antarvasna, desi kahani
मेरा नाम रोहन है मैं बनारस का रहने वाला हूं, मेरे पिताजी सरकारी नौकरी करते हैं और मेरी मां भी स्कूल में टीचर हैं। मैं अपने घर में एकलौता लड़का हूं। मेरे कॉलेज को पूरे हुए 3 वर्ष हो चुके हैं लेकिन मैं अभी भी कोई काम नहीं कर रहा हूं इसीलिए मेरे माता-पिता बहुत चिंतित रहते हैं और वह हमेशा ही कहते हैं कि तुम अपने जीवन में कुछ काम कर लो, नहीं तो तुम ऐसे ही आवारागर्दी करते रहोगे। मैं उन्हें हमेशा ही कहता हूं कि मैंने भी अपने भविष्य के बारे में कुछ सोचा है परंतु मुझे अभी कुछ समझ नहीं आ रहा कि मुझे क्या करना चाहिए इसलिए मैं किसी भी तरफ ध्यान नहीं दे रहा। मैंने कुछ समय पहले नौकरी की थी लेकिन मेरा नौकरी में बिल्कुल भी मन नहीं लगा और मैंने वह नौकरी छोड़ दी इसीलिए मेरे माता-पिता मुझ पर बहुत गुस्सा रहते हैं और वह कहते हैं कि तुम यदि इसी प्रकार से रहे तो तुम अपने भविष्य में कुछ भी नहीं कर पाओगे और तुम हमेशा ही हम पर निर्भर रहोगे।
मुझे भी लगता है कि मैं अपने माता-पिता पर बहुत निर्भर हूं क्योंकि वह हमेशा ही हर चीज मुझे समय पर देते हैं इसीलिए मैं उनपर ही निर्भर रहता हूं। मेरे पिताजी मुझसे बिल्कुल भी बात नहीं करते और वह कहते हैं कि तुम तो बिल्कुल ही नालायक हो। वह मुझ पर हमेशा ही ताने मारते हैं और कहते हैं कि तुम बहुत ही ज्यादा निकम्मे इंसान हो इसीलिए मैं अपने पिताजी से ज्यादा बात नहीं करता। मुझे जब भी कोई काम होता है तो मैं अपनी मां से ही कहता हूं और वह हमेशा ही मेरी मदद कर देती हैं। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब मेरी मां मेरी मदद करती हैं क्योंकि जिस प्रकार से मेरी मां ने मुझे हमेशा ही सपोर्ट किया है मैं हमेशा उनकी इज्जत करता हूं। मैं अभी कोई काम नहीं कर रहा उसके बावजूद भी मेरी मां मुझे कुछ नहीं कहती है। मैं अपनी कॉलोनी के बच्चों के साथ हमेशा ही क्रिकेट खेलता हूं और यह बात मेरे पिता को बिल्कुल भी पसंद नहीं है, वह कहते हैं कि तुम कम से कम उनके साथ तो मत खेला करो, वह तुमसे बहुत ही छोटे हैं और तुम अपनी उम्र का लिहाज कर लिया करो लेकिन उसके बावजूद भी मैं उन बच्चों के साथ क्रिकेट खेलता हूं। मुझे उनके साथ क्रिकेट खेलना बहुत अच्छा लगता है।
हमारे कॉलोनी में एक लड़की रहती है जिसका नाम संजना है। मैं उसे काफी पहले से चाहता हूं लेकिन मैंने उसे कभी भी अपने दिल की बात नहीं की क्योंकि मैं कुछ भी काम नहीं करता इसलिए मुझे उससे कुछ भी बोलने में अच्छा नहीं लगता और संजना किसी कंपनी में नौकरी करती है, मैं हमेशा ही उसका पीछा करता हूं। मैं उसे देखता हूं तो मुझे अलग ही तरीके की फीलिंग आती है और मुझे उसे देखना बहुत अच्छा लगता है लेकिन संजना को मैं कभी भी अपने दिल की बात नहीं कर पाया और संजना जब भी सुबह अपने घर से तैयार होकर जाती है तो उस वक्त मैं उसे देखता हूं। जब वह अपने ऑफिस जाती है तो मैं उसके पीछे-पीछे जाता हूं। कई बार उसने मुझे नोटिस किया लेकिन उसके बावजूद भी मैं उससे बात करने की हिम्मत नहीं कर पाया। एक दिन संजना बस स्टॉप पर खड़ी थी और उस दिन बस नहीं आ रही थी। वह काफी देर से बस स्टॉप पर ही खड़ी थी और बस का इंतजार कर रही थी। मैं यह सब देखे जा रहा था, उसे अपने ऑफिस के लिए लेट हो रही थी और मैं उस वक्त बस स्टॉप पर पहुंच गया, मैंने उसे कहा कि मैं आपको छोड़ देता हूं। पहले वह मुझे मना कर रही थी लेकिन उसे देर हो रही थी तो वह मेरे साथ बैठ गई और उस दिन मैंने संजना को उसके ऑफिस तक छोड़ा। संजना अपने ऑफिस पहुंची तो उसने मुझे धन्यवाद कहा और कहा कि आपने मुझे मेरे ऑफिस समय पर छोड़ दिया नहीं तो मुझे बहुत लेट हो जाती क्योंकि आज हमारे ऑफिस में बहुत इंपॉर्टेंट मीटिंग है इसलिए मुझे जल्दी ऑफिस पहुंचना था। उसने उस दिन मुझसे ज्यादा बात नहीं की क्योंकि उसे ऑफिस के लिए देर हो रही थी इसलिए वह अपने ऑफिस चली गई और मैं वापस अपने घर लौट आया। मैं बहुत खुश था क्योंकि संजना ने मुझसे पहली बार बात की थी और मुझे अंदर ही अंदर से एक अलग ही तरीके की खुशी मिल रही थी और मैं बहुत खुश हो रहा था। उसके बाद जब भी संजना मुझे मिलती तो वह मुझसे जरूर बात करती थी और मैं भी उससे बात करता था। धीरे-धीरे हम दोनों में अच्छी दोस्ती होने लगी।
जब कभी भी उसे मेरी आवश्यकता होती तो वह मुझे फोन कर दिया करती थी और मैं हमेशा ही उसकी मदद करता था। मैंने अभी भी उसे अपने दिल की बात नहीं कही थी, मुझे उससे बात करना अच्छा लगता था। मैं कई बार संजना को उसके ऑफिस तक छोड़ दिया करता था और वह भी मुझ पर पूरा भरोसा करने लगी थी इसीलिए जब भी मैं उसे कहता था कि हम लोग कहीं घूमने चलते हैं तो वह मेरे साथ आ जाती थी और हम दोनों एक बार मूवी भी साथ में गए। उसका भरोसा मुझ पर बहुत ज्यादा हो गया और मुझे भी बहुत अच्छा लगता जब संजना से मेरी बात होती थी। उसका नंबर मेरे पास था। कभी-कभार हम दोनों फोन पर भी बात कर लिया करते थे लेकिन हमारी फोन पर ज्यादा बात नहीं होती थी। एक दिन संजना का फोन मुझे आया और वह कहने लगी कि क्या तुम्हारे पास समय है, मैंने उसे कहा कि हां तुम बोलो तुम्हे क्या काम है, वह कहने लगी कि मुझे तुम मेरे दोस्त के घर तक छोड़ सकते हो और मुझे उसके बाद वापस घर आना है, मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हें तुम्हारे दोस्त के घर तक छोड़ दूंगा। उस दिन संजना को मैं उसके दोस्त के घर ले गया, वह उसके घर काफी देर तक रुकी हुई थी। मैं भी संजना के साथ ही उसकी दोस्त के घर पर बैठा हुआ था।
जब उसका काम हो गया तो उसके बाद हम दोनों वापस घर लौट रहे थे। हम दोनों रास्ते पर बात करते हुए आ रहे थे। जब हम दोनों वापस लौट रहे थे तो संजना के स्तन मुझसे टकरा रहे थे और मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। मुझे इतना अच्छा लग रहा था लेकिन मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मैंने संजना से कहा कि आज मेरा मन बहुत खराब है मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं। संजना भी समझ चुकी थी मैं उसे चोदना चाहता हू। मै उसे अपने दोस्त के घर ले गया वहां पर मैंने उसे नंगा कर दिया। हम दोनों जब कमरे में थे तो मैंने अपने लंड को अपनी पैंट से बाहर निकाल दिया और संजना के मुंह में डाल दिया वह मेरे लंड को बहुत अच्छे से चूसती। वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी मुझे भी बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। जब मै उसके मुंह में अपने लंड को डाल रहा था तो संजना ने अपने दोनों पैर चौड़े कर लिए मैंने उसकी योनि को बहुत अच्छे से चाटा। मैंने उसकी योनि को इतना चाटा कि उसकी योनि से पानी निकलने लगा। मैंने अपने लंड को संजना की योनि में डाल दिया और जैसे ही मेरा लंड संजना की योनि में गया तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा और मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था। वह कह रही थी कि तुमने तो अपने लंड को मेरी चूत मे डाल दिया और मुझे बहुत दर्द हो रहा है लेकिन मुझे काफी अच्छा महसूस होता और मै उसे बड़ी तेज गति से चोदता जाता जिससे कि हम दोनों ही बहुत ज्यादा पसीना पसीना होने लगे। मैने उसकी योनि से अपने लंड को बाहर निकाला तो उसकी योनि से खून निकल रहा था। मैने उसे घोड़ी बनाया तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत मे डाल दिया। मैंने उसे तेज तेज झटके मारे जिससे की उसकी चूतडे लाल हो गई। मुझे भी बहुत अच्छा महसूस होने लगा मैंने उसे बड़ी तेज झटके मारे। वह भी अपनी चूतडो को मुझसे मिला रही थी और कह रही थी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है जब तुम मुझे इस प्रकार से चोद रहे हो। हम दोनों की रगड़न से जो गर्मी पैदा हो रही थी वह हम दोनों से ही बर्दाश्त नहीं हो पाई और मेरा वीर्य संजना की चूत मे गिर गया मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। उसके बाद से मेरे और संजना के बीच कई बार सेक्स संबंध बन चुके हैं हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश हैं। मेरा जब भी मन करता है तो मैं संजना को चोदने के लिए उसके घर ही चला जाता हूं।