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मेरा नाम सुनील है और मैं कोलकाता का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 30 वर्ष है और मेरा एक साड़ी का कारोबारी है। मेरा साड़ी का बहुत बड़ा काम है और मैं उसे अन्य शहरों में भी भेजता हूं। मेरे पास लोग साड़ियां लेने के लिए आते हैं क्योंकि मैं बहुत कम दामों पर साड़ियां देता हूं। इसलिए मेरी डिमांड बहुत है और मेरा काम भी अच्छा चलता है। एक दिन मेरा दोस्त मनोज मेरी दुकान पर आया और जब वह मेरी दुकान पर आया तो मैंने उसे कहा कि तुम मुझे बहुत समय बाद मिल रहे हो। वह कहने लगा कि मुझे समय ही नहीं मिल पाता है। इसलिए मैं तुम्हारे पास नहीं आ पाता हूं। मैंने उसे पूछा आज तुम मेरी दुकान पर कैसे आ गये। वह कहने लगा कि मैं तुम्हारे पास कुछ साड़ियां लेने के लिए आया था। मैंने उससे पूछा कि तुम किसके लिए साड़ी ले रहे हो, तुम्हारी तो अभी शादी भी नहीं हुई है। वह कहने लगा कि मेरी बहन ने एक एन.जी.ओ खोला है और वह विदेश से आकर गरीब लोगों की मदद कर रही है। वह उन्हें पढ़ाती भी है और अपना एनजीओ भी चलाती है। यदि किसी की स्थिति ठीक नहीं है तो वह उनकी आर्थिक रूप से भी मदत करती है। या फिर उन्हें कुछ ना कुछ सामान दे दिया करती है। मैंने उसे कहा की ये तो बहुत ही अच्छी बात है। लगता है मुझे भी तुम्हारी बहन के साथ जुड़ना पड़ेगा। क्योंकि मैं भी कई दिनों से कुछ ऐसा ही करने की सोच रहा था। अपने काम में कुछ ज्यादा ही बिजी हो गया हूं इस वजह से मुझे अपने लिए भी समय नहीं मिल पा रहा है और मैं कुछ नया भी करना चाह रहा था, जिससे की गरीब लोगों की मदद कर सकूं। मनोज ने मुझसे कहा कि फिर तुम मेरी बहन से संपर्क कर लेना। वह तुम्हारी मदद जरूर करेगी। मैंने उसे कहा कि मुझे उससे मिलने का समय तो नहीं मिल पाएगा लेकिन तुम उसे मेरी दुकान पर भेज देना।
मैंने मनोज से उसकी बहन का नाम पूछ लिया। उसका नाम रितिका है। मैंने मनोज को साड़ियां दे दी और उसे उन साड़ियों के पैसे नहीं लिए। क्योंकि मैंने कहा है जब तुम्हारी बहन इतना अच्छा काम कर रही है तो थोड़ा बहुत मदद तो मैं भी अपनी तरफ से भी दे सकता हूं। वह मुझसे बहुत खुश हुआ और कहने लगा कि यह तो तुमने बहुत ही अच्छा काम किया है। इस बारे में मैं अपनी बहन को अवश्य बताऊंगा। मनोज ने इस बारे में अपनी बहन से बात की थी। वह बहुत ही खुश हुई और कहने लगी कि यह तो बहुत ही अच्छी बात है और एक दिन मनोज और रितिका मेरी दुकान में आ गए। जब रितिका मुझसे मिली तो वह कहने लगी कि तुमने बहुत ही अच्छा काम किया है। भैया ने मुझे तुम्हारे बारे में बताया कि तुमने उन्हें साड़ियां फ्री में दी है और उसके बदले उनसे एक भी रुपया नहीं लिया। मैं जब रितिका से उसके एन.जी.ओ के बारे में पूछा तो उसने बताया कि मैं गरीब लोगों की मदद कर रही हूं और मैं जब से विदेश से पढ़ाई करके लौटी हूं तो तब से मैं गरीब लोगों की मदद कर रही हूं। इसलिए मैंने इस बारे में अपने घर में बात की तो मेरे घरवालों ने मुझे बहुत ही सपोर्ट किया और उन्होंने मेरा बहुत ज्यादा साथ दिया। मैं रितिका से बहुत ज्यादा प्रभावित था और मैंने उससे पूछा कि तुमने कहीं पर ऑफिस लिया है। वह कहने लगी कि हां मैंने इसके लिए बकायदा एक ऑफिस लिया हुआ है और वही से मैं कर रही हूं। मेरे साथ में कई लोग जुड़ चुके हैं और यदि तुम्हें भी अच्छा लगे तो तुम मेरे साथ जुड़ जाना और तुम किसी भी प्रकार से हमारी मदद कर सको तो यह हमारे लिए बहुत ही अच्छा होगा। अब मैं रितिका के ऑफिस में चला गया। जब उसने मुझे देखा तो वह बहुत खुश हुई और कहने लगी कि आज तुम हमारे ऑफिस में आ गए हो तो हमारे लिए खुशी की बात है और जब मैं उनके साथ गया तो वह लोग स्कूल में प्रोग्राम करवा रहे थे। वहां पर उन्होंने गरीब बच्चों को कुछ पैसे भी दिए थे। मुझे उनके साथ काम करके बहुत अच्छा लगा। मैंने रितिका को कुछ पैसे दे दिए और उसे कहा कि तुम इसे गरीब बच्चों की पढ़ाई में डोनेट कर देना। वह बहुत ही खुश हुई और कहने लगी कि तुम एक अच्छे व्यक्ति हो। जल्द ही सब लोग इस तरीके से अपनी जिम्मेदारियां लेते तो कितना अच्छा होगा। रितिका और मैं अक्सर एनजीओ के सिलसिले में मिल जाया करते थे और ना जाने हम दोनों के बीच में कब नजदीकियां बढ़ती चली गई पता ही नहीं चला। वह भी अक्सर मेरी दुकान में आ जाया करती थी और मैं भी उससे मिल लिया करता था। अब हम दोनों बहुत बातें करने लगे और जब मुझे समय मिलता तो मैं रितिका के साथ घूमने भी चला जाता था।
मुझे नहीं पता था कि हम दोनों के बीच इतनी नजदीकियां बढ़ जाएगी और रितिका मेरे इतने करीब आ जाएगी। वह मेरे अब कुछ ही ज्यादा ही करीब आ चुकी थी और मुझे उसके साथ रहना बहुत ही अच्छा लगता था। एक बार मैं उसके ऑफिस में गया तो उस दिन उसके ऑफिस में कोई भी नहीं था। मैं उसके बगल में ही बैठा हुआ था और जब मैं उसके बगल में था तो मैंने उसके पैरों को सहलाना शुरू कर दिया। वह भी पूरी उत्तेजना में आ गई और उसने तुरंत ही मेरे होठों को अपने होठों में लेकर किस करना शुरू कर दिया। वह इतने अच्छे से मेरे होठों को चूस रही थी कि मेरा शरीर अब गर्म होने लगा और मेरे अंदर की उत्तेजना जागने लगी थी। मुझे बड़ा ही अच्छा लगता जब मैं उसके होठों को किस कर रहा था और रितिका भी मुझे किस कर रही थी। जैसे ही मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरु किया तो वह पूरे मूड में आ गई और अब मैंने उसके कपड़े खोल दिए। जब मैंने उसके स्तन देखे तो वह बहुत ही ज्यादा बडे थे। मुझे उन्हें देखकर बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में समा लिया और उन्हें अच्छे से चूसने लगा। उसकी योनि से भी गिला निकलने लगा था और मैंने जैसे ही उसकी योनि में उंगली लगाई तो वह पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए उसके ऑफिस में रखे सोफे के ऊपर उसे लेटा दिया। मैने उसकी योनि में जब अपना लंड डाला तो उसकी सील टूट गई। मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह सील पैक होगी लेकिन अब मैं उसे बड़ी तेजी से चोद रहा था।
वह मेरा पूरा साथ दे रही थी उसकी योनि से बहुत तेजी से खून निकल रहा था। वह मेरा पूरा साथ दे रही थी मैंने उसे इतनी तीव्रता से चोदना शुरू किया कि उसका शरीर पूरा गर्म होने लगा। वह मुझे कहने लगी कि अब मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है तुम्हारा लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है। उसने अपने दोनों पैरों को और भी चौड़ा कर लिया। मैंने उसे अब बडी तीव्रता से धक्के देने शुरू कर दिया। मैंने उसे इतनी तेज तेज झटके दिए कि उसका शरीर पूरा हिल रहा था मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था। वह भी पूरे मजे ले रही थी जब उसका झड़ गया तो वह शांत लेटी रही और उसने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर रखा था। मैं उसे अभी भी उतनी ही तेजी से धक्के दे रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपने ऊपर बैठा दिया और जब वह मेरे लंड के ऊपर बैठी तो मैं उसे बड़ी तेजी से झटके देने लगा। मैने उसके स्तन मुंह में ले लिए। अब वह पूरी उत्तेजना में आ गई और वह भी अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे करने लगी। उसे बहुत ही मजा आ रहा था जब वह अपने चूतडो को ऊपर नीचे करती जा रही थी। मैंने उसकी गांड को अपने हाथों से पकड़ रखा था और उसे धक्के दिए जा रहा था। उसे मैं इतनी तेजी से धक्के देते जिससे उसका शरीफ पूरा गरम होने लगा और वह भी मजे में आने लगी। अब वह भी बड़ी तेजी से अपने चूतडो को ऊपर नीचे कर रही थी और मैं उसके स्तनों को अपने मुंह में ले रहा था। उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और इतनी तेज तेज वह अपने चूतडो को ऊपर नीचे कर रही थी कि मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था। मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मैंने तुरंत ही अपने लंड को बाहर निकालते हुए उसके मुंह के अंदर डाल दिया। उसने मेरे लंड को अपने गले तक उतारते हुए उसे बहुत ही अच्छे से सकिंग करने लगी। वह इतने अच्छे से मेरे लंड को चूस रही थी मेरा वीर्य उसके मुंह में ही गिर गया।