हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सोहेल है और मेरी उम्र 24 साल है, में मुंबई का रहने वाला हूँ. दोस्तों यह मेरी पहली कहानी है, इसमें मैंने देखा है कि बहुत से लोग अपनी सेक्स घटनाओ को लिखते है, में दिन में जब कभी भी फ्री होता हूँ तो इसकी कहानियों को जरुर पढ़ता हूँ और फिर एक दिन आख़िरकार मैंने भी सोचा कि में आप सभी को मेरे साथ हुई अनेक सेक्सी घटनाओ में से यह एक पहली कहानी बताऊँ, जिसमे मुझे जो चाहिए था, वो मिल गया.
दोस्तों में एक कम्पनी में नौकरी करता हूँ और एक मध्यमवर्गीय फेमिली का हूँ और मेरी लम्बाई 5.8 इंच और दिखने में एकदम ठीक ठाक हूँ.
दोस्तों यह आज से 8 महीने पहले की बात है, जब मेरे फाईनल एग्जाम को दो महीने बाकी थे और आने जाने में ज्यादा टाईम खराब ना हो, इसलिए मैंने कॉलेज से थोड़ी ही दूरी पर मेरे मौसा के फ्लेट में रहना शुरू किया और उस समय में अकेला ही रहता था और में कभी कभी अपने कुछ दोस्तों को भी पढ़ाई करने के लिए अपने घर पर बुलाता था.
एक दिन सुबह सुबह कुछ किताबें लेने के लिए अपने एक दोस्त के घर गया और फिर में अंदर जाते ही दरवाजे के पास एक कुर्सी पर बैठ गया, क्योंकि दोस्त ने मुझे जूते नहीं उतारने दिए थे और फिर उसने अंदर की तरफ एक आवाज़ दी और एक लड़की ने पानी लाकर मुझे दिया.
फिर मैंने पानी पीते पीते सोचा कि शायद यह लड़की मेरे दोस्त की कोई रिश्तेदार होगी, क्योंकि में अपने दोस्त के घर पर सभी घरवालों को पहचानता था और वहां पर सिर्फ़ वो लकड़ी ही मुझे नयी लग रही थी.
फिर पहले मैंने उस लड़की पर इतना ध्यान नहीं दिया और में दोस्त से गप्पे शप्पे करने लगा और फिर कुछ देर बाद देखा तो वो लड़की फिर से बाहर आई, लेकिन इस बार वो किचन के अंदर से ज़मीन पर पोछा लगाते हुए बाहर की तरफ आई और उसी समय मेरा ध्यान उसके बूब्स पर गया, क्योंकि वो अपना दुपट्टा उतारकर पोछा लगा रही थी.
में तो उसके बूब्स को हिलते हुए बाहर निकलते हुए देखकर जैसे कि पागल सा हो गया था और अब मेरा लंड धीरे धीरे कड़क होने लगा था और में क्या कहूँ दोस्तों वो उस समय पसीने से एकदम लथपथ थी और उसके कान के पीछे से पसीना निकलकर गर्दन पर से होते हुए उसके दोनों बूब्स के बीच की दरार के अंदर जा रहा था.
मेरा मन तो कर रहा था कि अगर उस समय घर पर कोई नहीं होता तो में अभी उसके बूब्स को बाहर निकालकर चूसने लगता. फिर बातों बातों में मैंने दोस्त से पूछा कि यह लड़की कौन है? तो उसने जवाब दिया कि वो उसकी कामवाली लड़की है, जो सुबह से दोपहर तक उसके घर का काम करती है. फिर मैंने पूछा कि और उसके बाद वो कहाँ पर काम करने जाती है? तो मेरे दोस्त ने कहा कि उसके बाद वो अपने घर पर चली जाती है.
दोस्तों में क्या बताऊँ खुशबू को देखकर में क्या कोई भी नहीं रह सकता और उसे देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि वो एक कामवाली बाई है, वो तो बिल्कुल परी जैसी लगती है. उसकी उम्र आंटी ने 23 साल बताई थी और उसके बूब्स ज़्यादा बड़े नहीं थे, लेकिन एक हाथ में तो उसका एक बूब्स भी नहीं आ सकता और उसकी कमर बिल्कुल पतली और नीचे से तो वो 36 इंच की ही होगी.
दोस्तों उसकी लम्बाई लगभग मेरे बराबर ही थी और काम के कारण ज़्यादा धूप में घूमने से वो थोड़ी ही गोरी है, लेकिन उसका असली गोरा रंग उसके बूब्स से पता चल रहा था. फिर दोस्त ने तुरंत मुझसे पूछा कि सोहेल यार तेरे जान पहचान में किसी को कामवाली बाई चाहिए क्या? तो मैंने पूछा कि क्यों? तो उसने जवाब दिया कि खुशबू को दोपहर से शाम तक के लिए भी कोई काम चाहिए, क्योंकि खुशबू ने मेरे दोस्त के घरवालों से कहा था कि खुशबू को और काम की ज़रूरत है.
मैंने सोचा कि वाह इससे अच्छा मौका और कभी नहीं मिलेगा और मैंने तुरंत दोस्त से कहा कि हाँ यार मुझे मेरे घर के लिए भी एक कामवाली चाहिए थी. फिर दोस्त ने तुरंत खुशबू को कहा कि यह लो तुम्हारा काम हो गया, हमने वहीं पर खुशबू से काम की और पैसे की लेन देन की बातें कर ली और खुशबू को उसी दोपहर से काम पर आने के लिए कह दिया.
में वहां से निकलने लगा तो वैसे ही मेरे दोस्त की माँ ने मुझे रोका और कहा कि तू खुशबू को भी तेरे साथ ले जा और तेरे घर जाने का रास्ता भी दिखा देना, वर्ना बाद में इसे लेकर तेरे घर पर कोई नहीं आएगा और वैसे भी लगभग आज घर का सारा काम हो गया है और मेरे दोस्त की माँ ने खुशबू से कहा कि वो मेरे घर पर काम खत्म करके सीधे अपने घर पर चली जाए और फिर दूसरे दिन सुबह आना.
फिर मेरे दिमाग में तो अब सचमुच में उसे चोदने का भूत चड़ गया था. फिर में दरवाजे पर उसका इंतजार करने लगा, वो 5 मिनट में तैयार होकर आ गयी और जब वो आई तो दोस्तों खुशबू को देखकर तो मेरा लंड फिर से उठने लगा, क्योंकि खुशबू ने चश्मा लगाया था, जिसको पहनने के बाद वो और भी सुंदर दिख रही थी और बालों को जल्दी बाजी में ऊपर की तरफ पानी के फव्वारे की तरह बनाया था. उस समय वो बहुत ही शरीफजादी लग रही थी, लेकिन बहुत सेक्सी भी लग रही थी.
फिर में खुशबू के साथ नीचे आया और ऑटो रिक्शे में बैठाकर उसे अपने घर पर ले जाने लगा और जब जब मेरी बाहें उससे चिपक रही थी, तब तब खुशबू के जिस्म की गरमी मुझे महसूस हो रही थी और घर पर पहुंचते ही मैंने उसको सारा काम समझाया, जैसे कि कपड़े धोना एक दिन के बर्तन साफ करके स्टेंड पर लगाना और बहुत कुछ और उसके बाद उसने कहा कि बस इतना ही काम सर जी.
मैंने मज़ाक में उससे पूछा कि तुम और क्या क्या काम कर सकती हो? तो खुशबू ने कहा कि मुझे पैसों की बहुत ज़रूरत है और तुम्हे काम की ज़रूरत है और मुझे धीरे धीरे लगने लगा था कि वो किसी और बातों की तरफ इशारा कर रही है. वो बहुत ही खुले विचारो वाली लग रही थी और मुझे भी खुशबू से बात करने में बहुत अच्छा लगने लगा और हम बैठक रूम में बैठकर बातें करते करते में टी.वी. भी चालू करना भूल गया था.
फिर मैंने बातें जारी रखी. उसने कहा कि वो खाना तैयार करना चाहती है और किचन में सामान कहाँ कहाँ है, उसे दिखाओ. फिर हम दोनों बातें करते करते किचन में चले गये. मैंने फिर से खुशबू से पूछा कि तुम्हे क्या क्या काम आता है? तो उसने बिना डरे सीधा जवाब दिया कि सर आप जिस चीज़ से खुश हो जाओगे, में वो भी काम कर लूँगी और अब तो मुझे सीधा सीधा ग्रीन सिग्नल मिल चुका था. फिर में उसके पास गया, वो उस समय चावल धो रही थी.
(TBC)…