उनमें वह बात कहां

Hindi sex story, kamukta मैं बैंक में जॉब करता हूं मैं पहले अपने शहर में ही नौकरी करता था मैं इंदौर का रहने वाला हूं। मेरा जीवन भी बहुत अच्छे से चल रहा है मेरी शादी को 5 वर्ष हो चुके हैं मेरी पत्नी और मैं इंदौर में ही रहते थे हम लोग अपने माता-पिता के साथ रहते थे लेकिन जब मेरा ट्रांसफर दिल्ली में हुआ तो मुझे यह चिंता सताने लगी कि मैं दिल्ली में कैसे रहूंगा क्योंकि मैं अपनी पत्नी को अपने माता पिता के पास ही रखना चाहता था वह लोग बुजुर्ग हैं और उनकी देखभाल करने के लिए कोई भी घर पर नहीं है मैं घर में इकलौता हूं इसी वजह से मैंने अकेले ही दिल्ली जाने का फैसला किया और मैं अकेले ही दिल्ली में रहने लगा। मुझे दिल्ली में आए हुए कुछ महीने हो चुके थे शुरुआत में तो मुझे बहुत तकलीफ हुई लेकिन मैंने जिस जगह पर घर लिया वहां पर अंकल आंटी बहुत ही कोपरेटिव है उन्होंने मेरी बड़ी मदद की जिस वजह से मुझे कोई भी दिक्कत नहीं आई।

मैं सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान दिया करता मुझे खाने की समस्या थी तो वह भी मेरी समस्या दूर हो चुकी थी क्योंकि आंटी जी ने मुझे कहा बेटा तुम हमारे घर पर ही खाना खा लिया करो वैसे भी हम लोग घर में दो लोग ही तो हैं और यदि हम तुम्हारे लिए भी खाना बना देंगे तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं है। मुझे भी लगा कि मुझे उनके साथ ही खाना खाना चाहिए मैंने आंटी से कहा मैं उसके बदले आपको कुछ पैसे दे दिया करूंगा आंटी कहने लगी ठीक है बेटा तुम देख लो जैसा तुम्हें ठीक लगता है। मैं सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान दिया करता था अब मेरी आसपास के लोगों से भी जान पहचान होने लगी थी मुझे पान खाने का बड़ा शौक है इसलिए मैं जिस जगह रहता हूं वहां पर जो पनवाड़ी है उससे मेरी अच्छी बातचीत हो गई थी और जब भी वह मुझे देखता तो मेरे हिसाब से वह पान बना दिया करता। मुझे काफी समय दिल्ली में हो चुका था मैं बीच में एक दो बार भी अपने घर हो आया था और जब भी मेरी छुट्टी रहती तो मैं अपने घर चले जाता।

एक दिन मुझे मेरे दोस्त रोहित का फोन आया रोहित मुझे कहने लगा तुम आजकल कहां हो तो मैंने उसे बताया मैं तो दिल्ली में हूं और मेरी पोस्टिंग कुछ समय पहले ही यहां हो गई थी वह मुझे कहने लगा यार मैंने तुम्हें इसलिए फोन किया था क्योंकि मैं तुम्हारे घर गया था और तुम्हारी पत्नी ने मुझे बताया कि उनकी पोस्टिंग तो दिल्ली में हो चुकी है। रोहित और मैं कॉलेज में साथ पढ़ा करते थे कॉलेज से हम दोनों की दोस्ती अच्छी हो गई थी मैंने रोहित से कहा रोहित कहो तुम्हे क्या कुछ काम था तो वह कहने लगा हां यार दरअसल मेरा छोटा भाई उसका नाम अरमान है शायद उससे एक बार तुम मिले भी थे। मैंने रोहित से कहा मुझे ध्यान तो नहीं है मैं उसे कब मिला था लेकिन तुम बताओ क्या काम था वह कहने लगा उसका भी सिलेक्शन बैंक में हो चुका है और उसकी पोस्टिंग दिल्ली में हुई है तो क्या तुम उसकी मदद कर सकते हो। मैंने रोहित से कहा तुम कैसी बात कर रहे हो तुम्हारा छोटा भाई है तो मेरा भी छोटा भाई हुआ और मेरी भी कुछ जिम्मेदारी उसे लेकर बनती है तुम चिंता ना करो तुम उसे मेरा नंबर दे देना मैं सारा कुछ अरेंजमेंट उसके लिए करवा दूंगा। अगले दिन मुझे अरमान ने फोन किया और कहा भैया मैं अरमान बोल रहा हूं मैंने अरमान से कहा अरमान मुझे रोहित ने बताया था कि तुम्हारा इलेक्शन बैंक में हुआ है और तुम दिल्ली में आने वाले हो तुम एक काम करना जब तुम दिल्ली आ जाओ तो तुम मुझे फोन कर देना और रहने के लिए मेरे पास उचित व्यवस्था है तो तुम मेरे साथ ही रुक लेना। मैंने अरमान को जब यह बात बताई तो वह कहने लगा भैया वैसे भी दिल्ली में मैं किसी को जानता नहीं हूं और भैया ने जब मुझे बताया तो मुझे थोड़ा अच्छा लगा कि कम से कम कोई परिचित तो अपने वहां पर हैं। मैंने अरमान से कहा तुम चिंता मत करो तुम सिर्फ अपना सामान ले आना और पहुंचते ही मुझे फोन करना कुछ दिनों बाद अरमान का फोन मुझे आया और वह कहने लगा मैं स्टेशन पहुंच चुका हूं। मैंने अरमान से कहा मैं तुम्हें एड्रेस मैसेज कर देता हूं तुम सीधा ही घर पर पहुंच जाना मैंने आंटी को तुम्हारे बारे में बता दिया है और आंटी तुम्हें मिल जाएगी शाम तक मैं भी ऑफिस से घर लौट आऊंगा अरमान कहने लगा ठीक है भैया मैं घर पर ही पहुंच जाता हूं।

मैंने अरमान को घर का पता दे दिया और वह वहां से सीधा घर चला गया जब मैं शाम को लौटा तो मैंने अरमान से कहा तुम्हे कोई दिक्कत तो नहीं हुई वह कहने लगा नहीं भैया मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। मैंने रोहित को फोन किया और कहा अरमान भी पहुंच चुका है तुम उसकी चिंता बिल्कुल मत करो, मैंने कुछ देर रोहित से बात की और उसके बाद अरमान से मैंने पूछा तुम्हारा कौन से बैंक में सिलेक्शन हुआ है तो उसने मुझे बताया मैंने उसे कहा मैं जिस जगह काम करता हूं उससे पांच साथ किलोमीटर आगे है तुम्हारा ऑफिस है। अरमान मेरे साथ ही रहने को तैयार हो गया मैंने भी आंटी से बात कर ली और आंटी को भी कोई दिक्कत नहीं थी मैंने उनसे कहा आप किराया बढ़ा दीजिए लेकिन वह मेरे साथ ही रहेगा आंटी के साथ मेरे संबंध बड़े अच्छे हैं इसलिए उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी अब हम लोग साथ में रहने लगे सब कुछ बड़े अच्छे से चल रहा था। मैंने अरमान से कहा मैं कुछ दिनों के लिए इंदौर जा रहा हूं अरमान कहने लगा भैया मुझे आपको कुछ सामान देना था तो आप मेरे घर पर दे दीजिएगा।

मैंने अरमान से कहा क्या सामान था तो उसने मुझे एक लिफाफा दिया उसके अंदर ना जाने क्या था मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हारे घर पर दे दूंगा और मैं जब इंदौर पहुंचा तो मैं अरमान के घर पर चला गया वहां मुझे रोहित भी मिला मैंने रोहित को लिफाफा दे दिया वह मुझसे अरमान के हाल-चाल पूछने लगा मैंने उसे कहा वह ठीक है और उसकी सारी जिम्मेदारी मुझ पर है तुम उसकी बिल्कुल चिंता ना करो। मैं वहां से अपने घर चला आया मैं कुछ दिनों तक अपने घर में रहा उसके बाद मैं दिल्ली लौट आया समय इतनी तेजी से निकल रहा था कि पता ही नहीं चला कब दो साल हो गए। अरमान के लिए उसके घर वालों ने एक लड़की भी देख ली थी और उसका रिश्ता भी तय हो चुका था अरमान ने मुझे जब लड़की की फोटो दिखाई तो मैंने उसे कहा लड़की तो देखने में सुंदर है तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए अरमान कहने लगा हां भैया मैं भी सोच रहा था कि अब शादी कर ही लेता हूं। सब कुछ बड़े अच्छे से हुआ और अरमान की भी शादी हो गई अरमान और मैं कुछ समय तक तो साथ में रहे लेकिन अरमान मुझे एक दिन कहने लगा भैया मैं अपनी पत्नी को अपने साथ लेकर आ रहा हूं तो मैं सोच रहा था कि कहीं अलग ही घर देख लेता हूं मैंने अरमान से कहा तुम एक काम करो यही पड़ोस में हम लोग कहीं घर देख लेते हैं। हमने पड़ोस में ही एक घर देख लिया और वहां पर हम लोगों ने सारा अरेंजमेंट कर लिया था ताकि अरमान की पत्नी को कोई दिक्कत ना हो अरमान मुझे अपने बड़े भैया रोहित की तरह मानता है। हम लोगों ने पूरी शिफ्टिंग कर ली थी कुछ समय बाद अरमान अपनी पत्नी को ले आया उसकी शादी को भी ज्यादा समय नहीं हुआ था अरमान मुझसे मिलने के लिए कभी कबार आ जाया करता था। एक दिन में अरमान के घर पर चला गया अरमान घर पर ही था मैंने जब उसकी पत्नी को देखा तो मुझे उसे देखकर एक अलग ही फीलिंग आई उसके स्तन बड़े और ऊभरे हुए थे और उसकी गांड का साइज भी बहुत बड़ा था लेकिन मुझे फिर यह अहसास हुआ की यह तो अरमान की पत्नी है इसलिए मैंने अपने दिमाग से यह ख्याल निकाल दिया परंतु उसके बाद जब भी मैं उसे देखता तो मेरी नियत खराब हो जाती।

एक दिन वह मुझसे मिलने के लिए मेरे घर पर आ गई उस दिन अरमान ऑफिस से लेट आने वाला था इसलिए वह मेरे साथ ही बैठी हुई थी। अरमान की शादी को कुछ ही समय हुआ था उसकी पत्नी बड़ी ही सेक्सी थी और वह बहुत सुंदर थी। वह मेरे साथ बैठी हुई थी मुझे उससे बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन जब हम दोनों ने बात की तो मैंने उससे पूछा अरमान तुम्हारा ध्यान रखता है और वह तुमसे प्यार तो करता है। वह कहने लगी अरमान मेरा बहुत ध्यान रखते है और मुझे प्यार भी करता है, मैंने जब अरमान की पत्नी को अपने पास बुलाया तो वह मेरे पास आकर बैठ गई मैं उसकी जांघो को सहलाने लगा। मैं जब उसकी जांघो को सहलाता तो मुझे बहुत मजा आता मैंने जब अपने मोटे लंड को बाहर निकाला तो वह उसको देखकर शर्मा गई। वह कहने लगी आपका लंड तो बहुत ही काला है मैंने उसे कहा तुम अपने मुंह में लोगी तो तुम्हें बहुत मजा आएगा। उसने मेरे लंड को पकडा और उसने मेरे लंड को हिलाना शुरू किया और अपने मुंह में ले लिया।

वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर तक ले रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था जब उसने मेरे लंड को संकिग करना शुरू किया तो उसे बहुत मजा आता मैंने भी उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया। मैंने उसे घोडी बना कर बहुत देर तक चोदा उसकी चूत पूरी तरीके से छिल चुकी थी और मेरा लंड भी छिल चुका था लेकिन मुझे उसे छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था इसलिए मैं उसे लगातार तेजी से धक्के मार रहा था। उसकी चूत इतनी ज्यादा टाइट थी कि मेरा लंड बुरी तरीके से छिल चुका था और खून से लतपत हो चुका था तब भी मैं उसे धक्के दे रहा था। उसकी टाइट चूत से आग बाहर निकलने लगी मैं उसे ज्यादा देर तक बर्दाश्त ना कर सका और मेरा वीर्य पतन हो गया जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो वह मुझसे लिपट गई और कहने लगी आपने तो आज मेरी चूत मारकर मेरी इच्छा पूरी कर दी। मैंने उसे कहा अरमान भी तो तुम्हें चोदता होगा वह कहने लगी हां वह भी मुझे चोदते हैं लेकिन वह जल्दी थक जाते हैं परंतु आपने तो आज मेरी इच्छा पूरी कर दी।

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