antarvasna, kamukta मेरा नाम केशव है मैं पटना का रहने वाला हूं मेरी उम्र 40 वर्ष की है और मेरी परचून की दुकान है, मेरी परचून की दुकान अच्छी चलती है और मेरे पास कस्टमरो की हमेशा भीड़ लगी रहती है, मुझे पैसे की भी कोई कमी नहीं है लेकिन मेरे जीवन में कमी है तो सिर्फ कोई मेरा ध्यान रखें इस चीज की मुझे कमी है लेकिन यह तो शायद कभी पूरी नहीं हो सकती थी क्योंकि मेरी शादी को हुए 5 वर्ष हो चुके थे उसके बाद मेरा और मेरी पत्नी के बीच में डिवोर्स हो गया हम दोनों के बीच कभी भी बात नहीं बनी वह एक कंपनी में जॉब करती हैं उसके विचार और मेरे विचारों में बहुत अंतर है हालांकि जब मैं उसे देखने गया था तो उस वक्त उसने मुझे कहा था कि मैं हमेशा आपका ध्यान रखूंगी और मैंने भी उसे लगभग अपने बारे में सब कुछ बता दिया था परंतु ना जाने बाद में उसके और मेरे बीच में क्यों बात नहीं बनी और हम दोनों का डिवोर्स हो गया।
जब से मेरा डिवॉर्स हुआ है तब से मैं ज्यादातर समय अपनी दुकान पर ही रहता हूं, शाम के वक्त मेरे कुछ दोस्त मेरी दुकान पर आ जाया करते हैं और हम लोग दुकान के अंदर ही मेरा एक कमरा है वहां पर हम लोग शराब पिया करते हैं, मेरी अब यही दिनचर्या बन चुकी थी और ऐसा करते हुए मुझे दो वर्ष हो चुके थे लेकिन मुझे कई बार ऐसा लगता कि मुझे किसी न किसी की तो जरूरत है क्योंकि मेरे घर में सिर्फ मेरी एक बूढ़ी मां है और उनकी देखभाल के लिए मैंने एक नौकरानी घर पर रखी है लेकिन मुझे भी किसी की आवश्यकता थी जो कि मेरा ध्यान रख सके कई बार मैंने शादी करने की सोची लेकिन मुझे कोई लड़की नहीं मिली क्योंकि मेरी उम्र भी हो चुकी है और मैं जब भी कोई लड़की देखने जाता तो मुझे वह पसंद नहीं आती पर शायद मेरी किस्मत में कुछ और ही लिखा था, मेरी दुकान में एक महिला हमेशा आया करती थी और वह जब भी मेरी दुकान से सामान लेकर जाती तो वह पैसे देती और चुपचाप दुकान से चली जाती वह सिर्फ कहती कि भैया यह सामान दे दो और उसके बाद वह चली जाती वह किसी से भी कोई बात नहीं करती थी उसके चेहरे पर एक परेशानी सी दिखाई देती थी, मैंने शायद उसकी इस परेशानी को देख लिया था और एक दिन मैंने इस बारे में उस महिला से बात की, मैंने उसका नाम पूछा उसका नाम लता है।
मैंने उसे कहा आप बहुत ज्यादा परेशान रहती हैं, वह कहने लगी नहीं ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं है आपको कैसे लगा, मैंने उसे कहा आपके चेहरे को देख कर लगता है कि आप शायद किसी परेशानी से जूझ रही हैं उसने मुझे कुछ भी नहीं बताया और वह दुकान से चली गई लेकिन जल्द ही मुझे उसके बारे में पता चल गया क्योंकि मेरी दुकान में एक व्यक्ति था जो उसे पहचानते थे जब मैंने उनसे लता के बारे में पूछा तो वह कहने लगे वह बेचारी तो सिर्फ अपना जीवन काट रही है वह बहुत ज्यादा परेशान है क्योंकि उसके ससुराल वाले उसे बिल्कुल पसंद नहीं करते, मैंने उनसे पूछा लेकिन ऐसा क्यों है वह तो बात करने में बड़ी ही व्यवहारिक हैं और वह बड़ी अच्छी हैं, वह कहने लगे कि उस बेचारी की तो शायद किस्मत ही खराब है क्योंकि उसके पति और उसने प्रेम विवाह किया था और उसके कुछ समय बाद ही उसके पति की मृत्यु हो गई जिससे कि उसके ससुराल वाले उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करते वह तो सिर्फ एक नौकरानी की जिंदगी जी रही है और बस अपना जीवन यापन कर रही है। मुझे यह सुनकर बड़ा ही बुरा लगा मैं तो सोचता था कि शायद मेरे साथ ही कुछ गलत हुआ है लेकिन उसे देख कर मुझे भी ऐसा ही लगा कि उसके साथ भी बहुत गलत हुआ है, लता जब भी दुकान पर कोई सामान लेने आती तो मैं उससे बात करने की कोशिश करता लेकिन वह मुझसे बात ही नहीं किया करती थी वह चुपचाप चली जाया करती परंतु मैंने तो सोच लिया था कि मैं लता से बात कर के ही रहूंगा। एक दिन मैंने लता से बात कर ली और उसे मैंने कहा कि क्या तुम मेरे साथ कुछ देर बात सकती हो, वह कहने लगी कि लेकिन मैं तो आपको अच्छे से जानती ही नहीं हूं, मैंने लता से कहा लेकिन फिर भी हम दोनों एक दूसरे के साथ अच्छा समय तो बिता ही सकते हैं।
मैंने भी लता को अपने बारे में बताया और उसे कहा कि यदि तुम्हें कोई परेशानी ना हो तो आज शाम को हम लोग मिल सकते हैं, लता कहने लगी ठीक है मैं देखती हूं, मुझे बिल्कुल यकीन नहीं था कि लता मुझसे मिलने के लिए आ जाएगी जब वह मुझसे मिलने आई तो मैं उसे लेकर एक मॉल में चला गया और वहां पर हम दोनों मॉल के कोर्ट में बैठे रहे, मैंने लता को अपने बारे में सब कुछ बताया और उसे बताया कि किस प्रकार से मेरा डिवोर्स हुआ, वह मुझे कहने लगी लेकिन आप तो बड़े ही अच्छे हैं और आप की पत्नी ने आपके साथ ऐसा क्यों किया, मैंने उसे बताया कि हम दोनों के विचार बिल्कुल भी नहीं मिलते थे और इस वजह से हम दोनों ने अलग होना ही बेहतर समझा और तब से मैं अकेला ही रह रहा हूं। मैंने लता से कहा कि मैंने भी तुम्हारे बारे में सुना है मुझे सुनकर बहुत बुरा लगा लेकिन तुम एक अच्छी महिला हो और तुम्हें जब भी मैं देखता हूं तो हमेशा मुझे लगता है कि तुम्हारे साथ बहुत गलत हुआ है लेकिन तुम कुछ कर क्यों नहीं लेती जिससे कि तुम अपने पैरों पर खड़े हो जाओ, लता मुझे कहने लगी सोचा तो मैंने भी था लेकिन मेरी हिम्मत ही नहीं हो पाई जब से मेरे पति की मृत्यु हुई है तब से तो मैं पूरी तरीके से टूट गई हूं और मेरे ससुराल वाले तो मुझे किसी भी तरीके से सपोर्ट नहीं करते, मैंने लेता से कहा तुम्हें अब इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है जब भी कोई जरूरत हो तो तुम मुझसे कह सकती हो, लता कहने लगी लेकिन मैं तो आपको अच्छे से भी नहीं जानती।
लता और मैं अब एक दोस्त बन चुके हैं लता भी एक अच्छी कंपनी में नौकरी करने लगी, वह दुकान पर आती तो हमेशा मुझसे मुस्कुरा कर बात करती और कहती कि यह सब आपकी वजह से ही हो पाया है। मैं और लता एक साथ समय बिताने लगे थे और जब भी मौका मिलता तो हम दोनों घूमने के लिए कहीं साथ में चले जाया करते मेरे जीवन का अकेलापन भी भरने लगा था और लता को भी मेरा साथ मिलने लगा तो वह भी हमेशा मुझे कहती कि जब भी आप मेरे साथ होते हो तो मुझे किसी भी तरीके की कोई दिक्कत नहीं होती। मैंने लता से शादी की बात करना उचित नहीं समझा क्योंकि मुझे लगा कि कहीं वह यह ना सोचें कि कहीं यह मेरे साथ समय इसीलिए तो नहीं बिता रहा था इसलिए मैंने कभी लता को इस बारे में नहीं कहा लेकिन मैं तो लता से शादी करना चाहता था, मैंने भी कभी उससे यह बात नहीं कही। हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी समय बिताने लगे थे एक दिन लता ने मुझसे कहा कि केशव मुझे आपके साथ में बहुत अच्छा लगता है क्या आप मुझे अपना सकते हैं? लता के मुंह से यह बात सुनकर मैं भी खुश हो गया और मैंने उसे गले लगा लिया मैंने उससे कहा मैं तो कब से तुम्हें यह बात कहना चाहता था लेकिन मेरी हिम्मत ही नहीं हो पाई परंतु तुमने अब अपने मुंह से यह बात कह कर मुझे खुश कर दिया है। मैं और लता एक साथ काफी समय बिताते एक दिन मैने लता को अपनी मां से मिलवाया क्योंकि मेरे परिवार में कोई भी नहीं था इसलिए मैंने सोचा मैं लता को अपनी मां से मिलवा देता हूं।
उस दिन लता को अपनी मां से मिलकर बहुत अच्छा लगा लता जब मेरे रूम में आई तो उसने मेरे कमरे को देखा और कहने लगी आप तो अपने कमरे की बड़ी ही देखरेख करते हैं। मैंने उसे कहा हां मुझे सामान को व्यवस्थित रखना बहुत पसंद है। लता और मैं बिस्तर पर बैठ गए वह मुझसे कुछ ही दूरी पर बैठी हुई थी लता ने जब मुझे कहा आप इतनी दूर क्यों बैठे हुए हैं तो मैं लता के पास आकर बैठ गया और उसे चिपकने लगा। हम दोनों के शरीर से गर्मी निकलने लगी ना तो मुझसे बर्दाश्त हो पाई और ना ही लता से बर्दाश्त हुई। मैंने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और लता के होठों को चूमने लगा। लता को किस करना बहुत अच्छा लगने लगा, मैं उसके होठों को बड़े जोश में चूसने लगा मैंने उसे नीचे लेटा दिया जब उसने मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ा तो उसे भी अच्छा महसूस होने लगा। वह मेरे लंड को अपने हाथों से हिलाने लगी काफी समय बाद किसी ने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया था, जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेने की बात की तो मैंने भी उसके मुंह में अपने को डाल दिया वह अच्छे से मेरे लंड को सकिंग करने लगी। वह जब सकिंग करने लगी तो मेरा जोश बढने लगा, मैंने जब उसके दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए उसकी चूत में लंड डाला तो वह मचलने लगी।
वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा है और मुझे भी बहुत ज्यादा मजा आने लगा था लता और मैं एक दूसरे का साथ पूरे अच्छी तरीके से दे रहे थे। जिस प्रकार से मैं उसकी चूत पर प्रहार करता उसे भी अच्छा लगता जब मैंने उसे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया तो उसे भी बहुत अच्छा महसूस होने लगा, मैंने अपने वीर्य को उसकी योनि के अंदर गिरा दिया। उस दिन हम दोनों ने एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा लिया कुछ ही दिनों बाद मैने लता को अपने घर पर दोबारा से बुलाया और उसके साथ मैंने एनल सेक्स किया। उसकी गांड मारने में मुझे जो मजा मिला वह मैंने कभी सोचा भी नहीं था क्योंकि कई सालों बाद मैंने किसी की गांड मारी थी। जब मैंने लता को कहा कि पहले मैंने अपनी पत्नी की भी गांड मारी थी तो वह कहने लगी अब तुम मुझसे कभी अपनी पत्नी की बात मत किया करो, आज के बाद मैं ही तुम्हारी पत्नी हूं। उसकी यह बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गया, मैने लता को गले लगा लिया।