antarvasna, kamukta हम लोगों का ऑफिस का मैच होना था हमारे ऑफिस से दो टीम बनी थी जितने वाली टीम को हारने वाली टीम ने डिनर करवाना था। हम सब लोग खेलने के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी के दिन चले गए, मैं बैटिंग कर रहा था लेकिन मुझे क्या पता था कि बॉल इतनी तेज आकर मेरे पेट पर लग जाएगी जैसे ही बॉल मेरे पेट पर लगी तो मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ और मैं वही जमीन पर लेट गया, जैसे ही मैं जमीन पर लेटा तो सारे लोग घबरा गए वह लोग मुझे हॉस्पिटल लेकर गए जब मैं हॉस्पिटल में एडमिट हुआ तो तब जाकर मेरी जान में जान आई परन्तु मेरे पेट का दर्द ठीक ही नहीं हो रहा था और जब धीरे-धीरे मेरे पेट का दर्द ठीक होने लगा तो मुझे डर था कि कहीं कुछ ज्यादा चोट ना लग गई हो डॉक्टर ने कहा कि अब घबराने की बात नहीं है अब आप ठीक हैं।
उस हॉस्पिटल में मेरे चाचा जी की लड़की भी जॉब करती है और जब वह मुझे मिली तो वह मुझे कहने लगी भैया आज आप यहां पर कैसे आ गए, मैंने उसे कहा आज हम लोगों के ऑफिस का मैच था और खेलते समय बॉल मेरे पेट पर लग गई इसलिए मैं यहां पर एडमिट हो गया था परंतु अब मैं ठीक हूं, वह कहने लगी आपने मुझे क्यों नहीं बताया, मैंने उसे कहा मैं तुम्हें कैसे बताता मैं तो पहले से ही चोटिला था। वह मुझे कहने लगी कि आजकल आप घर पर नहीं आते हो, मैंने उसे कहा आजकल तो मुझे टाइम ही नहीं मिल पाता मुझे जब टाइम मिलेगा तो मैं जरूर तुम्हारे घर आ जाऊंगा, मैंने उसे पूछा चाचा जी और चाची जी कैसी हैं तो वह कहने लगी वह दोनों ठीक है और वह हमेशा आप की ही बात करते रहते हैं, मैंने अपनी बहन से कहा कि वह मेरी क्यों बात करते हैं तो वह कहने लगी पापा तो आपकी हमेशा तारीफ करते रहते हैं और आपकी तारीफ वह इतनी ज्यादा करते हैं कि हर रोज मुझे आपका ही सैंपल देते हैं, मैंने अपनी बहन से कहा कि क्यों चाचा जी ऐसा क्यों करते हैं तो वह कहने लगी पापा तो हमेशा आपकी बात करते हैं, मुझे नहीं पता कि वह आपकी बाते इतनी ज्यादा क्यों करते हैं।
मैंने उसे कहा अभी मैं चलता हूं वह कहने लगी क्या आप अकेले जाएंगे, मैंने उसे कहा नहीं मेरे साथ मेरे दोस्त भी हैं वह लोग अभी तो यही थे शायद यही कहीं बैठे होंगे मैं उन्हें फोन कर लेता हूं, मैंने उन्हें फोन किया तो मेरे दोस्त आ गए उन्होंने मुझे मेरे घर छोड़ दिया उस दिन दवाइयों का मुझ पर इतना असर था कि मैंने जब दवाई खाई तो मुझे बहुत ज्यादा नींद आने लगी और मैं सो गया, अगले दिन मुझे मेरी बहन का फोन आया तो वह कहने लगी अब तुम कैसे हो? मैंने उसे कहा मैं तो पहले से ठीक हूं और वैसे कोई चिंता वाली बात नहीं है कोई ज्यादा चोट नहीं लगी थी। मैंने अपनी बहन से पूछा तुम्हें किसने बताया तो वह कहने लगी मुझे कल पारुल ने फोन किया था और पारुल ने हीं मुझे बताया कि भैया हॉस्पिटल में एडमिट है, मैंने उसे कहा तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है इतनी बड़ी बात नहीं थी। हम दोनों ने कुछ देर तक बात की और उसके बाद मैंने फोन रख दिया क्योंकि मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी इसलिए मैं घर पर ही था, मेरे मम्मी पापा को तो यह बात पता थी इसलिए वह दोनों मेरा बड़ा ध्यान रखते वह लोग मुझसे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं यदि कभी भी मुझे कोई परेशानी होती है तो उन्हें बहुत चिंता होती है इसलिए मैं कभी भी उन्हें किसी चीज के बारे में नहीं बताता। डॉक्टर ने कुछ टेस्ट किए थे जिनकी रिपोर्ट लेने के लिए मुझे हॉस्पिटल जाना था और मैं हॉस्पिटल में चला गया, मैंने पारूल को फोन किया तो पारुल कहने लगी भैया मैं हॉस्पिटल में हूं और मैंने जब अपनी रिपोर्ट ले ली तो मैं पारुल से मिला, पारुल के साथ उसकी एक सहेली भी थी, पारुल ने मुझे अपनी सहेली से मिलवाया, मैंने भी उसे अपना परिचय दिया। पारुल कहने लगी भैया उस दिन तो आप जल्दी में थे लेकिन आज हम लोग केंटीन में बैठते हैं और कुछ समय साथ में बिताते हैं, मैंने उसे कहा लेकिन तुम तो अभी जॉब में हो तो वह कहने लगी कोई बात नहीं थोड़ी देर के लिए मैं आप के साथ बैठ सकती हूं। हम लोग हॉस्पिटल के कैंटीन में चले गए और वहां पर पारुल ने कॉफी ऑर्डर कर दी, हमारे साथ रेखा भी बैठी हुई थी मैंने रेखा से पूछा कहीं तुम हमारे साथ बोर तो नहीं हो रही, वह कहने लगी नहीं ऐसा तो कुछ नहीं है।
वह मुझे कहने लगी लेकिन आपने ऐसा क्यों पूछा, मैंने उसे कहा तुम कुछ भी बात नहीं कर रही हो तो मुझे लगा कि शायद तुम बोर हो रही होगी, वह कहने लगी नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो आप दोनों की बात सुन रही हूं। पारुल और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे रेखा मेरे चेहरे पर बड़े ध्यान से देख रही थी रेखा की बड़ी बड़ी आंखें मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी मैं जब हॉस्पिटल से घर गया तो पारुल का मुझे फोन आया और पारुल कहने लगी भैया मुझे आपसे कुछ कहना था, मैंने उसे कहा हां पारुल कहो लेकिन पारुल ने कुछ भी नहीं कहा और उसने फोन काट दिया, मैंने जब उसे कॉल बैक की तो वह कहने लगी अभी मैं बिजी हूं मैं आपसे शाम के वक्त बात करती हूं। पारुल ने मुझे शाम के वक्त फोन किया उस वक्त पारुल घर पहुंच चुकी थी, मैंने पारुल से कहा हां पारुल कहो तुम्हे कुछ काम था, वह कहने लगी नहीं भैया वह गलती से फोन लग गया था और उस वक्त मैं किसी पेशेंट को देख रही थी इसलिए मैं आपसे बात नहीं कर पाई लेकिन मैं समझ चुका था जरूर कोई ना कोई बात है, पारुल मुझसे उम्र में काफी छोटी है इसलिए शायद वह मुससे बात नहीं कर पा रही थी लेकिन मैंने भी उससे पूछ ही लिया तो वह कहने लगी मेरी सहेली रेखा को आप बहुत पसंद आये इसलिए मैंने आपको फोन किया था, मैंने पारुल से कहा तुम रेखा से कहना कि वह मुझे फोन करें।
काफी दिनों तक तो रेखा का फोन नहीं आया मैं अपने ऑफिस में काम पर बिजी था लेकिन एक दिन मेरे फोन पर अननोन नंबर से कॉल आई, मैंने उस वक्त फोन नहीं उठाया क्योंकि मैं उस वक्त अपने ऑफिस का काम कर रहा था मैं जैसे ही फ्री हुआ तो मैंने उस नंबर पर कॉल बैक किया, सामने से एक लड़की की आवाज आई उस वक्त मुझे नहीं पता था कि वह नंबर रेखा का है मैंने फोन करते ही पूछा आप कौन बोल रही हैं तो वह कहने लगी मैं रेखा बोल रही हूं, मेरे अंदर खुशी की लहर दौड़ पड़ी मैंने तो कभी कल्पना भी नहीं की थी कि रेखा मुझे फोन करेगी। मैंने रेखा से उसके हाल-चाल पूछे उसने मुझे कहा मैं तो अच्छी हूं, मैंने रेखा से पूछा तुमने आज कैसे फोन किया तो वह कहने लगी बस ऐसे ही आप से बात करने का मन था। मैं भी उससे बात करने लगा हालांकि उस वक्त मेरे पास ज्यादा समय नहीं था क्योंकि मुझे किसी काम से कहीं जाना था लेकिन फिर भी मैं रेखा से फोन पर बात करता रहा और मैं ड्राइव करते हुए फोन पर बात कर रहा था, मैंने रेखा से कहा मैं तुम्हें रात के वक्त फोन करता हूं, रेखा कहने लगी ठीक है रात को आप फ्री होंगे तो आप मुझे फोन करना, मैंने फोन रख दिया और मैं अपने काम पर चला गया। मैंने रात को रेखा को फोन किया और उससे मैंने काफी देर तक बात की। उस दिन हम दोनों एक दूसरे की बातों में इतना खो गए कि हम दोनों के बीच काफी हद तक अश्लील बातें होने लगी मैंने उस दिन रेखा का फिगर भी पूछ लिया उसने जब मुझे अपने फिगर का साइज बताया तो मैं उसके साथ सेक्स करने के लिए तैयार था। मैंने रेखा से उसकी नंगी तस्वीर भजने को कहा लेकिन उसने भेजी नहीं वह कहने लगी जब हम लोग मिलेंगे तो आप खुद ही देख लेना। जब अगले ही दिन में रेखा से मिला तो मैंने उसे कहा चलो फिर आज तुम अपने फिगर को मुझे दिखा ही दो। वह कहने लगी ठीक है तो फिर चलो हम दोनों वहां से मेरे घर आ गए उस दिन मेरे घर पर कोई नहीं था इसलिए हम दोनों घर पर आ गए। जब मेरे सामने रेखा ने अपने कपड़े खोले तो मैं सिर्फ उसकी तरफ देखता रहा उसने जैसे ही अपने अंतर्वस्त्रों को मेरे सामने उतारा तो मेरा लंड एकदम से तन कर खड़ा हो गया। मैंने उसे अपने पास बुलाया और अपनी गोद पर बैठा लिया मैं उसके होंठों को चूमता और कभी उसके स्तनों को अपने मुंह में लेता उसके निप्पलो को मैं अपने मुह में लेकर चूसता तो उसे भी अच्छा लगता।
जब मैंने अपने हाथ को उसकी चिकनी चूत पर लगाना शुरू किया तो उसकी चूत से तरल पदार्थ बाहर निकलने लगा क्योंकि उसने कुछ भी नहीं पहना था इसलिए मैंने उसे अपने नीचे लेटा दिया और उसकी चूत के अंदर उंगली डालने शुरू की उसकी चूत में उंगली नहीं जा रही थी फिर मैंने अपने लंड पर सरसों का तेल लगाया और उसके बिना बाल वाली चूत के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया। जब मेरा लंड उसकी चूत के अंदर गया तो उसकी सील टूट चुकी थी और उसके मुंह से बड़ी तेज आवाज निकलने लगी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत दर्द हो रहा है मैंने उसे छोड़ा नहीं और कसकर अपने नीचे दबाकर रखा। मैं बड़ी तेजी से उसे धक्के दिए जाता और इतनी तेजी से चोद रहा था कि वह अपने मुंह से सिसकिया ले रही थी। उसकी सिसकिया इतनी तेज होती कि मेरे अंदर और भी ज्यादा जोश चढ जाता। उसकी टाइट चूत के मजे मैने 10 मिनट तक लिए और 30 मिनट बाद मैने दोबारा से उसके साथ एक बार और सेक्स किया। मैंने उसे उसके घर पर छोड़ दिया जब रात को उसका फोन मुझे आया तो वह कहने लगी आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है। मैंने उसे कहा तुम्हें ऐसा क्या हो गया तो वह कहने लगी मुझे आज बुखार आ रहा है। मैं समझ गया कि मैंने रेखा के साथ आज बड़ा ही जबरदस्त सेक्स किया जिससे कि उसे बुखार आ गया।