kamukta, antarvasna कुछ समय से मैं घर पर ही था क्योंकि मेरी नौकरी छूट चुकी थी इसलिए मैं घर पर ही रहता था, मेरी उम्र 28 वर्ष की हो चुकी है और मेरे दोस्त भी अब नौकरी करने लगे हैं इसलिए उनसे मुलाकात कम ही हो पाती है, मैं भी ज्यादा बाहर नहीं जाया करता था। एक आद मेरे दोस्त मेरे मोहल्ले में ही हैं तो उनसे कभी कबार मेरी मुलाकात हो जाया करती लेकिन उनसे भी मैं इतना ज्यादा नहीं मिला करता था इसलिए मैं घर पर ही रहकर कुछ काम करता रहता। मैंने दूसरी जगह अपनी जॉब के लिए ट्राई भी किया था लेकिन वहां पर तनख्वाह बहुत कम मिल रही थी इसलिए मैंने सोचा कुछ समय मैं घर पर ही रहता हूं और उसके बाद किसी अच्छी कंपनी में ट्राई करूंगा लेकिन इस बीच किसी अच्छी कंपनी में कोई वैकेंसी ही नहीं थी मेरे जितने भी जान पहचान के थे मैंने उन सब को अपना रिज्यूम भेज दिया था ताकि मुझे पता चल सके कि किसी कंपनी में वैकेंसी है तो वह लोग मुझे इंफॉम कर दे लेकिन फिलहाल तो किसी कंपनी में ऐसी कोई नौकरी थी नहीं इसलिए मैं भी घर पर बैठा रहा।
शाम के वक्त मैं अपने घर के पास ही एक पार्क में चले जाया करता था और वहीं पर टहला करता लेकिन मैं जल्दी से घर लौट आया करता, एक शाम मैं अपने घर की छत पर था मैं छत में ही टहल रहा था तभी मेरे एक पुराने दोस्त का फोन आया और उससे मैं फोन पर बात करने लगा मैं उससे फोन पर बात कर ही रहा था कि मेरे सामने वाली छत पर एक लड़की किसी से फोन पर बात कर रही थी मैं भी उसे बार-बार देख रहा था हवा भी काफी तेज चल रही थी जिस वजह से उसके बाल उड़ रहे थे उसने अपने बालों को खुला कर रखा था वह मेरी नजरों से हट ही नहीं रही थी मैंने अपने दोस्त से कहा मैं तुम्हें बाद में फोन करता हूं वह कहने लगा ठीक है तुम मुझे याद से फोन करना मैंने उसका फोन रख दिया और उस लड़की को ही देखता रहा लेकिन वह तो फोन पर ही बात कर रही थी और काफी देर तक उसने फोन पर बात की करीब आधे घंटे तक उसने फोन पर बात की और जैसे ही उसने फोन रखा तो वह भी मेरी तरफ देखने लगी मैं भी उसे बड़े ध्यान से देख रहा था और छत की दूरी इतनी ज्यादा भी नहीं थी कि वह मुझे साफ ना दिखाई दे उसका चेहरा मुझे पूरी अच्छी तरीके से दिखाई दे रहा था और उसे देख कर मुझे एक अलग ही फीलिंग आ रही थी मैं उसे देखकर खुश था लेकिन कुछ देर बाद वह चली गई और मैं भी अपने घर पर आ गया।
उस दिन मेरे पापा ने कहा कि बेटा तुम अपने चाचा जी के पास चले जाना वह तुम्हें कुछ पैसे देंगे मैंने पापा से कहा लेकिन चाचा जी किस बात के पैसे देंगे, पापा कहने लगे कि उन्होंने किसी को कोई पेमेंट देनी है चाचा और चाची कहीं बाहर जा रहे हैं इसलिए उन्होंने मुझे कहा है कि आप रोहित को हमारे पास भेज दीजिए हम उसे पैसे दे देंगे और आप उन व्यक्ति को पैसे दे दीजिएगा। मैंने अपने पापा से कहा ठीक है मैं अभी चाचा जी के घर से हो आता हूं मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और चाचा जी के घर चला गया मेरे चाचा जी का घर हमारे घर से ज्यादा दूर नहीं है मैं जब चाचा चाची से मिला तो वह लोग कहने लगे रोहित बेटा तुम्हारी नौकरी कहीं लगी नहीं, मैंने चाचा से कहा नहीं चाचा एक दो जगह मेरी बात बनी थी लेकिन वहां पर तनख्वा काफी कम है इसलिए मैंने वहां जॉइन नहीं किया लेकिन शायद कुछ समय बाद किसी कंपनी में मेरी जॉब लग जाएगी चाचा कहने लगे चलो कोई बात नहीं, मैंने उनसे पूछा आप कहां जा रहे हैं? वह कहने लगे हमें कुछ काम से कुछ दिनों के लिए बाहर जाना है। चाचा जी ने मुझे पैसे दिए और कहा कि यह भैया को दे देना मैंने उन्हें कहा ठीक है चाचा जी और यह कहते हुए मैं उनके घर से चला आया मैंने वह पैसे पापा को दे दिए और मैं अपने रूम में चला गया मैंने सोचा दोपहर के वक्त मेरे दोस्त का फोन आया था इसलिए मुझे उसे फोन करना चाहिए मैंने जब उसे फोन किया तो वह मुझे कहने लगा रोहित शायद हमारी कंपनी में कुछ वैकेंसी निकलने वाली है यदि तुम चाहो तो ट्राई कर सकते हो, मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हे रिज्यूम भेज देता हूं।
मैंने उसे कहा लेकिन जैसे ही तुम्हारी कंपनी में कोई वैकेंसी आई तो तुम मुझे बता देना, वह कहने लगा ठीक है मैं जरूर तुम्हें बता दूंगा और उसके कुछ दिन बाद उसने मुझे फोन कर के बोला कि तुम इंटरव्यू के लिए आ जाओ एचआर से मेरी काफी अच्छी बनती है इसलिए तुम उसे मेरा रेफरेंस दे देना मैंने भी अपने दोस्त का रेफरेंस एचआर को दे दिया और उन्होंने मुझे कहा कि हम आपको कल फोन कर के बता देंगे। अगले दिन कंपनी से फोन आ गया और मैंने वहां नौकरी ज्वाइन कर ली मैं बहुत खुश था क्योंकि काफी समय से मैं घर पर ही खाली बैठा हुआ था मेरी नौकरी लग चुकी थी और मैं सुबह ऑफिस के लिए निकल जाया करता और शाम के वक्त लौटता, एक दिन मुझे वही लड़की दोबारा से दिखाई दी मैं उस वक्त ऑफिस के लिए जा रहा था इसलिए मैंने उससे बात नहीं की लेकिन वह मुझे देख कर मुस्कुराती हुई चली गई मैं जब उस दिन ऑफिस में गया तो सिर्फ उस लड़की के बारे में ही सोचता रहा जब भी वह मुझे छत पर दिखाई देती तो मैं उसे देखकर मुस्कुरा दिया करता और यह सिलसिला करीब तीन महीनों से चल रहा था लेकिन मुझे नहीं पता था कि उस लड़की का नाम क्या है।
एक दिन मैंने उसका नाम अपने मोहल्ले के एक दोस्त से पता करवा लिया उसका नाम प्रियंका है वह अपने भैया के साथ रहती है। मैं एक शाम घर की छत पर खड़ा था उस दिन मैंने देखा प्रियंका किसी लड़के के साथ खड़ी है और वह उससे बड़े ही मुस्कुरा कर बात कर रही है मुझे समझ नहीं आया कि यह लड़का है कौन? मैंने उसके बारे में पता करवाया लेकिन मुझे कुछ पता ही नहीं चला एक दिन मैंने अपने दोस्त से कहा कि तुम मुझे उसके भैया को दिखाना तो वह कहने लगा कि ठीक है यदि कभी वह यहां से गुजरेगा तो मैं तुम्हें बताऊंगा। एक दिन प्रियंका के भैया मुझे दिखाई दिए लेकिन वह लड़का कोई और ही था मुझे समझ नहीं आया की वह लड़का कौन है, मैं दुविधा में था मुझे लगा कि कहीं वह उसका बॉयफ्रेंड तो नहीं है लेकिन यह बात मैं पूरे यकीन से भी नहीं कह सकता था फिर मैंने अपने दिमाग से उसका ख्याल निकाल दिया और उसके बाद मैं जब भी उसे देखता हूं तो मैं अपने घर पर आ जाता हूं या फिर वह मुझे कहीं बाहर दिखती तो मैं वहां से निकल जाता लेकिन मैं उसे पलटकर कभी नहीं देखता था उसके बाद वह लड़का मुझे अक्सर दिखाई देता लेकिन काफी समय बाद वह लड़का मुझे दिखाई नहीं दिया और प्रियंका भी मुझे देख कर मुस्कुराने लग जाती वह जब भी मुझे देखती तो वह शायद मुझसे बात करना चाहती लेकिन मुझसे बात नहीं कर पाती थी हम लोगों की कभी आपस में बात हुई ही नहीं थी। एक शाम मैं छत पर खड़ा था उस दिन प्रियंका ने एक खाली पेपर मेरे तरफ उछाल कर फेंका, मैंने जैसे ही वह पेपर खोला तो उसमें उसका नंबर लिखा था मैं समझ नहीं पाया कि आखिरकार उसने मुझे अपना नंबर क्यों दिया लेकिन मैंने भी उसे फोन कर दिया और उसे फोन करके मैंने उससे काफी देर तक बात की जब मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे साथ मुझे एक लड़का अक्सर दिखाई देता था तो वह कहने लगी कि वह मेरा दोस्त है। उसने मुझे सिर्फ इतना ही बताया उसके बाद मेरी उससे फोन पर बात हो जाती थी और जब भी वह मुझे मिलती तो मैं उससे बात कर लिया करता।
एक दिन प्रियंका ने मुझे अपने घर पर बुला लिया उस दिन मेरी भी छुट्टी थी। मैं प्रियंका से मिलने के लिए उसके घर पर चला गया मैं जब उससे मिलने उसके घर पर गया तो उस दिन प्रियंका ने मुझे सुधांशु के बारे में सब कुछ बता दिया। वह मुझे कहन लगी सुधांशु मेरा बॉयफ्रेंड था वह मुझसे मिलने के लिए अक्सर मेरे घर पर आता था। मैंने उससे पूछा क्या उस वक्त तुम्हारे भैया घर पर होते थे। वह कहने लगी नहीं उस वक्त मेरे भैया घर पर नहीं होते थे मैंने उसे कहा क्या तुम्हारे बीच में सेक्स हुआ है। वह कहने लगी हां हम दोनों के बीच में सब कुछ हुआ है मैंने उसके बदन को सहलाना शुरु कर दिया और उसके होठों को चूमने लगा। मैंने जैसे ही प्रियंका के मुलायम होंठो को अपने होठों में लिया तो उसे भी अच्छा महसूस होने लगा, वह मेरा साथ देने लगी। मैंने प्रियंका के कपड़े उतार दिए उसका फिगर बड़ा ही मेंटेन था उसकी पतली सी कमर को मैंने अपने हाथ में पकड़ लिया और उसके स्तनों को चूसने लगा। उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर मुझे एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती प्रियंका ने भी मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे गले तक लेने लगी।
वह मेरे लंड को बड़े ही अच्छे तरह सकिंग कर रही थी और उसे भी मजा आ रहा था मैंने प्रियंका का पूरा साथ दिया। मैने अपने लंड को उसके मुंह के अंदर घुसा दिया मैंने उसकी चूत को अच्छे से चाटा। वह मेरे सामने घोड़ी बन गई, उसकी चूत के अंदर लंड डालते ही उसकी जोरदार चीख निकल जाती। वह अपनी चूतडो को मेरी तरफ करती उसे भी मजा आता और मेरी इच्छा पूरी हो गई। मुझे पता चला चुका था उसका ब्रेकअप हो चुका है इसलिए मुझे प्रियंका ने घर पर बुलाया था ताकि वह मेरे साथ नजदीकियां बढ़ा सके लेकिन मुझे भी क्या फर्क पड़ता मुझे भी तो प्रियंका से वह सब कुछ मिल जाता जो मैं उसे चाहता था। उसकी सुंदरता का मैं कायल हो चुका हूं मैं जब भी उसके साथ सेक्स करने की बात करता तो वह भी हमेशा तैयार रहती है और कभी भी उसने मुझे सेक्स के लिए मना नहीं किया।