Antarvasna, kamukta मेरा नाम ललित है मैं लखनऊ का रहने वाला हूं मैं लखनऊ में प्रिंटिंग प्रेस चलाता हूं और मुझे प्रिंटिंग प्रेस चलाते हुए गरीब 10 वर्ष हो चुके हैं। मेरा काम बहुत ही अच्छे से चल रहा है और मैं अपने परिवार के साथ बहुत खुश हूं मेरे पिताजी रेलवे में जॉब करते थे जब वह रिटायर हुए तो उसके बाद से वह घर पर ही रहते हैं मैं घर में एकलौता हूं इसीलिए मेरे माता-पिता मुझे बहुत प्यार करते हैं। एक दिन मेरे पास मेरा चचेरा भाई संजय आया संजय अपनी फैक्ट्री चलाता है उसकी फैक्ट्री में वह शॉर्ट का काम करता है। उसका काम भी काफी अच्छा चलता है जब वह उस दिन मुझसे मिला तो मैंने संजय से कहा अरे संजय आज तुम इतने दिनों बाद घर पर कैसे आ गए। संजय कहने लगा बस ऐसे ही सोचा आप लोगों से मिल लिया जाए काफी समय हो गया हैं जब आप लोगों से मुलाकात नहीं हुई है और ताऊ जी तो जैसे हमारे घर का रास्ता ही भूल गए हो।
मैंने संजय से कहा तुम्हें तो मालूम है कि पिताजी की तबीयत ठीक नहीं रहती लेकिन तुमने यह बहुत अच्छा किया कि तुम यहां पर हम से मिलने के लिए आ गए। संजय कहने लगा हां भैया मैंने सोचा आप लोगों से मिल लिया जाए तो मैं आपसे मिलने के लिए आ गया मैंने संजय से पूछा तुम्हारा काम कैसा चल रहा है। वह कहने लगा काम तो बहुत अच्छा चल रहा है और सब कुछ घर में कुशल मंगल है आप बताइए कि आप क्या कर रहे हैं। मैंने संजय से कहा बस यार सब कुछ ठीक चल रहा है और तुम्हें तो मालूम है कि कभी काम अच्छा चलता है और कभी जेब से भी पैसे लगाने पड़ जाते हैं। संजय कहने लगा हां भैया आप बिल्कुल सही कह रहे हैं संजय उस दिन मेरे साथ ज्यादा देर तक नहीं बैठा कुछ देर बाद वह भी चल गया। उसके बाद वह मुझे करीब एक महीने बाद दिखा उसके साथ उसका एक दोस्त भी था उसका नाम प्रदीप है संजय ने मुझे बताया कि प्रदीप उसके बचपन का दोस्त है। मैंने प्रदीप से कहा हां मैंने तुम्हारा नाम कई बार संजय के मुंह से सुना है और संजय तुम्हारी बड़ी तारीफ करता है प्रदीप कहने लगा बस भैया वह तो संजय का बड़प्पन है जो मुझे वह इतना सम्मान देता है।
प्रदीप का प्रॉपर्टी का काम है और वह कई बड़े प्रोजेक्ट बनाता है जिसमें की वह लोगों को फ्लैट बनाकर दिया करता है, जब संजय ने मुझे प्रदीप से मिलाया तो मैंने प्रदीप से कहा यार मैं भी सोच रहा था कि एक फ्लैट ले लूँ। प्रदीप कहने लगा हां भैया आप जरूर ले लीजिए क्योंकि मैं आपको बिल्कुल ही अच्छे दाम पर दिलवा दूंगा आप उसकी बिल्कुल भी चिंता ना करें वैसे मेरा एक बड़ा प्रोजेक्ट चल रहा है यदि आपको वहां पर फ्लैट लेना हो तो मैं आपको कल ही दिखा देता हूं। मैंने प्रदीप से कहा नहीं अभी तो रहने दो कुछ दिनों बाद मैं खुद ही तुम्हें फोन करूंगा तुम मुझे अपना कार्ड दे दो। प्रदीप ने मुझे अपना कार्ड दिया और उसके बाद वह कहने लगा आप मुझे फोन कर लीजिएगा जब भी आपको समय मिले मैंने प्रदीप से कहा ठीक है मैं तुम्हें फोन कर दूंगा। उसके बाद वह लोग मेरे साथ कुछ देर तक रहे उसके बाद वह दोनों ही चले गए मैंने भी कुछ दिनों बाद प्रदीप को फोन किया और उसे कहा यदि तुम्हारे पास समय है तो मैं क्या तुम्हारे पास आ जाऊं वह कहने लगा हां भैया आप ऑफिस में ही आ जाइए मैं आपको अपने ऑफिस का एड्रेस भेज देता हूं। उसने मुझे मेरे मोबाइल पर अपने ऑफिस का एड्रेस भेज दिया और मैं जब उसके ऑफिस में गया तो उसका ऑफिस काफी बड़ा था वहां पर करीब पांच से दस लोग काम कर रहे थे। प्रदीप ने मुझसे कहा भैया बैठिये मैं प्रदीप के साथ बैठ गया मैंने उसे कहा तुम जिस प्रोजेक्ट की बात कर रहे थे क्या तुम मुझे वहां पर लेकर चल सकते हो प्रदीप कहने लगा क्यों नहीं मैं आपको वहां पर लेकर चलता हूं। वह मुझे कहने लगा मैं आपको उस प्रोजेक्ट का नक्शा दिखा देता हूं प्रदीप ने मुझे उस प्रोजेक्ट का नक्शा दिखाया तो मैंने प्रदीप से कहा तुम्हारा प्रोजेक्ट तो काफी बड़ा है क्या हम लोग वहां चले। प्रदीप कहने लगा हां भैया हम लोग वहां चलते हैं मैं आपको अभी अपने साथ लेकर चलता हूं और फिर हम दोनों वहां से उस प्रोजेक्ट पर चले गए जहां पर काम चल रहा था।
हम लोग जब वहां पहुंचे तो वहां पर काफी फ्लैट बन चुके थे और कुछ बनने बाकी थे मैंने प्रदीप से कहा यह जगह तो बहुत अच्छी हैं। वह कहने लगा भैया आप यहां पर ले लीजिए आपको बहुत ही फायदा होगा आप मेरे परिचित हैं इसलिए मैं आपको कुछ गलत नहीं बताऊंगा आप यहां पर फ्लैट ले लीजिए। मुझे भी लगा कि प्रदीप बिल्कुल सही कह रहा है मुझे सब कुछ ठीक लगा क्योंकि अंदर सारी सुविधाएं थी जो कि डेली नीड्स की जरूरत होती हैं, प्रदीप ने मुझे कहा कि भैया आप यदि यहां पर बुकिंग अमाउंट मुझे दे देते हैं तो मैं आपके नाम पर एक फ्लैट बुक कर देता हूं। मैंने उसे कहा चलो फिर हम लोग ऑफिस में चल कर बात करते हैं मैं ऑफिस में चला गया हम दोनों साथ में थे और मैंने प्रदीप से कहा मैं कल तुम्हें चेक दे देता हूं प्रदीप ने मुझे बताया कि आप मुझे इसकी बुकिंग अमाउंट दे दीजिए उसके बाद आप के नाम पर मैं यह फ्लैट बुक कर दूंगा। अगले ही दिन मैंने प्रदीप को चेक दे दिया और उसने मेरे नाम पर फ्लैट बुक कर दिया लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि उस प्रोजेक्ट में कोई गड़बड़ी है क्योंकि प्रदीप के साथ मिलकर एक पार्टनर काम कर रहा था और उस पार्टनर ने प्रदीप के साथ बहुत बड़ा धोखा किया।
ना जाने वह कहां चले गया जिससे कि प्रदीप को बहुत नुकसान उठाना पड़ा और वह बीच मे ही लटक गया, मैं जब भी प्रदीप से पूछता तो वह कहता कि भैया बस कुछ समय बाद शुरू हो जाएगा लेकिन प्रोजेक्ट तो शुरू हो ही नहीं रहा था। प्रदीप की स्थिति भी खराब होती जा रही थी क्योंकि उसका काफी पैसा उस प्रोजेक्ट में लग चुका था और उस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए उसे बहुत पैसा चाहिए था लेकिन उसके पार्टनर ने उसके साथ बहुत बड़ा धोखा किया था जिसकी वजह से वह मुसीबत में पड़ चुका था। उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए। फिर एक दिन संजय और मैं प्रदीप के ऑफिस में गए हुए थे प्रदीप अपने ऑफिस में ही बैठा था उसके चेहरे पर उस की परेशानियां साफ झलक रही थी मैंने जब प्रदीप से बात की तो मुझे इस चीज का एहसास हो गया कि वह बहुत दुखी है। संजय ने प्रदीप से बात की संजय ने कहा कि तुम भैया का बुकिंग अमाउंट वापस कर दो उसने मुझे कहा भैया मैं आपको कुछ दिन बाद आपके पैसे लौटा देता हूं मैंने प्रदीप से कहा यदि तुम्हारे पास पैसे नहीं है तो कोई बात नहीं। वह कहने लगा भैया मैं आपको दो-तीन दिन बाद पैसे दे दूंगा आप बिल्कुल भी फिक्र मत कीजिए, दो तीन दिन बाद प्रदीप ने मुझे पैसे वापस लौटा दिए लेकिन वह बहुत ज्यादा परेशान था मैंने जब संजय से प्रदीप के बारे में पूछा। संजय ने बताया की उसके पार्टनर की वजह से उसका काफी बड़ा नुकसान हुआ है जिसे कि वह झेल नहीं पा रहा है लेकिन फिर भी वह कहीं जा नहीं सकता क्योंकि उसने और लोगों से भी पैसे लिए हैं। मैंने एक दिन सोचा कि क्यों ना प्रदीप से मिलने जाया जाए मैं प्रदीप से मिलने के लिए उसके ऑफिस में चला गया। जब मैं उसके ऑफिस में गया तो उसके ऑफिस में काम करने वाली रिसेप्शनिस्ट नहीं थी मैंने देखा तो वहां पर कोई और ही लड़की थी। जब मैंने उससे पूछा क्या प्रदीप है तो वह कहने लगी नहीं सर वह कहीं गए हुए हैं आप बैठ जाइए मैं उन्हें फोन करती हूं। उसने प्रदीप को फोन किया तो उस लड़की ने मेरी बात प्रदीप से करवाई, वह कहने लगा बस भैया कुछ देर बाद ऑफिस आता हूं मै किसी काम के सिलसिले में गया हुआ था।
मैने प्रदीप से कहा कोई बात नहीं मैं तुम्हारा इंतजार कर लूंगा वह मुझे कहने लगा यदि कोई जरूरी काम है तो मैं अभी आता हूं। मैंने प्रदीप से कहा नहीं तुम आराम से आना जब तुम्हारा काम हो जाए मैं बैठा हुआ हूं। मैं रिसेप्शन पर लगे सोफे पर बैठ गया वह लड़की मुझे बार बार देखे जा रही थी मैं उसके गोरे चेहरे को देखता तो मेरे अंदर भी जोश पैदा हो जाता और मुझे अच्छा लगता। मुझे नहीं पता था कि वह मुझे ऐसे क्यों देख रही है मैंने उससे पूछा तुम्हारा नाम क्या है तो वह कहने लगी मेरा नाम शगुन है। मुझे नहीं मालूम था कि वह एक नंबर की जुगाड़ है, जब मैंने शगुन से कहा यह मेरा नंबर है तो उसने कहा मैं आपको फोन करूंगी। प्रदीप भी आ चुका था मैं प्रदीप से मिला और उसके हाल-चाल पूछ कर वापस चला गया।
कुछ दिनों बाद शगुन का मुझे फोन आया और वह कहने लगी मुझे आपसे कुछ काम था मैंने उसे कहा तो मुझे मिल लो। मैंने उसे एक होटल में बुला लिया जब वह मुझसे मिलने के लिए आई तो मैंने उसकी चूत के मजे बड़े ही अच्छे से लिए, मैंने उसके होठों का रसपान किया काफी देर तक मैं उसके नरम होंठों को चूसता रहा। उसके बाद मैंने जैसे ही उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो उसे मजा आने लगा मैंने जब उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह चिल्ला रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा दर्द हो रहा है लेकिन मुझे उसे धक्के देने में बहुत मजा आता उसकी योनि के मजे मै काफी देर तक लेता रहा उसे भी बहुत मजा आता और वह मेरे साथ बड़े ही अच्छे से देती। जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो वह कहने लगी मुझे बड़ा मजा आ गया मैंने उसे कुछ पैसे दिया और कहा तुम मुझसे कभी और मिलना। वह कहने लगी ठीक है जब भी आपका मन हो तो आप मुझे बुला लिया करना मुझे नहीं मालूम था कि वह एक नंबर की जुगाड़ है लेकिन उसे चोदने में मुझे बड़ा मजा आया।