मेरे चुदाई की तड़प खत्म हुई

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मेरा नाम रमन है मेरी उम्र 25 वर्ष है। मेरे पिताजी का बिजनेस में घाटा हो गया था जिसकी वजह से हमारी स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो चुकी थी और मेरे ऊपर ही सारी जिम्मेदारी थी। मैं घर का बड़ा हूं और मेरी दो छोटी बहनें हैं। इस वजह से मुझे बहुत ही ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मेरे पिताजी भी पूरी तरीके से टूट चुके हैं। क्योंकि उन्हें भी उम्मीद नहीं थी कि उनका इतना बड़ा घाटा हो जाएगा। जिसे कि वह झेल भी नहीं पाये और वह बहुत ज्यादा दुखी हो चुके हैं और हमेशा कहते रहते हैं कि इतना बड़ा घाटा मुझे झेलना बहुत ही भारी पड़ रहा है। उन्हें इस चीज का दुख है कि उन्होंने हमारा जीवन भी खराब कर दिया है। वह कई बार इस बारे में बात करते हैं लेकिन हम उन्हें कहते हैं कि आप चिंता मत कीजिए। कुछ ना कुछ हो जाएगा। बचपन से आपने हमें पढ़ाया है और इतना बड़ा किया है। हम उन्हें कहते हैं कि आप बिल्कुल निश्चिंत रहिए लेकिन वह फिर भी चिंता करते रहते हैं और कहते हैं कि मेरी वजह से तुम्हें बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मुझे भी चिंता थी कि अब हमारे भविष्य का क्या होगा। इस वजह से मैं बहुत चिंतित था। मैं अब छोटी मोटी नौकरी कर के अपना गुजारा चलाने लगा। मुझे कहीं अच्छी नौकरी भी नहीं मिल रही थी। जितनी मेरी तनख्वाह आती थी उससे हमारे घर का खर्चा चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था। परंतु फिर भी मैं किसी ना किसी प्रकार से अपने घर का खर्चा चला ही रहा था। जिससे हमारा खाने का गुजारा हो जाया करता था और हमारे पास अब घर भी नहीं बचा था। क्योंकि हमारा घर भी नीलाम हो चुका था।

पिताजी ने जो लोन बैंक से लिया था उसके बदले बैंक ने वह घर जप्त कर लिया और अब हमारे पास कुछ भी नहीं था। हम लोग एक किराए के छोटे से घर में रहते थे और जितना मैं कमाता था उससे हमारे घर का खाने का ही खर्चा चल पाता था। मैं भी बहुत ज्यादा तनाव में था। पर फिर भी मुझे ही कुछ ना कुछ करना था लेकिन मेरे दिमाग में कुछ भी ऐसी बात नहीं आ रही थी जिससे मैं कुछ अच्छा कर पाता। मैंने एक दिन अपने दोस्त को फोन कर दिया। मेरे दोस्त का नाम गौरव है और वह दिल्ली में रहता है। मैंने जब उसे अपनी स्थिति बताई तो वह भी बहुत ज्यादा दुखी हुआ और कहने लगा कि मुझे तुम्हारी यह बात सुनकर बहुत ज्यादा दुख हो रहा है कि तुम्हारे पिताजी का इतना बड़ा नुकसान हो गया और उसके बाद तुम लोगों को एक छोटे से घर पर रहना पड़ रहा है। गौरव की मदद मेरे पिताजी ने ही की थी। जब वह कॉलेज की पढ़ाई कर रहा था, तब मेरे पिताजी ने ही उसे पैसे दिए थे। इस वजह से गौरव मेरे पिताजी की बहुत इज्जत करता है और मेरी भी बहुत इज्जत करता है। वह मेरा बहुत ही अच्छा दोस्त है और मेरा सबसे करीबी भी है। उसने मुझे कहा कि तुम दिल्ली आ जाओ और मैं तुम्हारे लिए यहां पर कोई नौकरी देख लेता हूं। मैंने उसे कहा कि पहले तुम नौकरी की बात कर लो। उसके बाद मैं दिल्ली आ जाऊंगा। क्योंकि मेरा खर्चा इतने कम पैसों में नहीं चल पा रहा है। कुछ दिनों बाद गौरव ने मुझे फोन किया और कहने लगा कि तुम दिल्ली आ जाओ। मैंने तुम्हारे लिए एक नौकरी देख ली है। तुम वहां पर ज्वाइन कर लेना वहां पर तनख्वाह भी बहुत अच्छी है। कु

छ पैसे तुम घर भेज दिया करना और तुम मेरे साथ ही मेरे रूम में रहना। मैं अब दिल्ली पहुंच गया और मैंने वह कंपनी ज्वाइन कर ली। जब मैंने वह कंपनी ज्वाइन की तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा। क्योंकि इस कंपनी का माहौल बहुत ही अच्छा था और वह कंपनी बहुत ही बड़ी थी। जिस वजह से मुझे वहां काम करने में अच्छा भी लग रहा था और एक अच्छी फीलिंग भी आ रही थी। मैं बहुत ही अच्छे से अपने काम में मन लगाकर काम करता जाता। हमारे बॉस भी बहुत अच्छे थे और वह हम सब लोगों के साथ बहुत ही कॉर्पोरेट कर के चलते थे। हमें कभी भी कोई समस्या होती तो हम उनसे बेझिझक बात कर लिया करते। और उन्हें अपनी सारी समस्या बता दिया करते थे।

मुझे एक बार पैसों की जरूरत थी तो मैंने अपने बॉस से कह दिया और उन्होंने मुझे एडवांस में कुछ पैसे दे दिए। जो कि मैंने अपने घर में भेज दिए थे। मेरे बॉस मुझे हमेशा कहा करते थे की तुम बहुत ही ईमानदार और अच्छे लड़के हो। तुम एक ना एक दिन बहुत ज्यादा तरक्की करोगे लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं किस प्रकार से तरक्की कर सकता हूं। कुछ दिनों बाद बॉस की लड़की हमारे ऑफिस में आई। मेरी बॉस की लड़की का नाम बिपाशा है। वह दिखने में बहुत ही सुंदर है और उसकी आंखें बहुत ज्यादा अच्छी दिखती हैं। मैं जब भी उसे देखा करता तो मुझे बहुत ही मजा आता और ना जाने मेरे अंदर से उसे देख कर ही अलग तरीके की फीलिंग आ जाती। वह बहुत ही खुश होती थी जब मैं उसे मुस्कुरा कर देखता था। मुझे कहीं ना कहीं ऐसा लगता था कि बिपाशा भी मुझे देखती है।

एक दिन बिपाशा मेरे पास आकर बैठ गई और कहने लगी की तुम मुझे देख कर क्यों मुस्कुराते रहते हो। मैंने उसे कहा कि तुम मुझे बहुत ही अच्छी लगती हो। इसलिए जब भी तुम आती हो तो मेरे चेहरे पर तुम्हें देखकर एक मुस्कान सी आ जाती है। जिस वजह से मुझे तुम्हें देखना अच्छा लगता है। वह इस बात से बहुत खुश हुई और कहने लगी क्या मैं तुम्हें इतनी अच्छी लगती हूं। मैंने उसे कहा हां तुम मुझे बहुत ही अच्छी लगती हो। बिपाशा बहुत ही खुश हुई और वह जब भी ऑफिस में आती तो मुझसे बात कर लिया करती थी। एक दिन हमारे बॉस कहीं बाहर मीटिंग से गए हुए थे और कुछ देर बाद बिपाशा हमारे ऑफिस में आ गई। वह मुझसे बातें करने लगी थोड़े समय बाद वह बातें करते करते अपने पापा के केबिन में चली गई। जब वह अपने पापा से केबिन  मे गई तो मै जैसे ही केबिन में गया तो वह अपने मोबाइल में एक पोर्न मूवी देख रही थी और अपनी योनि के अंदर उंगली डाल रही थी। जैसे ही मैंने यह सब देखा तो मैं दंग रह गया और अब मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा गया। क्योंकि उसकी चूत एकदम पिंक थी और उस पर एक भी बाल नहीं था। मैं तुरंत उसके पास गया और मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए उसके गले के अंदर तक उतार दिया।

जैसे ही मैंने अपने लंड को उसके मुंह के अंदर डाला तो वह चिल्ला उठी और कहने लगी मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा है जब तुम मेरा मुंह में अपने लंड को डाल रहे हो। उसने मेरे लंड को सारा अपने मुंह के अंदर तक ले लिया और उसे अच्छे से चूसने लगी। थोड़े समय बाद मैंने उसकी चूतड़ों को पकड़ते हुए अपने मोटे लंड को उसकी योनि में डाल दिया और जैसे ही मैंने बिपाशा की योनि में अपने लंड को डाला तो वह चिल्लाने लगी। वह कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ रहा है जब तुम अपने मोटे लंड को मेरी योनि में डाल रहे हो। मेरे अंदर की उत्तेजना और बढ़ने लगी जब उसने मुझसे इस तरीके से कहा। वह अब भी बड़ी तेज तेज चिल्ला रही थी और मैं भी बड़ी तेजी से उसे धक्के दिए जा रहा था। मैं इतनी तेजी से धक्के मार रहा था कि उसकी चूतडे अब पूरी लाल हो चुकी थी और वह मुझसे  अपनी चूतडो को टकराए जा रही थी। वह जब अपनी चूतडो को मुझसे टकराती तो मैं भी उतनी तेजी से झटके देता जिससे कि उसकी चूत के अंदर तक पूरा लंड जाता। मुझे बहुत ही अच्छा लगता मुझे भी अब बहुत ही मज़ा आने लगा और वह बड़ी तेज तेज अपनी चूतडो को मुझसे टकराने लगी। वह इतनी तेजी से अपनी चूतडो को टकरा रही थी मेरा शरीर पूरा गरम हो गया और उसका शरीर पूरा गर्म होने लगा। उसकी योनि से कुछ ज्यादा ही गर्मी बाहर निकल रही थी और वह अपनी योनि को बहुत ज्यादा टाइट भी करने लगी। जिससे कि मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था और मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था। उसका तो झड़ चुका था लेकिन मेरा झड़ना बाकी था और मैंने उसके चूतड़ों को इतना कस कर पकड़ लिया। मैने उसके पूरे शरीर पर नाखून मार दिया और उसे तेजी से झटके दिए मैंने इतनी तेज धक्का मारा की उसी चूत में मेरा वीर्य  अंदर तक जा गिरा।

 

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