क्या बे लंड भटूरे कैसे हो तुम सब आ गया हूँ मैं बाबू चोदेला और आज तुम लोगों के सामने हाज़िर हुआ | आज की कहानी में मैं आप लोगो को एक ऐसे समबन्ध के बारे में बताऊंगा जो दनिया के सामने जायज़ था पर घर के अन्दर उसकी कोई अहमियत नहीं थी | जी हाँ ये मेरी सच्ची कहानी है और मेरी पत्नी की जो अब वाकई में मेरी पत्नी है पर कुछ साल पहले ऐसा कुछ भी नहीं था | मैं हरयाना में रहने वाला एक जाट हूँ और आप तो जानते ही हैं हमारा रहन सहन कैसा होता है | पर मैं पढ़ ल्किख गया था और मेरे घर वाले भी पढ़े लिखे थे तो कोई दिक्ज्कत नहीं थी मुझे और मैं एक सरकारी कर्मचारी बन गया था | पेशे से इंजीनियर हूँ में बिजली विभाग में | मुझे बहुत ही अच्छी जिंदगी मिली थी क्यूंकि नौकरी सरकारी और पैसे की कोई कमी नहीं | पर बस एक दिक्कत थी मुझे अंकल जैसे रहने की आदत थी | इसलिए लडकियां मुझे भाव नहीं देती थी और मेरसा एक दोस्त है अल्लू वो मुझे हमेशा समझाता रहता है कि अच्छे से रहा कर लड़की पट जाएगी और शादी कर लेना | मैंने भी कहा ठीक है सोचूंगा इस बारे में |
एक बार की बात है मुझे अपने टीचर के यहाँ शादी में जाना था और वो बरनाला पंजाब में रहते है | मैं उनके यहाँ जाने की तैयारी करने लगा क्यूंकि वो मुझे बहुत मानते थे और मैं जब गरीब था तो उनके घर में ही रहता था | मैं वहाँ पहुंचा तो वो मुझे देख के बहुत ज्यादा खुश हो गए | वह कुछ ल्कद्कियां नाच रही थी और उन्होंने वह से एक लड़की को बुलाया और कहा लो मिलो बाबू से ये मेरा प्यारा स्टूडेंट था हमेशा से | फिर उन्होंने कहा ये मेरी बेटी है हंसा और मुझे पता चला की ये तो वही है जिसकी बचपन में नाक बहती रहती थी | फिर उसने कहा पापा ने पका दिया था आपके बारे में बता बता के और अब आप भी अच्छे इंसान बन गए हो और बड़े भी | मैंने कहा सब आपके पापा की देन है इनके बिना मैं कुछ नहीं कर पाता | तब मैंने कहा आपकी तो नाक बहती थी न | फिर उसने कहा हाँ जी पर अब मैं बड़ी हो गयी हूँ न | मैं अब अपने कमरे में चला गया और वहाँ पे नन्हा धो के तैयार हुआ और नीचे चला गया | फिर मुझे याद आया मुझे सर से कहना है कि सर मैं आज रात को ही निकल जाऊँगा |
मैं जैसे ही सर के पास जाने लगा उतने में सब भागने लगे और कहने लगे क्या हुआ ? मुझे लगा शायद किसी को चक्कर आ गए और वो गिर गया | फिर जैसे ही मैं वहाँ गया तो देखा सर नीचे पड़े हुए थे और मैंने पुचा क्या हुआ इनको | मैंने तुरंत उनको उठाया और उनको हॉस्पिटल ले के पहुंचा | फिर डॉक्टर ने जांच की और कहा इनको ब्रेन में क्लॉट है और इनके बचने की उम्मीद कम है | सर ने मुझे और उनकी बेटी को अन्दर बुलाया और कहा देखो बेटा ये मेरी एक लौटी बेटी है और इसका ख़याल रखने वाला कोई नहीं है | मैंने कहा सर में हु इनकी देखभाल करता रहूँगा पर उन्होंने हम दोनों का हाथ एक दूसरे से मिला दिया और कहा इससे शादी कार्लो ये मेरी अंतिम इच्छा है | उनकी बेटी मजबूर थी और मैं भी | पर मैं कुछ नहीं कर सकता था और इतना कहके सर चल बसे और हम दोनों फूट फूट के रोने लगे | मैं उनकी बेटी को मंदिर ले गया और पूरे रीति रिवाज़ से शादी की |
उसके बाद हम दोनों अपने घर आ गए और उसने मुझसे कहा बाबू जी मैं भले ही आपकी पत्नी हूँ पर आपसे कभी प्यार नहीं कर पाऊँगी | मैंने कहा जी जैसा आप कहे ये एक समझौता है हमारे बीच समाज को दिखाने के लिए कि आप अकेली नहीं है | उसने भी मेरी बात को समझा और कहा जी मैं अपना पत्नी धर्म पूरी निष्ठां के साथ निभाउंगी और आपको कभी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा | मैंने कहा ठीक है जी जैसी आपकी मर्ज़ी | अगले दिन मैं काम पे जाने लगा तो उसने मुझे कहा जी खाना आप नहीं ले जाएंगे क्या मैंने कहा जी मैं तो कभी नहीं ले जाता वहीँ कैंटीन में खा लेता हूँ | अगले दिन जब मैं तैयार हुआ तब मैंने देखा टेबल पर मेरा डिब्बा रखा हुआ है | मैंने कहा जी इसकी क्या ज़रूरत थी तो उसने कहा पत्नी हूँ न इतना तो कर ही सकती हूँ | मुझे लगा शायद इनका मन है तो इन्हें करने दो इसलिए उन्हें रोकना मुनासिब नहीं समझा और अब मुझे घर का खाना नसीब होने लगा |
फिर एक दिन उन्होंने मुझसे कहा मुझे कंप्यूटर सीखना है और मैंने हाँ कर दिया | वो कंप्यूटर सीखने जाने लगी और मेरे दोस्त ने समझाया भाई तू भी जा और अपना भेस बदल के जा और भाभी पे चांस मार तो पता चलेगा ये धोखा देगी के नहीं | मैं उसकी बातों से सहमत था इसलिए बन गया में स्टाइलिश और पहुँच गया उसी सेंटर में जहाँ मेरी पत्नी सीख रही थी | आप मैं उनपे लाइन मारने लगा पर वो कुछ जवाब नहीं देती थी | मैंने काफी मशक्कत की पर उसने कुछ जवाब नहीं दिया पर एक दिन वो मेरे पास आई और कहा क्या आप मुझे घर के पास छोड़ सकते हैं | मैंने कहा जी ठीक हैं आ जाओ मेरी गाड़ी में बहुत जगह है | फिर वो मेरे पीछे बैठी और मैं उसे लेके निकल पड़ा | अब सड़क पे गड्ढे थे और मैंने उनको ब्रेक मार मार्के घर पहुंचा दिया | वो मुझसे कई बार टकराई और मुझे बुत अच्छा लग रहा था | कुछ दिन तक ऐसे ही चला फिर फिर हम दोस्त बन गए थे पर मुझे उसको बताने की बिलकुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं ही उनका पति हूँ |
वो भी मुझे पहचान नहीं रही थी फिर एक दिन मैं उसे घुमाने ले गया और मैंने पूरे शहर की बत्ती गोल करके उसका नाम पूरे शहर पे लिखवाया | क्यूंकि मैं तो ठाट ही बिजली विभाग में और पोस्ट भी अच्छी थी | तो उसे बहुत अच्छा लगा और मैंने भी उसे गले से लगा लिया और उसने भी मुझे मना नहीं किया | फिर वो मुझसे एक दम से अलग हो गई और अगले दिन मुझसे कहा कल हम गुरुद्वारा गए और उसने मुझसे कहा आज मैं आंखे बंद करके जब खोलूंगी तब मुझे जिसकी भी सूरत नज़र आएगी मैं उसके साथ चली जाउंगी | जैसे ही उसने आँखे खोली मैं अपने पुराने रूप में गया और वो मुझे देखती रह गयी | फिर मैं उसे घर लेके गया और जैसे ही मैं घर आया उय्सने मुझे गले से लगा लिया और रोने लगी | मैंने उसे कहा रो मत मुझे अच्छा नहीं लगता जब मेरी बीवी रोती है | उसने मुझे और जैम से गले लगा लिया और मैंने उसे अपनी जकड में कैद कर लिया | वो रोये जा रही थी | फिर जैसे ही मैंने उसकी पीठ पे हाथ फेरा उसने अपना मुह ऊपर किया और मुझे किस करने लगी |
मुझे ऐसा एहसास पही बार हो रहा था | फिर मैंने उसे गोद में उठाया और उसको कमरे में ले गया और उसके कपडे के ऊपर से उसे हर जगह चूमने लगा | वो भी मुझे चूमने लगी और हम दोनों गरम होने लगे | फिर मैंने सोचा कि इसके कपडे उतार देता हु क्यूंकि वो मेरे उतार रही थी और मैंने उसके कपडे उतारे तो देखा दूध जैसी गोरी थी वो और मुझे चाट रही थी | धीरे से वो नीचे आई और मेरे लंड को अपने मुह के अन्दर डाल लिया और उसके बाद मरते मुह से सिस्कारियां निकल रही थी | मैं आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः करने लगा और वो चूस ही रही थी | फिर मैंने उसको बैठाया और उसकी चूत पे ऊँगली रख के रगड़ने लगा | वो भी मस्ती में आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः करने लगी और मेरा जोश बढ़ गया |
मैंने तुरंत अपना लंड उसकी चूत में भर दिया और उसके बाद मैंने उसको ज़ोरदार चोदना चालु किया | हम दोनों आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः कर रहे थे | मैंने उसे खूब चोदा और उसकी चूत से खून भी निकला क्यूंकि वो सील पैक थी | करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद हम दोनों शांत हुए और एक दूसरे से लिपट गए | अब वो मेरी जायज़ पत्नी है घर के अन्दर और बाहर भी |