मेरी मर्दानगी को देखकर मुझ पर मर मिटी

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मेरा नाम सुरेंद्र है मैं पंजाब का रहने वाला हूं। मैं पंजाब में जिस जगह रहता हूं वहां से कॉलेज काफी दूर है। मुझे कॉलेज पढ़ने के लिए चंडीगढ़ आना पड़ता था लेकिन फिर भी मैंने अपनी पढ़ाई में पूरा ध्यान दिया और जब मेरी पढ़ाई पूरी हो गई तो उसके बाद मैंने कॉलेज से ही पीएसडी की। मैं उसके बाद कॉलेज में ही पढ़ाने लगा। एक बार मुझे बिहार के कॉलेज से पढ़ाने का ऑफर मिला। मैंने अपने पिताजी से इस बारे में बात की तो वह कहने लगे कि बेटा अगर तुम्हें अच्छी तनख्वाह मिल रही है तो तुम वहां चले जाओ। मैंने उनसे कहा वहां पर तो मुझे अच्छी तनख्वाह मिल रही है और मेरा एक दोस्त भी वहां पर पढा रहा है जो हमारे साथ ही कॉलेज में पढ़ाई करता था। मेरे पापा कहने लगे तो तुम भी वहां चले जाओ। मैंने भी सोचा कि चलो मैं वहां चले जाता हूं। मैं जब वहां पढ़ाने के लिए पहुंचा तो वहां का माहौल ही थोड़ा अजीब सा था। मुझे तो बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन मैंने सोचा कि चलो अच्छी तनख्वाह मिल रही है तो यहीं पढा लेता हूं।

मैं सबसे पहले जाकर अपने दोस्त से मिला। मेरे दोस्त का नाम मनजीत है। वह मुझे कहने लगा तुम भी यहां आ गए? मैंने उसे कहा हां यहां अच्छी तनख्वाह मिल रही है तो क्यों नहीं आता। मनजीत कहने लगा यहां का माहौल बिल्कुल भी ठीक नहीं है और कॉलेज में बड़ी ही गुंडागर्दी चलती है। यहां पर तो क्लास भी नहीं चलती। हम लोग तो सिर्फ नाम के ही कॉलेज जाते हैं। वहां ना तो बच्चे पढ़ने आते हैं और ना ही पढ़ाई की स्थिति यहां ठीक है। मैंने उसे कहा तो फिर यहां पढा कर क्या फायदा। वह कहने लगा अरे जब फ्री में तनख्वाह मिल रही है तो कहीं जाने की जरूरत क्या है। मैंने सोचा चलो कॉलेज की स्थिति देख ली जाए। मैं अगले दिन मनजीत के साथ कॉलेज चला गया। मैंने वहां जॉइनिंग कर लिया और मैंने वहां का माहौल देखा तो स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी। वहां पर बड़ी ही बदमाशी थी। मैं पहले दिन तो वापस ही लौट आया और घर पर ही आराम करने लगा। उस दिन मनजीत और मैं साथ में बैठे हुए थे। मैंने मनजीत से पूछा कि तुम यहां अपना समय कैसे बिता लेते हो? वह कहने लगा बस घर पर ही बैठे रहते हैं और कॉलेज के जो भी प्रोफेसर हैं। उनसे ही बात कर के समय बिता लेते हैं।

अब मैं कॉलेज बढ़ाने के लिए जाने लगा लेकिन कॉलेज की स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी। मैं जब कॉलेज जाता तो वहां पर हमेशा कुछ ना कुछ समस्या हो जाती। कभी वहां किसी का पैर टूट जाता तो कभी किसी का सर फूट जाता। यही स्थिति बनी हुई थी। हर दिन वहां झगड़े होते और झगड़ो की वजह से कॉलेज बंद करना पड़ता। मैं एक दिन अपने क्लास में पढ़ा रहा था। क्लास में वैसे ही कम बच्चे जाते थे लेकिन उस दिन मैं जब क्लास में पढा रहा था तभी कॉलेज का छात्र नेता बड़े दबंग के साथ अंदर घुस आया। मैंने उसे कहा कि तुम इस तरीके से क्लास में मत आओ लेकिन वह मेरे साथ उलझ गया। उस वक्त पता नहीं मेरा पारा भी चढ़ा हुआ था। मैंने उसे कहा कि तुम कॉलेज के प्रोफेसर से इस तरीके से बात करोगे? जब उसने मेरे कॉलर को पकड़ा तो मैंने भी उसे एक जोरदार तमाचा लगा दिया। जैसे ही उसके कनपटी पर तमाचा लगा तो वह मुझे देख कर आग बबूला हो गया और मुझ पर वह हाथ उठाने की कोशिश करने लगा। मैंने भी उसकी क्लास के अंदर ही ऐसी धुनाई की। कि उसे भी छठी का दूध याद दिला दिया। जब उसकी धुनाई हो गई तो कॉलेज में बड़ा ही अफरा-तफरी मच गई कि कॉलेज के छात्र नेता पर हाथ उठा दिया गया है लेकिन मुझे नहीं पता था कि कॉलेज में इतना ज्यादा तमाशा बन जाएगा। मुझे भी मेरे सीनियरों ने बुला दिया और उस नेता को भी बुला दिया। वह बड़ी बत्तमीजी से बात कर रहा था। मैंने सर से कहा कि यदि मेरी इसमें कोई गलती है तो आप बच्चों से पूछ सकते हैं जो बच्चे उस वक्त क्लास में बैठे हुए थे। वह कहने लगे कि इसमें सर की कोई भी गलती नहीं है सर बिल्कुल ही निर्दोष हैं। उसके बाद तो जैसे मैं कॉलेज का हीरो ही बन गया था और मेरी क्लास में भी भीड़ बढ़ने लगी थी। मुझे भी अब अच्छा लगने लगा था कि मैं बच्चों को पढ़ाने लगा हूं।

मनजीत मुझे कॉलेज में मिला और कहने लगा कि अरे दोस्त तुम तो यहां पर हीरो ही बन गए। लगता है तुम्हारे हाथ पैरों में अभी पहले वाली जान बची है। तुमने भी कॉलेज में कम बदमाशी नहीं की थी। जब मनजीत ने मुझे यह बात कही तो मैंने उसे कहा अरे अब यह तुम रहने दो। पहले की बात कुछ और है। अब हम लोग यहां पर पढ़ाने के लिए आए हैं। यहां पर हम लोग कोई गुंडागर्दी थोड़ी करने आए हैं। उस दिन उस लड़के की गलती थी इसलिए मैंने उसकी धुनाई कर दी। उसके बाद से वह छात्र नेता मुझे देख कर बहुत डरने लगा और मेरे पास भी नहीं आता था। कॉलेज में भी अब बच्चे सही से पढ़ने लगे थे। मेरी क्लास में तो सारे बच्चे आते थे लेकिन कॉलेज का माहौल फिर भी खराब था। मुझे लगा कि मुझे थोड़ी बहुत स्थिति सुधारने का अवसर मिला है तो मैं इस मौके को ना ही गवाऊं तो अच्छा होगा इसलिए मुझसे जितना होता मैं अपनी क्लास पढ़ाता था। हमारे कॉलेज में समीरा मैडम हैं। वह उस दिन के बाद मेरे ऊपर फ्लैट हो गई थी और हमेशा मुझ पर चांस मारने की कोशिश करती लेकिन मैंने उन्हें कभी मौका नहीं दिया। मंजीत मुझे हमेशा कहता समीरा मैडम तो तुम पर पूरी तरीके से फिदा है तुम क्यों उनकी बातों का जवाब नहीं देती। मैं हमेशा ही उन्हें टालने की कोशिश करता।

एक दिन वह कॉलेज में बहुत पटाखा बनकर आई हुई थी उस दिन उन्हें देखकर मेरा भी मन फिसल गया और मैंने उनसे बात कर ली। मैंने उनसे बात की तो जैसे उन्होंने मुझे अपना पूरा बदन ही सौंप दिया हो। वह मुझे कहने लगी सर आप तो बड़े ही जोशीले व्यक्ति हो। मैंने उन्हें कहा आपको मेरे अंदर जोश कहां से दिखता है। वह कहने लगी बस आपकी मर्दानगी को देखकर मुझे आपका जोश का एहसास हो गया। जब उन्होंने यह बात कही तो मैं समझ गया वह मुझसे अपनी चूत मरवाना चाहती है। हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही वह मुझे अपने साथ अपने घर ले गई। उस दिन उनके घर पर कोई भी नहीं था। जब उन्होंने अपने कपड़े खोले तो मैं उनके बदन को देखकर खुश हो गया उनकी चूतडो को देखकर मेरा पूरा मूड खराब हो गया। मैंने भी उनके पूरे बदन का रसपान किया जब मैं उनके स्तनों को चूसता तो उनकी योनि से पानी का रिसाव होने लगता उनकी योनि से गर्म पानी बाहर निकाल रहा था। जब मैंने अपने लंड को उनकी योनि पर लगाया तो वह मुझे कहने लगी आपका लंड बहुत गर्म है। मैंने उन्हें कहा आपकी योनि से भी कम गर्म पानी बाहर नहीं आ रहा। यह कहते हुए मैंने उनकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसा दिया जैसे ही मेरा मोटा लंड उनकी योनि के अंदर घुसा तो वह उत्तेजित हो गई थी और उनके मुंह से चीख निकल गई। मैंने धीरे धीरे अपने लंड को अंदर करना शुरू किया। उनकी योनि से पानी लगातार बाहर की तरफ को निकलने लगा जिससे कि उनकी योनि चिकनी हो गई और उनकी योनि में लंड डालने में आसानी होने लगी। वह अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर रही थी और मैं भी उन्हें उतने ही तेज गति से धक्के मार रहा था। मैंने उन्हें तेज तेज धक्के मारे उनकी योनि से उतना ज्यादा तरल पदार्थ बाहर निकलता। मैं समझ गया यह झड़ चुकी हैं। मैंने भी उनके साथ 5 मिनट तक संभोग किया और उन 5 मिनटो के दौरान मैंने उन्हें 300 झटके मारे लेकिन मुझे उनकी चूत मारकर बहुत मजा आया। जैसे ही मेरा वीर्य उनकी योनि के अंदर गिरा तो वह बहुत खुश हो गई। मेरा मन उन्हें देखकर नहीं भरा था मैंने दोबारा से उनकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया जैसे ही मेरा कड़क लंड उनकी योनि में दोबारा प्रवेश हुआ तो वह दोबारा से चिल्ला उठी। मैंने बड़ी तेज गति से उन्हें चोदना शुरू किया। मैंने समीरा मैडम को कहा आपका बदन तो बड़ा ही गजब का है और आपकी चूत मारने मे तो मुझे बड़ा मजा आ रहा है। वह मुझे कहने लगी मैं तो कब से आपसे अपनी चूत मरवाने के लिए उतारु थी लेकिन आप मेरी तरफ देखते ही नहीं थे। मैंने उन्हें कहा आज के बाद मैं सिर्फ आपकी तरफ ही देखूंगा यह कहते कहते मेरा वीर्य उनकी योनि के अंदर जा गिरा।

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