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कुछ समय पहले की बात है जब मैं स्कूल में पढ़ा करता था। मेरा पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। मेरे घर वाले मुझे पढ़ाने के लिए क्या-क्या कोशिशें नहीं करते थे वह मुझे ट्यूशन भी भेजते थे लेकिन मैं आधे रास्ते से ही अपने दोस्तों के साथ चले जाता। फिर मेरी ट्यूशन से शिकायत आती कि मैं ट्यूशन पहुंचा ही नहीं। फिर घर पर मुझे बहुत डांट पड़ती थी। मेरे पापा मुझे पढ़ाने के लिए ऑफिस से जल्दी आ जाया करते थे। मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता हूं। ग्यारहवीं तक तो मैं जैसे तैसे करके पास हो ही गया। लेकिन अब का कोई पता नहीं क्योंकि मेरा ध्यान अब पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं था। मेरा ध्यान खेलने कूदने में ही रहता था। मेरे पापा अब मुझे अपने साथ ट्यूशन ले जाया करते थे और ट्यूशन तक छोड़ दिया करते थे। कुछ दिन तो लगातार ऐसे ही चलता रहा लेकिन मैं ट्यूशन नहीं जाना चाहता था। मेरे घर वालों का मुझ पर पढ़ाई के लिए बहुत दबाव था। वह चाहते थे कि मैं अच्छे नंबरों से पास हो जाऊं वह मुझ पर खूब मेहनत करते। ऐसे ही मेरे और दोस्त भी थे जिनका पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था। वह भी अपने घरवालों से परेशान हो गए थे। कुछ समय बाद हमारी परीक्षाएं होने वाली थी। अब हमारे घर वाले हमें दिन रात एक कर के पढ़ाया करते थे।
थोड़ा बहुत तो हम पढ़ ही लेते थे लेकिन पूरे दिन भर पढ़ना हमारे बस में नहीं था। इसलिए हम कहीं बाहर घूमने चले जाते और फिर काफी देर बाद घर लौटते। घर पहुंचने के बाद हमें बहुत डांट पड़ती थी क्योंकि परीक्षाएं नजदीक थी। अब हम थोड़ा बहुत पढ़ने लगे थे क्योंकि हमें भी डर था कि फेल होने पर कहीं हमें घर से बाहर ना निकाल दिया जाए। इसलिए हम पढ़ने लगे। यह तो हम सोच रहे थे कि वह हमें घर से बाहर निकाल देंगे लेकिन वह ऐसा क्यों करते। थे तो वह हमारे ही मां-बाप। फिर कुछ समय बाद हमारी परीक्षाएं शुरू होने लगी हमने अपने पूरी मेहनत से परीक्षाएं निपटाई और फिर आराम से घूमने फिरने लगे। कुछ समय बीतने के बाद हमारा रिजल्ट आने वाला था। हमें बहुत डर लग रहा था कि पता नहीं क्या होगा इस बार। 2 दिन बाद हमारा रिजल्ट था उस दिन हमारा रिजल्ट देखने के बाद हमारे घर वालों को बहुत दुख हुआ। लेकिन उस दिन हम लोग अपना रिजल्ट देखने के बाद घर ही नहीं गए। हमें डर था कि कहीं हमें डांट ना पड़ जाए। इसलिए हम घर ही नहीं गए। दूसरे दिन हमारे मां-बाप हमें ढूंढते हुए निकले लेकिन हम तो कहीं दूर निकल चुके थे। हम सारे दोस्तों ने सोच रखा था कि अगर रिजल्ट अच्छा नहीं होगा तो हम घर से भाग जाएंगे। और कहीं दूर चले जाएंगे और हमने वही किया जो सोचा था। लेकिन हमारे घर वाले हमारे लिए बहुत परेशान थे। वह चिंता करने लगे कि कहां होंगे और कैसे होंगे। कुछ खाया भी होगा या नहीं। हम लोग घर से थोड़े थोड़े पैसे लेकर आए थे। लेकिन वह पैसे भी कब तक चलते। हमें कुछ ना कुछ तो करना ही था।
मेरे दोस्तों ने फैसला कर लिया था कि अब हम ज्यादा दिन तक ऐसे नहीं रह पाएंगे तो हम लोग घर वापस लौट जाएंगे। वह लोग घर वापस लौट पड़े लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई। मैं घर वापिस नहीं गया और मैं वहां से भागकर कोलकाता चले गया। मैं कोलकाता पहुंचा तो मैंने देखा कि वह बहुत बड़ा शहर है। मुझे तो बड़ी दिक्कत हो रही थी। लेकिन अपना पेट तो पालना ही था। मैंने वहीं पर एक आदमी के यहां नौकरी कर ली। वह बहुत बड़ा ही क्रूर आदमी था। वह ना तो मुझे पैसे देता था टाइम पर मैंने उसे कुछ दिनों बाद उसके वहां से नौकरी छोड़ दी। जितना मेरा पैसा था वह सब लेकर कहीं और नौकरी ढूंढने लगा।
मैं नौकरी ढूंढते ढूंढते एक हवेली में चला गया। वह बहुत ही बड़ी हवेली थी। वहां पर मैंने पूछा यहां पर कोई काम है। तो वहां के सिक्योरिटी गार्ड ने कहा हां यहां पर काम है। तुम्हें करना है तो मैं मालकिन से बात कर लेता हूं। उन्होंने मालकिन से बात की वह दिखने में बड़ी ही सुंदर थी और मुझे कहने लगी ठीक है। तुम हमारे यहां पर काम कर लो। तुम्हें क्या काम करना आता है। मैंने उसे कहा कि मुझे घर का काम करना आता है। तो मैं घर का काम संभाल लूंगा तो मैं उनके घर का काम करने लगा। वह बहुत ही पैसे वाली थी उसका पति भी बाहर रहता था। कभी कभार आता था। मै उसके घर में काम करने लगा।
एक दिन मैंने देखा कि वह पैंटी ब्रा में बैठी हुई है और टीवी देख रही है। मैं उसके लिए चाय लेकर गया। उसने मुझे वहीं पकड़ लिया और कहने लगी जरा बच्चे मेरी चूत की खुजली मिटा उसने मुझे अपने नीचे दबा लिया और उसने मेरी पेंट खोलते हुए मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और मेरे ऊपर ही बैठी रही। वह अपनी गांड को ऊपर नीचे करने लगी और मुझे मजा आता। ऐसा उसने 10 मिनट तक किया उसके बाद उसने मुझे कहा कि तुम मेरे ऊपर से आ जाओ और मैं उसके ऊपर से लेटा हुआ था फिर मैंने उसके ब्रा को थोड़ा सा ऊपर करते हुए उसके स्तनों को भी चूसना शुरु कर दिया। जैसे ही मैं उसके स्तनों को चूसता तो वह भी गरम हो जाती और मुझे कहने लगती तुम काफी अच्छे से कर रहे हो लगता है तुम सीख गए हो। अब मैं उसके स्तनों को चूसता और उसकी चूत में लंड डाल दिया और वह मस्त होती जाती थोड़े समय में उसका झड़ गया लेकिन मेरा नहीं झडा और मैं उसको चोदता रहा। मैंने उससे लेटा कर उसकी गांड में भी डालना शुरु कर दिया और वह ऐसे ही लेटी रही मैंने उसे बहुत ही चोदा उसे काफी अच्छा लगा। उसने मुझे कुछ पैसे दिया और कहा तुमने आज मेरे साथ अच्छे से सेक्स किया है। लेकिन मेरा लंड सूज चुका था और वह बहुत ही मोटा हो गया था। मैंने यह देखा तो मुझे काफी अजीब सा लगा। उसे कुछ खून भी निकल रहा था। लेकिन मुझे अच्छा भी लग रहा था।
जब भी इस औरत का मन होता तो वह मुझे बुला लेती और मुझे कहती मुझे चोदो और जब भी मैं उसको चोदता था मुझे अच्छे पैसे देती। मुझे इसकी आदत हो चुकी थी लेकिन अब मैं पुराना हो चुका था। तो वह अपने घर में कुछ लड़कों को बुलाकर उनसे चुदा करती थी।
एक दिन मैंने उससे पूछ लिया यह सब क्या है। तो उसने कहा जिगोलो सर्विस है और जो भी करता है उसे उसके बदले पैसे दिए जाते हैं। यह सुनकर खुश हो गया और मैंने कहा अब मैं भी इसी काम को करूंगा। उसके बाद जितने भी सहेलियां उसके घर पर आती थी। उनसे कांटेक्ट बनाने शुरू किए। मुझे वहां पर एक औरत मिली जिसकी नई-नई शादी हुई थी। उसका नाम प्रियंका था। उसने मुझे कहा कि तुम एक काम करना रात को मेरे घर पर आ जाना। उसने मुझे कुछ एडवांस में पैसे दिए।
रात को मैं अपना काम निपटा कर उसके घर पर चले गया। मैंने देखा कि वह अपने कमरे में लेटी हुई है। पहले उसने मुझे कुछ डांस करने को कहा।
मैंने वहां पर डांस किया फिर उसने मेरे ऊपर कुछ पैसे उड़ाया। मुझे अच्छा लगा। वह पैसे मैंने समेट कर एक साइड रख लिए अब उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे चूसने लगी और बड़े अच्छे से सकिंग करने लगी। कुछ देर में मुझे उसने कहा कि मेरी चूत को चाटो अच्छा से और वह लेट गई जैसे ही मैं उसकी चूत को चाटना शुरू किया वह मस्त होती जाती। थोड़े समय बाद उसने कहा अब मेरी योनि में अपना लंड डाल दो मैंने उसके बाद उसकी योनि में अपना लंड डाल दिया। अब मेरा बहुत मोटा भी हो चुका है। और उसके बाद मैंने उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया बहुत गंदी तरीके से मैंने चोदा 45 मिनट करने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला तो वह कहने लगी तुम तो बडडे ही जानवर किसम के आदमी हो। मैंने उसे कहा मैं इसी तरीके का हूं अब वह मेरी परफॉर्मेंस से खुस हो गई थी। उसकी कुछ सहेलियों को भी मेरा नंबर उसने दे दिया था। प्रियंका जब भी मुझे बुलाती मैं उसकी गांड में लंड डाल देता। वह मेरी परमानेंट कस्टमर बन चुकी है। और मुझे हमेशा ही दो-चार दिन छोड़कर बुला लेती है क्योंकि उसको मेरे साथ सेक्स करना अच्छा लगता है। इस तरीके से मैं बहुत खुश हूं। काफी समय बाद में अपने घर लौटा तो मेरे घर वाले मुझे देखकर बहुत खुश हो गए।