस आया तो पारस मुझे कहने लगा अरे सुमित तुम कब आए तो मैंने उसे कहा मुझे आए हुए 15 मिनट हो चुके हैं मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था। पारस मुझे कहने लगा चलो मेरे रूम में बैठते हैं हम दोनों पारस के रूम में बैठ गए मैं और पारस आपस में बात करने लगे।
मैंने पारस से जब यह बात पूछी कि तुम अब बहुत ज्यादा बदल चुके हो तो वह मुझे कहने लगा दोस्त ऐसा कुछ भी नहीं है तुम्हें यह लग रहा होगा। मैंने उसे कहा तुम्हारी मम्मी भी यही बात कह रही थी तुम अब ज्यादा किसी के भी संपर्क में नहीं रहते और ना ही अपने घर में ज्यादा बात करते हो पारस कहने लगा आजकल सब लोग मुझे ऐसा ही कह रहे हैं क्या मेरे अंदर वाकई में बदलाव आ चुका है। मैंने पारस से कहा हां तुम पूरी तरह से बदल चुके हो और तुम्हारे अंदर बहुत ज्यादा बदलाव आ चुका है तुम्हें इस बारे में थोड़ा सोचना चाहिए कि तुम्हारे अंदर यह बदलाव क्यों आ रहा है यदि तुम्हारे साथ ऐसी कोई परेशानी चल रही है तो तुम मुझसे अपनी परेशानी के बारे में बात कर सकते हो, पारस मुझे कहने लगा दोस्त तुम ठीक कह रहे हो लेकिन ऐसी कोई परेशानी है ही नहीं कि मैं तुमसे इस बारे में कुछ बात करूं। मुझे इतना तो पता चल चुका था कि पारस के दिल में कुछ तो चल रहा है लेकिन वह मुझसे छुपा रहा है और मुझे वह बताना नहीं चाहता लेकिन मैंने भी ठान ली थी कि मैं पारस से इस बारे में पूछ कर ही रहूंगा और फिर मैंने उससे पूछा कि आखिरकार तुम्हारे अंदर चल क्या रहा है तो वह कहने लगा कुछ भी तो नहीं लेकिन जब मैंने उसके ऊपर जोर डाला तो वह कहने लगा यार मैं तुम्हें क्या बताऊं मेरे साथ एक बहुत बड़ी मुसीबत आन पड़ी है मैंने अपने ही एक रिश्तेदार की लड़की के साथ प्रेम विवाह कर लिया है और यह बात मैंने किसी को भी नहीं बताई है जिस वजह से मैं बहुत ज्यादा परेशान हूं और मैं समझ नहीं पा रहा कि आखिरकार मैं क्या करूं।
मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा मैं इस बात से पूरी तरीके से चौक गया और मैंने पारस की तरफ देखते हुए कहा तुमने क्या वाकई में शादी कर ली तो वह कहने लगा हां यार मैंने शादी कर ली है और इसी बात से मैं बहुत ज्यादा परेशान हूं कि मैं कैसे सबको यह बात बताऊं मैंने उसे पूछा तुमने किससे शादी की है वह लड़की कहां है। वह कहने लगा वह तो अपने घर में ही रह रही है उसने भी अब तक अपने घर में नहीं बताया है इस बात से मेरा तो सर पूरी तरीके से चकराने लगा उसने जब मुझे उस लड़की की तस्वीर दिखाई तो मैंने उसे कहा यार तुम अपने घर में इस बारे में बात कर लो तो वह कहने लगा मैं इस बारे में बात नहीं कर सकता यदि मैंने इस बारे में बात भी की तो पापा और मम्मी बहुत गुस्सा हो जाएंगे और हो सकता है कि वह मुझे घर से भी निकाल दे क्योंकि वह लोग कभी भी नहीं चाहते कि मैं ऐसा कुछ करूं और उन्होंने कभी उम्मीद भी नहीं की होगी लेकिन अब मैं यह सब कर चुका हूं तो मुझे इसी बात से बहुत ज्यादा डर लग रहा है और हमेशा ही मैं इस बारे में सोचता रहता हूं कि आखिरकार मुझे ऐसा क्या करना चाहिए जिससे कि अपने घर वालों को भी समझा सकूं। मैंने पारस से पूछा उस लड़की का क्या नाम है तो पारस कहने लगा उसका नाम रेखा है। पारस ने मुझे कहा मैं तुम्हें उससे मिला दूँगा और तुम मुझे बताना कि हम लोगों को क्या करना चाहिए पारस ने कुछ ही दिनों बाद मुझे रेखा से भी मिलवाया वह भी बहुत ज्यादा परेशान थी इस बात को करीब 6 महीने बीत चुके थे लेकिन अब भी कोई रास्ता नहीं निकल रहा था ना ही पारस ने अपने घर में किसी को बताया था और ना ही रेखा ने किसी को यह बात बताई थी। पारस मुझसे हमेशा मदद की उम्मीद करता और मैं भी उन दोनों की हमेशा मदद किया करता लेकिन इसी बीच शायद मेरी नियत रेखा को लेकर खराब होने लगी थी क्योंकि रेखा मुझ पर पूरी तरीके से भरोसा करने लगी थी।
एक दिन मैंने सोचा क्यों ना रेखा को मै मिलने के लिए बुलाऊं रेखा मुझसे मिलने के लिए अकेले मे आ गई। जब रेखा मुझसे मिलने के लिए आई तो मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि हम दोनों के बीच कभी सेक्स भी संभव हो पाएगा। जब वह मुझसे मिलने के लिए आई थी उस दिन ना जाने उसके दिल में भी क्या चल रहा था और हम दोनों को सेक्स करने की इतनी इच्छा जाग उठी कि हम दोनों वहां से उठकर एक होटल में चले गए। मैंने वहां पर रूम बुक कर लिया, जब रेखा और मैं साथ में थे तो हम दोनों ने एक दूसरे के बदन को काफी देर तक महसूस किया जब हम दोनों के बदन से पूरी तरीके से आग निकलने लगी तो मुझे एहसास हुआ कि रेखा को भी शायद बर्दाश्त नहीं हो रहा है। हम दोनों एकदम नंगे लेटे हुए थे मैंने उसके बड़े स्तनों को अपने मुंह में ले रखा था और उन्हें बड़े प्यार से मैं चूस रहा था।
मुझे उसके स्तनों को चूसने में बहुत आनंद आ रहा था, मैंने जब उसकी चिकनी और कोमल योनि पर अपनी जीभ को रगड़ना शुरू किया तो वह मचलने लगी और कहने लगी सुमित अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मैंने अपने मोटे लंड को रेखा की योनि पर लगा कर रगडना शुरू किया तो उसके अंदर से भी गर्मी निकलने लगी। मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर प्रवेश करवा दिया जैसे ही मेरा 9 इंच मोटा लंड उसकी योनि के अंदर बाहर होता तो उसके मुंह से चीख निकल जाती। वह कहती और भी तेजी से करो ना जब वह मुझे कहती तो मैं और भी तेजी से अंदर बाहर लंड को करता जाता। मैंने उसकी गर्मी को शांत कर दिया लेकिन 5 मिनट तक मै इतने ज्यादा जोश में आ गया कि मैं आपनी गर्मी को शांति ना कर सका परंतु जब मैंने उसकी गर्मी को शांत किया तो उसे बड़ा अच्छा महसूस हुआ और मुझे भी बहुत मजा आया। हम दोनों ही एक दूसरे से नजर ना मिला सके लेकिन उसके बाद जब हम दोनों ने एक दूसरे से बात की तो मुझे और रेखा को अच्छा लगा।