नयी दुल्हनिया के तीखे तेवर

desi kahani वह आराम से ९ बजे सोके उठती और नहाने धोने के बाद चाय पीती मानो कहीं की रानी हो | फिर चहक चहककर लोगों से बतियाने लग जाती, क्यूंकि मायका तो बगल में ही है मेमसाहब का और तो और माता पिता से दूर होने का गम भी नहीं सताता था उसे | बारह एक बजे वापस अपने कमरे में घुस जाना फिर एक मस्त से नींद का आनंद उठाना | फिर शाम को खाने और चाय पीने के लिए बाहर निकल के आना | दिनभर उसके भतीजे और भतीजियाँ घर घेरे रहते थे | बुआ के लिए ये भेजा है उनकी माँ ने उन्हें ये बहुत पसंद है |

आप सोच रहे होंगे कि ये क्या बकवास कर रही हूँ मैं | तो आपको बता दूँ ये बकवास तो बिलकुल नहीं हैं क्यूंकि हमारे घर के पड़ोस वाली मीनू बनी थी “नयी दुल्हनिया हमारे प्यारे रिषभ की” | मैं हूँ लीला और मैं हर खबर रखती हूँ | मोहल्ले में अगर कोई इधर की उधर भी करता है तो मुझे पता होता है जी | और इन दोनों ने तो हर हद पार कर दी थी अब मैं क्या बताऊ हमारा रिषभ तो बेचारा फस गया था मीनू के जाल में | “दैय्या रे दैय्या” बेचारा सीधा सादा लड़का कहा से इस कमबख्त से शादी कर बैठा |

पर एक बात बता रही हूँ आपको गौर से सुनना “ये अन्दर की बात है” | जब ये दोनों प्यार के पंछी चुदाई करते हैं न तो मेरे रोम रोम में उत्साह भर जाता है | जोश भर देते हैं अन्दर बिलकुल ऐसा कि मैं भी अपने पति को इतना गरम कर देती हूँ जिससे वो मुझे एक नयी दुल्हन की तरह चोदते हैं | पर मैं ये बात आपसे बता रही हूँ | तो चलिए शुरू करते हैं “नयी दुल्हनिया हमारे प्यारे रिषभ की”

बार बार आवाज़ लगाने पर भी कोई जवाब नहीं आया | चाय ठंडी हुए जा रही थी और रिषभ का कोई अत पता नहीं था | विवश होकर बेचारी शीतल भाभी खुद ही छत पर गयी | मीनू छत पे रिषभ से बतिया रही थी और उनकी “गुटर गूं” निरंतर जारी थी | “नमस्ते आंटी” रिया बोली पर लज्जा उसे बिलकुल ना आई | भाभी ने भी अभिवादन किया और बद्बदते हुए नीचे आ गयी | माँ के सामने ही उसके लड़के के साथ प्यार के पींगे पादेगी को कौन भला बर्दाश्त करेगा |

“माँ कहाँ हो तुम ? और कहाँ है मेरी चाय ? रिषभ नीचे आके पूछने लगा |

सुन रिषभ !!! अब तू बड़ा हो गया है और एक अच्छी खासी नौकरी कर रहा है | छत पे तुम दोनों क्या बातें कर रहे थे ? मन छोटे में साथ खेले हो तब मैंने ध्यान देना ज़रूरी नहीं समझा | बड़े होकर साथ में कॉलेज गए तब भी मैं चुप रही | पर अब क्या बातिएँ करते हो तुम दोनों ? शीतल भाभी ने एक गुस्से भरे अंदाज़ में कहा |

“माँ काहे चिंता करती हो हम दोनों एक बहुत लम्बे समय से एक दुसरे को जानते हैं और अब आदत सी हो गई है बात करने की “ तुम फ़ालतू के ख्याल दिमाग में मत लाओ ऐसा कुछ भी नहीं है | मैंने ये बात जैसे ही सुनी तो मुझे लगा अभी कुछ कहना ठीक न होगा मैं शाम को भाभी के पास जाउंगी | पर भाभी के लबों से जो शब्द निकले मानो मेरे ही हों |

“बात को आगे बढ़ने में ज्यादा समय नहीं लगता है रिषभ” पता नहीं क्यूँ उन्हें रिषभ की बात पे कहीं न कहीं भरोसा नहीं था | और मीनू के बदले तेवर अलग ही कहानी बयां कर रहे थे कभी भजिये तो कभी हलवा लेके घर के चक्कर मारती रहती थी |

जैसा कि मैंने कहा था मैं शाम को भाभी से मिलने गयी | भाभी के माथे पर पड़ रहीं लकीरों को देख के लगा जैसे वो अन्दर से तू रहीं हैं | फिर उन्होंने कहा लीला तुझे तो सब पता चल ही गया होगा | क्यूँ सही कहा ना मैंने ? मदद कर लीला ! लड़का भोला है मेरा | मैंने कहा भाभी रुको अपना खून मत जलाओ मैं चाय बना के लाती हूँ आपके लिए | मैं कित्चें में चाय बना ही रही थी कि अचानक दरवाज़े पे कुछ आवाज़ हुयी और मैं बहार आई |

कौन है भाभी चाय ज्यादा बनाऊ क्या ? बस इतना कहते ही मेरे होश उड़ गए | सामने देखा तो मीनू जी खड़ी थी साड़ी पेहेन के |

आंटी जी !! देखिये न कैसी लग रही हूँ में ? मैंने कहा मीनू आप वाकई साड़ी दिखाने आये हो या भजिये तलने हैं ?

जो समझना है समझो लीला भाभी पर पहले बताओ मैं लग कैसी रही हूँ ? चाय उबलते उबलते कब उफन के गिर गयी परता ही नहीं चला और शीतल भाभी को तो जैसे सांप सूंघ गया था | हम दोनों बस उसे ही देख रहे थे इठलाते हुए | लीला वो गयी, अच्छा कहाँ गयी भाभी, अरे !! लीला मीनू गयी | शीतल भाभी ने मुझे धक्का मारते हुए कहा |

अच्छा भाभी, अरे हाँ नहीं ! भाभी क्या वो गयी ? अरे हाँ पागल जा चाय ला फिर से बना के जल गयी सारी | भगवान् इस मुसीबत से बचाए कहाँ से आ गयी | चाय बनी और हम दोनों एक दुसरे का चेहरा देखते हुए चाय पी ही रहे थे कि रिषभ आया और सीधा छत पे गया | मैंने कहा भाभी कही उस चुड़ैल ने मोहिनी मंत्र तो नहीं मार दिया अपने बच्चे पे ? नहीं रे लीला अभी उसकी माँ जिंदा है ऐसा कैसे कर पाएगी वो ? मैंने कहा भाभी देखो आक अमावस्या की काली रात है कही कुछ गलत न घट जाए ? शुभ शुभ बोल लीला कुछ भी मत कहा कर | खुद तो डरती है और मुझे भी डरा देती है | मैंने कहा भाभी आज हम दोनों रात में इन दोनों की तकवारी करेंगे आप सो मत जाना | मैं अपनी छत पे रहूंगी और आप भी मुझे खबर करती रहना सो मत मत जाना |

इतना मैंने भाही से कहा और मैं चली गयी अपने घर | रात के ८ बजे मैंने खाना खाया और तुरंत शीताक्ल भाभी को फोन लगाके पुछा भाभी अपना लड़का कैसा है ? भाभी ने कहा खाना खा रहा है अभी पर फोन से चिपका हुआ है | मैं समझ गयी और टपक से कहा भाभी फोन पे लगा है खाते समय मतलब छत पे तेहेलने भी जाएगा | आप तैयार रहना मैं तो हूँ और इतना कहके मैं बर्तन मांजने लगी | फिर मुझे याद आया भाभी तो दवाई खाती हैं दर्द की और उससे उन्हें नींद आती है | मैं छत पे गयी और जैसे ही फोन लगाया तो सामने दिखा रिषभ | 10 बजे थे रात के पर वो बैठा था और भाभी भी फोन नहीं उठा रही थी | मैं समझ गयी हो गया बेडा पार आज |

पर ये रिषभ बैठा हुआ क्यूँ है ?

थोड़ी पास गयी तो आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म का स्वर मुझे सुनाई दिया | मैं समझ गयी ये दोनों एक दुसरे को चूम रहे हैं | मैंने और पास जाके देखा तो दोनों एक दम नंगे थे रिषभ का खड़ा हुआ लंड और मीनू की गांड साफ़ दिख रही थी | मीनू उसके लंड को सहला रही थी और रिषभ उसके दूध को चूस रहा था | मेरा मन व्याकुल हो गया और मैंने अपनी पति को बुला लिया और कहा जैसा वो लोग करें वैसा तुम करो | हम दोनों भी नंगे हो गए | रिषभ मीनू की चूत चाटने लगा और मैंने भी अपने पति का मुह अपनी चूत से लगा दिया | मेरी रसभरी चूत जैसे वापस जीवित हो उठी थी |

आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म आराम से करो न रिषभ, मीनू ने मादक स्वर में कहा | मीनू ने उसका लंड चूसना शुरू किया पर मेरे पति से चूत चटवाने का आनंद मुझे पहली बार प्राप्त हुआ था इसलिए मैंने जारी रखा | रिषभ भी आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म कर रहा था और 10 मिनट बाद मीनू के मुह में अपना वीर्य छोड़ दिया | मैंने भी अपना पानी अपने पति के मुह में छोड़ दिया | मैं सुस्त पड़ गयी पर रिषभ ने अपना लंड जैसे ही मीनू की चूत में डाला वो चीख उठी | निकाल फट गयी मेरी चूत ! पर रिषभ घोड़े की तरह चोद रहा था और कुछ देर बाद वो आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म करने लगी | मेरे पति ने भी मेरी गांड मारना चालु कर दिया था पर मैं शोर नहीं कर सकती थी | आधे घंटे तक ये चला और हम दोनों फिर से झड़ गए | फिर मैंने सोचा अब ये हो गया है तो क्या फायदा और हम दोनों नीचे आ गए |

सुबह मेरी नींद खुली तो चिल्लाने की आवाज़ आई | ये क्या किया मेरी बेटी के साथ तुमने ? बताओ अब क्या होगा इसका ? अंकल मैं आज ही इससे शादी करूँगा | रिषभ ये कहके निकला और बाजु में खड़ी शीतल भाभी की आँखे नम थी और उनको देख के मेरा भी दिल दुख गया | बाकि उसकी आदत आपने ऊपर पढ़ ही ली होंगी |

तो दोस्तों सब करो पर अपने माँ के बेपनाह प्यार की इज्ज़त भी करो और किसी गलत लड़की के लिए उसका भरोसा मत तोड़ो |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *