antarvasna, kamukta
मेरा नाम राजेश है मैं बेंगलुरु का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 33 वर्ष है। मेरे परिवार में जितने भी सदस्य हैं वह सब अच्छी नौकरी पर हैं, मैं पहले से ही पढ़ने में अच्छा नहीं था इसलिए मुझे भी एक छोटी नौकरी से ही संतोष करना पड़ा, मैं जहां पर नौकरी करता था वहां पर मैं नौकरी कर के खुश था, मैंने काफी समय उस कंपनी में नौकरी की लेकिन जब मेरा मन नौकरी से उठ गया तो मैंने सोचा कि मैं अब नौकरी छोड़ देता हूं। मैंने इस बारे में अपने दोस्तों से बात की, मेरे दोस्त कहने लगे कि तुम घर पर क्या करोगे, मैंने उन्हें कहा मेरा नौकरी करने का बिल्कुल मन नहीं है और मैं अपना ही कुछ काम शुरू करना चाहता हूं, वह कहने लगे यह तो तुम अपना खुद का डिसीजन ले रहे हो, तुम देख लो यदि तुम्हें उचित लगता है तो तुम नौकरी छोड़ दो।
मैंने भी काफी समय तक इस बारे में सोचा लेकिन जब मैंने नौकरी छोड़ दी तो उसके बाद मैं काफी समय तक घर पर ही बैठा हुआ था, मुझे यह समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए, मेरे परिवार के सारे सदस्य मुझ पर प्रेशर बनाने लगे और कहने लगे कि तुमने नौकरी क्यों छोड़ दी, तुम दोबारा से कोई नौकरी ज्वाइन कर लो। मुझे भी लगने लगा कि शायद मुझे दोबारा कहीं काम शुरू कर लेना चाहिए लेकिन उसी वक्त मेरे पड़ोस के अंकल ने मुझे कहा कि तुम ट्यूशन क्यों नहीं पढ़ा लेते, तुम छोटे बच्चों को तो ट्यूशन पढ़ा ही सकते हो, मैंने सोचा कि अंकल यह तो ठीक कह रहे हैं, मैं छोटे बच्चों को तो ट्यूशन पढ़ा ही सकता हूं और मेरे घर पर भी काफी जगह है तो मुझे कोई समस्या नहीं आने वाली, फिर मैंने भी ट्यूशन पढ़ाने की सोच ली। शुरुआत में मेरे पास सिर्फ दो बच्चे आते थे लेकिन धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ने लगी और उनकी संख्या बढ़कर 30 हो चुकी है फिलहाल तो मेरा सिर्फ खर्चा निकल जाता है लेकिन मैं खुश हूं कि मैं अपना ही कुछ काम कर रहा हूं। मैं एक दिन बच्चों को पढ़ा रहा था उसी बीच मेरे ऑफिस के दोस्त का फोन आया, वह मुझे कहने लगा राजेश कैसे हो, मैंने कहा दोस्त मैं तो अच्छा हूं तुम बताओ तुम्हारा काम कैसा चल रहा है, वह कहने लगा तुम्हें तो पता ही है नौकरी में कितने बुरे हाल हैं और मैं भी परेशान हूं लेकिन फिर भी नौकरी कर के ही गुजारा कर रहा हूं।
वह मुझसे पूछने लगा तुम क्या कर रहे हो, मैंने उसे बताया कि मैं तो बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगा हूं और अब अपना जेब खर्चा तो निकलने ही लगा है, वह कहने लगा चलो तुमने अच्छा किया तुमने कम से कम हिम्मत तो दिखाई, मैंने उसे कहा कि तुम भी अपना कुछ करने की सोचो तो तुम भी कुछ कर पाओगे, वह कहने लगा सोचना तो बहुत दूर की बात है तुम्हें मालूम है मेरे ऊपर घर की कितनी जिम्मेदारियां हैं इसी वजह से शायद मैं नौकरी छोड़ने की हिम्मत नहीं कर पा रहा हूं। वह काफी परेशान भी लग रहा था, मैंने उसे कहा कि तुम मुझे काफी परेशान लग रहे हो, वह कहने लगा परेशान तो हूं ही क्योंकि अब जिम्मेदारियां बहुत ज्यादा बढ़ने लगी हैं और नौकरी से अब गुजारा नहीं हो रहा है, मैंने उसे कहा तुम कह तो ठीक रहे हो लेकिन कुछ तो तुम्हें करना ही पड़ेगा। मैंने उसे कहा तुम मुझे मिलना उसके बाद मैं तुमसे बात करूंगा, वह कहने लगा ठीक है इस छुट्टी को मैं तुम्हें मिलता हूं, यह कहते हुए उसने फोन रख दिया। मैं भी अब अपना काम करने लगा और उसके बाद रात काफी हो चुकी थी, मैं सोने के लिए चला गया लेकिन मुझे नींद ही नहीं आ रही थी, मैं भी सोच रहा था कि मुझे भी कुछ अच्छा करना चाहिए और उसके लिए मैं ऐसा क्या कर सकता हूं जिससे मैं थोड़ा और अच्छा काम कर पाऊं, मैंने इस बारे में उन्ही अंकल से दोबारा राय ली, वह कल मुझे बहुत मानते हैं और हमेशा मेरी मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं। अंकल कहने लगे बेटा तुम अभी जो कर रहे हो बिल्कुल सही कर रहे हो, धीरे-धीरे तुम्हारे पास और भी बच्चे पढ़ने लगेंगे, तुम्हें खुद ही पता है कि तुम्हारे पास शुरुआत में सिर्फ दो बच्चे आते थे और आज तुम्हारे पास 30 बच्चे आने लगे हैं, धीरे-धीरे इनकी संख्या में भी बढ़ोतरी होगी और हो सकता है कि तुम एक बड़ा ट्यूशन सेंटर ही खोल दो, मैं उनकी बात से बिल्कुल सहमत था और उसके बाद मैंने इस बारे में सोचना छोड़ दिया।
जिस दिन मेरे दोस्त की छुट्टी थी उस दिन वह मुझे मिला और कहने लगा यार मैं बहुत परेशान हो गया हूं, मैंने उसे कहा कि तुम कुछ समय और नौकरी कर लो, मेरे पास यदि बच्चे बढ़ने लगे तो हम लोग ट्यूशन सेंटर ही खोल देंगे, वह भी मेरी बात से खुश हो गया, हम दोनों ज्यादा समय तक नहीं बैठ पाए क्योंकि उसको कहीं जाना था और वह चला गया, मैं भी घर लौट आया। मैं जब घर लौटा तो मेरी मम्मी कहने लगी कि तुमसे कोई मिलने आया था, मैंने उनसे पूछा कि मुझसे कौन मिलने आया तो वह कहने लगी कोई महिला अपने बच्चे को लेकर आई थी और उन्हें ट्यूशन के बारे में बात करनी थी, मैंने अपनी मम्मी से कहा कि क्या आपने उनका नंबर ले लिया है, वह कहने लगी हां उन्होंने मुझे अपना नंबर दे दिया। मैंने अपनी मम्मी से उनका नंबर लिया और उन्हें फोन करते हुए कहा कि मैं घर आ चुका हूं यदि आप मिलना चाहते हैं तो मुझसे मिल सकते हैं, वह कहने लगे कि मैं आपसे शाम के वक्त मिलती हूं। वह मुझसे मिलने के लिए शाम के वक्त आ गई, जब शाम को मैंने उन्हें देखा तो मैं उन्हें बस देखता ही रह गया, उन्होंने जो सूट पहना हुआ था उससे उनका बदन पूरा बाहर की तरफ दिखाई दे रहा था। उन्होंने मुझे कहा मेरा नाम माया है, मैं आपके पड़ोस में ही रहती हूं।
मैंने उनसे कहा हां मैडम कहिए, वह कहने लगी मैं अपने बच्चे को आपके पास पढाना चाहती हूं। मैंने उन्हें कहा आप कल से अपने बच्चे को ले आइए। उनकी नजरे मुझे भी देख रही थी और मैंने उनके इरादे समझ लिए थे। वह अपने बच्चों को मेरे पास पढने के लिए भेजने लगी और कुछ ही दिनों बाद मैंने उन्हें पटा लिया। जब मैंने उनसे अपनी सेटिंग कर ली तो एक दिन मैंने उन्हें अपने घर पर बुलाया। उस दिन हमारे घर पर कोई नहीं था, मैंने सब बच्चों को पढ़ा दिया था। माया भाभी मेरे घर पर आ गई, मैंने जब उन्होंने नंगा किया तो उनका बदन देखकर मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया। मेरा लंड उनकी चूत में जाने के लिए उतारू हो गया, जैसे ही मैंने अपने लंड को माया भाभी के मुंह में डाला तो वह मेरे लंड को सकिंग करने लगी, उन्होंने बहुत अच्छे से मेरे लंड को चूसा, उन्होंने मुझे बहुत मजे दिए। मैंने उनकी चूत को चाटा तो मुझे उनकी चूत को चाटने में बहुत मजा आया, मैंने उनके स्तनों का भी काफी देर तक रसपान किया। मैंने जब अपने लंड को उनकी योनि पर लगाया तो उनकी योनि बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी, मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा लंड जल रहा हो, उनकी योनि से आग बाहर की तरफ निकल रही थी। मैंने भी धीरे से उनकी योनि के अंदर अपने लंड को डालने की कोशिश की और जैसे ही मेरा लंड उनकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो उनके मुंह से हल्की सी आवाज निकली। मैंने उनके दोनों पैरों को चौड़ा किया हुआ था, उनकी गोरी और चिकनी चूत के अंदर मेरा लंड था, मैं अपने लंड को अंदर बाहर करता तो उन्हें भी मजा आ जाता, वह बहुत खुश होती। मैंने उन्हें काफी देर तक चोदा जब मेरा वीर्य गिरने वाला था तो मैंने उनके मुंह के अंदर अपने लंड को डाल दिया। उन्होंने मेरे लंड को काफी देर तक चूसा और मेरे वीर्य को उन्होंने अपने मुंह में ले लिया लेकिन मेरी इच्छा नहीं भरी थी उनका बदन इतना हॉट था कि मुझे उन्हें चोदने की इच्छा एक बार और जाग उठी। मैंने दोबारा से उनके पैर को खोल लिया और उनकी योनि से मेरा वीर्य बाहर की तरफ नकल रहा था, मैंने भी उनकी योनि के अंदर लंड को डाल दिया, जैसे ही मेरा लंड उनकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो वह चिल्लाने लगी, मुझे बहुत मजा आने लगा। मैंने उन्हें बड़ी तेजी से झटके दिए, जब तक हम दोनों की इच्छा नहीं पूरी हो गई तब तक मैं उन्हें चोदता रहा, जब हम दोनों एक दूसरे के शरीर की गर्मी को नहीं झेल पाए तो मैंने अपने वीर्य को माया भाभी के स्तनों पर गिरा दिया।