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मेरा नाम आनंद है और मैं एक शादीशुदा व्यक्ति हूं। मेरी शादी को 4 वर्ष हो चुके हैं। मेरी उम्र 34 वर्ष है। मैं गोरखपुर का रहने वाला हूं और मेरे घर पर मेरे पापा और मेरी मम्मी हैं। मेरे दो भाई भी मेरे साथ ही रहते हैं। वह अभी अपने कॉलेज की ही पढ़ाई कर रहे हैं और वह दोनों साथ में ही पढ़ते हैं। मैं अपने जूतों की दुकान चलाता हूं और मुझे वह दुकान चलाते हुए काफी समय हो चुका है। मेरे घर का माहौल बहुत ही खुशनुमा रहता है और मुझे बहुत ही अच्छा लगता है जब मैं अपने घर पर होता हूं। मेरी पत्नी का नेचर भी बहुत अच्छा है। वह मुझसे बहुत प्रेम करती है और मैं भी उसे बहुत प्रेम करता हूं। मैंने जब उसे पहली बार देखा तो मुझे उसे देखते ही प्रेम हो गया था और मैंने उसी समय सोच लिया था कि मैं उसी से शादी करूंगा। मेरी पत्नी का नाम रेखा है। वह हमेशा ही मेरा साथ देती है और कहती है कि मैं हमेशा ही तुम्हारे साथ खड़ी हूं।
एक वक्त मेरे पिताजी का मेरे साथ बहुत ज्यादा बुरा बर्ताव हो गया था। क्योंकि मेरा काम बिल्कुल नहीं चल रहा था और मेरे पिताजी चाहते थे कि मैं अपना काम बदल कर कुछ और काम शुरू कर लूं लेकिन मैंने उन्हें कहा कि मैं यही काम करूंगा। आप थोड़ा सब्र रखिए, कुछ ना कुछ अच्छा हो जाएगा लेकिन वह मुझे कहते कि यदि तुम इसी प्रकार से काम करते रहोगे तो तुम्हारा भविष्य खराब हो जाएगा और पहले तो तुम अकेले थे, परंतु अब तुम्हारे साथ तुम्हारी पत्नी भी है। तुम उसका भी भविष्य खराब मत करो। इसलिए मुझे भी ऐसा लगने लगा कि कहीं मेरी वजह से मेरी पत्नी का भविष्य खराब ना हो जाए। मैंने उससे इस बारे में बात की तो वह कहने लगी कि आप अपने काम पर ध्यान दीजिए। पिताजी से मैं बात कर लूंगी। आप उसकी दिक्कत बिल्कुल भी मत ले। अब मैं अपने काम पर पूरा ध्यान देने लगा और जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे ही मेरा काम भी समय के साथ अच्छा होता गया और अब बहुत ज्यादा अच्छा चल रहा है। जिससे मेरे पिताजी भी बहुत खुश हैं और यह सब मेरी पत्नी की वजह से संभव हो पाया है। क्योंकि उसने मेरा बहुत साथ दिया है। मुझे जब भी समय मिलता तो मैं उसके साथ जरूर समय बिता लिया करता।
हमारे पड़ोस के अग्रवाल जी ने अपना घर बेच दिया तो वह घर किसी और ने खरीद लिया। जब वह घर किसी और ने लिया तो मैं अक्सर वहां एक महिला को देखा करता था। मैं जब भी अपने काम से सुबह घर से निकलता तो वह मुझे घूर कर देखती और मुझे उसके सामने अपनी नजरों को झुकाना पड़ता। परंतु वह हमारे पड़ोस में ही रहती थी इसलिए वह मुझे अक्सर देखी जाती थी। बाद में जब मैंने उस महिला का नाम पता करा तो उसका नाम सुमन था और वह एक विधवा महिला थी। उसके साथ में उसका एक बच्चा भी रहता था। जिसकी उम्र 10 वर्ष की होगी और वह स्कूल में पढ़ता था। सुमन अक्सर मुझे मिल जाया करती थी। मैं जब भी शाम को अपनी दुकान से वापस आता तो मैं छत पर टहला करता था। वह मुझे दिख जाया करती और वह मुझे घूर कर देखा करती थी। मैं कई बार उससे नजर बचाने की कोशिश करता था। क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि वह मुझ पर लाइन मार रही है। परंतु फिर भी मैं उससे बचने की कोशिश किया करता था। क्योंकि मैं अपनी पत्नी रेखा से बहुत प्रेम करता था और मैं उसे कभी भी धोखा नहीं देना चाहता था। एक दिन इत्तेफाक से सुमन मेरी दुकान में आ गई। उसे पता नहीं किस ने बता दिया कि मेरी दुकान है। जब वह मेरी दुकान में आई तो मुझे कहने लगी कि मुझे कुछ अच्छी सैंडले दिखा दीजिए। मैंने उससे दुकान से फैंसी सैंडल निकाल कर दी तो वह मुझसे बात करने लगी। वह मुझसे बहुत बात कर रही थी और मैं भी उससे बात करने लगा। क्योंकि वह मेरी दुकान में आई हुई थी इसलिए मैं उसे बिल्कुल भी अनदेखा नहीं कर सकता था। अब उसने मेरी दुकान से कुछ सामान खरीद लिया और कहने लगी कि यदि मुझ पर यह सैंडल छोटी होती है या मुझे पसंद नहीं आएगी तो क्या आप वापिस कर देंगे। मैंने उसे कहा कि हां वापस हो जाएगी। अब हमारी दुकान से काफी शॉपिंग करके ले गई और जब वह अपने घर गई तो मुझे वह शाम को मिली और कहने लगी कि मुझे एक सैंडल पसंद नहीं आ रही है। तो आप उसे अभी ले जाइए और कल आप जब शाम को लौट आए तो आप मुझे वापस कर दीजिएगा। मैंने उसे कहा ठीक है आप मुझे बहुत सैंडल दे दीजिए। मैं आपको कल दूसरी ला दूंगा और अब उसने अपने घर से लाकर मुझे वह सैंडल दे दी और मैंने उससे कहा कि मैं कल आपको दूसरी सैंडल लाकर दे देता हूं। अब मैं अपने घर चला गया।
जब मैं सुबह घर से निकल रहा था तो मुझे सुमन दिखाई दे गई। वह कहने लगी कि आप आज मेरी सैंडल ले आएंगे। मैंने कहा कि हां मैं आपकी सैंडल ले आऊंगा आप उसकी चिंता मत कीजिए। अब मैं अपनी दुकान में चला गया और शाम को जब मैं अपनी दुकान से लौटा तो मुझे याद था कि सुमन की सेंडल लेकर जानी है। मैंने जब उसके घर की डोरबेल बजाई तो उसने मुझे अंदर बुला लिया और कहने लगी आप थोड़ी देर बैठ जाइए। वह मेरे लिए पानी ले आई और जैसे ही वह पानी ला रही थी तो उसका पैर फिसल गया वह मेरे ऊपर गिर पड़ी। जब वह मेरे ऊपर गिरी तो उसके स्तन मेरे मुंह पर लग गए और मुझे उसे देखकर बिल्कुल भी रहा नहीं गया। उसने भी तुरंत ही मेरे होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया। वह बहुत ही अच्छे से मेरे होठों को चूस रही थी और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। अब मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था और मैंने भी तुरंत उसके सारे कपड़े उतार दिया और उसके बड़े बड़े स्तनों को जब मैंने देखा तो मेरा मूड खराब हो गया। मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। उसके स्तनों से दूध भी निकल रहा था जो मैं पी जाता। उसने मेरी पैंट से मेरे लंड को बाहर निकालते हुए अपने मुंह के अंदर समा लिया और जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह में डाला तो वह बहुत ही अच्छे से उसे चूस रही थी। उसने अपने गले के अंदर तक मेरे लंड को समा लिया था वह इतनी तेजी से उसे चूस रही थी कि मेरा पानी भी गिरने लगा। अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मैंने उसे उठाते हुए उसके बिस्तर पर पटक दिया। उसकी सलवार को जब मैंने खोला तो उसकी योनि बड़ी ही मस्त थी मैंने उसमें उंगली डालना शुरू कर दिया। मैं जब अपनी उंगली को उसकी योनि के अंदर बाहर करता तो उसे बहुत ही अच्छा लगता उसकी योनि पूरी चिपचिपी हो चुकी थी और मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था। मैंने भी अपने लंड को उसकी योनि के अंदर डाल दिया और मैं उसे धक्के देने लगा। जब मैं उसे धक्के देता तो वह अपने मुंह से बड़ी तेज मादक आवाज निकाल रही थी और उसकी उत्तेजना भी बहुत बढने लगी थी। उसे बहुत ही मजा आ रहा था जब मैं उसे धक्के दिए जा रहा था। उसने अपने दोनों पैरों को खोल लिया और मैं उसकी योनि के अंदर जब अपने लंड को डालता जिससे कि उसके गले से आवाज निकल जाती। मैंने उसे उल्टा लेटाते हुए उसकी गांड के अंदर अपने मोटे लंड को डाल दिया। जब मैंने अपने लंड को उसकी गांड में डाला तो वह चिल्लाने लगी और कहने लगी कि आपने तो मेरी गांड ही फाड दी है। मैंने उसे कहा कि तुम मुझे इतना घूर घूर कर देखती हो मेरी गांड भी तुम्हें देखकर फटती है अब मैं तुम्हें बताता हूं कि तुम्हारी गांड में कैसे मारता हूं। अब मैं उसे बड़ी तीव्रता से झटके दिए जा रहा था। मैंने इतनी तेजी से झटके दिए कि उसका पूरा शरीर हिलने लगा और उसकी चूतडे पूरी लाल हो जाती। उसकी गांड पूरी तरह लाल हो चुकी थी मैंने उस पर अपने हाथों से भी फेरना शुरू कर दिया। वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगी अपने चतडो को ऊपर की तरफ उठाती तो मैं उसे धक्का देकर नीचे कर देता। उसकी गांड छिल चुकी थी लेकिन मैं उसे ऐसे ही धक्के दे रहा था। कुछ देर बाद उसकी गांड से कुछ ज्यादा ही गर्मी बढ़ाने लगी और मेरे लंड से वीर्य उसकी गांड के अंदर जा गिरा।