kamukta, antarvasna मैं गुजरात के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं मेरे गांव में सब लोग मुझे बहुत ही नाकारा समझते थे और मेरे माता-पिता भी मुझे हर बात के लिए ताने मारा करते थे लेकिन मुझे अपने जीवन में कुछ करना था वह लोग मुझे हमेशा कहते कि तुम कभी भी सफलता नहीं पा सकते हो, इस वजह से मुझे बहुत ही बुरा लगता क्योंकि गांव में मैं सिर्फ घूमता ही रहता था। मेरी उम्र 26 वर्ष की हो चुकी थी लेकिन मैंने कभी भी कोई काम नहीं किया जिससे कि मुझे पैसे मिल सके मुझे अपने जीवन में कुछ अलग करने की चाहत थी इसलिए मैं अपना गांव छोड़कर मुंबई चला आया, जब मैं मुंबई आया तो मेरे पास थोड़े बहुत पैसे थे लेकिन वह भी कितने दिन चलते मैं मुंबई अपना सपना लेकर आया था मुझे कुछ बड़ा करना था इसके लिए मुझे चाहे कुछ भी करना पड़े।
मैंने कुछ दिनों तक तो एक छोटे से होटल में अपनी रातें गुजारी जब मुझे लगने लगा कि मेरे पैसे खत्म होने वाले हैं तो मुझे कुछ भी ऐसा नहीं मिला कि जिससे मैं कुछ कर पाऊं, तब मेरी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई और वह मुझे कहने लगे कि यदि मैं उनके साथ काम करूं तो वह मुझे दिन के 300 रुपये दे दिया करेंगे, मैंने उन्हें कहा लेकिन काम क्या है? वह कहने लगे बस कुछ नहीं तुम्हें हमारे साथ चलना है और उसके बदले तुम्हें पैसे मिल जाएंगे, मैंने उनसे पूछा लेकिन आप बताइए तो सही क्या काम है, वह कहने लगे कि बस एक छोटी मोटी फिल्म की शूटिंग है वहां पर तुम जूनियर आर्टिस्ट हो। मैंने भी सोचा कि चलो कम से कम मेरे खर्चे के लिए मुझे पैसे तो मिल जाएंगे इसलिए मैं उनके साथ चला गया। अगले दिन मैं सुबह के वक्त वहां चला गया और मुझे लौटते लौटते शाम हो गई मुझे अब हर रोज काम मिलने लगा था जिससे की मेरा खर्चा भी अच्छे से चलने लगा और मैं जिस जगह पर रहता था वहां पर मैंने अब पर्मानेंट रहने की बात कर ली थी। मुझे अब हर रोज काम मिल जाया करता लेकिन मैं अपने काम से खुश नहीं था इसलिए मैंने एक व्यापारी के पास काम करना उचित समझा, उनसे मेरी मुलाकात मेरे दोस्त ने करवाई थी क्योंकि मुझे मुंबई में रहते हुए अब करीब एक वर्ष हो चुका था।
जब उनसे मेरी मुलाकात हुई तो उन्होंने मुझे सारा काम समझा दिया मेरा मन काम करने का बिल्कुल भी नहीं था लेकिन मुझे तो पैसों की जरूर थी और मुझे एक बड़ा आदमी बनना था जब मुझे पता चला कि जिनके यहां पर मैं काम कर रहा हूं वह भी गुजरात के ही रहने वाले हैं तो उन्होंने मेरी बहुत मदद की, जब भी मुझे कोई जरूरत होती तो मैं उनसे कह देता वह मेरी हर जरूरत को पूरा कर दिया करते, उन्होंने मुझे रहने के लिए भी एक जगह दे दी थी क्योंकि उनके पास काफी प्रॉपर्टी है और उन्होंने मुझे कहा कि तुम यहां रह सकते हो। मैं जिस जगह पर रह रहा था वहां पर काफी अच्छी कॉलोनी थी मेरे बॉस का नाम राजेंद्र है मैं उनका बहुत ही चहिता हो चुका था, जब भी मैं काम से फ्री होता तो यदि उन्हें कुछ सामान मंगवाना होता तो वह मुझे ही कह दिया करते और उनका भरोसा भी मुझ पर पूरा था मैं जब पहली बार उनके घर पर गया तो मै उनकी पत्नी से मिला उनकी पत्नी से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा वह भी मुझसे बहुत खुश हो गए और कहने लगी बेटा तुम हमारे घर पर आया करो। अब मुझे धीरे धीरे प्रमोशन भी मिलने लगा था और मैं थोड़ा काम संभालने भी लगा था एक दिन जब मैं राजेंद्र जी के घर पर गया हुआ था तो मैंने उनके बेडरूम में देखा कि एक सुंदर सी लड़की की तस्वीर लगी हुई है और वह बहुत ही ज्यादा सुंदर थी मैंने तो उसकी तस्वीर से ही प्यार कर लिया था, मैंने जब उनकी पत्नी से पूछा कि अंदर आपके बेडरूम में किस की तस्वीर लगी हुई है तो वह कहने लगी वह हमारी लड़की है, मैंने उनसे पूछा लेकिन मैंने तो उन्हें कभी आज तक नहीं देखा, वह कहने लगी वह यहां नहीं रहती वह अमेरिका में पढ़ाई करती है और कभी कबार ही घर लौटती है। मैंने उनकी पत्नी से पूछा कि क्या वह आपकी एकलौती लड़की है? वह कहने लगे हां वह हमारी एकलौती लड़की है। मैं राजेंद्र जी के साथ ज्यादा रहता था एक तरीके से मैं उनका पर्सनल सेक्रेटरी बन चुका था और जब भी उन्हें घर का कुछ सामान चाहिए होता या फिर उन्हें कोई जरूरी काम होता तो वह मुझे ही भेजा करते उनका भरोसा मुझ पर दिन ब दिन बढ़ता जा रहा था और मैं उनके भरोसे को तोड़ना भी नहीं चाहता था। एक दिन वह मुझे कहने लगे कि जिग्नेश तुम एक काम करो आज सरिता आ रही है तुम उसे लेने के लिए एयरपोर्ट चले जाओ क्योंकि मेरी बहुत जरूरी मीटिंग है, मैंने उनसे कहा जी सर मैं उन्हें लेने के लिए एयरपोर्ट चला जाता हूं।
उस दिन राजेंद्र जी के चेहरे पर एक अलग सी मुस्कान थी और वह बहुत खुश थे, मैंने उनसे पूछा आज आप बहुत ज्यादा खुश हैं तो वह कहने लगे कि हां इतने समय बाद सरिता घर जो आ रही है और अब उसकी पढ़ाई भी पूरी हो चुकी है अब वह हमारे पास ही रहेगी मुझे इस चीज की बहुत खुशी है, मैंने राजेंद्र जी से कहा ठीक है सर मैं भी चलता हूं मेरे पास सरिता की तस्वीर तो थी ही और मैं एयरपोर्ट पर सरिता को लेने के लिए चला गया, मैं उस दिन अपने साथ ड्राइवर को नहीं लेकर गया, मैं जब एयरपोर्ट पहुंचा तो एयरपोर्ट से उतरते ही सरिता ने मेरे नंबर पर फोन कर दिया और जब मैंने सरिता को देखा तो मैं उसकी झील सी आंखो और उसके सुंदर चेहरे को देखता रहा, वह मुझे कहने लगी क्या तुम ही जिग्नेश हो? मैंने सरिता से कहा हां मेरा नाम ही जिग्नेश है। वह कहने लगी अच्छा तो पापा ने तुम्हें ही भेजा है, मैंने सरिता से कहा हां मुझे ही राजेंद्र जी ने भेजा है।
मैं और सरिता कार में एक साथ बैठे हुए थे जब मैं और सरिता कार में एक साथ बैठे हुए थे तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैंने एक पुराना रोमांटिक सा गाना प्ले कर दिया और सरिता उस गाने में झूमने लगी सरिता को वह गाना बहुत पसंद आया सरिता मुझे कहने लगी मुझे यह गाना बहुत पसंद है मैंने सरिता से कहा यह मेरा भी फेवरेट गाना है और हम दोनों ही गाने में पूरी तरीके से खो गए, जब मैं सरिता को लेकर घर पहुंचा तो राजेंद्र जी भी घर पहुंच चुके थे उन्होंने सरिता को गले लगा लिया और उनकी पत्नी ने भी सरिता को गले लगाया वह दोनों ही बहुत ज्यादा खुश थे उनकी खुशी देखकर मुझे भी बहुत अच्छा लगा, राजेंद्र जी की पत्नी मुझे बहुत अच्छा मानती थी इसलिए वह कहने लगी जिग्नेश बेटा आज तुम घर से ही खाना खा कर जाना। मैं भी घर पर रुक गया राजेंद्र जी ने मेरा सरिता से परिचय करवाया तो मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि सरिता मुझे पूरी तरीके से नहीं पहचानती थी और जब भी सरिता को कहीं जाना होता तो राजेंद्र जी मुझे ही सरिता के साथ भेजते लेकिन मुझे कहां पता था कि सरिता और मेरे बीच में प्यार हो जाएगा और जब हम दोनों के बीच प्यार हो गया तो मुझे इस बात का डर था कि क्या राजेंद्र जी हमारे प्यार को स्वीकार करेंगे क्योंकि मैं तो एक छोटा सा व्यक्ति हूं और सरिता एक बड़े घर की लड़की, मैं सरिता से हमेशा इस बारे में कहता कि तुम्हारे पिताजी मुझे कभी स्वीकार नहीं करेंगे, सरिता मुझे कहती कि वह मेरी हर एक बात मानते हैं मैं उनसे जरूर बात कर लूंगी, हम दोनों छुप छुप कर मिला करते थे। मैं जब भी सरिता से मिलता तो मेरा दिल उसे देख कर धड़कने लगता। एक दिन सरिता ने छोटी सी ड्रेस पहनी हुई थी वह घर पर ही थी। उस दिन मुझे राजेंद्र जी ने कहा आज मैं और तुम्हारी मैडम कहीं बाहर जा रहे हैं तुम सरिता के साथ उसके दोस्त के घर चले जाना। मैंने कहा ठीक है सर। मैं और सरिता उस दिन साथ में थे जब हम दोनों साथ में थे तो मुझे सरिता के साथ में वक्त बिताने का मौका मिल गया। उस दिन सरिता और मेरे बीच में किस हो गया जब हम दोनों के बीच किस हुआ तो शायद सरिता भी अपने आप पर काबू नहीं रख पाई।
जब हम लोग घर लौटे तो सरिता मुझसे चिपकने लगी, मैं भी उसके फिगर को देखकर अपने आप पर काबू नहीं रख पाया। मैंने जब उसकी गांड को अपने हाथ से दबाना शुरू किया तो मुझे अच्छा लगने लगा मैंने उसके कोमल होठों को चूसना शुरू किया उसे भी बहुत अच्छा महसूस होने लगा। जब हम दोनों एक दूसरे को किस करते तो मुझे बड़ा मजा आता मैंने जब सरिता के कपड़े उतारने शुरू किए तो उसके बदन से एक आग सी निकलने लगी। मेरे शरीर से भी गर्मी निकलने लगी मेरा शरीर तपता जाता। मैंने जैसे ही सरिता की चूत मारनी शुरू की, जैसे ही मैंने सुनीता की चूत में अपने लंड को डाला तो उसकी चूत से खून निकलने लगा। वह एकदम फ्रेश माल थी उसे बहुत तकलीफ हो रही थी लेकिन उसके मुंह से जो मादक आवाज निकालती उससे मेरे अंदर एक अलग ही उत्तेजना पैदा हो जाती और मुझे बड़ा मजा आता।
मैं तेजी से सरिता को चोदता जाता जब हम दोनों के बीच पूरी तरीके से सेक्स को लेकर संतुष्टि हो गई तो वह मुझे कहने लगी जिग्नेश आज मुझे तुम्हारे साथ सेक्स कर के बहुत अच्छा लगा। सरिता ने मेरे लंड को हिलाना शुरू किया और उसे अपने मुंह में लेना शुरू किया वह मेरे लंड को अच्छे से सकिंग करने लगी उसे भी अच्छा लगता और मुझे भी बहुत मजा आता। उसके बाद तो जब भी मैं सरिता को देखता तो मुझे उसे देखकर अच्छा लगता। सरिता भी मुझे देख कर खुश रहती जब हम दोनों के बीच में सेक्स होता तो मुझे बहुत मजा आता। सरिता के गोरे बदन और उसके हॉट फिगर को देखकर मैं अपने आपको रोक नहीं पाता था। सरिता की भी सेक्स की भूख बढ़ती जा रही थी और उसकी चूत में हर दिन खुजली होती जाती लेकिन मेरी भी इच्छा कभी पूरी होती जाती। जब भी मैं उसे देखता तो मुझे उससे चोदने का मन हो ही जाता।