antarvasna, hindi sex story
मेरा नाम सूरज है मैं नासिक का रहने वाला हूं। मैं एक सरकारी जॉब पर हूं और मेरी जब से नौकरी लगी है उसके बाद से मैं अपने दोस्तों से बहुत कम मिल पाता हूं। मेरी शादी को भी 10 वर्ष हो चुके हैं। इन 10 वर्षों में मेरे जीवन में बहुत ही बदलाव आया है और जब से मेरे पिताजी का देहांत हुआ है उसके बाद से तो मुझे ही घर की सारी जिम्मेदारी उठानी पड़ी है क्योंकि अभी मेरी छोटी बहन की शादी भी नहीं हुई है। घर में मैं ही बड़ा हूं और अब सारी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है इसलिए मुझे यह जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है। मैंने इससे कभी भी मुंह नहीं मोड़ा और ना ही अपने परिवार वालों को कोई भी कमी नहीं होने दी। मैं अपनी मां से बहुत ज्यादा प्रेम करता हूं और मैंने अपनी पत्नी को भी पहले ही कह दिया था कि तुम्हें मेरी मां का ध्यान रखना होगा इसलिए उसने भी कभी भी मुझे शिकायत का मौका नहीं दिया।
कुछ समय पहले मेरी छुट्टी थी उस दिन मेरा दोस्त प्रकाश मेरे घर पर आ गया। जब प्रकाश मेरे घर आया तो वह मुझे कहने लगा सूरज लगता है तुम मेरे घर का रास्ता ही भूल चुके हो। मैंने वहां उससे कहा नहीं दोस्त ऐसी कोई बात नहीं है। तुम्हें तो पता ही है कि आजकल समय निकालना कितना मुश्किल हो जाता है और घर में ही इतने सारे काम होते हैं कि छुट्टी के दिन उन कामों से ही मुझे फुर्सत नहीं मिल पाती। वह कहने लगा फिर भी महीने में एक बार तो तुम मुझसे मिल भी लिया करो। मैंने उससे कहा कि इस बार मैं तुमसे मिलने जरूर आऊंगा। वह कहने लगा मेरी पत्नी तुम्हें बहुत याद करती है और कहती है कि सूरज भैया काफी समय से घर पर नहीं आए हैं। प्रकाश भी नासिक में ही रहता है लेकिन उसके घर पर मेरा जाना संभव नहीं हो पाता। मैं जब ऑफिस से आता हूं उस वक्त काफी देर हो जाती है और उसके बाद मैं घर पर ही रहता हूं। उस दिन मैंने प्रकाश से कह दिया कि मैं तुम्हारे घर पर जरूर आऊंगा और मैं कुछ दिनों बाद अपनी पत्नी को लेकर प्रकाश के घर चला गया। मैंने रास्ते से उसके बच्चों के लिए चॉकलेट ले ली और प्रकाश के घर में मिठाई लेकर चला गया।
मैं जब प्रकाश के घर गया तो प्रकाश और उसकी पत्नी मुझे देखकर बहुत खुश हुए। हम लोग साथ में बैठकर चाय पी रहे थे। प्रकाश और मैं अपने पुराने दिनों की बात याद कर रहे थे। प्रकाश मुझे कहने लगा कॉलेज में तो तुम्हारी बहुत ही चर्चा रहती थी तुम बहुत सुर्खियों में बने रहते थे। मैंने प्रकाश से कहा अब यह बात तुम जाने दो। अब उस बात को काफी वर्ष हो चुके हैं। वह कहने लगा लेकिन वह दिन हमेशा ही याद आते हैं। उस दिन हम लोगों ने प्रकाश के घर पर ही लंच किया। मेरी पत्नी भी काफी अच्छा महसूस कर रही थी क्योंकि काफी दिनों बाद मैं उसके साथ कहीं बाहर गया था। थोड़ी देर बाद मैंने प्रकाश से कहा कि अब मुझे चलना चाहिए मुझे कहीं और भी जाना है। वह कहने लगा ठीक है मैं तुम्हें रोकूंगा नहीं क्योंकि तुम मेरे कहने पर मेरे घर आ गए यही मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। यह कहते हुए जब हम लोग वहां से बाहर निकले तो मेरी पत्नी और प्रकाश की पत्नी आगे की तरफ चल रही थी। मैं जब उनके गेट से बाहर निकला तो सामने वाली आंटी मुझे देख रही थी। मैंने प्रकाश के कानों में धीरे से कहा यह आंटी कौन है। वह कहने लगा इनका नाम शालू है और इनका नेचर बड़ा ही खराब है। यह पूरे मोहल्ले में सब के साथ झगड़ा करती हैं। मैंने भी उसके बाद उनकी तरह बिल्कुल नहीं देखा और वहां से चला गया। जब मैं घर पर आया तो मुझे कुछ काम करने थे। मैंने वह काम पूरे किया और उसके बाद मैं अगले दिन से अपने ऑफिस पर जाने लगा। मेरी वही दिनचर्या चल रही थी लेकिन एक दिन हमारे पड़ोस के अंकल के साथ मैंने शालू आंटी को देख लिया। मुझे तो मेरी आंखों पर यकीन ही नहीं हुआ मुझे लगा शायद उनको अंकल से कुछ काम होगा या फिर वह दोनो एक दूसरे को पहले से ही पहचानते होंगे इसलिए मैंने उस बात को अनसुना कर दिया परंतु कुछ दिनों से मैं अक्सर उन दोनों को एक साथ देखने लगा। मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि यह इतनी ज्यादा मुलाकात क्यों करते हैं। मैं भी इसके बारे में जानने के लिए उतारू था। मैंने एक दिन अपनी पत्नी से पूछ लिया कि यह बगल वाले अंकल के साथ आज कल एक ऑन्टी दिखाई दे रही हैं। वह कहने लगी पता नहीं इन दोनों का आपस में क्या चल रहा है।
जब मेरी पत्नी ने यह बात कही तो मुझे पूरा शक हो गया कि इन दोनों के बीच में कुछ अफेयर चल रहा है। मैंने भी उसी वक्त प्रकाश को फोन कर दिया और कहा कि तुम्हारे पड़ोस की आंटी तो हमारे पड़ोस के अंकल के साथ आजकल गुलछर्रे उड़ा रही हैं। वह भी हंसने लगा और कहने लगा शालू आंटी से जितना दूर रहो उतना ही अच्छा है इसीलिए मैंने भी इस बारे में सोचना छोड़ दिया लेकिन जब उन दोनों को मैं एक साथ देखता तो मुझे ऐसा लगता जैसे यह दोनों अपने पति और पत्नी को धोखा दे रहे हैं। हमारे पड़ोस के अंकल की पत्नी तो स्कूल में अध्यापिका है इसलिए वह घर पर नहीं रहती और उसका फायदा वह अंकल उठाते हैं। मेरा हाथो मे शालू आंटी की कमजोरी लग चुकी थी। एक दिन मै अपने पड़ोस के अंकल के घर चला गया। उस वक्त शालू आंटी भी वही आई हुई थी। जब वह दोनों अंदर कमरे में बैठे हुए थे तो मैं अंदर कमरे में चला गया। अंकल मुझे कहने लगे तुम घर के अंदर बिना पूछे कैसे आ गए। मैने उन्हें कहा आप बैठे रहिए। मैंने उन दोनों को कहा आप अपनी आदतों को सुधार लीजिए यह बिल्कुल अच्छी नहीं है। वह मेरी बातें समझ चुके थे। शालू आंटी की तो सारी हेकड़ी निकल गई। उन्होंने अपनी नजरें मेरे सामने झुका ली उनकी नजरें मुझसे कह रही थी कि आओ मेरी गांड मार लो।
मैंने अंकल से कहा मुझे आज शालू आंटी की गांड मारने चाहिए वह मना करने लगे लेकिन शालू आंटी को मुझसे अपनी गांड मरवाने की लालसा पैदा हो गई। जब वह मुझे अंदर ले गए तो अंकल की गांड जल रही थी। वह बिल्कुल नहीं चाहते थे पर मैं भी यह सोचकर आया था मैं आंटी की गांड मारकर ही रहूंगा। मैंने जैसे ही शालू आंटी के कपड़े खोले तो मैं उनकी बड़ी गांड को देखकर खुश हो गया। मैंने उनके सारे बदन को ऊपर से लेकर नीचे तक चाटा। जब मैं उनके बदन को चाट रहा था तो मुझे बहुत मजा आ रहा था। उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था। वह मुझे कहने लगी तुम्हारे साथ आज मुझे मजा आ रहा है। उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथ से पकडा और वह हिलाने लगी। वह कहने लगी तुम्हारा लंड बहुत ही मोटा है। मैंने उन्हें कहा आप अपने मुंह में ले लीजिए। उन्होंने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगी। वह मेरे लंड को अपने मुंह में बड़े अच्छे से ले रही थी। उन्होंने मेरे लंड को बहुत देर तक चूसा। मुझे बहुत मजा आ रहा था जब शालू आंटी मेरे लंड को अपने गले तक लेकर चूस रही थी। उन्होंने मेरे लंड को 2 मिनट तक चूसा उनके मुंह से झाग भी निकलने लगा था। मैंने उन्हें घोड़ी बना दिया और घोड़ी बनाते ही मैंने उनकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया। जैसे ही मेरा बड़ा लंड उनकी बड़ी चूत के अंदर घुसा तो वह चिल्ला उठी और कहने लगी तुमने तो मेरी चूत ही फाड़ दी मैंने उन्हें कहा अंकल ने क्या आपकी चूत नहीं फाड़ी। वह कहने लगी अरे बुड्ढे आदमी में कहां जान होती है। यह कहते ही मैंने भी पूरी ताकत से धक्के देने शुरू कर दिया। मैं उन्हें बड़ी तेज झटके मार रहा था। वह बहुत खुश हो रही थी। मैंने कुछ देर तक उनकी चूत मारी जब मेरा वीर्य पतन हुआ तो उसके बाद मैंने उनकी बड़ी गांड के अंदर लंड डाल दिया। मैंने जब अपने लंड को उनकी गांड के अंदर डाला तो वह अपनी गांड को मुझसे मिला रही थी। मैं भी बड़ी तेज गति से शालू आंटी की गांड मार रहा था। उनकी गांड मारने में बहुत मजा आ रहा था। मैंने उनकी गांड 5 मिनट तक मारी हालांकि मेरे लंड का बुरा हाल हो चुका था लेकिन फिर भी मुझे उनकी गांड मारकर बहुत मजा आया। उसके बाद वह मुझसे कभी अपनी नजरें नहीं मिला पाई।