antarvasna, desi chudai ki kahani
मेरा नाम सचिन है मैं मुजफ्फरनगर का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 22 वर्ष है। मैं बचपन से ही बहुत शरारती हूं। हमेशा ही मेरे शरारतो की वजह से मेरे परिवार वालों को शर्मिंदा होना पड़ता है लेकिन मुझे शायद उन लोगों की बिल्कुल भी परवाह नहीं है और मैं अपनी शैतानियो से अब तक बाज नहीं आया हूं। मेरे पिताजी पुलिस में है उन्होंने मुझे कई बार मेरी शरारतो की वजह से बाहर बदनाम होने से बचाया लेकिन उसके बावजूद भी मैं सुधरने का नाम नहीं ले रहा था। मेरे दोस्त लोग भी बड़े ही शैतान हैं। मेरी जब से प्रशांत के साथ दोस्ती हुई है उसके बाद से तो जैसे मैं और भी ज्यादा खुला सांड बन चुका हूं। मेरी दोस्ती प्रशांत से कमलेश ने करवाई थी। कमलेश मेरे साथ स्कूल में पढ़ता था और वह मेरे साथ कॉलेज में भी पढ़ाई कर रहा है। वह भी एक नंबर का शैतान है लेकिन एक बार बहुत ज्यादा ही बड़ी गलती हम लोगों से हो गई। हम लोग प्रशांत की कार में घूमने के लिए जा रहे थे हम लोगों ने उस दिन ड्रिंक भी की हुई थी। हम लोग नशे में थे।
प्रशांत ने कहा कि यार गाड़ी में पेट्रोल खत्म होने वाला है हम लोग गाड़ी में पेट्रोल भरवा लेते हैं। मैंने उससे कहा आगे ही एक पेट्रोल पंप है हम लोग वहां पर पैट्रोल भरवा लेते हैं। जब हम लोगों ने वहां पर पेट्रोल भरवाया। जैसे ही उसने पेट्रोल का टैंक फुल किया तो प्रशांत ने गाड़ी आगे दौड़ा दी। जब प्रशांत ने गाड़ी आगे दौड़ाई तो वह लोग भी हमारे पीछे दौड़ने लगे। उस दिन हम लोग नशे में ज्यादा ही थे इस वजह से प्रशांत गाड़ी को संभाल नहीं पाया और वह एक कोने में जाकर टकरा गया। जैसे ही गाड़ी कोने से टकराई तो मेरा सर आगे की तरफ लग गया और मैं वहीं पर बेहोश हो गया। मुझे उसके बाद कुछ भी याद नहीं था। मेरी जब आंख खुली तो मैं उस वक्त अस्पताल में था। मैं थोड़ी देर तक तो कुछ समझ ही नहीं पाया और मैंने किसी से भी बात नहीं की। मेरे सामने ही मेरे पिताजी बैठे हुए थे और वह बहुत गुस्से में थे लेकिन उस वक्त उन्होंने अपने गुस्से को कंट्रोल में किया हुआ था। मेरी मम्मी मुझसे पूछने लगी सचिन तुम कब सुधरोगे क्या तुम अब भी हमारी बदनामी करवाते रहोगे।
जब मेरी मम्मी ने मुझसे यह बात कही तो मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आया और मुझ पर दवाइयों का इतना ज्यादा असर था कि मैं उसके बाद सो गया। मैं जब दोबारा उठा तो मैंने जब अपने सर पर हाथ लगाया तो मेरे सर पर पट्टी लगी हुई थी। मुझे ठीक होने में कुछ दिन लग गए लेकिन जब मैं ठीक हुआ तो उसके बाद तो जैसे मेरे परिवार वालों ने मुझ पर हमला ही बोल दिया और वह सब लोग मुझ पर बरस पड़े। सबसे पहले तो मेरे पिताजी ने मुझे सुनाना शुरू किया वह कहने लगे यदि उस दिन मैं समय पर नहीं पहुंचता तो तुम लोगों की जान चली जाती। मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं एक कान से सुन रहा था और दूसरे कान से उनकी बातों को निकाल रहा था लेकिन जब उन्होंने मुझे बताया कि प्रशांत बहुत ही ज्यादा सीरियस है और उसके दोनों पैर भी टूट चुके हैं तब मुझे लगा कि हमसे यह बहुत बड़ी गलती हो गई। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था। मेरी मम्मी ने भी उसके बाद मुझे बहुत डांटा और बहुत ही सुनाया। मैं जब ठीक हुआ तो मेरा जैसे घर से बाहर निकालना ही मुश्किल हो गया था और मेरे पापा ने मुझसे बात करनी भी बंद कर दी। मैं प्रशांत से मिलने के लिए जाना चाहता था लेकिन मेरे पापा ने मुझे घर से बाहर ही नहीं भेजा उन्होंने कहा कि अब तुम घर पर ही रहोगे। मैंने कॉलेज भी छोड़ दिया था और मैं घर पर ही रहता हूं। मेरे परिवार वालों का मुझ पर से पूरा भरोसा खत्म हो चुका था। मैं अपने आप को अकेला महसूस करने लगा। मुझे अपनी गलती का एहसास होने लगा और मैं सोचने लगा कि मुझे प्रशांत का उस दिन साथ नहीं देना चाहिए था लेकिन प्रशांत ने पता नही उस दिन ऐसा क्यों किया। मेरे दिमाग में सिर्फ यही बात घूम रही थी परंतु अब जो होना था वह तो हो चुका था लेकिन इस वजह से मेरे परिवार की नजरों में मेरी छवि गिर गई थी और जो भी रिश्तेदार हमारे घर पर आता वह सब मुझे ऐसे देखते जैसे कि मैं कोई बड़ा बदमाश हूं।
मैं बहुत दिनों तक घर पर ही रहा और इस बीच में मेरा किसी के साथ भी संपर्क नहीं हो पा रहा था। मैंने एक दिन अपनी मम्मी से बात की और कहा कि मुझे बाहर जाना है मैं काफी दिनों से घर पर ही हूं और कहीं बाहर भी नहीं गया। मेरी मम्मी कहने लगी हम क्या तुम्हें बाहर भेजकर दोबारा से कोई मुसीबत अपने सर मोल ले ले। हम लोग नहीं चाहते कि अब तुम घर से बाहर जाओ तुम घर पर ही रहो और तुम्हें जो भी करना है तुम घर पर करो। मैं बाहर जाने के लिए तड़प रहा था। मुझे उस दिन एहसास हुआ की मैंने कितना गलत किया। मैंने एक दिन अपने पापा से बात की मैंने उन्हें कहा कि आप मुझे बाहर जाने दीजिए। वह मुझ पर बहुत गुस्सा हो गए और कहने लगे नहीं मैं तुम्हें बाहर नहीं जाने दे सकता। मैंने भी सोच लिया था कि मुझे अब किसी भी हालत में घर से बाहर जाना है। एक दिन रात के वक्त मैं घर से बाहर चला गया। मैं जब बाहर टहल रहा था तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कितने दिनों बाद मैं जेल से आजाद हुआ हूं और मैं अपनी छाती चौड़ी कर के बाहर टहलने लगा। मैंने एक पनवाड़ी से सिगरेट लिया। मैंने उसे पैसे दिए और कहा कि तुम इतनी रात तक अभी दुकान खोलकर बैठे हो। वह कहने लगा रात को ही मेरे पास लोग आते हैं।
मै पनवाड़ी की दुकान मे खड़ा होकर सिगरेट पी रहा था। तभी सामने से बड़ी सी गाड़ी आई। उसमें एक सुंदर सी महिला बैठी हुई थी। उसने उस पनवाड़ी को आवाज देते हुए कहा मुझे एक सिगरेट दो। उस पनवाड़ी ने उसे एक लंबी सी सिगरेट दी। वह अपनी गाड़ी क अंदर सिगरेट पीने लगी। मै उसे बडे ध्यान से देख रहा था। वह भी मुझे ऐसे घूर रही थी जैसे कि मुझे कच्चा ही चबा जाएगी। यह सिलसिला 5 मिनट तक चलता रहा। जब उसने मुझे अपनी कार में बैठने के लिए कहा तो मैं उसके साथ उसकी कार में बैठ गया। मैं जैसे ही उसकी कार के अंदर बैठा तो उसने बड़ी ही छोटी सी ड्रेस पहनी हुई थी। मैं पहले अपनी सिगरेट पी। मैंने जब उसकी नंगी टांगों पर अपने हाथ को रखा तो वह अपने आपको ज्यादा समय तक नहीं रोक पाई। उसने गाड़ी को एक कोने मे लगाते हुए मुझे किस करना शुरू कर दिया। उसके मुंह से हल्की शराब की स्मेल आ रही थी। हम दोनों ने एक दूसरे को ऐसे किस किया जैसे हम दोनों एक दूसरे के लिए तड़प रहे हो। उसने मुझे कहा हम पीछे वाली सीट में चलते हैं। हम दोनो पीछे वाली सीट में चले गए। उसने अपनी ड्रेस को ऊपर उठाते हुए मुझे कहा मेरी योनि को तुम अच्छे चाटो। जब मैंने उसकी योनि को बड़े ही अच्छे तरीके से चाटा तो उसकी चूत बाहर की तरफ पानी छोडने लगी। मैंने उसके पानी को पूरा अंदर अपने मुंह में ले लिया। मैंने उसकी योनि का रसपान बहुत देर तक किया। मुझे बहुत मजा भी आया जब मैंने अपने मोटा लंड को उसकी योनि पर लगाया तो उसकी योनि से गर्म पानी छूट रहा था। मैंने भी तेज झटका देते हुए उसकी गरमा गरम योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो वह चिल्ला उठी और मुझे कहने लगी तुम्हारा लंड बड़ा ही मोटा है। तुम ऐसे ही मुझे झटके देते रहो। मैंने उसे ऐसे ही धक्का देना जारी रखा मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और बड़ी तेज गति से उसे चोदना जारी रखा। उसकी योनि से लगातार पानी बाहर की तरफ निकल रहा था। मैंने जब उसकी ड्रेस के अंदर हाथ डालते हुए उसके स्तनों को बाहर निकाला तो मैंने उसके स्तनों को भी काफी देर तक चूसा। उसके स्तन चूसने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था और मै उसे तीव्र गति से धक्के देता। मुझे उसे धक्के देने में भी बहुत आनंद आ रहा था। मैं कुछ देर तक ही उसके साथ संभोग कर पाया। जब हम दोनों की इच्छा भर गई तो उसने मुझे दोबारा वही छोड़ दिया। मैं हमेशा रात को उसी पनवाड़ी के पास उस महिला का इंतजार करता। वह हमेशा आती है और मुझे अपने हुस्न का जाम पिला कर चली जाती है।