hindi sex stories, antarvasna मैं कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं मैं उस कंपनी में काफी वर्षों से काम कर रहा हूं इसलिए मुझे कंपनी में सब लोग पहचानते हैं। एक दिन मैं घर से ऑफिस के लिए निकल रहा था मेरी पत्नी ने मुझे कहा कि तुम्हें कल ललिता फोन कर रही थी लेकिन तुम्हारा नंबर नहीं लग रहा था, मैंने अपनी पत्नी से कहा आखिरकार ललिता को मुझसे क्या काम है और वह मुझे फोन क्यों कर रही थी, मेरी पत्नी कहने लगी ललिता को शायद तुमसे कुछ काम था और इसीलिए उसने मुझे फोन किया था और कहा था कि आप जीजा जी से मेरी बात करवा दीजिए लेकिन मेरे दिमाग से बात निकल गई, आप एक बार उसे फोन कर लीजिएगा, मैंने अपनी पत्नी से कहा ठीक है मैं ललिता को फोन कर दूंगा, वह कहने लगी आप याद से उसे फोन कर लीजिएगा, मैंने अपनी पत्नी से कहा ठीक है मैं अभी ऑफिस जा रहा हूं मैं उसे ऑफिस से फोन कर दूंगा।
मेरी पत्नी ने मुझे टिफिन दिया और मैं अपनी कार से ऑफिस चला गया, मैं जब अपने ऑफिस गया तो मुझे ध्यान आया कि मुझे ललिता को फोन करना था मैंने ललिता को फोन किया और जब मैंने ललिता को फोन किया तो वह कहने लगी जीजा जी आपको बहुत जल्दी मेरी याद आ गई, मैंने उससे कहा मुझे आज सुबह ही तुम्हारी दीदी ने बताया कि तुमने मुझे कल फोन किया था। मैंने उससे पूछा और तुम्हारे घर में सब लोग कैसे हैं? वह कहने लगी सब लोग अच्छे है। मैंने उससे पूछा तुम्हारे पति ठीक है? वह कहने लगी हां पति भी ठीक है लेकिन मुझे आपसे एक जरूरी काम था इसलिए मैंने आपको फोन किया था लेकिन आपका नंबर नहीं लगा। मैंने ललिता से कहा हां तो कहो तुम्हे क्या काम था? वह कहने लगी मेरा एक दोस्त है उसे जॉब की आवश्यकता है तो मैंने सोचा कि आपको फोन करती हूं क्या पता आप उसकी कोई मदद कर दे, मैंने ललिता से कहा आजकल तो हमारी कंपनी में कोई वैकेंसी नहीं है लेकिन तुम उसे मेरा नंबर दे देना मैं उससे बात कर लूंगा। ललिता ने मुझे उस लड़के का नंबर दे दिया मैंने उसका नंबर सेव कर लिया उसका कॉल मुझे दो दिन बाद आया वह कहने लगा मुझे नौकरी की आवश्यकता है, मैंने उसे पूछा क्या आप इससे पहले भी कहीं नौकरी करते थे तो उसने मुझे बताया कि हां मैं नौकरी कर रहा था लेकिन वहां किसी कारणवश मुझे नौकरी छोड़नी पड़ी, मैंने राजेश से कहा तुम मुझे अपना रिज्यूम भेज देना मैं कंपनी में तुम्हारी बात कर लूंगा।
उसने मुझे आधे घंटे में ही रिज्यूम भेज दिया और मैंने उसे कहा कि जैसे ही कोई वैकेंसी होती है तो मैं तुम्हें तुरंत फोन करूंगा, राजेश की किस्मत अच्छी थी कि कुछ ही दिनों में हमारी कंपनी से कुछ लड़कों ने रिजाइन दे दिया था इसलिए हमारी कंपनी में कुछ वैकेंसी निकल गई थी मेरा रेफरेंस होने के कारण राजेश की नौकरी हमारी कंपनी में लग गई। जब उसकी हमारी कंपनी में नौकरी लग गई तो एक दिन ललिता ने मुझे फोन किया और कहा कि जीजा जी आपने बहुत अच्छा किया जो राजेश की नौकरी लगवा दी वह बहुत ही परेशान था, मुझे यह बात समझ नहीं आ रही थी कि आखिरकार ललिता उसकी इतनी परवाह क्यों कर रही है राजेश तो काम करने लगा था लेकिन जब भी वह फ्री होता तो वह फोन पर लगा रहता मुझे समझ नहीं आया कि वह फोन पर किससे बात करता है मेरे दिमाग में यह बात तो चल रही थी कि कहीं ललिता और उसके बीच कुछ चल तो नहीं रहा, इस बात को यकीन में बदलने के लिए एक दिन जब राजेश फोन कर रहा था तो मैंने ललिता के नंबर पर फोन किया उसका नंबर बिजी आ रहा था मुझे सारी चीज समझ आ गई की राजेश और लता के बीच कुछ तो चल रहा है मैंने इस बारे में ललिता से बात की लेकिन ललिता ने कहा कि जीजा जी ऐसा कुछ भी नहीं है। एक दिन जब मैंने उन दोनों को एक रेस्टोरेंट में रंगे हाथ पकड़ लिया तो उसके बाद उन दोनों के पास कुछ कहने के लिए नहीं था मुझे ललिता के नीजी जीवन से कोई लेना देना नहीं था लेकिन वह मेरी साली है इसलिए मैं उसे कभी भी कोई गलत काम करने नहीं देना चाहता था जिससे कि उसके परिवार पर असर पड़े वह एक शादीशुदा महिला है और मैंने उसे एक दिन इस बारे में समझाया और कहा देखो ललिता यह सब गलत है जो तुम कर रही हो, तुम शादीशुदा महिला हो और इस प्रकार ही तुम किसी गैर मर्द के साथ रिलेशन में रहोगी तो इससे तुम्हारे पारिवारिक जीवन में असर पड़ सकता है इसलिए तुम राजेश से दूरी बना लो।
मेरी बात का थोड़ा असर तो उस पर हुआ कुछ दिनों तक उसने राजेश के साथ बात नहीं की लेकिन कुछ दिनों बाद उसने दोबारा से राजेश से बात करनी शुरू कर दी, मैं राजेश को कुछ नहीं कह सकता था क्योंकि राजेश कि इसमें कोई गलती नहीं थी मैंने इस बारे में ललिता से दोबारा बात की लेकिन ललिता को तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था मैंने उससे पूछा आखिर तुम यह सब क्यों कर रही हो तो उसने मुझे बताया मेरे पति और मेरे बीच में प्यार नाम की चीज है ही नहीं राजेश ने मुझे अपना बना दिया और उसने ही मुझे सहारा दिया है इसलिए मैं उससे ही प्रेम करती हूं। मैंने उससे कहा लेकिन यह बात तुम्हारे माता-पिता को पता चलेगी तो उन पर क्या बीतेगी, वह मुझे कहने लगी इसी बात का तो मुझे डर है और मैं नहीं चाहती कि उन्हें मेरी वजह से कोई तकलीफ हो इसीलिए मैंने अब तक यह बात किसी को नहीं बताई। मुझे भी लगा कि अब इस बारे में ललिता से बात करना उचित नहीं है इसलिए मैंने उससे इस बारे में कोई बात नहीं की लेकिन धीरे-धीरे ललिता अपने परिवार से दूर होती जा रही थी। एक दिन राजेश मुझे कहने लगा कि सर मुझे आज छुट्टी चाहिए थी मैंने उसे कहा ठीक है तुम एप्लीकेशन दे दो उसने उस दिन छुट्टी ले ली है, वह उस दिन जल्दी चला गया।
जब वह गया तो मै भी उसके पीछे चला गया मैं जब उसके पीछे गया तो मैंने देखा कि ऑफिस के बाहर ललिता खड़ी है। वह दोनों आटो से कहीं चले गए मैंने भी अपनी कार स्टार्ट की और उनके पीछे अपनी गाड़ी लगा दी। वहां दोना एक घर में चले गए वहां पर उन्होंने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया और एक दूसरे के साथ वह चुम्मा चाटी करने लगे, मै यह सब देख रहा था मैंने दरवाजे पर खटखटाया तो ललिता ने दरवाजे को खोलो। मैंने ललिता से कहा तुम यह बिल्कुल ठीक नहीं कर रही हो मैं बहुत गुस्से में हो गया राजेश यह सब देख कर वहां से चला गया। मैंने ललिता से पूछा यह किसका घर है वह कहने लगी यह मेरी सहेली का घर है और आप इस तरीके से हमारा पीछा कर रहे हैं यह बिल्कुल ठीक नहीं है। मैंने ललिता से कहा क्या ठीक है और क्या गलत है तुम मुझे यहां मत बताओ लेकिन तुम भी अपनी हदें पार कर रही हो और तुम्हारी वजह से तुम्हारे घर में इस चीज का असर पड़ रहा है। वह मेरे सामने ब्रा पहने हुए खड़ी थी मैंने उसकी ब्रा को फाडते हुए उसके स्तनों को चूमना शुरू किया। मैंने उसे कहा देखो तुम्हें अब लंड लेने की आदत हो चुकी है मैंने भी उस दिन उससे अपने लंड को चुसवाया जब मेरा लंड पूरे तरीके से खडा हो गया तो मैंने ललिता को घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया। वह अपने मुंह से चिल्लाए जा रही थी वह पूरी तरीके से एक जुगाड़ बन चुकी थी उसे अब इन चीजों का कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा था वह तो जैसे लंड लेने की आदि हो चुकी थी वह बड़े मजे से मेरे लंड को अपनी चूत में लिए जा रही थी। मैने ललिता से कहा देखो तुम्हें अब लड़ लेने की आदत हो चुकी है इसलिए तुम्हें राजेश पसंद है यदि मैं भी तुम्हारी चूत में हमेशा लंड देता रहूंगा तो तुम्हें मुझसे भी प्यार हो जाएगा। वह कहने लगी जीजा जी मैं तो इन सब चीजों के लिए तड़प रही थी उस वक्त राजेश ने मेरा बहुत साथ दिया। मैंने उसकी गोरी चूतडो के ऊपर अपने वीर्य को गिराया तो जैसे उस दिन मैंने उसकी चूत पर मोहर लगा दी, उसके बाद मैं भी उसे कई बार चोदता रहता मैं जब भी उससे उसके परिवार के बारे में बात करता तो वह सिर्फ मुझसे अपनी चूत मरवाने के लिए उतावली बैठी रहती।
ललिता और राजेश अब भी एक दूसरे से मिलते हैं लेकिन मुझे अब उन दोनों को मिलने से रोकना अच्छा नहीं लगता क्योंकि ललिता ने खुद अपनी मर्जी से अपना फैसला कर लिया है उसे लंड लेने की आदत हो चुकी है। वह मुझे भी अपने बदन की खुशबू देती रहती है इसलिए मैं उसे कुछ भी नहीं कहता। ललिता मुझसे कहती है जीजा जी मुझे आपसे एक जरूरी बात कहनी है, मैंने ललिता से कहा आज तो मुझे ऑफिस में काम है और कुछ दिनों के लिए मुझे बाहर जाना है इसलिए जब मैं वहां से वापस लौट आऊंगा तो मैं तुम्हें फोन करूंगा, वह कहने लगी आप याद से मुझे फोन करिएगा मुझे बहुत जरूरी काम है, मैंने उससे कहा ठीक है मैं तुम्हें जरूर फोन करूंगा और यह कहते हुए मैंने फोन रख दिया। जब कुछ दिनों बाद मैं अपने काम से लौटा तो ललिता मुझे कहने लगी जीजा जी राजेश ने मुझे बहुत बड़ा धोखा दिया मैंने राजेश पर बहुत भरोसा किया, मैंने ललिता से कहा मैंने तुम्हें पहले ही उससे बात करने से मना कर दिया था यदि तुम मेरी बात को नहीं मानी तो इसमें मैं भी कुछ नहीं कर सकता, अब तुम दोनों को ही आपस में बात करनी चाहिए।
मैंने जब यह बात ललिता से कहीं तो ललिता कहने लगी आपकी भी तो जिम्मेदारी बनती है आपको राजेश से बात करनी चाहिए, मैंने ललिता से कहा मैं राजेश से बात करूंगा लेकिन तुम मुझे पूरी बात बताओ कि आखिरकार हुआ क्या है, ललिता कहने लगी राजेश ने मुझसे कुछ दिन पहले पैसे लिए थे लेकिन वह तो पैसे लौटाने का नाम ही नही ले रहा है और उल्टा मुझे ही कह रहा है कि यदि तुम यह बात किसी को बताओगी तो मैं तुम्हारे पति को तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दूंगा, मैंने ललिता से कहा देखो ललिता यदि तुमने कुछ गलत किया है तो तुम अब इस चीज के लिए तैयार रहो वैसे मैं राजेश से बात करता हूं। मैंने राजेश को समझाया तो राजेश ने ललिता के पैसे लौटा दिए, मैंने ललिता से कहा कि अब तुम राजेश से जितना दूर रहोगी उतना तुम्हारे लिए ही उचित होगा और अब ललिता और राजेश ने दूरी बना ली है।