हेल्लो मेरे प्रिय भाइयों और बहनों कैसे हो आप लोग | आशा करती हूँ की आप लोग सभी ठीक-ठाक होंगे और रोज टाइम निकाल कर सेक्सी कहानियां पढ़ते होंगे | मैं रोज कोई न कोई एक अच्छी सी सेक्सी कहानी लेकर आती हूँ और आप लोगो के बीच में शेयर करती हूँ | तो चलिए दोस्तों मैं आप लोगो को सीधा कहानी की ओर ले चलती हूँ उससे पहले आप लोग थोडा मेरे बारे में जान लीजिये |
दोस्तों मैं आप की अपनी मोहनी शर्मा | मैं पंजाब की रहने वाली हूँ | मेरी फॅमिली एक छोटी फॅमिली है जिसमे मेरे मम्मी पापा और एक मेरी छोटी बहन है | मेरी एक इलेक्ट्रिकल्स की बहुत बड़ी दुकान है | मेरे पापा मम्मी दोनों लोग दुकान को सँभालते हैं | दोस्तों मैं इस कहानी में आप लोगो को यह बताउंगी की मैंने कैसे एक अंधे लड़के से अपनी चुदाई करवाई | तो चलिए दोस्तों मैं आप लोगो को सीधा कहानी की ओर ले चलती हूँ |
तो मेरे सभी भाइयों और बहनों ये बात उस समय की है जब मैं अपनी 12 वीं की पढाई अपने ही शहर में करती थी | मैं अपने कॉलेज स्कूटी से जाया करती थी | जो मेरे पापा ने मुझे मेरे जन्मदिन पर दी थी | जिस कॉलेज में मैं पढ़ती थी उसी कॉलेज में मेरी छोटी बहन भी पढ़ती थी | मैं उसे अपने साथ में ही रोज बैठाल कर कॉलेज ले जाया करती थी | दोस्तों मैं अपने कॉलेज में खूबशुर्ती के मामले में बहुत सुंदर थी | मेरे कॉलेज के बहुत सारे लड़के मेरे पीछे कुत्तों की तरह दीवाने थे पर मैं इतनी स्ट्रिक्ट थी अपने कॉलेज में की किसी भी लड़के की इतनी औकात नही थी की वो मुझसे बात कर के | जब मैं 11 वीं क्लास में थी तब मुझे एक 12 वीं क्लास के लड़के ने मेरा हाँथ पकड़ कर मुझे पर्पोस किया था | तो ये बात मैंने अपने चाचा जी से बताई थी उन्होंने उस लड़के को कॉलेज में इतना मारा था की पूरा कॉलेज खड़े होकर देख रहा था किसी के हिम्मत नही थी की कोई मेरे चाचा के पास जाके उसे छुड़ा ले | यहाँ तक की प्रिन्सिपल सर भी खड़े होके देखे जा रहे थे | इसीलिए मुझे कोई कॉलेज में अपनी स्मार्टनेस नही दिखता था | मेरे इस सक्त बेहवियर से मेरी सहेलिया मुझे हिटलर कहके बुलाती थी और कुछ लडकिया तो मुझसे चिढती भी | एक दिन मैं और मेरी कुछ सहेलियां क्लास में बैठकर इंटरवल में खाना खा रहे थे | तभी मेरी एक सहेली ने मुझसे शाम को कहीं घूमने को कहा की क्यों न हम शाम को पार्क में चले बहुत मजा आएगा | मैंने थोड़ी देर तक सोंचा और फिर मैंने उसे हाँ कह दिया | छुट्टी हुयी मैं अपनी छोटी बहन को अपने साथ लेके अपने घर आयी खाना पीना किया किया और मैंने अपनी मम्मी से पूंछा की मैं आज दोस्तों के साथ पार्क घूमने जा रही हूँ थोडा देर में आउंगी | मैंने अपनी स्कूटी स्टार्ट की और दोस्तों के साथ पार्क चली गयी | वहां मैंने देखा की मेरी सहेलिओ के बॉयफ्रेंड भी आये थे | मैंने अपनी सहेली से कहा की यही तु मुझे लेके आयी है पार्क घूमने | उसने मुझसे कहा की यार ये सब तुझे पसंद नही है पर हम लोगो को पसंद है | मैंने सोंचा की मैं यार मैं अपनी लाइफ को अपने हिसाब से चलाती हूँ दुसरो की लाइफ में दखलंदाजी देने का मुझे कोई हक नही है | वो लोग अपने-अपने बॉयफ्रेंड के साथ बिजी हो गयीं और मैं अकेली बैठकर वहां का माहोल देख रही थी |
थोडी देर तक मैंने वहां टहला और फिर बाद में मैं वहां से चली आयी थी | रात हो गई थी मैं अपनी स्कूटी से आ रही थी | तभी मैंने रास्ते में देखा की एक आदमी एक औरत के कंधे पर हाथ रख कर रोड के किनारे जा रहे थे | मैंने अपनी स्कूटी उनके पीछे रोकी और देखने लगी की ये कहाँ जा रहे हैं | थोड़ी दूर तक वो पैदल चले और फिर वो रोड के निचे उतर कर थोड़ी दूर पर बैठ गये मैं उन्हें देखे जा रही थी | थोड़ी देर तक उन दोनो ने बाते की फिर उस आदमी ने औरत को नीचे जमीन पर घास में लिटा दिया और उसकी साडी ऊपर उठा कर उसकी कमर तक कर दी | फिर उसने अपनी पेंट खोली और अपना लंड निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया और जोर-जोर से उसकी चूत में धक्के दिए जा रहा था | वो औरत अपने मुह से आह आहा अह आहा अह आहा अह आहा हा आहा अह आह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उन्ह उन्ह उन्ह्ह्हह उन्हह उन्ह्ह्ह उन्ह्ह्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह इह्ह की सिस्कारिया निकाल रही थी जो की रोड तक सुनाई पड रही थी | मैंने थोड़ी देर तक उनकी रासलीला देखी फिर रात भी ज्यादा हो रही थी मैं वहां से चली आयी | मैं अपने घर पहुंची और खाना पीना करके अपने कमरे में बैठ कर टीवी देख रही थी | मैंने थोड़ी देर तक टीवी देखा और फिर मैंने टीवी बंद किया और लेट गयी |
थोड़ी देर तक मैं लेती रही तभी मेरा दिमाक उन दोनों पर गया जो रास्ते के किनारे चुदाई कर रहे थे | मैं भी उनके बारे में सोंच-सोंच कर गरम हो गई थी और अपनी उंगली को अपनी चूत में डाल कर फिंगरिंग किये जा रही थी और मेरा मन यही कह रहा था की कोई मुझे मिल जाये और मेरी चुदाई कर दे | मैं अपनी चूत में फिंगरिंग करते-करते मेरी चूत से पानी निकल आया था | मैंने अपनी चूत को साफ़ किया और फिर मैं सो गयी | अगले दिन मेरी छुट्टी थी तो मैं अपने कॉलेज नही गयी थी | पापा-मम्मी ब्रेकफास्ट करके दुकान पर चले गये थे | मेरी छोटी बहन भी आधे दिन के बाद दुकान पर चली गयी थी | मैं घर पर अकेली थी तो मैं अपना मोबाइल पे फेसबुक चला रही थी | थोड़ी देर तक मैंने फेसबुक चलाया फिर मैं अपने मोबाइल में पोर्न विडियो देखने लगी | मैं पोर्न विडियो देखते अपनी चूत में उंगली डाल रही थी तभी मेरे डोर की बील बजी | मैं उठ कर गयी तो देखा की एक अँधा लड़का खड़ा था और खाने के लिए कुछ मांग रहा था | उसकी उम्र कम से कम 18 -19 की होती | मैंने उसको अन्दर बुलाया और मैंने उसको पहले खाना खिलाया और फिर बाद में मैंने उससे अपनी चूत की गर्मी मिटवाना चाहा | मैं उसे लेके अपने रूम के अन्दर चली गयी मैंने उसकी पैन्ट नीचे को उतार दी और उसका लंड अपने मुह में ले के चूसने लगी | वो सरमा रहा था और फिर बाद में अपने मुह से अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अहह अह्ह्ह की सिस्कारिया निकालने लगा था | मैं फिर अपने कपडे निकाल कर बेड पर लेट गयी और उसका मुह अपनी चूत में लगाके चटवाने लगी | वो इतने अच्छे से मेरी चूत को चाट रहा था की मैं बेड पर मचलते हुए अपने मुह से आह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह अह्ह्ह अहह उन्ह उन्ह उन्ह उह उन्ह उन्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह इह्ह इह आह्ह आह्ह्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह की सिस्कारिया निकाल रही थी | थोड़ी देर तक मैंने उसको अपनी चूत को चटवाया फिर मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और खड़े लंड में अपनी चूत डाल कर जोर-जोर से उसके लंड पर कूद रही थी और अपने मुह से अहह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अहह अहह अहहह आह आह्ह आह्ह अह्ह्ह आह्ह आह्हह अह्ह्ह अह्ह्ह अहः अहहाह अहः आह्हह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ओह्ह ऊह्ह ओह्ह ओह्हो होह्ह इह्ह ओह्ह इह्ह इह्ह इह्ह इह्ह्ह इह्ह इह्ह ईह्ह इह्ह इह्ह आह आहा अह आहा अह अह आहा अहः अह आह आहा आह्ह की सिस्कारिया निकाल रही थी | थोड़ी देर तक मैं उसके लंड पे कूदी फिर वो मेरी चूत मी ही झड गया था | मैं अभी तक नही झड़ी थी मैंने उसका लंड अपने मुह में डाल कर एक बार फिर खड़ा किया और दोबारा अपनी चूत में उसके लंड को अन्दर लिया और जोर-जोर से कूदे जा रही थी | मैं अब झड़ने वाली थी और मैं उसके लंड पर कूदे जा रही थी और अपने मुह से जोर-जोर से अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह उन्ह उन्ह उन्ह्ह्ह उन्हह उन्ह्ह्ह उन्ह्ह्ह उन्ह्ह्ह उन्हह उन्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह इह्ह इह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह ओह्ह इह्ह अहहह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह की सिस्कारिया निकाल रही थी | थोड़ी देर के बाद में और वो एक ही साथ झड गये थे | अब रात होने वाली थी और मम्मी पापा के भी आने का समय हो गया था | मैंने अपने कपडे पहने और उसको भी कपडे पहनाये और कमरे के बाहर आ गये | मैंने उसको जाते-जाते 500 रूपये दिए और कहा की कुछ खा लेना जाके |
तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी इस तरह से मैंने अपनी चूत की आग एक अंधे से बुझवाई | आशा करती हूँ की आप लोगो को पसंद आएगी |