antarvasna, kamukta kahani
मेरा नाम सुरेंद्र है मैं मुंबई में रहता हूं, मेरी उम्र 34 वर्ष है। मुझे मुंबई में आए हुए 10 वर्ष हो चुके हैं, मेरे मुंबई में आने के पीछे भी एक बहुत बड़ी घटना है, जिसने मुझे मुंबई आने पर विवश कर दिया। मैं अपने गांव में बहुत खुश था और मेरे माता-पिता भी उस वक्त बहुत खुश थे लेकिन जब मेरे माता-पिता का देहांत हुआ तो मेरे भैया भाभी ने मुझसे सब कुछ हथिया लिया, उन्होंने सब कुछ अपने कब्जे में कर लिया, मुझे वह लोग खाना भी नहीं देते थे। वह लोग सिर्फ यही चाहते थे कि मैं किसी तरीके से बस घर से कहीं दूर चला जाऊं, मुझे बहुत ज्यादा दुख हुआ जब मेरे सगे भाई ने मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया, मुझे अपने भाई पर बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि मेरी भाभी तो पहले से ही लालची थी लेकिन मुझे अपने भाई से बिल्कुल भी ऐसी उम्मीद नहीं थी।
वह मुझे हमेशा ही कहता था कि मैं तुम्हारा बहुत ध्यान रखूंगा लेकिन जब उसने मेरे साथ इस प्रकार का व्यवहार किया तो मैं उसके स्वभाव से बहुत आहत हुआ और मैंने तय कर लिया कि मैं अब कहीं और चला जाऊंगा, उसके बाद मैंने मुंबई जाने का फैसला कर लिया। मैं जब मुंबई पहुंचा तो मैं ज्यादा किसी को भी नहीं पहचानता था लेकिन उस वक्त मेरी मुलाकात एक महिला से हो गयी वह बहुत ही अच्छी महिला हैं उनकी भी कोई संतान नहीं थी इसलिए मैंने उनकी बहुत देखभाल की और उसके बदले उन्होंने मुझे अपनी मुंबई की सारी प्रॉपर्टी दे दी, वह भी मेरे साथ रहती हैं और मैं उनकी बहुत देखभाल करता हूं क्योंकि उन्होंने ही मुझे सहारा दिया और मुझे इस काबिल बनाया कि मैं कुछ काम करूं। मैं जब भी उनके साथ बैठकर अपनी पुरानी जिंदगी की बात करता हूं तो वह मुझे हमेशा कहते हैं कि अब तुम अपने पुराने समय को भूल जाओ और अब आगे बढ़ने की कोशिश करो, तुम अब बहुत आगे निकल चुके हो यदि तुम पलट कर देखोगे तो यह तुम्हारे लिए ही हानिकारक होगा और हो सकता है कि तुम बहुत ही नुकसान में रहो। हमेशा ही मेरे दिल में यह बात आती कि मुझे एक बार अपने गांव जरूर जाना चाहिए और गांव जाकर अपने भाई और भाभी को सबक सिखाना है, अब मैं इतना सक्षम तो हो चुका था।
मैं कई बार सोचता कि मैं अपने गांव जाऊँ लेकिन मैं अपने काम के चलते अपने गांव नहीं जा पा रहा था। मैंने अभी तक शादी नहीं की क्योंकि मेरे दिल में यह बात बैठ चुकी है कि यदि मैं शादी करूंगा तो शायद मेरी आने वाली पीढ़ी भी इसी प्रकार से एक दूसरे के साथ धोखा करेगी इसलिए मैंने शादी के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचा और मैं चाहता भी नहीं की मैं शादी करूं। मैंने अपना काम भी अच्छा खासा जमा लिया है और मुझे पैसे की भी कोई दिक्कत नहीं है इसीलिए मैंने एक दिन निर्णय कर लिया कि मैं अब अपने गांव जाऊंगा और अपने भैया की स्थिति देखूंगा। उन्होंने मेरे साथ इतना कुछ अन्याय किया, मैं भी एक बार उनसे मिलकर इस बारे में जरूर पूछना चाहता था इसीलिए मैं अपने गांव जाने के लिए तैयार हो गया। जब मैं अपने गांव पहुंचा तो मैंने वहां का माहौल देखा, वहां पर बहुत कुछ चीजें पहले जैसे नहीं थी क्योंकि इतने सालों बाद सब कुछ वहां बदल चुका था। मेरी भी शक्ल सूरत पहले जैसी नहीं थी, मैंने भी अब अपनी दाढ़ी बहुत ज्यादा बड़ी कर ली जैसे कि यदि मुझे किसी ने पहले देखा होगा तो शायद वह भी मुझे पहचान नहीं पाएगा। मैं अपनी पुरानी चाय की दुकान पर बैठा तो वह पहले के जैसे ही थी, वह बिल्कुल भी बदली नहीं थी और उस में काम करने वाले व्यक्ति की भी शक्ल में बिल्कुल भी बदलाव नहीं था। मैंने जब उसे कहा कि काका मेरे लिए एक चाय बना देना तो उसने मेरे लिए गरमा गरम चाय बनाई, मैंने वह चाय पी और चाय पीते पीते मैंने उससे पूछा कि गांव में एक राजेंद्र नाम के व्यक्ति हैं क्या आप उन्हें पहचानते हैं, वह कहने लगे हां मैं उन्हें पहचानता हूं लेकिन काफी समय से वह बहुत बीमार चल रहे हैं, मैं उन्हें काफी समय से मिला नहीं हूं, पहले तो वह हमेशा दुकान पर चाय पीने आ जाते थे लेकिन काफी समय हो गया जब से वह दुकान पर नहीं आए हैं। मैंने उनसे पूछा कि क्या उनके बच्चे भी हैं, वह कहने लगे उनके दो छोटे बच्चे हैं। मैं पूरी तरीके से आश्वस्त हो चुका था कि वह मेरे भैया ही हैं, मैंने उस चाय वाले को पैसे दिए तो वह मुझसे पूछने लगा कि तुम कौन हो, मैंने उसे अपना परिचय नहीं दिया और कहा कि बस ऐसे ही वह मेरे परिचित है, मैंने सोचा आप उन्हें पहचानते होंगे तो आपसे मैंने पूछ लिया।
मैं अब वहां से चला गया, जब मैं अपने भैया और भाभी के घर पर गया तो मैंने अपने भैया की स्थिति देखी तो उनकी स्थिति को देख कर मुझे ऐसा लगा कि उन्होंने जैसा मेरा साथ किया शायद उन्हें उसी का फल मिल रहा है। मेरी भाभी भी बड़ी दुबली पतली हो चुकी थी, उन्होंने मुझे पहचाना नहीं। मैंने जब अपना परिचय दिया तो वह लोग मुझे देखकर हक्के बक्के रह गए और कहने लगे तुम इतने सालों बाद कैसे वापस आ गए। मेरे भाई और भाभी मुझसे क्षमा मांगने लगे और कहने लगे हम दोनों ने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया, शायद उसी का फल हमें मिल रहा है। मैंने अपने भैया से कहा कि यदि आपने मेरे बारे में सोचा होता तो शायद आप लोग कभी ऐसा नहीं करते, मैंने उन्हें कहा लेकिन वह पुरानी बात हो चुकी है अब उसे भूलने में ही फायदा है। उन लोगों का रवैया मेरे लिए थोड़ा बहुत तो बदल चुका था, उन्होंने मुझे घर पर ही रुकने के लिए कहा। मैं अपने भाभी से रात को बात कर रहा था, उन्होने मुझे कहा मैने बहुत ही गलत किया, मैंने तुम दोनों भाइयों के बीच में दरार पैदा कर दी और तुम्हें भी कहीं का नहीं छोड़ा।
मैंने कहा मैं तो अब संपन्न हो चुका हूं मुझे किसी भी चीज की कमी नहीं है लेकिन मुझे अपनी भाभी से बहुत ज्यादा नफरत थी। मैंने उन्हें कुछ पैसे देते हुए कहा मैं आपकी गांड मारना चाहता हूं। वह पैसे देखकर एकदम से ललचा मे आ गई क्योंकि उनके अंदर का लालच वैसे का वैसा ही था वह बिल्कुल भी नहीं बदली थी। वह मुझसे अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार हो गई और कहने लगे तुम मेरी गांड मार लेना। मैंने भी उन्हें कमरे में पूरा नंगा कर दिया वह पहले जैसे तो नही थी लेकिन फिर भी उनमें थोड़ी बहुत जवानी बची हुई थी। मैंने उनसे काफी देर तक अपने लंड को चुसवाया, मैंने उन्हें अपने वीर्य को मुंह के अंदर लेने के लिए कहां उन्होंने मेरे वीर्य को अपने मुंह के अंदर ले लिया और बड़े अच्छे से उन्होंने मेरे लंड को चाटा। मैंने जब उन्हें कहा कि आप मेरे लंड पर सरसों का तेल लगा लीजिए ताकि आपकी गांड मारने में मुझे आसानी हो। उन्होंने मेरे लंड पर तेल लगा लिया वह मुझे कहने लगी अब आप मेरी गांड मार लीजिए। मैंने भी उनकी गांड के अंदर अपने लंड को डाला तो मैं अपने पुराने दिन याद करने लगा और उनकी गांड से मैंने खून निकाल दिया। मैंने बड़ी ही तेज गति से उनकी गांड मारना जारी रखा, मैंने उनकी गांड के घोड़े खोल कर रख दिए मैने बड़ी तेज गति से उन्हें धक्के मारे। वह मुझे कहने लगी आपने तो मेरी गांड ही फाड़ कर रख दी। मैंने अपनी भाभी से कहा आपने भी कम अन्याय नहीं किया है मेरे साथ मैने भाभी से कहा अपनी गांड को मेरे लंड से टकराते रहिए। उन्होंने मेरे लंड से अपनी गांड को टकराना प्रारंभ किया, मैंने बड़ी तेजी से झटक मारे, जब मेरा वीर्य पतन हुआ तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और दोबारा से हिलाना शुरू किया मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया। मैंने दोबारा से उनकी गांड के अंदर अपने लंड को डाल दिया और जैसे ही मेरा लंड उनकी गांड के अंदर घुसा तो वह चिल्ला उठी और कहने लगी आपने तो मेरी गांड फाड़ दी। मैंने उन्हें बड़ी तेजी से झटके मारे, मैंने उन्हें 5 मिनट तक अच्छे से झटके मारे जिससे कि उनकी गांड के पूरे घोड़े खुल चुके थे। वह मुझे कहने लगी आज मेरी इच्छा पूरी कर दी और जब मेरा वीर्य पतन होने वाला था तो मैने उनकी चूतडो के ऊपर अपने वीर्य को गिरा दिया। वह बहुत ही खुश नजर आ रही थी उनके अंदर का लालच अब भी वैसा ही था।