चुदाई का सच्चा खेल

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मेरा नाम सोहन है। मैं लखनऊ का रहने वाला हूं। मैं एक कंपनी में जॉब करता हूं और उसी कंपनी में मेरा भाई भी नौकरी करता है। हम दोनों एक साथ ही ऑफिस जाया करते हैं और एक साथ ही घर पर आते हैं। हमारे माता-पिता गांव में ही रहते हैं और वह रिटायरमेंट के बाद गांव चले गए। लखनऊ में हम दोनों भाई रहते हैं। हम दोनों भाइयों की आपस में बहुत ज्यादा बनती है और मेरा बड़ा भाई मुझे बहुत अच्छा मानता है। वह शुरू से ही मेरी बहुत मदद किया करता था। जब मैं कॉलेज में पढ़ता था तब भी कई बार उसने मेरी मदद की है। मुझे किसी भी प्रकार की कोई समस्या होती तो वह हमेशा ही मेरे लिए खड़ा रहता था और कहता था कि तुम्हें कभी भी किसी चीज की आवश्यकता हो तो मैं हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा रहूंगा। मैं और भाई एक ही ऑफिस में थे तो इस वजह से हम दोनों के बीच अच्छी बॉंडिंग थी। एक दिन हमारे ऑफिस में एक लड़की आई और उसने वह ऑफिस नया-नया जॉइन किया था। उसका नाम सुरभि है। मैंने जब उसे देखा तो वह मुझे बहुत ही अच्छी लगी और मैं सोचने लगा कि मैं किस तरीके से इसे अपने दिल की बात कहूं लेकिन मैं उसे अपने दिल की बात नहीं कह पाया और मेरी हिम्मत बिल्कुल भी नहीं होती थी लेकिन हम लोग कैंटीन में साथ में बैठ कर बात किया करते थे। वह बहुत ही खुश दिल और अच्छे से बात किया करती थी।

मुझे सुरभि बहुत ही अच्छी लगती थी। मैंने उसे पहले दिन देखा था उसके बाद से ही वह मुझे बहुत ही पसंद थी। जब यह बात मैंने अपने भाई को बताई तो वह कहने लगा कि तुम उसकी चिंता मत करो। मैं किसी ना किसी तरीके से उससे तुम्हारे लिए बात कर ही लूंगा। अब मेरा भाई उससे किसी ना किसी तरीके से मेरे बारे में बात कर ही लिया करता और कहता कि सोहन तुम्हें बहुत ही पसंद करता है। सुरभि एक दिन मेरे पास आई और कहने लगी कि तुम्हारा भाई मेरे बारे में क्या कह रहा था, क्या वह सही बात है। मैंने उसे कहा हां मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्रेम करता हूं और मुझे तुमसे बात करना भी अच्छा लगता है। परंतु मेरी हिम्मत नहीं हुई इस वजह से मेरे भाई ने तुम्हें मेरे बारे में बता दिया। सुरभि इस बात से बहुत ज्यादा गुस्सा हुई और उसने मुझसे कई दिनों तक बात ही नहीं की लेकिन मैं फिर भी उसे मनाने की कोशिश कर रहा था और सोच रहा था कि वह किसी भी तरीके से मुझसे बात कर ले। परंतु वह मुझसे बात करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। ना तो वह मुझसे बात करना चाहती थी और ना ही वह मुझसे किसी भी प्रकार से कोई संपर्क रखना चाहती थी।

एक दिन हमारे ऑफिस की पार्टी थी और उस दिन सब लोग बहुत खुश थे। सुरभि भी उस पार्टी में आई थी। मैं सुरभि को देख रहा था परंतु मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी उससे बात करने की और उसने मुझे देखते हुए भी अनदेखा कर दिया। जब पार्टी चल रही थी तो उसी दौरान वहीं पास में रखी एक कैंडल सुरभि के कपड़ों पर गिर गई और उसके कपड़ों ने आग पकड़ ली। जैसे ही उसके कपड़ो ने आग पकड़ी तो वह बहुत ज्यादा डर गई और वह बेहोश हो गई लेकिन मैंने तुरंत ही उसके कपड़ों से वह आग बुझा दी। जब उसकी आंख खुली तो उसने मुझे गले लगा लिया और कहने लगी तुमने मेरी जान बचा ली और मैं तुम्हें गलत समझती रही। उसके बाद हम दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गई और सुरभि भी मुझसे प्रेम करने लगी। अब हम दोनों अक्सर घूमने निकल जाया करते थे और कभी कबार वह हमारे घर पर भी आ जाती थी। मुझे बहुत ही अच्छा लगता था जब वह मेरे घर पर आती थी। उस दिन वह हम दोनों भाइयों के लिए खाना बनाती थी। वह बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाती थी। मेरा भाई बहुत ही खुश होता था। अब हम दोनों ऐसे ही घूमने चले जाया करते थे। मुझे काफी समय हो चुका था सुरभि के साथ समय बिताते हुए। लेकिन कुछ समय बाद मुझे उस ऑफिस से नौकरी छोड़नी पड़ी। क्योंकि मुझे एक अच्छी जगह से ऑफर आ चुका था और अब मैंने दूसरे ऑफिस में ज्वाइन कर लिया था। जब यह बात मैंने सुरभि को बताई तो वो कहने लगी चलो तुमने अच्छा किया जो दूसरी जगह जॉब पकड़ ली। कुछ समय बाद मैंने सुरभि का रिज्यूम भी अपने ऑफिस में दे दिया और उसका भी सलेक्शन हमारे ऑफिस में ही हो गया। अब हम दोनों ऑफिस में साथ ही थे। सुरभि और मेरी नजदीकया और भी ज्यादा बढ़ चुकी थी और वह मुझसे बहुत ज्यादा नजदीक आ गई।

एक दिन मेरे भैया को मेरे माता पिता के पास जाना पड़ा और वह कहने लगे कि तुम घर का ध्यान रख लेना मैं कुछ दिनों के लिए उनके पास जा रहा हूं। जब उसने यह बात कही तो मैंने कहा कि तुम चिंता मत करो मैं घर का ध्यान रख लूंगा। अब वह यह कहते हुए चला गया और जिस दिन मेरी छुट्टी थी उस दिन सुरभि ने मुझे फोन किया और कहने लगी कि मैं तुमसे मिलने के लिए आ रही हूं। जब उसने यह बात कही तो मुझे भी बहुत अच्छा लगा। वह जब मेरे घर आई तो हम दोनों बैठ कर बातें करने लगे और थोड़े समय बाद वह खाना बनाने के लिए किचन में चली गई। मैं जैसे ही किचन में गया तो मैं उसे खाना बनाता हुआ देख रहा था तो उसकी बड़ी बड़ी गांड बार बार मेरी आंखों के सामने आ रही थी। जैसे ही मेरा लंड उसकी गांड से लगा तो मेरे अंदर की उत्तेजना बाहर आने लगी और मैंने उसे कसकर पकड़ लिया। मैं उसे पकड़ कर अंदर अपने कमरे में ले गया और उसे अपने बिस्तर पर लेटा दिया। जब मैंने उसे अपने बिस्तर पर लेटाया तो वह बहुत ही ज्यादा मूड में आ गई। मैंने उसके होठों को अपने होठों में लेकर चूमना शुरू कर दिया। उसके गुलाबी पंखुड़ी जैसे होंठ जब मेरे होठों से लग रहे थे तो मुझे बड़ा ही आनंद आ रहा था। मेरे अंदर की उत्तेजना भी बहुत ही ज्यादा बढ़ रही थी। मैंने उसके सारे कपड़े खोल दिए और जब मैंने उसके स्तनों को अपने होंठों उसे छुआ तो वह बड़ी तेज आवाज में चिल्लाने लगी। मैंने उसके सारे शरीर को चाटना शुरू कर दिया और उसके स्तनों को जब मैं अपने मुंह में लेकर चूस रहा था तो मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था।

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी कच्ची काली के स्तनों को अपने मुंह में ले रहा हूं। अब उसकी योनि से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर निकलने लगा। मैंने जैसे ही उसकी योनि पर अपनी उंगली लगाई तो उस से पानी निकल रहा था। अब मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर दिया और उसकी योनि में अपने मोटे लंड को घुसेड़ दिया। जैसे ही मैंने अपने मोटे लंड को उसकी योनि में डाला तो वह चिल्ला उठी। उसे बड़ा ही मजा आ रहा था जब मैं उसे चोद रहा था। वह बड़ी मादक आवाज अपने मुंह से निकाल रही थी और मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी उसने अपने दोनों पैरों को भी खुलकर चौड़ा कर लिया। जिससे कि मेरे अंदर की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती। मैं उसे काफी देर तक ऐसे ही धक्के मारता रहा। मैं उसे इतनी देर से चोदता रहा कि उसका पूरा शरीर गर्म होने लगा था और मुझे भी बड़ा मज़ा आने लगा था। जब मैं उसे झटके देता तो उसे भी बहुत ही मजा आता। कुछ समय बाद मैंने अपने लंड को उसकी योनि से बाहर निकालते हुए उसे 69 पोज में बना दिया। मैंने उसके मुंह के अंदर अपने लंड को डाल दिया और उसकी योनि को मै चाटने लगा। जब मैं उसकी योनि को चाट रहा था तो मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था। मैं जैसे ही उसकी योनि को अपने हाथ से खोलता तो उससे पानी बड़ा ही तेज गिरता जाता। मैं वह सब पानी अपने मुंह में ले लेता मैं जैसे ही ऐसा करता तो सुरभि मेरे लंड को अपने गले के अंदर तक उतार लेती। मैं बड़े ही अच्छे से उसे धक्के मार रहा था। मैंने उसे इतनी तेज तेज धक्के मारना शुरू किया कि उसका पूरा शरीर गर्म होने लगा। वह मेरे लंड को अपने गले तक उतार लेती। वह जब मेरे लंड को अपने गले मे लेती तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगता और मैं उसकी योनि को चाटे जा रहा था। थोड़े समय बाद मेरा वीर्य उसके गले के अंदर ही चला गया और उसने वह सब अपने अंदर ही निगल लिया।

 

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