Antarvasna, hindi sex story: अक्षिता को पूरे पड़ोस की जानकारी रहती थी वह जब घर पर आई तो उस वक्त मैं दोपहर के खाने की तैयारी कर रही थी मेरी सासू मां भी घर पर ही थी मेरी सासु मां मुझे कहने लगे कि कल्पना क्या तुमने खाना बना लिया है। मैंने उन्हें कहा हां मैंने खाना बना दिया है बस दाल बनानी रह गई है वह मैं थोड़ी देर में बना दूंगी। अक्षिता मेरे साथ ही बैठी हुई थी मैंने अक्षिता से कहा कि क्या तुम्हारे लिए मैं चाय बना दूं वह कहने लगी कि हां क्यों नहीं मैंने अक्षिता के लिए चाय बना दी। मैंने अक्षिता के लिए चाय बनाई तो वह मुझे कहने लगी दीदी तुम्हें मालूम है पड़ोस में कुछ दिनों से माहौल बिल्कुल भी ठीक नहीं है। मैंने अक्षिता से कहा लेकिन ऐसा क्या हुआ है जो तुम कह रही हो कि माहौल बिल्कुल भी ठीक नहीं है अक्षिता मुझे कहने लगी दीदी पड़ोस में मिश्रा जी रहते हैं ना जो पुलिस में है।
मैंने कहा हां वह तो बड़े ही सज्जन व्यक्ति हैं और यहां पर किसी से भी वह नजर उठाकर बात नहीं करते तो अक्षिता मुझे कहने लगी नहीं दीदी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है आपको शायद मालूम नहीं है कि उनका किसी और महिला के साथ संबंध चल रहा है जिस वजह से उनकी और उनकी पत्नी के बीच में बिल्कुल भी बात नहीं बनती है। मुझे अक्षिता कहने लगी यह बात मुझे किसी ने बताई है मैंने अक्षिता से कहा अच्छा तो तुम्हें सब मालूम है तो वह मुझे कहने लगी कि हां मुझे यह बात किसी ने बताई थी। मैंने अक्षिता से कहा तुम भी पता नहीं कहां से यह सब जानकारियां इकट्ठा कर लेती हो अक्षिता कहने लगी बस दीदी कॉलोनी में रहना है तो आसपास का माहौल तो देखना ही पड़ेगा ना। मैंने अक्षिता से कहा मैं अभी दाल बना देती हूं अक्षिता कहने लगी कि दीदी मैं अभी चलती हूं बच्चों का आने का समय हो गया होगा और काफी देर हो गई है। अक्षिता मुझे कहने लगी कि दीदी मैं आपसे शाम के वक्त मिलती हूं मैंने अक्षिता से कहा ठीक है मैं तुम्हें शाम को मिलूंगी और अक्षिता भी अपने घर जा चुकी थी और मैंने भी दोपहर का खाना बना दिया था। मेरी सासू मां ने कहा कि कल्पना मेरे लिए तुम खाना लगा दो मुझे बहुत भूख लग रही है उनकी दवाई का समय भी होने वाला था इसलिए मैंने उन्हें खाना दे दिया। जब उन्होंने खाना खाया तो वह मुझे कहने लगे कि मैं सो जाती हूं मेरी सासू मां अब आराम कर रही थी और मैंने घर की साफ सफाई का काम कर दिया।
मैंने बर्तन धोकर सोचा कुछ देर आराम कर लेती हूँ क्योंकि गर्मी भी काफी तेज हो रही थी मैंने अपने कूलर को ऑन किया और कूलर ने भी अपनी तेजी पकड़ ली थी कूलर भी पूरी तेजी से चल रहा था मुझे बहुत गहरी नींद आ गई। जब मेरी आंख खुली तो उस वक्त 4:00 बज रहे थे मैंने मुंह हाथ धोया और कुछ देर मैं बैठक में बैठी रही गर्मी बहुत ज्यादा हो रही थी मेरी सासू मां कहने लगी कि गर्मी बहुत ज्यादा हो रही है। मैंने उन्हें कहा हां माजी गर्मी बहुत ज्यादा हो रही है वह कहने लगे कि कुछ ठंडा पिला दो तो मैंने उन्हें कहा कि आपके लिए क्या मैं लस्सी बना दूं वह कहने लगी हां मेरे लिए तुम लस्सी मिला दो। मैंने उनके लिए लस्सी बना दी और जब मैंने उनके लिए लस्सी बनाई तो वह लस्सी पीते हुए मुझे कहने लगी अब जाकर थोड़ा राहत मिल रही है और काफी आराम मिल रहा है। मैं और मेरी सासू मां साथ में बैठे हुए थे शाम होने लगी थी और करीब 6 बज चुके थे मैंने सोचा कि बाहर पार्क में टहल आती हूं। मैं पार्क में चली गई और जब मैं पार्क में गई तो वहां पर मुझे अक्षिता दिखाइए दी अक्षिता कहने लगी कि दीदी मैं आपका इंतजार कर रही थी मैंने अक्षिता से कहा अच्छा तो तुम मेरा इंतजार कर रही थी। वह मुझे कहने लगी कि हां मैं आपका ही इंतजार कर रही थी अक्षिता कहने लगी कि आइए ना दीदी बैठिये। हमारे ही कॉलोनी की कुछ और महिलाएं भी थी वह सब आपस में बात कर रही थी तभी वहां से मिश्रा जी गुजरे और उनके साथ में एक महिला थी तो अक्षिता मुझे कहने लगी कि देखिए यही वह महिला है अब तो आप को मुझ पर यकीन हो गया होगा। मैंने अक्षिता से कहा लेकिन यह तो अपनी पत्नी के साथ गलत कर रहे हैं मिश्रा जी को ऐसा नहीं करना चाहिए था लेकिन यह मिश्रा जी की कुछ निजी जिंदगी है कि वह अपने जीवन में क्या करते हैं और क्या नहीं परंतु अक्षिता ने तो उनके प्रचार प्रसार में कोई कमी नहीं रखी थी।
अक्षिता ने हमारी पूरी कॉलोनी में यह खबर फैला दी थी कि मिश्रा जी का किसी और महिला के साथ चक्कर चल रहा है मैं और अक्षिता एक साथ बैठे हुए थे अक्षिता मुझे कहने लगी कि दीदी मैं अभी चलती हूं मेरे पापा आने वाले हैं। अक्षिता यह कहते हुए चली गई मैं भी कुछ देर बाद अपने घर चली गई और जब मैं घर पहुंची तो मेरे पति भी आ चुके थे और वह मुझे कहने लगे तुम कहां चली गई थी। मैंने उन्हें बताया कि मैं तो पार्क में चली गई थी वह कहने लगे मेरे लिए तुम चाय बना देना मैंने उनके लिए चाय बनाई और वह बड़े गुमसुम से बैठे हुए थे। मैंने उन्हें कहा क्या हुआ उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने मुझे सारी बात बताई और कहने लगे कि मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी है। मेरे पति ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी अब घर को लेकर भी समस्याए बढ़ने लगी थी। मेरे पास भी कोई रास्ता नहीं था मैं कहां से पैसों का बंदोबस्त कर पाती लेकिन कुछ दिनों बाद मेरे पति की नौकरी तो लग गई लेकिन वह अब भी परेशान ही थे। उनके चेहरे पर बिल्कुल भी खुशी नहीं थी और ना ही वह मुझसे अच्छे से बात किया करते थे इस से हमारी सेक्स लाइफ पूरी तरीके से प्रभावित होने लगी थी।
हमारे जीवन में तो जैसे सेक्स का आकाल पड़ गया था मेरे पति ना तो मेरी तरफ देखते और ना ही वह मुझसे बात किया करते थे। मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में क्या किया जाए लेकिन हमारे पड़ोस में रहने वाले मिश्रा जी से मैं अपनी इच्छा को पूरा करवाने के बारे में सोच लिया था। वह अपनी पत्नी को तो धोखा दे चुके थे तो मुझे लगता था कि शायद वह मेरी जीवन में सेक्स की इच्छा को पूरा कर सकते हैं और उन्होंने ऐसा ही किया। जब मैं उनके घर पर गई तो उनकी पत्नी भी घर पर नहीं थी यह मौका तो बड़ा ही अच्छा था और मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे कि सोने पर सुहागा हो गया है क्योंकि उनकी पत्नी घर पर नहीं थी। मिश्रा जी ने भी अपने पूरी जलवे मुझे दिखा दिए थे मिश्रा जी दिखने में तो बेहद शरीफ और ईमानदार इंसान है लेकिन उनके अंदर जो सेक्स को लेकर ज्वालामुखी भरा हुआ है वह देखने लायक था। उन्होंने मुझे अपनी गोद में बैठाया और कुछ देर तक वह मेरे बदन को सहलाते रहे फिर जब उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पर पटका तो मुझे एहसास हुआ की आज मेरी हर एक इच्छा को पूरा कर के ही छोड़ने वाले हैं। उन्होंने ऐसा ही किया उन्होंने मेरे ब्लाउज को उतारकर मेरे ब्रा भी खोल दिया। मेरी ब्रा को खोलकर उन्होने जब अपने मुंह के अंदर मेरे स्तनों को लिया तो मुझे भी अच्छा लगने लगा और वह मेरे स्तनों को अपने मुंह में ही ले रहे थे। उन्होंने बड़े अच्छे तरीके से मेरे स्तनों का रसपान किया और मुझे अपना बना लिया। जब उन्होंने मेरी साड़ी उतार कर मेरे पेटिकोट को ऊपर करते हुए मेरे काली रंग की पैंटी को उतारा तो मैंने मिश्रा जी से कहा आप मेरी चूत को कुछ दर तक चाटिए तभी तो गर्मी पैदा होगी। उन्होंने मेरी चूत को अच्छे से चाटा फिर मेरे बदन मे गर्मी पैदा होने लगी मै भी पूरी तरीके से मचलने लगी थी।
मिश्रा जी का लंड का लंड मेरी योनि में जाने ही वाला था मिश्रा जी ने जैसे ही मेरी योनि के अंदर में लंड को डाला तो वह मुझे कहने लगे आपक चूत तो बड़ी टाइट है। मैंने मिश्रा जी से कहा मेरे पति आजकल अपनी नौकरी की वजह से परेशान रहते हैं वह मेरी तरफ देखती भी नहीं है इसी वजह से तो मेरी चूत टाइट है। मिश्रा जी कहने लगे आप बिल्कुल सही कह रही है तभी आपकी चूत टाइट है। मैने उन्हे कहा आप मेरी चूत को ढिला कर दीजिए वह मुझे कहने लगे हां मुझे आपकी योनि की गर्मी को शांत करना पड़ेगा। यह कहते हुए उन्होंने मेरी योनि के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया था। उनके लंड के घर्षण से मेरे अंदर अब इतनी ज्यादा गर्मी पैदा होने लगी थी कि उस से मै बिल्कुल भी झेल नहीं पा रही थी। उन्होंने मेरे दोनों पैरों को चौड़ा किया और मुझे बड़ी तेज गति से धक्के मारने लगे। जिस प्रकार से वह मुझे धक्के मार रहे थे उससे मेरे अंदर की गर्मी तो शांत होती जा रही थी लेकिन मेरी योनि का भोसडा बन गया था।
मेरी योनि की खुजली अब इतनी ज्यादा बढने लगी मुझे भी पूरा आनंद आने लगा था। मिश्रा जी तो पूरी तरीके से आनंदित हो ही चुके थे उन्होंने मुझे कहा कि अब थोड़ा पीछे घूम जाइए। उन्होंने मुझे पीछे की तरफ घुमाया और मेरी चूतडो को अपने लंड की तरफ कर लिया उन्होंने जब अपने लंड पर तेल लगाते हुए मेरी गांड के अंदर अपने मोटे लंड को डाला तो वह कहने लगे अब तो मैने आपकी गांड मार ली है। मैंने मिश्रा जी से कहा लेकिन आपके अंदर कुछ तो बात है आप एक नबर के चोदू हो। उनकी ऐसी तारीफ से तो वह जैसे मेरे हो गए थे मैंने भी उनका पूरा साथ दिया मैंने उनके साथ जमकर सेक्स का आनंद लिया। जब उन्होंने मेरी गांड के अंदर अपने वीर्य को गिराया तो मुझे तब जाकर एहसास हुआ कि आज मेरी गर्मी शांत हो गई है मिश्रा जी ही मेरे सच्चे साथी निकले। उनकी ही बदोलत मेरी इच्छा पूरी हो पाई।