antarvasna, kamukta मेरा नाम अंकित है मैं रोहतक में रहता हूं मैंने अपने कॉलेज के बाद अपने पिताजी का बिजनेस जॉइन कर लिया उसके बाद मैं उनके काम को अच्छे से आगे बढ़ा पा रहा हूं और वह भी बहुत खुश है, उन्होंने मुझे ही सारी जिम्मेदारी सौंप दी थी और कहां बेटा अब तुम ही सारी जिम्मेदारी संभालो। मेरी छोटी बहन को जब भी पैसों की जरूरत पड़ती तो वह मुझसे ही पैसे लिया करती क्योंकि अब सारा कुछ घर का खर्चा मैं ही चलाया करता था और सब कुछ मैं हीं देखा करता हूं। एक दिन मैंने अपने चाचा के लड़के संकेत को फोन कर दिया और कहा संकेत मुझे तुमसे मिलना था वह मुझे कहने लगा हां क्यों नहीं, संकेत दिल्ली में रहता है और मैं कुछ दिनों के लिए दिल्ली जा रहा था इसलिए मैंने सोचा कि संकेत से मिल लिया जाए संकेत एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता है और वह वहां पर एक अच्छे पद पर है मैं जब उससे मिलने के लिए दिल्ली गया तो संकेत मुझे कहने लगा तुम घर पर आ जाओ मैंने संकेत से कहा नहीं मैं घर पर नहीं आऊंगा नहीं तो चाचा जी मुझे रुकने के लिए कहेंगे लेकिन संकेत ने मुझे जिद करते हुए घर पर ही बुला लिया और मैं जब चाचा चाची से मिला तो वह लोग मुझे देखकर बहुत खुश हो गए।
काफी समय बाद ऐसा मौका आया था जब मैं चाचा और चाची से मिला था वह मुझे कहने लगे अब तो तुम अपने काम में ही व्यस्त हो गए हो, मैंने चाची से कहा नहीं चाची ऐसी बात नहीं है मैं दिल्ली बहुत कम आता हूं और मैं किसी काम के सिलसिले में यहां आया था तो सोचा कि संकेत को फोन कर दूँ। मैंने चाचा चाची के साथ बहुत देर तक बात की और उसके बाद जब संकेत ने मुझे कहा कि क्यों ना तुम और मैं मेरे रूम में बैठ जाते हैं मैंने संकेत से कहा ठीक है हम लोग तुम्हारे रूम में चलते हैं, उस दिन संकेत और मैं साथ में ही रुकने वाले थे मैंने संकेत से पूछा तुम्हारी लाइफ कैसी चल रही है तो वह कहने लगा बस यार तुम्हें क्या बताऊं काम का प्रेशर इतना ज्यादा रहता है कि अपने लिए समय ही नहीं निकाल पाता और अपने लिए तो जैसे बिल्कुल ही समय नहीं है, मैंने संकेत से कहा क्या तुम कहीं घूमने नहीं गए वह मुझे कहने लगा यार जब भी कहीं घूमने का प्लान बनाते हैं तो तब तक कोई और ही दूसरा खर्चा सामने आ जाता है और वैसे भी सैलरी में कुछ होता नहीं है मैंने संगीत से कहा हां तुम बिल्कुल ठीक बोल रहे हो, संकेत मुझे कहने लगा घूमने का मन तो बहुत होता है लेकिन घूमने के बारे में सोचते ही हमेशा कुछ ना कुछ दिमाग में चल पड़ता है।
इस बात से मुझे लगा कि मैं भी काफी समय से कहीं घूमने नहीं गया हूं तो क्यों ना संकेत और मैं साथ में कहीं घूमने चलें, मैंने संकेत से कहा चलो ठीक है मैं कहीं घूमने का प्लान बनाता हूं लेकिन तुम्हें मेरे साथ चलना पड़ेगा संकेत कहने लगा ठीक है मैं तुम्हारे साथ जरूर चलूंगा। उसके बाद संकेत और मैंने घूमने का प्लान बना लिया हम दोनों ने उस रात को घूमने का पूरा प्लान बनाया मैंने भी सोचा कि क्यों ना हम लोग 15 20 दिनों के लिए कहीं लंबे टूर पर चले जाएं मैंने संकेत से कहा तुम जब ऑफिस से छुट्टी ले लोगे तो मुझे बता देना हम लोग इस बार अपनी बाइक से ही सफर करेंगे लेकिन संकेत बहुत डरा हुआ था वह कहने लगा यार मुझे बाइक से जाना बिल्कुल ठीक नहीं लग रहा मैंने उसे समझाते हुए कहा तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है तुम आराम से मेरे साथ बाइक पर चलना। संकेत को डर लग रहा था इसलिए हम दोनों ने बाइक का प्रोग्राम कैंसिल करते हुए कार से जाना मुनासिब समझा हम दोनों कार से रोहतक से होते हुए माउंट आबू के लिए निकल पड़े जब हम लोग वहां के लिए निकले तो बीच में एक ढाबा पड़ा वहां पर हम दोनों ने खाना खाया मुझे बहुत ज्यादा भूख भी लगी हुई थी क्योंकि हम लोगों ने राजस्थान में घूमने का प्रोग्राम बनाया था इसलिए हम लोग सबसे पहले माउंट आबू जाना चाहते थे और जैसे ही हम लोग ढाबे पर पहुंचे तो वहां पर हम लोगों ने जमकर खाना खाया और उसके बाद कुछ देर हम लोगों ने आराम किया उसके बाद हमे कुछ लोग मिले उन्होंने हमें कहा कि आप हमें लिफ्ट दे सकते हैं? मैंने कहा आपको जाना कहां है तो वह कहने लगे कि हमें माउंट आबू जाना है मैंने उन्हें कहा यहां से माउंट आबू कितना दूर है तो वह कहने लगे यहां से आपको 10 घंटे लग जाएंगे और फिर वह हमारे साथ चलने के लिए तैयार हो गए वहां एक परिवार था उस में महिला और पुरुष और उनके साथ एक व्यक्ति और थे।
वह लोग हमारे साथ कार में आ गये जब वह हमारे साथ कार में आए तो हम लोग उनसे काफी देर तक बात करते रहे उनसे मुझे बात करना बहुत अच्छा लग रहा था और मैं उनसे गाड़ी चलाते हुए बात कर रहा था वह हमें वहां के बारे में बहुत सारी चीजें बताने लगे जो हम दोनों को नहीं पता थी लेकिन अब मैं कार चलाते बहुत थक चुका था इसलिए मैंने संकेत से कहा कि तुम अब सरकार चलाओ। संकेत अब कार चलाने लगा और मैं उन लोगों से बात करने लगा मुझे उनसे बात करना अच्छा लग रहा था और काफी देर तक मैं उनसे बात करता रहा मैं और संकेत उनके साथ खुश थे। मैंने उनसे पूछा कि क्या आप लोग माउंट आबू के ही रहने वाले हैं तो वह कहने लगे हां हम लोग माउंट आबू के ही रहने वाले हैं, हम लोगों ने उन्हें उन के घर तक छोड़ दिया हम लोगों ने एक होटल में रूम ले लिया और हम लोग उस दिन वहीं पर रुके लेकिन जिन व्यक्ति को हमने उनके घर तक छोड़ा था उन्होंने हमें कहा कि तुम्हें हमारे घर रात को खाना खाने आना पड़ेगा और यह उनकी शर्त थी।
उन्होंने हमें उस रात को घर पर खाने पर बुलाया और हम दोनों के दोनों वहां पर खाना खाने के लिए चले गए जब हम दोनों उनके घर पर गए तो उन्होंने हमारा बहुत ही अच्छी तरीके से स्वागत किया मैं बहुत ज्यादा खुश था उन व्यक्ति का नाम रमेश था और उनकी पत्नी का नाम रजनी था उन्होंने हमारी बड़ी ही खातिरदारी की और हमें भी उनके घर जाकर बहुत अच्छा लगा। मैंने कभी भी सोचा नहीं था कि इतने अच्छे से कोई मेहमान नवाजी करता होगा उन्होंने हमें घर पर रुकने के लिए भी कहा लेकिन हम लोग नहीं रुके हम लोग दो-तीन दिन माउंट आबू में रुकने वाले थे हम लोगो ने कहा कि हम लोग कल आपके घर दोबारा आएंगे तो वह कहने लगे यह आपका ही घर है आपका जब भी मन करे तो आप आ जाइएगा और आपको कोई भी मदद की आवश्यकता हो तो आप हमें बता दीजिए। मेरे पास रमेश जी का नंबर था और उसके बाद हम दोनों होटल में आ गए, उस रात को हम दोनों आपस में बात करने लगे मैंने संकेत से कहा यार वह लोग कितने अच्छे हैं और कितने मेहमान नवाजी करते हैं, संकेत कहने लगा तुम सही कह रहे हो ऐसी खातिरदारी तो कोई भी नहीं करता। मैं और संकेत बहुत ज्यादा खुश थे उसके बाद संकेत और मैं अगले दिन भी उनके घर पर चले गए और उस दिन भी उन्होंने हमारी बहुत ही अच्छे से मेहमान नवाजी की वह हमें घुमाने के लिए माउंट आबू के आसपास लेकर गए, उन्होंने हमें वहां के के बारे में सारा कुछ बता दिया था इसलिए उनके साथ घूमना हमें बहुत अच्छा लग रहा था। मैं और संकेत रमेश जी के घर पर गए उस वक्त वह घर पर नहीं थे रजनी जी हमें कहने लगी आप लोग घर मे आ जाइए। हम लोग घर के अंदर चले गए वह कहने लगी वह कुछ देर बाद आते होंगे वह कुछ काम से बाहर गए हुए हैं।
वह बाथरूम में नहाने के लिए चली गई, जब वह बाथरूम में नहाने के लिए गई तो हम दोनों उन्हे देखने लगे उन्होने दरवाजे को खुला छोड़ा था, मेरा तो पूरा मूड खराब हो गया, मैं बाथरूम के अंदर चला गया। उनके नंगे बदन को जब मैंने महसूस किया तो उसे भी अच्छा लगने लगा मैंने अपने लंड को निकालते हुए उनकी चूतड़ों पर रगडना शुरू किया, जिससे कि उसकी योनि गीली होने लगी। मैंने उन्हे थोड़ा सा नीचे झुकाते हुए उनकी योनि के अंदर लंड डाल दिया और धक्के मारने लगा, मैंने उन्हे कहा मुझे तुम्हारी चूत में लंड डालकर बड़ा मजा आ रहा है तुम्हारे इस हसीन बदन को देखकर भला कौन अपने आप को रोक सकता है। शायद दरवाजा रजनी ने जानबूझकर कर खुला रखा था, जब मैं उसे धक्के देता तो वह भी अपनी चूतडो को मुझसे मिलाती वह अपनी चूतडो को मुझसे मिलाती तो मेरे अंदर की गर्मी और ज्यादा बढ़ जाती। मैं बड़ी तेजी से उसे धक्के देता जिससे की मेरा वीर्य उनकी योनि में गिरा तो उन्हे बड़ा आनंद आया और मै बाथरुम से बाहर चला आया। संकेत ने भी रजनी को चोदना शुरू किया लेकिन वह तो मुझसे भी बड़ा ठरकी किस्म का है उसने रजनी की गांड में लंड को डाल दिया।
रजनी के मुंह से चीख निकल रही थी वह मुझे बाहर साफ सुनाई दे रही थी लेकिन मुझे डर था कि कहीं रमेश जी वापस आ गए तो उन्हें पता चल जाएगा तो उन्हें बहुत बुरा लगेगा। मैंने संकेत से कहा तुम जल्दी से अपना काम करो और जल्दी बाहर आ जाओ लेकिन संकेत तो बड़ी तेजी से रजनी को धक्के मार रहा था वह उसकी गांड में अपने लंड को डाला हुआ था। वह इतनी तेजी से उसे धक्के देता वह चिल्लाते हुए कहती तुमने तो मेरी गांड फाड़ दी है लेकिन जब संकेत का वीर्य गिर गया तो संकेत बाहर आ गया। उसके बाद रजनी आराम से बाथरूम में नहाने लगी काफी देर बाद जब वह बाहर नहा कर निकली तो उसने सेक्सी सा सूट पहना हुआ था उसमें वह बड़ी गजब की लग रही थी। मेरा तो उस वक्त उसे चोदने का मन हो गया लेकिन तब तक रमेश जी वापस आ गए और वह कहने लगे आप लोग कब आए। मैंने उन्हें कहा बस हम लोग अभी कुछ देर पहले ही पहुंचे हैं रमेश जी ने अपनी पत्नी रजनी से पूछा तुमने इनकी खातिरदारी तो की, वह हंसकर कहने लगी हां मैंने इनकी बड़ी अच्छी खातिरदारी कि आप इन्ही से पूछ लीजिए।