Antarvasna, kamukta मुझे अपने ऑफिस के टूर से कुछ दिनों के लिए जयपुर जाना था मुझे जयपुर जाने के लिए लेट हो गई थी और मुझे यह डर था कि कहीं मेरी ट्रेन छूट ना जाए। मैंने भाभी से कहा जल्दी से मेरा सामान रख दीजिए मैं बस निकलने ही वाला हूं भाभी ने कहा बस देवर जी अभी रख देती हूं। भाभी ने सामान रखा था मैं वहां से सीधा ही रेलवे स्टेशन निकल गया वह तो गनीमत रही मेरी ट्रेन छूटी नहीं थी। मैं ट्रेन में बैठा गया और अगले दिन सुबह में जयपुर पहुंचा क्योंकि मैं देर रात दिल्ली से निकला था इसलिए मैं सुबह ही जयपुर पहुंच गया था।
जब मैं जयपुर पहुंचा तो वहां पर मैंने अपना होटल ढूंढा मेरा होटल रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी पर ही था मैं कुछ दिनों तक जयपुर में ही रुकने वाला था। जब मैं जयपुर से वापस लौटा तो उस दिन में दोपहर के वक्त जयपुर से दिल्ली पहुंच गया था क्योंकि मैं सुबह की बस से जयपुर से निकला था इसलिए दोपहर के वक्त पहुंच गया। जब मैं घर पर पहुंचा तो मेरी भाभी और उनके साथ एक महिला और थी मुझे नहीं मालूम कि वह कौन थी लेकिन जब भाभी ने मेरा उनसे परिचय करवाया तो मुझे मालूम पड़ा कि वह भाभी की सहेली हैं। वह दिल्ली में ही जॉब करने लगी हैं उनका नाम मनीषा है। भाभी ने मुझे कहा कुलदीप हमारे साथ ही बैठ जाओ मैं भी उन लोगों के साथ बैठ गया लेकिन मेरी नजर सिर्फ मनीषा की तरफ थी। मैं सिर्फ उसके बदन को देख रहा था जब मैंने उसके बड़े और सुडौल स्तनों को देखा तो मैं उसे देखकर अपने आप पर बिल्कुल काबू नहीं कर पाया। मैंने भाभी से कहा मैं फ्रेश हो जाता हूं मैं जब बाथरूम में गया तो मैंने अपने लंड को देखा उससे पानी निकल रहा था मैंने बाथरूम में जाकर हस्तमैथुन किया। मनीषा दिखने में इतनी ज्यादा हॉट है मै उसे देखकर नहीं रह पाया और उसके बाद वह हमारे घर पर अक्सर आती रहती थी। जब भी मनीषा की मेरे साथ मुलाकात होती तो मुझे उससे मिलकर बहुत अच्छा लगता मैं भी मनीषा की तारीफ कर दिया करता था जिससे कि वह भी बहुत खुश हो जाया करती थी और कहती कुलदीप आप बड़े अच्छे हैं।
वैसे कभी मेरे साथ भी आप समय बिताइए एक दिन मुझसे मनीषा ने यह बात कही तो मैंने मनीषा से कहा बिल्कुल मैं आपसे मिलने के लिए जरूर आऊंगा। मनीषा पानीपत की रहने वाली है और मैं जब उससे मिलने के लिए उसके फ्लैट में गया तो उसने अपने फ्लैट को बहुत ही व्यवस्थित तरीके से रखा हुआ था उसकी हर एक चीज बिल्कुल जगह पर थी। मैंने मनीषा से कहा आपने तो अपने फ्लैट को बहुत ही अच्छे से रखा है। मनीषा मुझे कहने लगी मुझे साफ सफाई का बहुत शौक है मुझे गंदगी बिल्कुल भी पसंद नहीं है। मैं मनीषा से कहा यह तो बहुत अच्छी बात है कि आपको गंदगी बिल्कुल भी पसंद नहीं है हम दोनों साथ में बैठे हुए थे और बात करने लगे। मनीषा ने मुझसे पूछा क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड भी है मैंने उसे कहा नहीं मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है लेकिन मनीषा मेरी फीलिंग को समझ चुकी थी। वह मुझसे जानना चाहती थी क्या मेरे दिल में उसके लिए कुछ है मैंने मनीषा से कहा नहीं मेरी तो कोई गर्लफ्रेंड नहीं है एक गर्लफ्रेंड पहले थी लेकिन अब उससे मेरा कोई संपर्क नहीं है। मनीषा कहने लगी चलो कोई बात नहीं मैंने मनीषा से पूछा आपका भी तो कोई बॉयफ्रेंड होगा। वह कहने लगी हां मेरा एक बॉयफ्रेंड था लेकिन अब मैंने उससे दूरी बना ली है मैं उसके साथ नहीं रहना चाहती पहले हम दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन उसके गुस्से की वजह से मुझे लगा मुझे उसे छोड़ देना चाहिए और मैंने उसे छोड़ना ही बेहतर समझा। वह अब भी मुझे फोन करता है लेकिन मैं उसके फोन को उठाती ही नहीं हूं और यही वजह है कि मैं दिल्ली जॉब करने के लिए आई नहीं तो वह मुझे बहुत परेशान करने लगा था। मैंने मनीषा से कहा आप बहुत अच्छी हैं आप बड़ी शालीनता से बात करती हैं वह आपको इतना ज्यादा परेशान किया करता था। मनीषा मुझसे कहने लगी बस मैं तुम्हें क्या बताऊं उसने तो मेरा जीना भी मुश्किल कर दिया था और मैं उससे बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी थी लेकिन अब मैं बहुत खुश हूं जब से मैं दिल्ली आई हूं तब से मैं अपने काम में ही व्यस्त रहती हूं और अपने लिए मुझे कम समय मिल पाता है जिसकी वजह से मैं बहुत खुश हूं। मैंने मनीषा से कहा मैं आपसे एक बात पूछूं आपको बुरा तो नहीं लगेगा।
वह मुझे कहने लगी हां पूछो ना मैंने मनीषा की जांघ पर हाथ रखते हुए कहा मैं आपको कैसा लगता हूं तो वह कहने लगी तुम मुझे अच्छे लगते हो। मैंने मनीषा से कहा क्या मैं तुम्हें सिर्फ अच्छा लगता हूं तुमने कभी मेरे बारे में नहीं सोचा? मनीषा कहने लगी नहीं ऐसा नहीं है मैंने तुम्हारे बारे में काफी सोचा तुम बहुत अच्छे हो और मुझे तुम अच्छे लगते हो। हम दोनों बात कर ही रहे थे कि मेरा हाथ मनीषा के स्तनों की तरफ गया मेरे हाथो पर जैसे ही मनीषा के स्तनों को स्पर्श हुआ तो वह मेरी तरफ देखने लगी मैंने अपने हाथों को पीछे कर लिया और मनीषा से कहा मैं अभी चलता हूं। वह मुझे कहने लगी तुम कहां जा रहे हो अभी यहीं रुको ना लेकिन मैं वहां से चला आया मुझे उस वक्त यह ध्यान आया कि मनीषा मेरी भाभी की सहेली है और कहीं मनीषा ने भाभी से यह सब कह दिया इसलिए मैं वहां से वापस चला आया। मुझे क्या मालूम था मुझसे ज्यादा तो मनीषा के दिल मे आग लगी हुई है और वह मेरे लिए इतना ज्यादा तड़प रही है कि वह मुझसे कुछ दिनों बाद ही मिलने को बेताब हो जाएगी। जब वह मुझसे मिली तो मनीषा ने मेरे हाथ पर अपने हाथ को रखा और कहने लगी तुम उस दिन बहुत जल्दी में चले गए। मैंने मनीषा से कहा हां बस मुझे देर हो रही थी तो मैंने सोचा मैं चला जाता हूं इसलिए मैं चला आया। मनीषा मुझसे कहने लगी लेकिन मैं तो सोच रही थी कि तुम थोड़ी देर और रुकोगे।
हम दोनों बात कर रहे थे मनीषा ने मेरी छाती पर हाथ रखा तो मेरा लंड भी तन कर खड़ा हो चुका था और हम दोनों के शरीर से गर्मी बाहर निकलने लगी थी। तभी ना जाने कहां से मेरी भाभी आ गई जब वह आई तो भाभी ने मुझसे कहा तुम्हारे भैया भी आने वाले थे क्या अभी तक वह नहीं आए? उस दिन भी मेरे हाथ से मौका छूट गया और मैं मनीषा के साथ वह सब कुछ नहीं कर पाया जो मुझे करना था मैंने भाभी से कहा नहीं भैया तो अभी नहीं आए हैं। भाभी ने मनीषा से कहा तुम कब आई? मनीषा कहने लगी बस अभी कुछ देर पहले ही आई थी। मैं मनीषा की तरफ देखता ही रह गया लेकिन उस समय मै उसके साथ कुछ ना कर सका और मैं इस बात के लिए तडपने लगा। उस रात मनीषा ने मुझे फोन किया और उसने मेरे अंदर की आग जला दी उस रात हम दोनों के बीच काफी गरमा गरम बात हुई और मैं बिल्कुल भी नहीं रह पा रहा था। मनीषा के दिल में आग लगी हुई थी और मैं उसकी आग को बुझाना चाहता था, मनीषा मुझसे कहने लगी तुम मेरे पास आ जाओ ना। मैंने भी सोचा कि मैं मनीषा के पास चला जाता हूं और मैं मनीषा के पास चला गया जब मैं मनीषा के पास गया तो मनीषा तैयार होकर बैठी थी। उसने दरवाजा खोलो और मुझे कहां कुलदीप मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी उसने अपने बालों को खोला हुआ था और हम दोनो जब एक ही बिस्तर पर बैठे तो वह मेरी बाहों में आने लगी। जब वह मेरी गोद में आई तो मेरा लंड खड़ा होने लगा मैंने जैसे ही अपने लंड को बाहर निकाला तो उसे मनीषा ने अपने हाथों में लिया और कहने लगी आज तो मजा आ गया कसम से इतने समय बाद किसी के लंड को देखा है।
उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लिया और उसको चूसने लगी मुझे भी मजा आने लगा था मेरे लंड से पानी निकलने लगा और मैं जो चाहता था वह मुझे मिल चुका था। मैंने भी मनीषा के बदन से एक एक कर के उसके कपड़ों को उतारना शुरू किया जब मैंने उसके बदन से पूरे कपड़े उतार कर उसके बडे और सुडौल स्तन देखे तो में बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगा और मुझे बहुत मजा आने लगा। मेरे अंदर इतना जोश बढ़ चुका था कि मैं उसके स्तनों को चूसने लगा उसके स्तनों से मैंने दूध भी निकाल कर रख दिया। वह मुझे कहने लगी कल रात को तो तुमने मुझे तड़पा दिया था और मैं बहुत ज्यादा तड़प रही थी लेकिन आज तुम मुझे ना तड़पाओ और मेरी इच्छा को पूरा कर दो। मैंने जैसे ही अपने लंड को मनीषा की योनि पर सटाया तो उसकी योनि से गिला पदार्थ बाहर निकल रहा था। वह मुझे कहने लगी तुम अपने लंड को मेरी योनि मे डाल दो मैंने उसे कहा लेकिन यह सही नहीं है मैं कंडोम तो पहन लूं। वह कहने लगी कोई बात नहीं तुम ऐसे ही डाल दो ना मुझसे अब नहीं रहा जा रहा है।
मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल ही दिया जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि में घुसा तो उसने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और वह चिल्लाने लगी मुझे उसे धक्के मारने में बहुत मजा आ रहा था और मैं उसे तेज गति से धक्के दिए जा रहा था। काफी देर तक मैंने उसे धक्के दिए जिससे कि अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ने लगी और वह भी मेरे लिए तड़पने लगी। जैसे ही मैं उसे धक्के दिए जाता तो वह मेरा पूरा साथ देती और कहती मुझे आज तुमने मेरे बॉयफ्रेंड की याद दिला दी वह भी मुझे ऐसे ही पेला करता था लेकिन तुम मुझे घोड़ी बनाकर चोदो। मैंने उसे घोड़े बनाया और उसके बाद मैंने उसे जो धक्के दिए उससे तो उसकी चूतड़ का रंग लाल हो गया था और उसकी चूतडो का भोसड़ा बन चुका था लेकिन फिर भी उसकी इच्छा नहीं भर रही थी और काफी देर बाद हम दोनों की इच्छा भरी तो मैंने अपने वीर्य को उसकी योनि में ही गिरा दिया और उसकी आग मे अपना पानी डाल दिया।