तुम्हारा साथ पाकर अच्छा लगा

hindi sex story, kamukta मैंने अपनी मेहनत से एक घर खरीदा, बचपन से मैंने बहुत ही कष्ट और तकलीफ देखी है लेकिन उसके बावजूद भी मैं जो भी करता हूं मुझे बहुत खुशी होती है। मेरे पिताजी के साथ मेरे चाचा और ताऊ ने बहुत ही गलत किया उन्होंने पिताजी का हक उन्हें नही दिया जिस वजह से हमें दर बदर की ठोकरें खानी पड़ी हम लोगों ने बहुत ही गरीबी में दिन काटे परंतु मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी और इसी वजह से मैंने अपने दम पर यह घर खरीदा। मैं ज्यादा पढ़ लिख भी नहीं पाया लेकिन मेरी पढ़ाई लिखाई मेरे कभी आड़े नहीं आई मैंने मेहनत से कभी कोई समझौता नहीं किया और हमेशा ही मैं मेहनत करता रहा मैं हमेशा पैसे बचाया करता मैं जितने पैसे बचाता था वह सब मैं अपनी मां के पास दिया करता, जब मुझे लगा कि अब मुझे घर खरीद लेना चाहिए तो मैंने वह घर खरीद लिया।

मैंने अपने मम्मी पापा की खुशी के लिए अपनी खुशियों को भी निछावर कर दिया था मैंने अब तक शादी नहीं की थी मेरे माता-पिता मेरे लिए लड़की देखने लगे लेकिन मुझे कोई लड़की पसंद आती ही नहीं जिस वजह से मुझे कई बार मेरी मम्मी कहती की तुम्हें अब शादी कर लेनी चाहिए लेकिन मैंने शादी नहीं की। एक दिन जब मुझे रचना मिली तो मुझे लगा मुझे उससे शादी करनी चाहिए लेकिन मैं रचना के बारे में ज्यादा नहीं जानता था क्योंकि उससे मेरी मुलाकात एक मॉल में हुई थी उस दिन मैं रचना से बात नहीं कर पाया था उसके बाद भी वह एक दो बार मुझे मिली जब वह मुझे मिली तो मैंने उससे बात कर ली और जब मैंने रचना से बात की तो वह भी मुझसे बात करने लगी हम दोनों के बीच सिर्फ हाय हैलो तक की बातचीत होती थी इससे ज्यादा हम दोनों के बीच कभी कोई बातचीत नहीं हुई मैं रचना को पसंद करने लगा था मुझे उसके अतीत के बारे में कुछ भी पता नहीं था। एक शाम रचना काम से लौट रही थी उस दिन मैं उसे मिला मैंने सोचा आज यह बिलकुल सही समय है इसीलिए मैंने रचना से उस दिन बात की मैंने जब रचना से बात की तो वह मुझे कहने लगी राकेश जी आप कैसे हैं? मैंने रचना से कहा मैं तो ठीक हूं तुम सुनाओ तुम कैसी हो तो वह कहने लगी मैं भी ठीक हूं मैंने उसे कहा अभी तुम कहां से आ रही हो वह कहने लगी मैं अभी अपनी जॉब से लौट रही हूं।

मैं रचना की तरफ बड़े ध्यान से देख रहा था मैंने रचना से कहा यदि तुम्हें कोई परेशानी ना हो तो क्या हम लोग साथ में बैठ सकते हैं रचना ने मुझे बहुत ही प्यार से कहा क्यों नहीं। उसने जैसे ही मुझे यह बात कही तो मैंने उसे कहा ठीक है हम लोग कहीं बैठने चलते हैं लेकिन हम दोनों को वहां आसपास बैठने के लिए नहीं मिला फिर रचना और मैं एक बस स्टॉप पर ही बैठ गए हम दोनों बस स्टॉप पर बैठकर बातें करने लगे वहां पर उस वक्त कोई भी नहीं था मैंने रचना से कहा जब पहली बार मैंने तुम्हें देखा था तो मुझे तुम अच्छी लगी और उसके बाद भी हम दोनों एक दूसरे से कई बार मिले लेकिन मैंने कभी तुमसे बात नहीं की परंतु आज ना जाने मुझे ऐसा क्यों लगा कि मुझे तुमसे बात करनी चाहिए। रचना मुझे कहने लगी राकेश जी आप बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं और मैं आपके बारे में ज्यादा नहीं जानती लेकिन आप के बात करने के तरीके और आपके व्यवहार से यह पता चलता है कि आप बड़े ही सज्जन व्यक्ति हैं। मैं रचना की बात से बहुत खुश था हम दोनो 15 मिनट तक करीब वहीं बस स्टॉप पर बैठ कर बात करते रहे मैंने रचना से कहा कि हम लोग पैदल चलते-चलते बात करें रचना कहने लगी हां ठीक है क्योंकि वहां से रचना का घर भी ज्यादा दूर नहीं था इसलिए हम दोनों पैदल चलते-चलते बात करने लगे। मैंने रचना से उसके बारे में पूछा तो रचना ने मुझे बताया मेरी शादी आज से दो वर्ष पहले हुई थी और मैं अपनी शादी से बहुत खुश थी क्योंकि मैं जिस लड़के से प्यार करती थी उसी से मेरी शादी हुई थी परंतु मुझे नहीं पता था कि वह मुझे इतना बड़ा धोखा देगा उसने पहले से ही किसी से शादी की हुई थी और जिस वक्त मुझे इस बात का पता चला तो मैंने अपने रिश्ते को वहीं पर खत्म करने के बारे में सोच लिया।

रचना ने मुझे बताया कि उसके परिवार वाले अब उसे बिल्कुल पसंद नहीं करते और वह अलग रहती है मुझे यह सब उसके बारे में नहीं पता था मैंने रचना से पूछा तुमने इतना बड़ा फैसला कैसे ले लिया तो वह कहने लगी जब मैंने यह फैसला लिया था तो मुझे भी उस वक्त ऐसा लगा था कि मैं अकेले इतना सब कैसे कर पाऊंगी लेकिन फिर भी मैंने हिम्मत करते हुए अपने दो साल के रिश्ते को वहीं खत्म कर दिया और उसके बाद मैं अलग रहने लगी मेरे माता पिता ने तो मुझे माफ कर दिया था लेकिन मैं कभी भी अपने आप को माफ ना कर सकी इसी वजह से तो मैंने अब अलग रहने की सोची और अब मैं अलग रहने लगी, अलग रहने से मुझे इतनी तो खुशी मिली कि मैं अपनी तरह से अपनी जिंदगी जी सकती हूं मुझे अब अलग रहने की आदत पड़ चुकी है और मैं बहुत खुश हूं हालांकि मेरे जीवन में बहुत सी तकलीफ है लेकिन उसके बावजूद भी मैं उनका डटकर सामना कर रही हूं। जब मुझे यह बात रचना ने उस दिन बताई तो मुझे उसे देखकर बहुत ही बुरा लगा मैं यह अच्छे से समझ चुका था की रचना एक अच्छी लड़की है और वह अपने टूटे रिश्ते को अब पूरी तरीके से भूल चुकी है मैं रचना की बातों से बहुत ज्यादा प्रभावित हो चुका था और शायद इसी वजह से मैं उसकी तरफ खिंचा चला गया। उसके बाद तो रचना और मेरी बात अक्सर होती रहती थी।

रचना ने हमारे पड़ोस में ही घर ले लिया था और जब उसने हमारे पड़ोस में घर लिया तो मेरी मुलाकात रचना से अब हमेशा होने लगी थी और मैं रचना से मिलकर बहुत खुश रहता था मैंने अपने माता पिता को रचना के बारे में बताया तो उन्हें भी रचना से कोई आपत्ति नहीं थी उसके बाद रचना और मैंने शादी करने के बारे में सोच लिया था लेकिन रचना बड़ी ही स्वाभिमानी किस्म की लड़की है उसने मुझे कहा मुझे थोड़ा वक्त चाहिए मैं अभी शादी नहीं करना चाहती। हम दोनों के बीच यह सब इतनी जल्दी में हुआ कि मुझे कुछ पता ही नहीं चला क्योंकि रचना को भी शायद मेरी जरूरत थी और मुझे भी रचना की जरूरत है मुझे रचना जैसी लड़की चाहिए थी रचना ने मुझसे पहले ही यह सब बातें कहदी थी कि मैं कभी भी अपने पुराने रिश्ते को अपने इस रिश्ते के आगे नहीं लेकर आऊंगी और फिर हम दोनों इस बारे में कभी भी बात नहीं करेंगे। मैं रचना की बातों से पूरी तरीके से सहमत था इसीलिए तो उसने और मैंने एक साथ रहने का निर्णय किया था रचना और मैंने सगाई कर ली थी मेरे माता-पिता इस बात से बहुत खुश थे क्योंकि वह हमेशा से चाहते थे कि मेरी जिंदगी में कोई ऐसा आये जिससे कि मैं खुश रहूं इसलिए उन्होंने मुझे रचना से शादी करने से नहीं रोका। मेरे जीवन में अब रचना की अहम भूमिका थी हम दोनों जल्द से जल्द शादी करना चाहते थे लेकिन रचना को थोड़ा समय चाहिए था हम दोनों ने सगाई कर ली थी अब रचना मुझसे मिलने से लिए हमेशा आया करती। रचना और मैं हमेशा मिलने लगे, हम दोनों एक दूसरे को काफी समय से जानते थे लेकिन उसके बावजूद भी कभी मैंने रचना के बारे में कुछ गलत नहीं सोचा लेकिन मेरी भी सेक्स की इच्छा जागने लगी थी। एक दिन मैंने रचना को घूरना शुरू किया उसने अपनी नजरें झुका ली। वह कहने लगी तुम मुझे आज ऐसे क्यों देख रहे हो, मैंने उसे कहा मैं तुम्हें देख रहा था तुम कैसी लगती हो।

वह कहने लगी हम दोनों एक दूसरे को इतना समय से जानते हैं क्या तुमने मुझे आज तक कभी नहीं देखा। मैंने उसे कहा मैंने तुम्हें बहुत अच्छे से देखा है लेकिन फिर भी आज ना जाने मेरे दिल में तुम्हें देखकर अजीब सी हलचल पैदा हो रही है। वह मेरी बातों को समझने लगी, उस दिन हम दोनों के बीच जमकर सेक्स हुआ जो मैं चाहता था। रचना और मैं मेरे रूम में आराम से लेट गए और उसने मेरे होठों को चूमना शुरू किया तो मुझे लगा रचना के अंदर जोश पैदा होने लगा है। मैंने उसकी चिकनी चूत पर अपना लंड रगडना शुरू कर दिया और जब मैंने उसकी चूत को अच्छे से चाटा तो उसकी योनि से पानी बाहर निकलने लगा, मैं बहुत ही ज्यादा जोश में आ गया। मुझे नहीं पता था कि रचना भी अपने आप पर काबू नहीं रख पाएगी उसने भी मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू कर दिया और बहुत देर तक वह ऐसे ही करती रहा उसने मेरे लंड को अपने गले तक ले रखा था और बड़े अच्छे से वह उसे अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी। मेरे अंदर भी उत्तेजना जाग चुकी थी, हम दोनों ही अपने आपे से बाहर हो चुके थे। जैसे ही मैंने रचना की गरमा गरम योनि पर अपने लंड को घुसाया तो मुझे नहीं पता था कि उसकी योनि में मुझे लंड को डालने में इतनी मेहनत करनी पड़ेगी।

जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि में प्रवेश हुआ तो उसके मुंह से चीख निकल पडी, मैं उसे तेजी से धक्के देने लगा। कुछ देर तक तो मैं उसे अपने नीचे लेटा कर चोदता रहा फिर मैंने उसे घोड़ी बना दिया और घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया। जब मैं उसकी योनि के अंदर बाहर तेजी से अपने लंड को कर रहा था तो उसके मुंह से चीख निकल पड़ती और वह भी अपनी चूतडो को मुझसे मिलाती। यह सिलसिला करीब 5 मिनट तक चला और 5 मिनट बाद जब हम दोनों पूरे तरीके से संतुष्ट हो गए तो रचना मुझे कहने लगी राकेश आई लव यू मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं और उसने मुझे गले लगा लिया। हम दोनों एक दूसरे के गले मिलकर बहुत खुश थे मुझे रचना का साथ मिल चुका था और रचना को मेरे साथ मिल चुका था। हम दोनों एक दूसरे के साथ में बहुत खुश हैं और अपना जीवन बहुत ही खुशहाल तरीके से बिता रहे हैं।

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