हेल्लो दोस्तों, में दीपक और में मेरठ से हूँ. यह एक सच्ची कहानी है, मुझे आशा है कि आपको यह बहुत पसंद आयेगी. में दीपक उम्र 25 साल. दोस्तों ये एक आँखो देखी बिल्कुल सच्ची कहानी है, जो कि में आज बता रहा हूँ. में मेरठ में रहता हूँ, मेरठ में मेरे रिश्तेदार रहते है, जो यहाँ एक आर्मी ऑफिसर के यहा काम करते है और वो बिहार के रहने वाले है. वो अपनी फेमिली के साथ यहाँ पर रहते है. उन्हे एक क्वॉर्टर मिला हुआ है, जिसके पीछे एक गेस्ट रूम है, जो कि उन्होने मेरे रिश्तेदार को रहने के लिए दिया हुआ है.
साहब की फेमिली में उनकी वाईफ और एक बेटी है, कुल तीन लोगों की फेमिली है. उनके साहब का नाम प्रणव चौधरी है और उम्र 36 या 37 साल होगी और मेडम की 33 या 34 और बेटी डोना अभी 4 साल की है. ये कहानी जो में बता रहा हूँ, वो मेडम की है, जो मैंने कई बार देखा है.
मेडम का नाम संचीता चौधरी है और कोई 5 फीट की हाईट की होगी, बहुत गोरी और मांसल बॉडी की औरत है. उनका फिगर कोई 38-30-40 होगा. वो काफ़ी रंगीन मिज़ाज़ की औरत है और कई लोगों के साथ उनके शाररिक संबंध है, जो कि में चुपकर कई बार देख चुका हूँ.
आज उन्ही में से पहली कहानी लिख रहा हूँ. ये पहली कहानी है, जो लगभग एक साल पुरानी है. 4 से 5 दिनों के लिये साहब अक्सर आर्मी के कैंप में मेरठ से बाहर जाते रहते है और तब संचीता मेडम सिर्फ़ अपनी बेटी के साथ अकेली ही घर में रहती है. मेरे रिश्तेदार उनसे काफ़ी नजदीक है और मेडम ने उन्हे अपने कई यारों के बारे में बता रखा है, जो कभी कभी मेरे रिश्तेदार मज़ाक में मेरे सामने भी बोलते है कि आज तो मेडम के मज़े होने वाले है.
मेरे रूम से संचीता मेडम का क्वॉर्टर सटा हुआ है और एक विंडो है, जो कि संचीता मेडम के क्वॉर्टर के साईड में खुलती है, उन्हे जब भाभी को बुलाना होता है, तो वो उसी विंडो से आवाज़ दे देती है.
ये कहानी तब की है जब साहब कैंप में बाहर गये हुए थे और मेरे रिश्तेदार को किसी काम से मेरठ से बाहर जाना पड़ा. यहाँ पर सिर्फ़ में और मेरे रिश्तेदार का एक बेटा था, जो संचीता मेडम की बेटी के साथ खेलता था. एक दिन सुबह ही मुझे पेशाब लग गयी और मेरी नींद टूट गई,
मेरे रूम में अटेच बाथरूम नहीं था, इसलिए मुझे रूम से बाहर निकलना पड़ा और बाहर में पेशाब करके वापस रूम में लौटने लगा कि संचीता मेडम की बेटी के रोने की आवाज़ सुनी. पहले मैंने ध्यान नहीं दिया, क्योंकी मुझे नींद आ रही थी, लेकिन उसका रोना सुनकर सोचा कि संचीता मेडम से पूछ लूँ कि वो क्यों रो रही है और में विंडो के पास गया और मेडम को आवाज़ लगाई, पर कोई जवाब नहीं मिला.
फिर में रूम से बाहर निकला और सोचा कि एक नज़र बाहर देख लेता हूँ. फिर मैंने बाहर जाकर भी देख लिया और मेन दरवाजा भी लॉक ही था. अब मुझे लगा कि संचीता मेडम कहाँ है और जब में लौटने लगा तब में बाहर से जो पहला रूम था, उसमे से किसी के बोलने की आवाज़ सुनी, तो में हैरान हो गया कि वहां कौन है? साहब तो अभी कैंप पर गये हुए है. मैंने उस रूम का दरवाजा खोलना चाहा पर डोर अंदर से लॉक था.
फिर मैंने दरवाजे से कान लगाया और अंदर की आवाज़ सुनने की कोशिश करने लगा, मुझे एक मर्द और एक औरत की आवाज़ सुनाई पड़ी. मर्द की आवाज़ कुछ पहचानी लगी और औरत की आवाज़ संचीता मेडम की थी. में सोच में पड़ गया कि अंदर संचीता मेडम के साथ कौन है और में अंदर देखने की कोशिश में दरवाजे में कोई छेद खोजने लगा, जो कि मिल भी गया.
मैंने उस होल से अंदर देखा तो मुझे मज़ा आ गया. अंदर संचीता मेडम बेड पर नाईटी में बैठी थी और एक 40-42 का जवान आदमी, जिसका नाम राकेश था और वो यहाँ ब्याज पर पैसा देने का काम करता है और बहुत अमीर आदमी है (ये में इसलिए जानता हूँ कि मेरे रिश्तेदार भी उससे कभी कभी उधार पैसा लेती है) वो अपनी पेंट पहन रहा था और संचीता मेडम से कुछ कुछ बोल रहा था, मेडम उसकी बात सुनकर मुस्करा रही थी.
फिर बोली कि अब तुम निकलो जल्दी, राकेश पेंट पहनकर अपना कुर्ता पहना और बोला कि अब कब आऊंगा? मेडम बोली कि अब कल दिन में आना, लेकिन 12 बजे के बाद क्योंकि तब तक में अपना सारा काम ख़त्म कर लेती हूँ, ठीक है में आ जाऊंगा. फिर संचीता मेडम उठी, तो में भी वहां से हटा और अपने रूम में चला आया.
अगले दिन में सुबह ही संचीता मेडम से बोला कि में बाहर जा रहा हूँ, कुछ काम है तो में कर दूँ तो उन्होने बोला कि कुछ नहीं, आप जाओ, मैंने कहा कि में शाम को आकर सब्जी ला दूँगा और में निकल गया. संचीता मेडम भी सोच रही होगी कि अब में शाम को आऊंगा और वो बेफिक्र हो गई.
में 12 बजे वापस चुपचाप अपने रूम पर आ गया, तो वहां देखा कि मेडम की बेटी मेरे रिश्तेदार के बेटे के साथ खेल रही है. फिर मैंने पूछा कि यहा क्यों खेल रहे हो, तो मेरे रिश्तेदार के बेटे ने बोला कि मेडम ने बोला है कि बेबी को अपने यहाँ ले जाकर खेलो और में समझ गया कि रात वाला आदमी राकेश आ रहा होगा, इसीलिए मेडम ने बेबी को वहां से यहाँ भेज दिया.
कुछ देर के बाद में उससे बोला कि जाओ देखकर आओ कि मेडम क्या कर रही है और बोलना कि क्या में बेबी को लेकर बाहर वाले रूम में आकर खेल लूँ. वो गया और कुछ देर बाद वापस आया और मुझसे बोला कि कोई साहब आये हुए है और मेडम बोली कि ठीक है, जब बेबी बोले तब ड्रॉइंग रूम में आकर खेलना, में डोर खुला छोड़ देती हूँ.
में समझ गया कि अब संचीता मज़ा मार रही होगी और में उससे बोला कि तुम इधर ही बेबी के साथ खेलो और जब तक में ना आ जाऊं, बाहर मत निकलना. वो बोला ठीक है और में बाहर निकला और चुपके से मेडम के ड्रॉइंग रूम में गया. में जानता था कि मेडम बेडरूम में ही होगी, क्योंकि उधर ए.सी. लगा है. फिर में दबे पावं बेडरूम के दरवाजे पर पहुंचा और एक होल भी मुझे मिल गया.
मैंने आँख लगा दी और अंदर का नज़ारा देखा तो अंदर का सीन देखकर में मस्त हो गया. राकेश संचीता मेडम के ऊपर चड़ा हुआ था और संचीता मेडम के होंठ को चूस रहा था और संचीता मेडम उसकी पीठ को सहला रही थी.
फिर राकेश उठा और अपना कुर्ता उतार फेंका. फिर पेंट भी उतार डाली. अब वो अंडरवियर में था और संचीता मेडम नाईटी में थी. फिर राकेश ने अपना अंडरवियर खोल दिया, उसका लंड साईज़ से काफ़ी बड़ा और मोटा था. मेरे हिसाब से 7 इंच से थोड़ा ज़्यादा ही होगा और एकदम तना हुआ था, उसने संचीता मेडम का हाथ पकड़ा और उसे खड़ा कर दिया.
संचीता उसका लंड हाथ में लेती हुई बोली कि आज ज़्यादा तमतमा रहा है ये. हाँ जानेमन जल्दी से अपनी चूत में इसको ले ले, दो राउंड मारने है ना हाहहहः. संचीता मेडम मस्ती से हँसती हुई बोली कि आज के बाद नहीं लेना है क्या? अरे संचीता तुझे तो जिंदगी भर भी पेलता रहूँ तो मेरे लंड की प्यास नहीं मिटने वाली. संचीता मेडम उसका लंड सहलाते हुए बोली कि ऐसा क्यों? अरे संचीता रानी तू चीज़ ही ऐसी है, जितना पेलता हूँ तो और पेलने का मन करता है और ये कहकर वो संचीता मेडम से बोला कि संचीता रानी एक राउंड पहले जल्दी से कर ले.
फिर तुझे आराम से चोदूंगा, चल तू घोड़ी बन और उसने संचीता को ज़मीन पर ही बिठा दिया. मेडम ज़मीन पर ही घोड़ी बन गई, तो वो मेडम के पीछे खड़ा होकर संचीता मेडम की नाईटी को उसकी गांड से ऊपर उठा दिया. संचीता मेडम ने अंदर कुछ नहीं पहना था.
संचीता मेडम की गोरी गोरी मोटी गांड देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया. फिर वो संचीता मेडम के ऊपर झुका और चूत पर अपना लंड टिकाकर धक्का मारा तो संचीता मेडम हल्की सी चीखी, एक ही धक्के में लगभग पूरा लंड संचीता की चूत में घुस गया. फिर वो जोर जोर से धक्के मारने लगा.
संचीता मेडम भी मस्ती से सिसकारी लेने लगी, आआहह सीईीईसीईसी. वो संचीता मेडम को ज़मीन पर ही घोड़ी बनाकर कस कसकर पेल रहा था. संचीता मेडम की चूत गीली हो गई थी, इसलिये हर बार जब उसका लंड अंदर जाता था तो पच पच की आवाज़ होती थी. 5-7 मिनट तक संचीता मेडम को ज़मीन पर चोदने के बाद वो सीधा खड़ा हुआ और संचीता मेडम को भी खड़ा कर दिया और संचीता की गांड पर अपना लंड सटाकर संचीता को धकेलता हुआ दीवार से सटा दिया.
अब संचीता मेडम का चेहरा दीवार से सटा हुआ था और उसने संचीता मेडम के पीछे खड़ा होकर लंड उसकी चूत में घुसा दिया. मेडम ने अपने दोनों हाथ दीवार पर टिका दिये और वो संचीता मेडम को खड़े खड़े पीछे से चोदने लगा और साथ साथ उसने संचीता मेडम की बड़ी बड़ी चूची को दोनों हाथों से पकड़ लिया था और संचीता मेडम की चूची मसलते हुए संचीता मेडम को चोद रहा था.
संचीता दीवार पर हाथ टिकाकर कामुक सिसकारी लेती हुई उसको ज़ोर ज़ोर से चोदने को बोल रही थी, आहह कसकर चोद सीइसस्स्स्स्ससी उउउ. इसी तरह 5-6 मिनट चोदने के बाद उसने कहा कि पानी कहा डालूँ? तब संचीता मेडम बोली कि पलंग पर चलो.
(TBC)…