antarvasna, kamukta मैं अक्सर अपने ऑफिस के बाद बार में जाता था, मेरा हमेशा का यही रोटीन था मैं अपने ऑफिस से 7 बजे फ्री होता था और मैं 7:30 बजे तक बार में पहुंच जाता, उस बार का नाम हैप्पी बार था मैं उनका रेगुलर कस्टमर था और मैं हमेशा वहां पर दो पैग मार कर अपने घर चला जाता, मेरी पत्नी हमेशा मुझे कहती कि तुम हमेशा ही शराब पीकर आते हो, क्या तुम सीधे घर नही आ सकते लेकिन मैं उतनी ही पीता था जितना मुझे लगता था। मैंने कभी भी दो पैग के ऊपर शराब नहीं पी थी और यह मेरी हमेशा की ही आदत है मैं अपनी पत्नी को छोड़ सकता था लेकिन मैं शराब कभी नहीं छोड़ सकता था मेरा उससे इस बात को लेकर हमेशा झगड़ा होता, मैं उससे कई बार कह चुका था कि यदि तुम्हें मेरे साथ नहीं रहना तो तुम अपने मायके चली जाओ, उसे यह बात तो अच्छे से पता है कि मैं दिल का बहुत अच्छा हूं और कभी भी मैंने उसके साथ गुस्से में बात नहीं की लेकिन उसे मेरी इस आदत से बहुत ही नफरत थी वह मुझे हमेशा कहती कि हां मैं अपने मायके चली जाऊंगी लेकिन वह कभी भी अपने मायके नहीं गई।
मेरा हमेशा का यही रूटीन था, उसी बार में मेरी मुलाकात संगीता के साथ हुई जब मेरी मुलाकात संगीता से हुई तो उससे मेरी दोस्ती बढ़ने लगी संगीता के बारे में मुझे पहले ज्यादा कुछ पता नहीं था लेकिन वह मुझे हमेशा अपने बारे में बताती, धीरे धीरे मैं उसे भी जानने लगा था उसके पति का बिजनेस दुबई में था और वह दिल्ली में रहती है, संगीता को पैसों की कोई भी कमी नहीं थी इसीलिए कई बार वह मेरा बिल पे कर देती थी मैं उसे हमेशा मना करता की तुम मेरा बिल पे क्यो क्यों करती हो लेकिन वह मुझे कहती कि एक दोस्त दूसरे दोस्त का बिल पे नहीं कर सकता लेकिन मुझे यह अच्छा नहीं लगता था मैं उसे हमेशा मना करता परंतु वही मेरा बिल पे कर दिया करती थी। मैं संगीता से कहता कि तुम पढ़ी लिखी हो तो तुम कोई काम क्यों नहीं कर लेती, वह मुझे कहती काम तो मैं करना चाहती हूं लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा कि मुझे क्या काम करना चाहिए। संगीता अकेली ही रहती थी और उसे अकेला रहना पसंद भी था, उसका नेचर ऐसा था की जो चीज उसे पसंद आती थी वह उसी वक्त उस चीज को हासिल कर लेती, मैंने जब संगीता से इस बारे में बात की तो वह कहने लगी ठीक है मैं अपने पति से इस बारे में बात करती हूं।
वह जब अगले दिन मुझे मिली तो वह कहने लगी मैं अपना कोई काम शुरू करना चाहती हूं तुम बताओ मैं अपना कोई काम कैसे शुरू करूं, मैंने उसे कहा आजकल तो इतने सारे काम है तुम कोई भी काम शुरू कर लो और तुम एक अच्छी महिला हो, बात करने में भी तुम काफी एक्टिव हो, तुम्हारा काम अवश्य चलेगा, मैंने उसे बताया तो उसने कुछ दिनों बाद ही अपना नया काम शुरू कर लिया उसने एक गाड़ी का शोरूम खोल लिया, उसकी शोरूम की ओपनिंग में मैं भी गया था उसने बड़ा ही जबरदस्त शोरूम खोला था और मैं उस वक्त सोचने लगा कि क्या संगीता के पास इतने पैसे हैं? वह मुझे कहने लगी तुम्हारी वजह से देखो मैंने इतना बड़ा शोरूम खोल लिया है, उसने किसी कंपनी की फ्रेंचाइजी ले ली थी उसका काम अच्छा चलने लगा था लेकिन वह हर शाम को मेरे साथ बार में जरूर आती क्योंकि उसे भी यही आदत थी, हम दोनों की दोस्ती और भी गहरी होती चली गई और वह जब भी अकेली होती तो मुझे फोन कर दिया करती, मैं अपने ऑफिस से फ्री होकर उसी के पास चला जाता या फिर हम लोग बार में बैठा करते थे। मैंने एक दिन संगीता से कहा मुझे भी कार लेनी है क्या तुम मुझे कार दिलवा सकती हो? वह कहने लगी तुम जब मर्जी आ जाओ और मेरे शोरूम से कार लेकर चले जाना। मैंने उसे कहा लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं है, वह कहने लगी कोई बात नहीं तुम बाद में पैसे दे देना, पहले मैंने सोचा कि मैं रहने देता हूं लेकिन मुझे लगा कि अब कार की मुझे जरूरत पड़ रही है तो मैंने उसके शोरूम से कार ले ली मेरे पास पैसे थोड़ा कम पैसे थे पर उसने कहा कोई बात नहीं तुम बाद में पैसे दे देना, मैं नई कार लेकर बहुत खुश था और मेरी पत्नी भी बहुत खुश थी मैं अपनी पत्नी को अपने साथ लॉन्ग ड्राइव पर भी लेकर गया, वह मुझे कहने लगी चलो तुमने अपने जीवन में एक काम तो अच्छा किया।
मैंने उस दिन उसे कहा मैंने अपने जीवन में कोई भी काम गलत नहीं किया है तुम सिर्फ मुझे गलत नजरिए से देखती हो और तुम्हारा नजरिया बहुत गलत है, वह कहने लगी लेकिन मैं तुमसे प्यार भी तो करती हूं और तुम्हें इतने सालों से झेल भी रही हूं, मैंने उसे कहा अच्छा तुम मुझे इतने वर्षों से झेल रही हो, क्या मैं तुमसे प्यार नहीं करता, हम दोनों ही एक दूसरे के साथ उस दिन बहुत खुश थे मैं जब घर लौटा तो मैंने अपनी पत्नी को एक साड़ी भी गिफ्ट कि वह बहुत खुश हो गई और कहने लगी आज तो तुमने मुझे साड़ी भी गिफ्ट कर दी मैं बहुत ही खुश हूं, उसे मुझसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी लेकिन मैंने उसे एक अच्छा सरप्राइज दिया तो वह इतनी ज्यादा खुश हुई की उसने उस दिन मुझे गले लगा लिया। मैंने उसे कहा तुम मुझे साड़ी पहन कर दिखाओ उसने मुझे साड़ी पहन कर दिखाई तो उस दिन मेरा मन उसे चोदने का होने लगा उस दिन मैंने उसकी चूत बड़े अच्छे से मारी। उस दिन उसने मुझे अपनी चूत अच्छे से मारने दी। अगले दिन जब मैं संगीता से मिला तो संगीता किसी से बहुत गुस्से में बात कर रही थी। मैंने उसे कहा तुम किस से बात कर रही हो? वह कहने लगी मैं अपने पति से बात कर रही हूं वह ना जाने आज क्या अनाप शनाप बात कर रहे हैं।
मैंने उसके हाथ को पकड़ा और कहा अभी फोन रख दो जब मैंने उसका हाथ पकड़ा तो वह मेरी तरफ बड़े ध्यान से देखने लगी। उसने कहा मैंने आज तक तुम्हारी तरफ कभी इन नजरों से नहीं देखा लेकिन आज ना जाने मेरे दिल में तुम्हें लेकर कुछ ख्याल पैदा होने लगे हैं। मैंने उसे कहा तुम्हारे दिल में मेरे लिए ऐसा क्या ख्याल पैदा हो रहे हैं। वह कहने लगी आज मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करने की इच्छा है। मैंने भी कभी संगीता के बारे में ऐसा नहीं सोचा था लेकिन उस दिन मेरा लंड उसे देखकर खड़ा हो गया। हम दोनों उसके घर पर चले गए उसने अपने कपड़े खोल दिया। जब मैंने उसके बड़े स्तनों को देखा तो उसके स्तनों को दबाने लगा मुझे उसके स्तन को दबाने मे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया मैं उसके स्तनों को बड़े अच्छे से अपने मुंह मे ले रहा था। मैंने अपने लंड को उसकी योनि पर रगडना शुरू किया तो वह कहने लगी अब मुझे इतना ना तड़पाओ जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो। मैंने भी अपने लंड को उसकी योनि के अंदर डाल दिया, जब उसकी योनि के अंदर मेरा लंड प्रवेश हुआ तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत दर्द हो रहा है लेकिन तुम्हारे लंड को अपनी चूत में लेकर मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा है। मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया और तेजी से चोदने लगा, मैं उसके यौवन का जाम ज्यादा समय तक नहीं पी पाया। जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह बहुत खुश हो गई थी। उसके बाद उसने मुझे कहा मेरी गांड की गर्मी को भी आज तुम शांत कर दो मेरी गांड भी बड़ी मचल रही है। उसने मेरे लंड को बड़े अच्छे से तेल से मालिश किया, उसके बाद मैंने अपने लंड को उसकी गांड में डाल दिया जब मेरा लंड संगीता की गांड में गया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं उसे धक्के मार रहा था उसकी गांड से खून भी निकलने लगा, मेरा लंड भी छिलकर दर्द होने लगा था। मैं उसे लगातार तेजी से धक्के मारता जाता, जब उसकी गांड से कुछ ज्यादा ही गर्मी बाहर निकलने लगी तो मैंने उसे कहा मै तुम्हारी गांड के अंदर ही वीर्य को गिरा दूं। वह कहने लगी नहीं तुम मेरी गांड के ऊपर गिरा दो मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए उसकी गोरी गांड के ऊपर अपने वीर्य को गिरा दिया वह बहुत ही खुश हो गई। वह कहने लगी आज मुझे बहुत मजा आ गया मैंने कभी ऐसा सोचा नहीं था लेकिन ना जाने आज तुम्हें देखकर मुझे ऐसा क्यों लगा। मैंने उसे कहा मैंने भी तुम्हारे बारे में कभी ऐसा नहीं सोचा था।