चाची की बरसों की प्यास को मैंने बुझाया

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मेरा नाम रोहन है और मैं मुजफ्फरनगर का रहने वाला हूं। मैं मुजफ्फरनगर में एक कंपनी में जॉब करता हूं, जहां पर मैं मार्केटिंग का काम करता हूं, मैं काफी समय से मार्केटिंग का काम कर रहा हूं लेकिन उसके बावजूद भी मुझे अच्छा पैसा नहीं मिल पा रहा था। इतनी मेहनत करने के बावजूद भी मुझे जब अच्छे पैसे नहीं मिल रहे थे तो मैंने सोचा कि क्यों ना मैं यहां नौकरी छोड़ ही दू लेकिन मेरे पास कोई दूसरा विकल्प ही नहीं था कि यदि मैं यहां नौकरी छोड़ता हूं तो उसके बाद मैं क्या करूंगा क्योंकि मेरे घर की भी स्थिति कुछ ठीक नहीं थी। मेरे पिता भी एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और उन्होंने जैसे तैसे हमारे घर का खर्चा चलाया लेकिन अब मैं नहीं चाहता कि उनके ऊपर कुछ भी इस प्रकार का बोझ डालू,  जिससे उन्हें कोई समस्या हो, क्योंकि उनकी उम्र भी बहुत हो चुकी है और मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता कि मैं उनके ऊपर  बोज बनू।

मेरे चाचा अक्सर मुझे फोन करते रहते हैं, मेरे चाचा बेंगलुरु में रहते हैं और वह मुझे अक्सर फोन करते हैं और कहते हैं कि तुम यदि कुछ काम नहीं कर रहे हो तो तुम यहीं पर आ जाओ लेकिन मैं उन्हें कहता हूं मैं जॉब तो कर रहा हूं परंतु मैं अपनी नौकरी से बिल्कुल भी खुश नहीं हूं क्योंकी मेरी तनख्वाह बढ़ नही रही है और इतना काम करने के बाद भी मेरी तनख्वाह उतनी ही है। मेरे चाचा का नाम बिल्लू है, मेरे चाचा के बच्चे भी उनके साथ रहते हैं। उनकी बहुत ही अच्छी नौकरी है और मेरी चाची भी उनके साथ ही रहती है। उन्हें काफी समय हो चुका है बेंगलुरु गए हुए, पहले वह भी मुजफ्फरनगर में ही काम करते थे लेकिन उन्हें भी पता है मुजफ्फरनगर में उन्हें इतनी तनख्वा नहीं मिल पा रही थी इसीलिए उन्होंने बेंगलुरु जाने का फैसला कर लिया। उन्हें उनका एक दोस्त अपने साथ ले गया था। मैंने अपने चाचा से कहा कि ठीक है मैं आपको अपना रिज्यूम भेज देता हूं और आपके पास ही मैं आ जाता हूं। मैंने अपने पिताजी और मां से इस बारे में बात की, कि मैं चाचा के साथ ही बेंगलुरु जा रहा हूं, वह कहने लगे कि तुम कितने समय के लिए बेंगलुरु जाओगे।

मैंने उन्हें कहा इसका तो मुझे पता नहीं पर अब मैं वहीं पर काम करने वाला हूं क्योंकि बेंगलुरु में तनख्वा अच्छी मिल जाती है इसलिए मैंने वहां जाने का फैसला कर लिया है। मेरे माता-पिता ने भी मुझे मना नहीं किया और कहने लगे ठीक है यदि तुम्हें यही उचित लगता है तो तुम अपने चाचा के पास चले जाओ। मैंने अपनी ट्रेन का रिजर्वेशन करवा लिया और उसके बाद मैं अपने चाचा के पास चला गया। जब मैं बेंगलुरु पहुंचा तो मैंने अपने चाचा को फोन किया। उन्होंने मुझे अपना एड्रेस भेज दिया और मैं उनके बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया। मैं जब उनके बताए हुए एड्रेस पर पहुंचा तो मैंने चाचा से कहा कि मैं यहां पर पहुंच चुका हूं परंतु मुझे आपका घर नहीं मिल रहा है, उन्होंने मुझे कहा कि तुम कॉलोनी के बाहर वाली दुकान पर ही खड़े रहो, मैं वहीं दुकान के बाहर खड़ा था, कुछ देर बाद मेरे चाचा आ गए और मैं उनके साथ उनके घर पर गया तो मैंने देखा कि उनका बहुत ही बड़ा घर है। मैं पहली बार ही चाचा के पास आया था उससे पहले मैं कभी भी बेंगलुरु नहीं आया क्योंकि मैं अपनी नौकरी में इतना व्यस्त था कि मुझे बेंगलुरु आने का समय ही नहीं था। मेरे चाचा के दो बच्चे हैं जो कि कॉलेज में पढ़ते हैं, वह दोनों मुझसे मिलकर बहुत खुश हो गए और कहने लगे भैया आप तो हमें काफी समय बाद मिल रहे हैं। मैंने उन्हें कहा कि अब मैं यहीं पर काम करने वाला हूं तो वह लोग भी खुश हो गए। जब मेरी चाची मुझे मिली तो मेरी चाची भी बहुत खुश थी। मेरी चाची का नाम सविता है और मेरी मां मेरी चाची की बहुत ज्यादा तारीफ करती हैं। वह हमेशा ही कहते हैं कि तुम्हारी चाची बहुत ही अच्छी महिला है। मेरी चाची जब भी घर आती है तो वह मेरी मां के लिए हमेशा ही साड़ियां लेकर आती हैं और वह मेरी मां को कुछ ना कुछ देती है। इस बार मैं भी अपनी चाची के लिए साड़ी लेकर आया था, मैंने उन्हें कहा कि वो मेरी मां ने आपके लिए भिजवाई है।

मेरी चाची बहुत खुश हो गई और कहने लगे कि मुझे तुम्हारी मां को देखे हुए काफी समय हो चुका है। मेरे चाचा ने मुझे कहा कि मैंने तुम्हारे लिए एक जगह पर नौकरी की बात की है तुम परसो वहां इंटरव्यू देने के लिए चले जाना। मैं अब वहां इंटरव्यू देने के लिए चला गया। मेरा उस जगह पर सलेक्शन हो गया और मुझे बहुत अच्छी तनख्वा मिल रही थी जिससे मैं बहुत ही खुश हुआ और मैंने अपने चाचा को कहा कि यहां पर तो बहुत ही अच्छा है। मेरे चाचा कहने लगे कि तुम मेरे साथ ही रहोगे, मैंने कहा कि मैं कुछ समय बाद अपने लिए अलग व्यवस्था कर लूंगा लेकिन मेरी चाची भी मुझे कहने लगी कि तुम हमारे साथ ही रहो, वैसे भी हमारा इतना बड़ा घर है उसमें तुम रहे ही सकते हो। अब मैं उनके साथ ही रहने लगा लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरे चाचा का व्यवहार मेरी चाची के प्रति बिल्कुल भी अच्छा नहीं है, उन दोनों के बीच झगड़े होते थे। वह लोग आपस में बहुत झगड़ा करते हैं लेकिन जब यह लोग घर पर आते हैं तो यह बहुत ही अच्छे से रहते हैं। मैंने जब चाची से पूछा तो चाची कहने लगी कि इनका किसी अन्य महिला के साथ चक्कर चल रहा है इसीलिए वह मुझसे झगड़ा करते रहते हैं। मैंने अपनी चाची को कहा चाचा तो बिल्कुल भी ऐसे नहीं है जैसा आप उनके बारे में बता रहे हैं, मेरी चाची कहने लगी कि मैंने इन्हें एक दिन एक अन्य महिला के साथ देख लिया था। मेरी चाची बहुत ही दुखी थी और वह मुझसे कह रहे थे कि मैं बहुत ही परेशान हो गई हूं।

मेरी चाची बहुत ज्यादा रो रही थी और मैंने उन्हें अपने गले लगा लिया मैंने जब उन्हें अपने गले लगाया तो उनके बड़े बड़े स्तन मुझसे टच हो रहे थे और उनका हाथ मेरे लंड पर लग रहा था। उनका हाथ मेरे लंड पर लगता तो मेरा लंड पूरा खड़ा हो जाता। उन्हें भी अब समझ आ गया कि मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका है तो उन्होंने मेरी पैंट की चैन खोलते हुए मेरे लंड को बाहर निकाल लिया। उन्होंने मेरे 9 इंच मोटे लंड को अपने मुंह में लिया मैंने भी उनके गले तक अपने लंड को धक्का देना शुरू किया। मै बहुत ही मजे में आ गया और वह भी पूरे मूड मे आ गई मैंने भी अपनी चाची के सारे कपड़े खोल दिए और उन्हें नंगा कर दिया। मैंने उन्हें उन्हीं के बिस्तर पर लेटा दिया और कुछ देर उन्होंने मेरे लंड को ऐसे ही चूसा उसके बाद मैंने भी उनके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उनकी योनि को काफी देर तक चाटना जारी रखा उनकी चूत से बहुत पानी गिरने लगा मुझे भी बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। मैंने उनकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया उन्होंने अपनी योनि को बहुत ज्यादा टाइट कर रखा था। मैंने उन्हें बड़ी तेजी से धक्के देना शुरू किया और उन्हें बहुत मजा आ रहा था। जब मैं उन्हें चोद रहा था वह मेरा पूरा साथ दे रही थी और अपने मुंह से बड़ी तेज आवाज में सिसकियां निकाल रही थी। मैंने उनके दोनों पैरों को कसकर पकड़ लिया मैंने उन्हें इतनी तेजी से झटके मारे उनका शरीर दर्द होने लगा। मैं उनके चूचो को मुंह में लेकर चूसता जा रहा था उन्हें बहुत अच्छा महसूस हो रहा था जब मैं उनके चूचे चूसे जा रहा था। वह मुझे कहने लगी कि तुम्हारे चाचा की तो बस की बात रह नहीं गई वह मुझसे बहुत झगड़ा करते रहते हैं और ना ही वह मेरे यौवन का रसपान करते हैं। मैंने अपनी चाची से कहा आपका यौवन तो आज भी पहले जैसा ही है बचपन में तो हम आपकी पैंटी सुंघकर ही काम चला लिया करते थे परंतु आज मुझे आपने अपनी चूत मारने दी तो मुझे बड़ा मजा आ गया।  कुछ देर बाद उन्ही झटको के बीच में मेरा वीर्य गिर गया। मेरी चाची भी बहुत खुश थी और उन्होंने मुझे गले लगा लिया वह कहने लगी कि तुम ही आज से मेरी चूत मारा करोगे। मैंने उन्हें कहा कि आप जैसी माल को कौन छोड़ सकता है।

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