kamukta, antarvasna मैंने सरकारी स्कूल के लिए आवेदन किया था और मेरी पहली जॉइनिंग ग्वालियर में हुई, जब मेरी पहली जॉइनिंग हुई तो मैं ग्वालियर जाने के लिए बहुत ही ज्यादा उत्सुक था क्योंकि मैं पहली बार ही ग्वालियर जा रहा था इससे पहले मैं अपने घर पर रहकर ही तैयारी कर रहा था और मैं घर में बच्चों को ट्यूशन ही पढ़ाया करता था लेकिन जब मेरी पहली जॉइनिंग ग्वालियर में हुई तो मैं वहां पर चला गया, मैं ग्वालियर में किसी को नहीं पहचानता था लेकिन जो मेरे मकान मालिक थे वह बड़े ही नेक और मदद करने वाले लोग हैं उन्होंने मेरी बहुत मदद की और कहा कि आपको यहां पर कोई भी दिक्कत नहीं होगी। उनके व्यवहार से मैं बहुत खुश था और जब मेरे मम्मी पापा का मुझे फोन आया तो मैंने उन्हें अपने मकान मालिक के बारे में बताया और कहा कि वह बड़े ही हेल्पफुल व्यक्ति हैं और उन्होंने मेरी बहुत मदद की, जब मैंने यह बात अपने माता पिता को बताई तो वह लोग बहुत खुश हुए और कहने लगे कि बेटा तुम भी उनके साथ अच्छे से रहना और अपनी तरफ से कभी भी कोई गलती मत करना, मैंने अपने माता पिता से कहा आप लोग बिल्कुल चिंता ना करें।
मुझे उस दिन अपने परिवार की बहुत याद आ रही थी और मुझे बहुत अकेला भी महसूस हो रहा था इसलिए मैं उस दिन काफी देर तक अपनी मां के साथ बात करता रहा। उनसे बात कर के मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और वह बहुत ज्यादा भावुक हो गए और कहने लगी कि बेटा तुम अपना ध्यान रखना और यदि तुम्हें कुछ ऐसा लगे तो तुम मुझे फोन कर के बता देना, मैंने अपनी मां से कहा अब मैं आपको परेशान तो नहीं कर सकता आप पिता जी का ध्यान रखिएगा। मैंने उस दिन फोन रख दिया लेकिन मैं बहुत अकेला महसूस कर रहा था और कुछ दिनों तक तो मुझे अपने सामान को रखने में ही समय लग गया इसमें मेरे मकान मालिक ने भी मेरी बहुत मदद की यदि वह मेरी मदद नहीं करते तो शायद मैं इतनी जल्दी अपना सामान सेटल नहीं कर पाता, मैंने सब कुछ अच्छे से रख लिया था मुझे खाना बनाने में परेशानी तो होती थी लेकिन उसके बावजूद भी मैं खाना बनाया करता था ताकि मुझे खाना बनाना आ जाए। मेरे मकान मालिक ने मुझे कहा कि तुम्हें जब भी मेरी जरूरत हो तो तुम मुझे बता देना, मैंने उनसे कहा सर आपने पहले ही मेरी इतनी मदद की है आप जैसे व्यक्ति का मिलना बहुत मुश्किल है और आपका स्वभाव भी बहुत अच्छा है, मैंने उनसे कहा यदि आप नहीं होते तो मुझे बहुत तकलीफ होती, उनका व्यवहार और उनका बात करने का तरीका मुझे बहुत प्रभावित करता कुछ दिनों बाद ही मैं स्कूल जॉइन करने वाला था। उनके और मेरे बीच में काफी बातें होती थी हम लोग शाम के वक्त एक साथ टहलने के लिए जाया करते, जिस दिन मेरा पहला दिन था उस दिन मैं बहुत ज्यादा उत्सुक था।
मैं जब पहले दिन स्कूल में पढ़ाने गया तो सब लोग मुझे ही देख रहे थे क्योंकि मेरी उम्र भी इतनी ज्यादा नहीं थी, मैंने जब अपनी पहली क्लास पढ़ाई तो बच्चे कहने लगे कि सर आप बहुत अच्छा पढ़ाते हैं, मेरी क्लास में सब बच्चे बड़े ध्यान से पढ़ा करते थे लेकिन उसी क्लास में एक लड़की थी उसका नाम अहाना था, उस वक्त वह 12वीं की पढ़ाई कर रही थी कुछ ही समय बाद एक्जाम भी होने वाले थे लेकिन अहाना मुझे बहुत ध्यान से देखा करती, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह मुझे इतने ध्यान से क्यों देखती है। एक दिन मैंने उसे अपने ऑफिस में बुला लिया और उसे मैंने पूछा कि आखिरकार तुम मुझे इतना क्यों देखती हो? उसने मुझे कुछ जवाब नहीं दिया, मैं उसकी चुप्पी को समझ नहीं पाया फिर मैंने भी उसे उस वक्त कुछ नहीं कहा लेकिन वह हमेशा ही मुझे ऐसे ही देखा करती थी मैंने उसे समझाने की कोशिश की और सोचा कि मुझे इस बारे में दोबारा से अहाना से बात करनी चाहिए, मैंने अहाना से इस बारे में तो बात की लेकिन वह तो जैसे कुछ समझने को तैयार ही नहीं थी, उस दिन उसने मुझे कहा कि सर आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं इसलिए मैं आपको इतने ध्यान से देखती हूं, मैंने उसे समझाया और कहा देखो अहाना तुम्हारी उम्र अभी बहुत कम है और तुम इन सब चीजों में ना ही पढ़ो तो ज्यादा अच्छा रहेगा लेकिन उसे वह सब कुछ समझ नहीं आया।
कुछ समय बाद उसके एग्जाम भी हो गए और जब रिजल्ट आया तो वह फर्स्ट डिवीजन से पास भी हो गई उसके बाद अहाना ने कॉलेज में दाखिला ले लिया लेकिन उसके बाद भी वह जब भी मुझे मिलती तो हमेशा ही मुझे बहुत घूर कर देखती, मैं नहीं चाहता था कि मैं अपनी मर्यादाओं को पार करू, हमारे बीच में गुरु और शिष्य का संबंध था इसीलिए मैंने अहाना की तरफ कभी भी उस नजरों से नहीं देखा। मैं भी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने में व्यस्त हो गया और काफी समय तक मुझे अहाना भी नहीं दिखी, मैं सोचने लगा चलो यह तो अच्छा ही हुआ कि अब वह मुझे नही मिलती लेकिन एक दिन वह मेरे घर पर ही आ गई और उस वक्त मैं घर पर ही था, वह मुझे कहने लगी कि सर मुझे आपकी मदद चाहिए थी, मैंने उससे कहा तुम्हें भला मेरी क्या मदद चाहिए, वह कहने लगी कि मुझे कॉलेज हमें पढ़ाया हुआ कुछ समझ नहीं आता तो क्या मैं आपसे इस बारे में पूछ सकती हूं? मैंने उसे कहा ठीक है तुम्हें जब भी मेरी मदद की जरूरत हो तो तुम मुझसे पूछ लिया करना। उसे जब भी कुछ समझ नहीं आता तो वह मुझसे पूछ लिया करती लेकिन आहाना की मंशा तो कुछ और ही थी वह तो सिर्फ बहाना बनाकर मेरे पास आना चाहती थी। अब उसका शरीर पूरे तरीके से खिलने लगा था उसके स्तन भी बाहर की तरह साफ दिखाई देने लगे थे जब वह मेरे पास आती तो हमेशा अपनी जांघों और अपने बालों पर हाथ फेरती रहती।
मैं भी भला कितने समय तक अपने आप को रोकता एक दिन जब उसने मेरे सामने अपने स्तनों का प्रदर्शन किया तो उसके स्तन देखकर में अपने आपको रोक ना सका, वह मेरे पास आकर बैठी थी मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया वह पहले से ही मुझ पर डोरे डालती थी इसलिए उसे कोई भी दिक्कत नहीं थी। जब मैंने उसे अपनी बाहों में लिया तो मैंने उससे पूछा तुम्हारे स्तन तो बहुत बड़े हो चुके हैं। वह कहने लगी यह सब मैंने दबा दबा कर बडे कर दिए है, कॉलेज के लड़के भी मेरे स्तनों पर हाथ साफ कर दिया करते हैं लेकिन जब भी मैं आपको देखती हूं तो आपको देखकर ना जाने क्यों ऐसा लगता है कि सिर्फ आपके साथ ही मुझे रहना चाहिए। मैंने उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाना शुरू किया और काफी देर तक मैं उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाता रहा। जब मैंने अपने होठों से उसके पतले से होठों को चूसना शुरू किया तो वह सिर्फ मेरी आंखों में आंखें डाल कर देख रही थी मैंने उसके होठों से खून भी निकाल कर रख दिया था। मैं उसके होंठो को चूस रहा था और उसने अपनी जींस को उताराना शुरू कर दिया। मैंने जब उसकी गोरी टांगों को देखा तो उस पर एक भी बाल नहीं था मैंने जब उसकी काली पैंटी को अपने हाथों से निकाला तो उसकी गांड को मैंने अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया। जब मैंने उसकी चूत की तरफ देखा तो उसकी चूत पर बाल नहीं थे, मैं उसकी चूत को अपनी उंगलियों से सहलाने लगा। जब मैं उसकी चूत को अपनी उंगलियों से सहलाता तो उसके मुंह से ना चाहते हुए भी मादक आवाज निकाल रही थी जैसे उसकी चूत में लंड चला गया हो।
अभी तो मैंने सिर्फ उसकी चूत में उंगली डालने की कोशिश की थी जब मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह से चूसना शुरू किया तो मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मैंने उसके स्तनों पर अपने दांत के निशान भी मार दिया। हम दोनों का शरीर गर्म हो चुका था मुझसे तो बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को सटा दिया उसने अपनी आंखें बंद कर ली। मैंने उससे पूछा तुमने अपनी आंखें क्यों बंद की तो वह कहने लगी मुझे बहुत डर लग रहा है। मैंने जब अपने लंड को उसकी योनि पर सटाया तो उसने मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया और कहने लगी मैं आपके लंड को खुद ही डालूंगी। उसने मेरे लंड को अपन चूत मे डालना शुरू किया और मैंने भी उसक चूत मे डालना शुरू किया, मैंने अपने लंड को धकेलते हुए अंदर घुसा दिया उसकी सील टूट गई उसकी योनि ने खून बाहर की तरफ को छोड़ना शुरू कर दिया। मै उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करता तो मुझे उसकी चूत का टाइट होने का एहसास होता। उसकी चूत का छेद बड़ा ही छोटा था जैसे-जैसे में उसे धक्के देता रहता तो मेरा लंड आसानी से उसकी चूत के अंदर बाहर होता रहता।
वह अपने मुंह से सिसकियां ले रही थी वह इतनी तेजी से चिल्लाने लगी मुझे डर लग रहा था कि कहीं मकान मालिक ना आ जाए मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और उसे कहा तुम थोड़ा धीरे चिल्लाओ लेकिन आहाना तो लगातार तेजी से चिल्ला रही थी। मैं भी जोश में हो गया मैंने भी सोचा छोड़ो पहले आहाना कि चूत मार लूं उसकी चूत से लगातार खून बह रहा था मैं लगातार तेजी से उसे धक्के दिए जा रहा था। मुझे उसे धक्के देने में जो आनंद की अनुभूति हो रही थी वह मेरे लिए भी पहली बार थी क्योंकि इससे पहले मैंने जितने भी लड़कियों को चोदा था वह सब पहले से ही किसी से चुदी हुई थी। मैंने पहली बार अपने जीवन में किसी लड़की की सील तोड़ी थी इसलिए यह मेरे लिए भी खुशी का क्षण था और आहाना भी बहुत खुश थी। मैं भी कितने देर तक उसकी गर्मी को बर्दाश्त कर पाता मैंने अपने वीर्य को उसके पेट पर गिराया तो वह खुश हो गई उसने अपने पेट से मेरे वीर्य को साफ करते हुए मुझे चूमने लगी। वह कहने लगी मैं तो आपसे स्कूल के समय से ही बहुत प्यार करती हूं लेकिन आपने कभी मेरी तरफ इतने ध्यान से नहीं देखा। मैंने उसे कहा मैं स्कूल में तुम्हारा टीचर भी था परंतु अब तुम कॉलेज में हो और तुम्हारे साथ मुझे सेक्स करने में कोई आपत्ति नहीं है।