उसने मेरे एक पैर को उठाकर अपने कंधे पर रखा.. जिससे मेरी चूत के होंठ खुल गए और उसने अपने लंड को मेरी चूत पर टिकाकर फिर से धक्का मार दिया और उसका पूरा लंड मेरी गहरी चूत के अंदर समाता चला गया आह्ह्ह्हह्ह चोदो मुझे और चोदो मुझे अमित..
फिर उसने अपने लंड को अंदर डालते ही ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए और उसका पूरा लंड मेरी चूत में अंदर बाहर आ जा रहा था. तो थोड़ी देर तक तो अमित मुझे नीचे बड़े आराम से चोद रहा था फ़िर अचानक उसके धक्के तेज़ होने लगे और फिर तेज़ होते ही चले गए. उसने अपना वीर्य मेरी चूत में ही छोड़ दिया और अब हम दोनों वहीं सोफे पर पड़े रहे और वो मेरे बूब्स पर सर रखकर लेटा हुआ था और मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था.. में उसके बालों में उंगलियों से सहला रही थी.
फिर उसने मुझे देखा और मैंने उसके चेहरे पर किस किया और थोड़ी देर में एक बार उसने मुझे और चोदा और फिर चला गया. फिर में उठी में नहाकर बाहर निकली और कुछ नाश्ता बनाकर ख़ाकर फिर बैठक रूम में आ गई और में दोबारा टीवी पर फिल्म देखने लगी.
अब मैंने एक सफेद कलर की कॉटन कमीज़ पहनी हुई थी और नीचे पेंटी पहन ली थी.. वो कमीज़ थोड़ी लंबी थी तो नीचे कुछ नहीं पहना था.. कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि कमीज़ मेरी जांघो के ऊपरी हिस्से तक की थी. में वापस सोफे पर बैठ गई और फिर से दरवाजे पर घंटी बजी और मेरी दिल की धड़कने तेज़ हो गई में उठी और दरवाजा खोलने गई. तो मैंने देखा सामने रशीद खड़ा हुआ था और में हैल्लो कहकर अंदर आ गई.. वो भी मेरे पीछे पीछे अंदर आ गया. मैंने झुककर सेंटर टेबल पर रखे रिमोटे को उठाया ही था कि एक घटना हो गई..
रशीद ने मेरे घर के दरवाजे को तो बंद कर दिया था और वो मेरे बिल्कुल पीछे पीछे चल रहा था और जैसे ही में थोड़ा झुकी उसने मेरी कमीज़ को ऊपर उठाकर मेरी चूतड़ो पर किस कर दिया और में शरमा गई. तो उसने मौका देखते ही मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी और खींच लिया और में ना चाहते हुए भी उससे सट गई..
उसके पास से एक खुश्बू आ रही थी. तो मैंने उसकी आँखों में देखा कि वो मुझे प्यार करने के मूड से आया था और में भी उसे प्यार करना चाह रही थी. फिर उसने मुझे दोनों हाथों से कमर से पकड़ लिया. में पीछे मुड़ी और अपनी दोनों बाहें उसके गले में डालकर उससे प्यार करने लगी और में उसको किस करने लगी.
फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुहं के अंदर डाल दी और में उसको चूसने लगी और हम दोनों एक दूसरे में समाने लगे.. फिर उसने मेरी कमीज़ उतार फेंकी और मेरी पेंटी भी एक तरफ डाल दी. में उसकी बाहों में नंगी मचल रही थी और मैंने रूम में लगे कांच में देखा तो मुझे खुद से शरम आ गई.
में कैसे एक मर्द की बाहों में इस तरीके से मचल सकती थी.. लेकिन वो कहते है ना कि जब किसी लड़की पर जवानी का जोश चड़ता है तो वो किसी भी हद तक जा सकती है. फिर उसने मुझे सोफे पर लेटा दिया और मेरे पूरे शरीर को अपने चुम्बनों से साराबोर करने लगा. उसके किस मुझे मदहोश कर रहे थे.. उसके होंठ जब मुझे छूते तो मेरे पूरे शरीर में नई उमंग दौड़ जाती थी. मेरी कमर पर उसने जब जीभ से छुआ तो मेरी जान सी निकल गई.
फिर धीरे धीरे वो मेरी चूत के आस पास जीभ से छूने लगा और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और फिर मैंने अपनी दोनों जाँघो को रशीद के लिए पूरा खोल दिया.. जिससे मेरी चूत को वो अच्छी तरह से चूस सके और चोद सके. फिर उसने अपनी जीभ मेरी चूत के चारों और चलाई और फिर मेरी जाँघो को होंठो से चूमते ही मेरी चूत के होंठो को अपनी जीभ से छुआ उफफफ्फ़ आहहहह माँ क्या एहसास था? म
ें आपको शब्दों में बता नहीं सकती और फिर मेरी चूत तो जैसे गीली होकर बाहर निकल जाना चाह रही थी और उसके इस जादू का यह प्रभाव था कि मेरी कमर अपने आप ही मटकने लगी थी और मेरा पूरा शरीर अकड़ रहा था और में बेसुध होकर मचल रही थी और सोफे पर एक नागिन की तरह बल खा रही थी.. लेकिन रशीद इन सब बातों से बिंदास होकर मेरी चूत को चूसने में हुआ लगा था.
फिर उसने मेरी चूत के होंठो से अपने होंठो को मिला दिया था और किस पर किस कर रहा था. मैंने उसके सर के बालों में अपने हाथों की उंगलियाँ डालकर बालों को पकड़ लिया और उसे अपनी चूत पर दबाने लगी थी. वो भी पूरे जोश से मेरी चूत का रस पी रहा था और फिर उसने मुझे सोफे पर लेटाया और मैंने अपनी बाहों और चूत को उसके लिए खोल दिया और खुला निमंत्रण देने लगी कि आओ और मुझे चोद दो.. तो उसने एक एक करके अपने सारे कपड़े उतारे और मेरे ऊपर आ गया.
मैंने देखा कि उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुहं से सटाया हुआ था.. मैंने अपनी दो उंगलियों से अपनी चूत के मुहं की फांकों को खोल दिया.. जिससे मेरी चूत के मुहं से उसका लंड बिल्कुल छू गया और फिर उसने अपनी कमर को हल्का सा हिलाया.
तो मैंने महसूस किया कि उसका लंड अब मेरी चूत में धीरे धीरे उतरने लगा था और में हल्की सी अकड़ गई थी और उसका लंड मेरी चूत में बहुत रगड़ खाता हुआ जा रहा था और जबकि में कल रात ही उससे चुदी थी.. लेकिन इस समय भी वो बहुत घिसता हुआ अंदर घुस रहा था और उसके लंड की रगड़ मेरी चूत की दीवारों पर एक अजीब सी चुभन पैदा कर रही थी. फिर वो मेरी शरीर के ऊपर आकर मेरी बाहों में समा गया.
मैंने अपने दोनों पैर उसकी कमर के आसपास लपेट दिये और उससे लिपटकर उसको प्यार करने लगी.
वो मेरे होंठो को चूसने लगा और अपनी कमर को हिला हिलाकर मुझे चोदने लगा और जैसे जैसे वो अपनी कमर को आगे पीछे करता तो उसका लंड मेरी चूत के अंदर बाहर आता जाता और लगभग आधे घंटे तक उसने मुझे जमकर चोदा और में चुदती रही. फिर उसने भी अपना वीर्य मेरी चूत में ही छोड़ दिया.
मैंने उसे किस किया वो थोड़ी देर तक मेरे ऊपर ही लेटा रहा और फिर उठकर सोफे की एक साईड पर टेका लगाकर बैठ गया. तो मैंने उसे देखा और में बिल्कुल नंगी उसके सामने पड़ी हुई थी और मेरी चूत पर उसका वीर्य सना हुआ था.
फिर वो मेरे पैरों के पास अपना लंड लिए बैठा हुआ था और उस पर भी बहुत सारा वीर्य लगा हुआ था.. में उठी और बाथरूम से सब कुछ साफ करके वापस आकर उसके ही पास बैठ गई और मैंने दोबारा कपड़े नहीं पहने थे.. क्योंकि में जान गई थी कि अभी रशीद का मन नहीं भरा है और वो मुझे दोबारा भी चोदेगा और में ऐसे ही नंगी उसके पास आकर बैठ गई.
फिर मैंने अपनी एक बाह उसकी गर्दन के पीछे से घुमाकर उसके गले में लपेट दी और उसके मुहं के पास अपने होंठो को ले गई. तो उसने मेरे गले पर एक हाथ लगाकर मेरे होंठो पर एक किस किया और मेरे बूब्स उसके सामने एकदम नंगे उछल रहे थे.. उसने एक हाथ मेरे बूब्स पर रखा और में उसको अपने बूब्स से खेलता हुआ देख रही थी.
मैंने देखा कि उसका लंड अभी भी मुरझाया हुआ ही था. में नीचे झुकी और उसके लंड के पास बैठकर एक हाथ में उसके लंड को लेकर सहलाने लगी|