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मेरा नाम प्रियंका है मैं अहमदाबाद की रहने वाली हूं, मेरी उम्र 40 वर्ष है और मेरी शादी को 12 वर्ष हो चुके हैं, इन 12 वर्षों में मेरी जिंदगी में बहुत ही उतार-चढ़ाव आए हैं लेकिन मैंने हमेशा ही अपनी जिंदगी को अपने तरीके से ही जिया है, मेरे और मेरे पति की मुलाकात हमारे कॉलेज के समय में हुई थी। मैं उस वक्त कॉलेज में नई नई आई थी और प्रशांत मुझ पर लाइन मारते थे लेकिन उस वक्त प्रशांत को लेकर मेरी कोई भी रुचि नहीं थी परंतु जब हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे तो मुझे ऐसा लगने लगा कि शायद मैं प्रशांत के साथ अपना जीवन बिता सकती हूं। जब हम दोनों एक दूसरे से शादी के लिए तैयार हो चुके थे तो उस वक्त मेरे पिताजी मेरी शादी प्रशांत के साथ नहीं करवाना चाहते थे क्योंकि उस वक्त प्रशांत कुछ भी नहीं करते थे और मेरे पिताजी ने उनके सामने शर्त रख दी कि तुम जब तक किसी अच्छी नौकरी पर नहीं लग जाते तब तक मैं तुम्हारी शादी प्रियंका से नहीं करवा सकता।
प्रशांत ने भी काफी मेहनत की, उस वक्त तो हम काफी समय तक एक दूसरे से मिले भी नहीं थे लेकिन जब उनका सरकारी नौकरी में सिलेक्शन हो गया तो उसके बाद वह मेरे घर पर आए और मेरे पिताजी से उन्होंने मेरा हाथ मांग लिया, उस दिन प्रशांत के साथ प्रशांत के माता-पिता भी आए हुए थे। मेरे पिताजी भी तब रिश्ते को लेकर मना नहीं कर पाए और उन्होंने भी शादी के लिए हां कह दी। शादी के कुछ समय बाद ही मैं गर्भवती हो गई थी और हमारा एक बच्चा भी है, हमने उसके बाद आगे की फैमिली प्लानिंग नहीं की। मेरे लड़के की उम्र 11 वर्ष है, मैं ही उसकी सारी जिम्मेदारियों को निभाती हूं क्योंकि प्रशांत का ट्रांसफर कोलकाता में हो चुका है, मैं प्रशांत को हमेशा ही फोन करती हूं और उससे बात करती हूं। मैं अकेले रहना पसंद नहीं करती थी लेकिन अब मुझे आदत हो चुकी है, मैं अपने बच्चे के साथ ही समय बिताती हूं, मैं उसे घर पर ही ट्यूशन पढ़ाती हूं। जब वह स्कूल में होता है तो उस वक्त मैं अपनी सहेलियों के साथ बैठने के लिए चली जाती हूं। प्रशांत को भी काफी समय हो चुका था जब से वह घर नहीं आए, मैंने एक बार प्रशांत से कहा कि तुम घर कब आ रहे हो तो वह कहने लगे कि अभी तो छुट्टी मिलना संभव नहीं हो पाएगा लेकिन कुछ समय बाद मैं घर आ जाऊंगा।
मैंने उन्हें कहा कि मुझे आपकी काफी याद आती है और आपकी कमी भी खलती है, प्रशांत हमेशा मुझे अपनी बातों से खुश कर दिया करते थे और कहते कि तुम बहुत ही हिम्मत वाली महिला हो, तुमने इतने सालों से घर की जिम्मेदारी ली है और मेरे माता-पिता का भी ध्यान रखती हो। प्रशांत के माता-पिता गांव में ही रहते हैं लेकिन मैं उन्हें हमेशा ही फोन कर दिया करती हूं और वह जब भी अहमदाबाद आते हैं तो मैं उनका बहुत ध्यान रखती हूं। प्रशांत मुझसे कहने लगे कि कुछ दिनों बाद ही मम्मी पापा अहमदाबाद आने वाले हैं तुम उन्हें फोन कर के पूछ लेना कि वह लोग कब आने वाले हैं, मैंने जब उन्हें फोन किया तो वह कहने लगे हम लोग कुछ दिनों के लिए अहमदाबाद आ रहे हैं, मैंने उन्हें कहा कि आप कब तक आएंगे वह कहने लगे बस अगले हफ्ते ही हम लोग आ जाएंगे। जब वह लोग अहमदाबाद आए तो मुझे बहुत अच्छा लगा, मैं उनके साथ काफी देर तक बैठी रहती थी, वह लोग मुझे गांव के बारे में बताते, उन्हें अहमदाबाद में रहना ज्यादा अच्छा नहीं लगता था इसलिए वह ज्यादा समय तक अहमदाबाद में नहीं रुकते थे। प्रशांत का मुझे फोन आया तो मैंने उन्हें बताया कि वह लोग अहमदाबाद आ चुके हैं। प्रशांत ने अपने पिताजी से बात की और काफी देर तक वह फोन पर बात करते रहे, मेरे ससुर जी पूछ रहे थे कि तुम कब अहमदाबाद आने वाले हो, प्रशांत कहने लगे बस कुछ दिनों बाद ही मैं अहमदाबाद आ जाऊंगा, आप लोग तब तक वहीं पर रहना, मेरे ससुर कहने लगे देखते हैं यदि हम लोगों का मन लगा तो हम लोग यहीं पर रहेंगे नहीं तो हम लोग गांव वापस चले जाएंगे। प्रशांत ने उन्हें कहा कि आप कुछ समय के लिए अहमदाबाद ही रुक जाना, मैं भी कुछ दिनों बाद ही घर आ जाऊंगा। इस बार उन्हें मेरे साथ रहते हुए काफी समय हो चुका था और हमारे लड़के को अपने दादा दादी के साथ रहना भी अच्छा लगता था, वह उनके साथ ही शाम के वक्त खेलने लग जाता, मैं उसे कई बार समझाती कि तुम दादा-दादी को इतना परेशान मत किया करो लेकिन वह लोग कहते कि अभी बच्चे की खेलने की उम्र है उसे खेलने दिया करो।
वह लोग शाम के वक्त हमारे कॉलोनी के पार्क में चले जाया करते, मेरा लड़का भी उनके साथ ही जाता था और शाम को वह लोग पार्क में ही काफी देर तक बैठे रहते थे। मेरा भी जब मन होता तो मैं उनके साथ चली जाती थी और कभी कबार अपनी सहेलियों के साथ बैठ जाए करती थी। मैं काफी दिनों से अपने आप को तन्हा सी महसूस कर रही थी और सोचने लगी कि मेरी शादी को 12 वर्ष हो चुके हैं लेकिन प्रशांत और मेरे बीच में अब भी पहले जैसा ही प्यार है, मेरा प्यार प्रशांत के लिए कभी भी कम नहीं हुआ और प्रशांत भी मुझसे हमेशा ही प्यार से बात करता है। मैं जब भी अपनी कॉलेज की सहेलियों से बात करती हूं तो वह मुझसे पूछते हैं कि प्रशांत और तुम्हारा रिलेशन कैसा चल रहा है, मैं उन्हें कहती हूं कि हम दोनों का रिलेशन पहले जैसे ही ह, वह इस वक्त कोलकाता में है वह अहमदाबाद कम ही आ पाते हैं। मेरी सारी सहेलियां कहती हैं कि प्रशांत तुमसे पहले से ही बहुत ज्यादा प्रेम करता है, वह बिल्कुल भी नहीं बदला। मेरी सेक्स की कमी पूरी नहीं हो पा रही थी। एक दिन मेरी सेक्स की इच्छा बहुत ज्यादा थी उस दिन मेरे सास ससुर पार्क में चले गए और मेरा लड़का भी उन्हीं के साथ गया हुआ था।
हमारे कॉलोनी के बाहर एक सब्जी बेचने वाला आया। मैं जब उसके पास सब्जी लेने गई तो मुझे उसे देखकर अंदर से एक अलग ही फीलिंग आने लगी। मैंने उसे पूछा केले कितने के दिए। वह कहने लगा मैं आपको सही रेट लगा दूंगा लेकिन वह केले बहुत छोटे थे इसलिए मैंने नहीं लिए मैंने उसे कहा कि यह बहुत ही छोटे हैं। वह कहने लगा आपको मैं बड़ा केला दे देता हूं वह मेरी बात समझ चुका था और जब मैं उसे अपने साथ अपने घर पर ले आई तो मैंने उसके सारे कपड़े खोले और उसके काले लंड को देखा तो मेरे अंदर की गर्मी बाहर आ गई। उसने भी मुझे नंगा किया तो उसका लंड खड़ा हो चुका था और वह कहने लगा कि आपका शरीर तो बड़ा ही मुलायम है। उसने मेरी गांड की लकीरों के बीच में अपने लंड को रगडना शुरू किया और मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया था। उसने मुझे घोड़ी बना दिया, जैसे ही उसका कड़क और सख्त लंड ने मेरी योनि को भेदन किया तो मुझे अंदर से एक सेक्स को लेकर रूचि बढ़ने लगी और उसने भी मेरे 36 साइज गांड को पकड़ लिया। वह बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा वह मुझे इतनी तेज धक्के मार रहा था कि मेरी चूतड पूरी लाल होने लगी थी और मेरी योनि से भी बड़ा तेज तरल पदार्थ बाहर की तरफ निकल रहा था। मेरी योनि गिली हो चुकी थी इसलिए मुझे मजा भी दोगुना आने लगा था। जब उसका काला लंड अंदर बाहर होता तो मेरी उत्तेजना और चरम सीमा पर पहुंच जाती। वह मुझे कहने लगा मेम साहब आपको चोद कर बड़ा ही अच्छा लग रहा है। मैंने उसे कहा तुम्हारा मोटा केला जब मेरी चिकनी चूत मे जा रहा है तो मेरी इच्छा पूरी हो रही है मैं कई दिनों से सेक्स को लेकर भूखी बैठी थी तुमने मेरी इच्छा को पूरा किया और मेरे प्यार को बुझा दिया। वह मुझे ऐसे ही तेज तेज चोद रहा था मेरी चूत का तरल पदार्थ बड़ी तेज गति से बाहर की तरफ निकलने लगा। जब उसका वीर्य मेरी योनि में गया तो मुझे ऐसा लगा कितने दिनों बाद किसी ने मेरी चूत की खुजली को मिटा दिया। वह कहने लगा मेम साहब आपको कोई कमी तो नहीं हुई मैंने उसे कहा तुमने आज मेरी इच्छा पूरी कर दी है, जब भी मेरा मन होगा तो तुम अपने मोटे केले को लेकर मेरे पास आ जाना वह खुश होकर मेरे घर से चला गया। जब भी मेरा मन होता तो मैं उस सब्जी वाले बुला लेते।